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आँख में पानी नहीं है

लज्जा बिल्कुल नहीं है

आँख में पानी नहीं

बिलकुल बेहया है, ज़रा श्रम नहीं

आँख में मैल है और उस में मैल नहीं

आँख से भी अधिक पारदर्शी है, बहुत साफ़-सुथरा है

आँख में पानी उतरना

आँख की पुतली में नज़ले का पानी आ जाना (जिससे दिखना कम या समाप्त हो जाता है)

आँख में पानी उतर आना

आँख की पुतली में नज़ले का पानी आ जाना (जिससे दिखना कम या समाप्त हो जाता है)

आँख में आँसू नहीं

रोते रोते आँख में आँसू शेष नहीं रहा

आँख में मैल नहीं

गवारा है, नागवार नहीं

आँख में ज़रा पानी न होना

बहुत निर्दयी होना, बहुत दु:शील एवं अख्खड़ होना, बहुत ही निर्लज होना

कित्ने पानी में है

क्या हैसियत है , कितनी एहमीयत है , असलीयत किया है , कितना ज़र्फ़ है , किस क़दर हौसला है , कहाँ तक दसतगाह है , कितनी क़ुदरत है

आँख पानी में डबडबाने लगना

अत्यधिक दुर्बलता से आँखें ऐसी जान पड़ना जैसे वह पानी में तैर रही हैं

आँख में लगाने को नहीं

ये वस्तु इतनी भी नहीं कि आँख में सुरमे की तरह लगाई जा सके, ज़र्रा भर भी नहीं, कुछ भी नहीं

आँख में ज़रा मेल नहीं

निष्ठुर है, पत्थर दिल है

आँख में ज़रा मैल नहीं

ग़लती पर शर्मिंदा होने की बजाय आंखों में आंखें डाल के जवाब देता है

आँख में ज़रा सील नहीं

थोड़ा शील संकोच और दया नहीं

कौन कितने पानी में है

किस का क्या मान-मर्यादा है, क्या प्रतिष्ठा है, क्या दर्जा है, कितनी महत्ता है, पता चल जायेगा

वो कितने पानी में है

उनका सामर्थ्य या वास्तविक्ता क्या है, वह कितने बलशाली हैं, उनमें कितना धैर्य है

आँख में घिस कर लगाने को नहीं

ये वस्तु इतनी भी नहीं कि आँख में सुरमे की तरह लगाई जा सके, ज़र्रा भर भी नहीं, कुछ भी नहीं

सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

कुँआँ बेचा है कुँएँ का पानी नहीं बेचा

निरर्थक वाद-विवाद बढ़ाने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला तर्क

कुवा बेचा है कुवे का पानी नहीं बेचा

रुक : कंवां बेचा है कुँवें का पानी नहीं बेचा, ग़द्दार और बदमुआमला के क़ौल-ओ-फे़अल में तज़ाद होता है

पानी का हगा मुँह पर नहीं आता है

आसमान का थूका मुँह पर आता है, किए का फल मिलता है, दोष प्रकट हुए बिना नहीं रहता

गाँठ में ज़र है तो नर है , नहीं तो ख़र है

दौलत है तो आदमी सब पर ग़ालिब है वर्ना गधे से बदतर है

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

कुवाँ बेचा है , कुँवें का पानी नहीं बेचा

बहाना तराशी या धोका देने के लिए जब कोई चाल चली जाये तो कहते हैं, चीज़ दे दी जाये और फ़ायदा ना उठाने दिया जाये नीज़ रुक : कौवा बेचा है कौए का पानी नहीं बेचा

आँख में आँसू नहीं और कलेजा टूक टूक

स्पष्टता में अधिक दुख एवं पछतावा है किन्तु हृदय पर थोड़ा भी प्रभाव नहीं

जिन में चमक नहीं सब कनक है

जो चीज़ देखने में सुंदर हो, ज़रूरी नहीं कि उसके गुण भी अच्छे हों

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

मेंहदी तो पाँव में नहीं लगी है

आते क्यों नहीं बहाने बनाते हो

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

अभी सेर में से पौनी भी नहीं कती है

अभी काम का आरंभ है

नारियल में पानी, नहीं जानता खट्टा कि मीठा

छुपी हुई चीज़ के प्रति ज्ञात नहीं होता कि अच्छी है या बुरी

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

जिस के दिल में रहम नहीं वो क़साई है

निर्दयी आदमी क़साई के बराबर होता है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई न कोई त्रुटि होती है, कोई चीज़ त्रुटि से ख़ाली नहीं

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

۔دیکھو فرشتے کا کان میں پھونکنا۔

वो पानी में पहुँचने से पहले ही कपड़े उतार लेता है

(पश्तो कहावत उर्दू में प्रयुक्त)बुद्धिमान व्यक्ति, सतर्क व्यक्ति के बारे में कहा जाता है

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

साँच बराबर तप नहीं और झूट बराबर पाप, जाके मन में पाप है ताके मन में आप

सच से बढ़ कर कोई तपस्या नहीं और झूठ से बढ़ कर कोई गुनाह नहीं

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आँख में पानी नहीं है के अर्थदेखिए

आँख में पानी नहीं है

aa.nkh me.n paanii nahii.n haiآنکھ میں پانی نہیں ہے

कहावत

आँख में पानी नहीं है के हिंदी अर्थ

  • लज्जा बिल्कुल नहीं है

آنکھ میں پانی نہیں ہے کے اردو معانی

  • بالکل شرم نہیں ہے

Urdu meaning of aa.nkh me.n paanii nahii.n hai

  • Roman
  • Urdu

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आँख में पानी नहीं है

लज्जा बिल्कुल नहीं है

आँख में पानी नहीं

बिलकुल बेहया है, ज़रा श्रम नहीं

आँख में मैल है और उस में मैल नहीं

आँख से भी अधिक पारदर्शी है, बहुत साफ़-सुथरा है

आँख में पानी उतरना

आँख की पुतली में नज़ले का पानी आ जाना (जिससे दिखना कम या समाप्त हो जाता है)

आँख में पानी उतर आना

आँख की पुतली में नज़ले का पानी आ जाना (जिससे दिखना कम या समाप्त हो जाता है)

आँख में आँसू नहीं

रोते रोते आँख में आँसू शेष नहीं रहा

आँख में मैल नहीं

गवारा है, नागवार नहीं

आँख में ज़रा पानी न होना

बहुत निर्दयी होना, बहुत दु:शील एवं अख्खड़ होना, बहुत ही निर्लज होना

कित्ने पानी में है

क्या हैसियत है , कितनी एहमीयत है , असलीयत किया है , कितना ज़र्फ़ है , किस क़दर हौसला है , कहाँ तक दसतगाह है , कितनी क़ुदरत है

आँख पानी में डबडबाने लगना

अत्यधिक दुर्बलता से आँखें ऐसी जान पड़ना जैसे वह पानी में तैर रही हैं

आँख में लगाने को नहीं

ये वस्तु इतनी भी नहीं कि आँख में सुरमे की तरह लगाई जा सके, ज़र्रा भर भी नहीं, कुछ भी नहीं

आँख में ज़रा मेल नहीं

निष्ठुर है, पत्थर दिल है

आँख में ज़रा मैल नहीं

ग़लती पर शर्मिंदा होने की बजाय आंखों में आंखें डाल के जवाब देता है

आँख में ज़रा सील नहीं

थोड़ा शील संकोच और दया नहीं

कौन कितने पानी में है

किस का क्या मान-मर्यादा है, क्या प्रतिष्ठा है, क्या दर्जा है, कितनी महत्ता है, पता चल जायेगा

वो कितने पानी में है

उनका सामर्थ्य या वास्तविक्ता क्या है, वह कितने बलशाली हैं, उनमें कितना धैर्य है

आँख में घिस कर लगाने को नहीं

ये वस्तु इतनी भी नहीं कि आँख में सुरमे की तरह लगाई जा सके, ज़र्रा भर भी नहीं, कुछ भी नहीं

सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

कुँआँ बेचा है कुँएँ का पानी नहीं बेचा

निरर्थक वाद-विवाद बढ़ाने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला तर्क

कुवा बेचा है कुवे का पानी नहीं बेचा

रुक : कंवां बेचा है कुँवें का पानी नहीं बेचा, ग़द्दार और बदमुआमला के क़ौल-ओ-फे़अल में तज़ाद होता है

पानी का हगा मुँह पर नहीं आता है

आसमान का थूका मुँह पर आता है, किए का फल मिलता है, दोष प्रकट हुए बिना नहीं रहता

गाँठ में ज़र है तो नर है , नहीं तो ख़र है

दौलत है तो आदमी सब पर ग़ालिब है वर्ना गधे से बदतर है

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

कुवाँ बेचा है , कुँवें का पानी नहीं बेचा

बहाना तराशी या धोका देने के लिए जब कोई चाल चली जाये तो कहते हैं, चीज़ दे दी जाये और फ़ायदा ना उठाने दिया जाये नीज़ रुक : कौवा बेचा है कौए का पानी नहीं बेचा

आँख में आँसू नहीं और कलेजा टूक टूक

स्पष्टता में अधिक दुख एवं पछतावा है किन्तु हृदय पर थोड़ा भी प्रभाव नहीं

जिन में चमक नहीं सब कनक है

जो चीज़ देखने में सुंदर हो, ज़रूरी नहीं कि उसके गुण भी अच्छे हों

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

मेंहदी तो पाँव में नहीं लगी है

आते क्यों नहीं बहाने बनाते हो

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

अभी सेर में से पौनी भी नहीं कती है

अभी काम का आरंभ है

नारियल में पानी, नहीं जानता खट्टा कि मीठा

छुपी हुई चीज़ के प्रति ज्ञात नहीं होता कि अच्छी है या बुरी

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

जिस के दिल में रहम नहीं वो क़साई है

निर्दयी आदमी क़साई के बराबर होता है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई न कोई त्रुटि होती है, कोई चीज़ त्रुटि से ख़ाली नहीं

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

۔دیکھو فرشتے کا کان میں پھونکنا۔

वो पानी में पहुँचने से पहले ही कपड़े उतार लेता है

(पश्तो कहावत उर्दू में प्रयुक्त)बुद्धिमान व्यक्ति, सतर्क व्यक्ति के बारे में कहा जाता है

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

साँच बराबर तप नहीं और झूट बराबर पाप, जाके मन में पाप है ताके मन में आप

सच से बढ़ कर कोई तपस्या नहीं और झूठ से बढ़ कर कोई गुनाह नहीं

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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