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घर-बाहर

घर के अंदर और बाहर, सड़क और बाजार, हर जगह, देश, परदेश

घर रहे तो घर को खाए, बाहर रहे तो बाहर को खाए

घर में रहता है तो घर वालों को परेशान करता है, बाहर रहता है तो बाहर वालों को

घर से पाँव बाहर निकालना

come out of the house

घर से बाहर पाँव निकालना

گھر سے باہر جانا.

बाहर के खाएँ घर के गीत गाएँ

योग्य व्यक्ति वंचित रहे अयोग्य लाभ उठाए, अन्य को लाभ पहुँचे और अपने वंचित रहें

घर के बर्तन बाहर फूटना

घर की बात का बाहर वालों को पता चलना

घर में गुड़ बाहर शकर

घर वालों की तुलना में बाहर वालों से बेहतर व्यवहार करना

घर से बाहर निकलना

come out of the comfort of one's home

घर में चिराग़ नहीं बाहर मश'अल

निर्धन आदमी दिखावे के लिए ख़र्च करे तो उस समय कहते हैं

घर खीर तो बाहर भी खीर

धन धान्य से परिपूर्ण व्यक्ति का बाहर भी सम्मान होता है

घर से बाहर क़दम निकालना

گھر سے باہر جانا.

घर 'ईद तो बाहर भी 'ईद

घर में आराम मिले, मन प्रसन्न हो तो हर चीज़ अच्छी लगती है

घर में शेर बाहर भेड़

इस व्यक्ति के बारे में कहते हैं जो घर वालों पर तो धाक जमाए और रोब दिखाए, लेकिन बाहर वालों से दब जाए, घर वालों पर अकारण ही सख़्ती करने और बाहरवालों से कोमल आचरण रखने वाला

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

घर मटका तो बाहर मचिया

ग़रीबी और निर्धनता है

घर से बाहर न निकलना

दुनिया न देखना ,यात्रा न करना, सैर न करना, गोशा-नशीनी तर्क ना करना, घर न छोड़ना, वतन न छोड़ना, परदेश न जाना

घर सुख तो बाहर चैन

घर में आराम मिले तो बाहर भी आराम मिलता है, समय अच्छा हो तो घर में भी आराम मिलता है और बाहर भी

बाहर मियाँ झंग झंगीले घर में नंगी जोए

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

ईतर के घर तीतर बाहर बाँधूँ कि भीतर

sarcastic remark used for upstarts on a showy display of wealth

ओछे के घर तीतर बाहर बाँधूँ कि भीतर

रुक : उत्तर के घर तीतर बाहर बांधों कि भीतर

घर आए पीर न पूजे बाहर पूजन जा

क़ाबू के वक़्त काम ना करे फिर तदबीर करता फिरे, वक़्त पर काम ना करना फिर तदबीरें करते फिरना, घर आई दौलत को छोड़कर दूसरी जगह तलाश करना

बाहर मियाँ हफ़्त हज़ारी घर बीवी फ़ाक़ों मारी

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ सूबेदार घर में बीबी झोंके भाड़

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ अब्बे-तब्बे घर में भूनी भंग नहीं

मुफ़लिस और ज़ाहिरी नमूद वाले हैं

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में चूहे क़लाबाज़ियाँ खाएँ

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

घर का जोगी जोगना, बाहर का जोगी सिद्ध

मनुष्य को अपने मातृभूमि में महत्व नहीं दिया जाता है, इंसान की वतन में क़दर नहीं होती, अपने गाँव में फ़क़ीर होता है दूसरे गाँव में औलिया समझा जाता है

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

बाहर वाले खा गए और घर के गाएँ गीत

दूसरे लाभ उठाएँ और अपने लोग को भूखा मरें

बाहर की चिकनी चुपड़ी से घर की रूखी ही भली

अपनी कमाई का मा'मूली खाना भी दूसरों के दिए हुए उम्दा खाने से अच्छा होता है

मियाँ बाहर पंज हज़ारी , बीवी घर में क़हत की मारी

(अविर) मियां बाहर ऐश कररहे हैं बीवी घर में मुसीबत झील रही है , रुक : बाहर मियां हफ़तहज़ारी, घर में बीवी फ़ाक़ों मारी जो ज़्यादा मुस्तामल है

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

घर में देखो छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीर अंदाज़

ग़रीब शेख़ी बघारने वालों के बारे में कहते हैं

बनैनी पान दमड़ी के खाए घर रहे कि बाहर जाए

कंजूस थोड़े ख़र्च को बहुत समझता है

पहले घर के तो पीछे बाहर के

अपनों से बचे तो दूसरे को दिया जाए

घर के रोवें बाहर के खाएँ, दु'आ देते क़लंदर जाएँ

घर वालों से बुरा व्यवहार और बाहर वालों से अच्छा व्यवहार

आटे का चराग़ घर रक्खूँ चूहा खाए, बाहर धरूँ काैवा ले जाए

हर तरह से कठिन है, किसी भी हालत में सुख नहीं

अपना घर अपना बाहर

अपनी चीज़ अपनी ही होती है जो चाहो सो करो अर्थात घर की चीज़ भी हमारी और बाहर की भी

घर से बाहर करना

घर से निकालना, घर में न रखना

घर से बाहर आना

۔ گھر سے باہر برآمد ہونا۔ ؎

घर से बाहर भला

महिलाएँ झगड़ालू पति के बारे में कहती हैं कि घर से बाहर ही अच्छा है

पहले घर तब बाहर

रुक : पहले घर में तो पीछे मस्जिद में

घर से बाहर न जाना

चारदीवारी से बाहर न जाना, घर में बैठे रहना, घर के अंदर बैठा रहना

घर भर कर बाहर भरे

इस क़दर दौलत कि घर में रखने को जगह न मिले और बाहर रखी जाए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घर-बाहर के अर्थदेखिए

घर-बाहर

ghar-baaharگَھر باہَر

वज़्न : 222

मूल शब्द: घर

घर-बाहर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • घर के अंदर और बाहर, सड़क और बाजार, हर जगह, देश, परदेश

گَھر باہَر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • ۱. گھر کے اندر اور گھر کے باہر ، کُوچہ و بازار ، ہر جگہ.
  • ۲. دیس ، پردیس.

Urdu meaning of ghar-baahar

  • Roman
  • Urdu

  • ۱. ghar ke andar aur ghar ke baahar, kuu.ochaa-o-baazaar, har jagah
  • ۲. des, pardes

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घर-बाहर

घर के अंदर और बाहर, सड़क और बाजार, हर जगह, देश, परदेश

घर रहे तो घर को खाए, बाहर रहे तो बाहर को खाए

घर में रहता है तो घर वालों को परेशान करता है, बाहर रहता है तो बाहर वालों को

घर से पाँव बाहर निकालना

come out of the house

घर से बाहर पाँव निकालना

گھر سے باہر جانا.

बाहर के खाएँ घर के गीत गाएँ

योग्य व्यक्ति वंचित रहे अयोग्य लाभ उठाए, अन्य को लाभ पहुँचे और अपने वंचित रहें

घर के बर्तन बाहर फूटना

घर की बात का बाहर वालों को पता चलना

घर में गुड़ बाहर शकर

घर वालों की तुलना में बाहर वालों से बेहतर व्यवहार करना

घर से बाहर निकलना

come out of the comfort of one's home

घर में चिराग़ नहीं बाहर मश'अल

निर्धन आदमी दिखावे के लिए ख़र्च करे तो उस समय कहते हैं

घर खीर तो बाहर भी खीर

धन धान्य से परिपूर्ण व्यक्ति का बाहर भी सम्मान होता है

घर से बाहर क़दम निकालना

گھر سے باہر جانا.

घर 'ईद तो बाहर भी 'ईद

घर में आराम मिले, मन प्रसन्न हो तो हर चीज़ अच्छी लगती है

घर में शेर बाहर भेड़

इस व्यक्ति के बारे में कहते हैं जो घर वालों पर तो धाक जमाए और रोब दिखाए, लेकिन बाहर वालों से दब जाए, घर वालों पर अकारण ही सख़्ती करने और बाहरवालों से कोमल आचरण रखने वाला

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

घर मटका तो बाहर मचिया

ग़रीबी और निर्धनता है

घर से बाहर न निकलना

दुनिया न देखना ,यात्रा न करना, सैर न करना, गोशा-नशीनी तर्क ना करना, घर न छोड़ना, वतन न छोड़ना, परदेश न जाना

घर सुख तो बाहर चैन

घर में आराम मिले तो बाहर भी आराम मिलता है, समय अच्छा हो तो घर में भी आराम मिलता है और बाहर भी

बाहर मियाँ झंग झंगीले घर में नंगी जोए

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

ईतर के घर तीतर बाहर बाँधूँ कि भीतर

sarcastic remark used for upstarts on a showy display of wealth

ओछे के घर तीतर बाहर बाँधूँ कि भीतर

रुक : उत्तर के घर तीतर बाहर बांधों कि भीतर

घर आए पीर न पूजे बाहर पूजन जा

क़ाबू के वक़्त काम ना करे फिर तदबीर करता फिरे, वक़्त पर काम ना करना फिर तदबीरें करते फिरना, घर आई दौलत को छोड़कर दूसरी जगह तलाश करना

बाहर मियाँ हफ़्त हज़ारी घर बीवी फ़ाक़ों मारी

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ सूबेदार घर में बीबी झोंके भाड़

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ अब्बे-तब्बे घर में भूनी भंग नहीं

मुफ़लिस और ज़ाहिरी नमूद वाले हैं

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में चूहे क़लाबाज़ियाँ खाएँ

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

घर का जोगी जोगना, बाहर का जोगी सिद्ध

मनुष्य को अपने मातृभूमि में महत्व नहीं दिया जाता है, इंसान की वतन में क़दर नहीं होती, अपने गाँव में फ़क़ीर होता है दूसरे गाँव में औलिया समझा जाता है

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

बाहर वाले खा गए और घर के गाएँ गीत

दूसरे लाभ उठाएँ और अपने लोग को भूखा मरें

बाहर की चिकनी चुपड़ी से घर की रूखी ही भली

अपनी कमाई का मा'मूली खाना भी दूसरों के दिए हुए उम्दा खाने से अच्छा होता है

मियाँ बाहर पंज हज़ारी , बीवी घर में क़हत की मारी

(अविर) मियां बाहर ऐश कररहे हैं बीवी घर में मुसीबत झील रही है , रुक : बाहर मियां हफ़तहज़ारी, घर में बीवी फ़ाक़ों मारी जो ज़्यादा मुस्तामल है

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

घर में देखो छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीर अंदाज़

ग़रीब शेख़ी बघारने वालों के बारे में कहते हैं

बनैनी पान दमड़ी के खाए घर रहे कि बाहर जाए

कंजूस थोड़े ख़र्च को बहुत समझता है

पहले घर के तो पीछे बाहर के

अपनों से बचे तो दूसरे को दिया जाए

घर के रोवें बाहर के खाएँ, दु'आ देते क़लंदर जाएँ

घर वालों से बुरा व्यवहार और बाहर वालों से अच्छा व्यवहार

आटे का चराग़ घर रक्खूँ चूहा खाए, बाहर धरूँ काैवा ले जाए

हर तरह से कठिन है, किसी भी हालत में सुख नहीं

अपना घर अपना बाहर

अपनी चीज़ अपनी ही होती है जो चाहो सो करो अर्थात घर की चीज़ भी हमारी और बाहर की भी

घर से बाहर करना

घर से निकालना, घर में न रखना

घर से बाहर आना

۔ گھر سے باہر برآمد ہونا۔ ؎

घर से बाहर भला

महिलाएँ झगड़ालू पति के बारे में कहती हैं कि घर से बाहर ही अच्छा है

पहले घर तब बाहर

रुक : पहले घर में तो पीछे मस्जिद में

घर से बाहर न जाना

चारदीवारी से बाहर न जाना, घर में बैठे रहना, घर के अंदर बैठा रहना

घर भर कर बाहर भरे

इस क़दर दौलत कि घर में रखने को जगह न मिले और बाहर रखी जाए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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