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सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

आँख में पानी नहीं है

लज्जा बिल्कुल नहीं है

आँख में मैल है और उस में मैल नहीं

आँख से भी अधिक पारदर्शी है, बहुत साफ़-सुथरा है

गाँठ में ज़र है तो नर है , नहीं तो ख़र है

दौलत है तो आदमी सब पर ग़ालिब है वर्ना गधे से बदतर है

सर में बाल नहीं भाल से लड़ाई

कमज़ोर हो कर ताक़तवर से मुक़ाबला करता है

पाँचों उँगलियाँ घी में नहीं तो सर कढ़ाई में

यदि काम दिल की इच्छानुसार किया तो इन'आम मिलेगा नहीं तो दंड मिलेगा

जिन में चमक नहीं सब कनक है

जो चीज़ देखने में सुंदर हो, ज़रूरी नहीं कि उसके गुण भी अच्छे हों

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

मेंहदी तो पाँव में नहीं लगी है

आते क्यों नहीं बहाने बनाते हो

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

अभी सेर में से पौनी भी नहीं कती है

अभी काम का आरंभ है

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

जिस के दिल में रहम नहीं वो क़साई है

निर्दयी आदमी क़साई के बराबर होता है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई न कोई त्रुटि होती है, कोई चीज़ त्रुटि से ख़ाली नहीं

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

۔دیکھو فرشتے کا کان میں پھونکنا۔

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

साँच बराबर तप नहीं और झूट बराबर पाप, जाके मन में पाप है ताके मन में आप

सच से बढ़ कर कोई तपस्या नहीं और झूठ से बढ़ कर कोई गुनाह नहीं

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सर में फोड़ा नहीं है के अर्थदेखिए

सर में फोड़ा नहीं है

sar me.n pho.Daa nahii.n haiسَر میں پھوڑا نَہِیں ہے

वाक्य

सर में फोड़ा नहीं है के हिंदी अर्थ

  • नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

سَر میں پھوڑا نَہِیں ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ناحق کی تکلیف کیوں اُٹھاؤں

Urdu meaning of sar me.n pho.Daa nahii.n hai

  • Roman
  • Urdu

  • naahaq kii takliif kyo.n uThaa.o.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

आँख में पानी नहीं है

लज्जा बिल्कुल नहीं है

आँख में मैल है और उस में मैल नहीं

आँख से भी अधिक पारदर्शी है, बहुत साफ़-सुथरा है

गाँठ में ज़र है तो नर है , नहीं तो ख़र है

दौलत है तो आदमी सब पर ग़ालिब है वर्ना गधे से बदतर है

सर में बाल नहीं भाल से लड़ाई

कमज़ोर हो कर ताक़तवर से मुक़ाबला करता है

पाँचों उँगलियाँ घी में नहीं तो सर कढ़ाई में

यदि काम दिल की इच्छानुसार किया तो इन'आम मिलेगा नहीं तो दंड मिलेगा

जिन में चमक नहीं सब कनक है

जो चीज़ देखने में सुंदर हो, ज़रूरी नहीं कि उसके गुण भी अच्छे हों

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

मेंहदी तो पाँव में नहीं लगी है

आते क्यों नहीं बहाने बनाते हो

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

अभी सेर में से पौनी भी नहीं कती है

अभी काम का आरंभ है

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

जिस के दिल में रहम नहीं वो क़साई है

निर्दयी आदमी क़साई के बराबर होता है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई न कोई त्रुटि होती है, कोई चीज़ त्रुटि से ख़ाली नहीं

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

۔دیکھو فرشتے کا کان میں پھونکنا۔

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

साँच बराबर तप नहीं और झूट बराबर पाप, जाके मन में पाप है ताके मन में आप

सच से बढ़ कर कोई तपस्या नहीं और झूठ से बढ़ कर कोई गुनाह नहीं

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

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