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"मौत का घर घाट नहीं" शब्द से संबंधित परिणाम
हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मौत का घर घाट नहीं के अर्थदेखिए
मौत का घर घाट नहीं के हिंदी अर्थ
- मौत हर जगह आती है, इसका कोई स्थान नहीं है
مَوت کا گَھر گھاٹ نَہِیں کے اردو معانی
- Roman
- Urdu
- موت ہر جگہ آتی ہے اس کا کوئی مقام نہیں ہے
Urdu meaning of maut kaa ghar ghaaT nahii.n
- Roman
- Urdu
- maut har jagah aatii hai is ka ko.ii nahii.n huy
खोजे गए शब्द से संबंधित
धोबी का गधा घर का न घाट का
हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो
घर का न घाट का
बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का
'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं
इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है
'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं
इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है
जिस का डर वही नहीं घर
घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र
मौसी का घर नहीं है
ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं
नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं
नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है
मौत और गाहक का कोई ए'तिबार नहीं
मरने के लिए हर वक़्त तैयार रहना चाहिए मालूम नहीं किस वक़्त मौत आ जाए यही हाल गाहक का है इस लिए दुकानदार को भी हर वक़्त दुकान पर मौजूद रहना चाहिए
गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आवे
ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं
सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं
जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है
मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं
रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)
गाहक और मौत का ठीक नहीं कब आवे
ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं
ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं
नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो
मौत के आगे किसी का बस नहीं चलता, मौत के आगे सब हारे
मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मृत्यु सब को हरा देती है, प्रत्येक जीव को मरना है, मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मौत से कोई नहीं बच सकता, हर जानदार को मरना है, कोई मौत से नहीं बच सकता
गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आए
ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं
गाहक और मौत का पता नहीं कब आ जाए
ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं
बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया
एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया
दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते
ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं
फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते
अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता
सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते
अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं
सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते
अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है
सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते
अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है
सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए
अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है
दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते
ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं
दिन का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते
ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं
सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए
अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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rusuum
रुसूम
.رُسُوم
customs, traditions, rituals
[ Arya Samaj ke log murti-puja aur purane rusum ko nahin mante ]

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ehtimaam
एहतिमाम
.اِہْتِمام
arrangement, preparation
[ Hamare yahan har saal Nag-Panchami ke din dangal ka ehtimam kiya jata hai ]

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parastish
परस्तिश
.پَرَسْتِش
devotion, worship
[ Parastish Khuda ki ho ya kisi but ki aakhir parastish hoti hai ]

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jadiid
जदीद
.جَدِید
recent, modern
[ Aaj ka insan jadid scincey daur mein sans le raha hai magar kuchh uljhane ab bhi hain ]

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ulfat
उलफ़त
.اُلْفَت
love, affection, friendship
[ Aksar bachchon ko apne nanihal se bahut ulfat hoti hai ]

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unsiyyat
उंसिय्यत
.اُنْسِیَّت
feeling of kindness due to familiarity, love, affection
[ Prabhavati Devi aur Kamala Nehru mein bahut unsiyyat thi ]

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afsos
अफ़सोस
.اَفْسوس
regret, repentance, remorse
[ Waqt par sahih faisla na karne wala insan zindagi bhar afsos karta hai ]

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farsuuda
फ़र्सूदा
.فَرْسُودَہ
eroded, weathered, spoiled by time or age, effaced
[ Farsooda soch rakhne wale log hamesha piche rah jate hain ]

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kohna
कोहना
.کُہْنَہ
old, ancient, obsolete
[ Kohna rasmein ab bhi hamare khaandaan mein bahut ahmiyat rakhti hain ]

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qadr
क़द्र
.قَدْر
honour, dignity
[ Har aulaad ko apne maan baap ki qadr karni chahiye ]

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