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ख़ाला जी का घर नहीं

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

ख़ाला जी का घर

आसान काम, मामूली बात

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है

नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है

'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो

'आशिक़ी और ख़ाला जी का घर

सोने में सुगंध, खाला यानी मौसी के घर जाने में किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं, किसी भी लड़की से वहाँ खुलकर प्रेम किया जा सकता है

नौकरी और ख़ाला जी का घर

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

नौकरी क्या है ख़ाला जी का घर है

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नानी जी का घर

۔(دہلی) لکھنؤ میں اس جگہ خالہ جی کا گھر ہے۔ دیکھو خالہ جی۔مثال کے لیے دیکھو ناک پر کی مکھی۔

नानी जी के घर का निवाला

आसान काम, सहल कार्य

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

मौत का घर घाट नहीं

मौत हर जगह आती है, इसका कोई स्थान नहीं है

झूटों का घर नहीं बस्ता

झूठ पनप नहीं पाता

मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

'आशिक़ी और ख़ाला जी का डर

प्यार करने वाले, प्यार में फँसना

जिस का ज़र वही नहीं घर

ख़ावंद जिस का डर है वही घर में नहीं जो चाहो सौ करो

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

while the cat is away the mice will play

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

ख़ाला का घर

रुक : ख़ाला जी का घर मानी १, २

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

दिन का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

better late than never

राम जी ने बेटा दिया वो भी मुसलमान का, हल्वा पूरी खाता नहीं टुकड़ा माँगे नान का

एक चीज़ बड़ी इच्छाओं के बाद प्राप्त हो और वो भी निष्कर्म या बेकार निकले तो कहते हैं

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ख़ाला जी का घर नहीं के अर्थदेखिए

ख़ाला जी का घर नहीं

KHaala jii kaa ghar nahii.nخالہ جی کا گھر نہیں

अथवा : ख़ाला जी का घर नहीं है

कहावत

ख़ाला जी का घर नहीं के हिंदी अर्थ

  • सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं
  • किसी कठिन कार्य के लिए संकेतात्मक तौर पर कहा जाता है

    विशेष मौसी के यहाँ सब प्रकार की स्वतंत्रता रहती है, चाहे जो करो, इसीलिए कहा गया है।

خالہ جی کا گھر نہیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • آسان کام نہیں، معمولی بات نہیں
  • کسی مشکل کام کے لئے کنایۃً کہا جاتا ہے

Urdu meaning of KHaala jii kaa ghar nahii.n

  • Roman
  • Urdu

  • aasaan kaam nahiin, baat nahii.n
  • kisii mushkil kaam ke li.e kanaa.en kahaa jaataa hai

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ख़ाला जी का घर नहीं

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

ख़ाला जी का घर

आसान काम, मामूली बात

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है

नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है

'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो

'आशिक़ी और ख़ाला जी का घर

सोने में सुगंध, खाला यानी मौसी के घर जाने में किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं, किसी भी लड़की से वहाँ खुलकर प्रेम किया जा सकता है

नौकरी और ख़ाला जी का घर

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

नौकरी क्या है ख़ाला जी का घर है

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नानी जी का घर

۔(دہلی) لکھنؤ میں اس جگہ خالہ جی کا گھر ہے۔ دیکھو خالہ جی۔مثال کے لیے دیکھو ناک پر کی مکھی۔

नानी जी के घर का निवाला

आसान काम, सहल कार्य

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

मौत का घर घाट नहीं

मौत हर जगह आती है, इसका कोई स्थान नहीं है

झूटों का घर नहीं बस्ता

झूठ पनप नहीं पाता

मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

'आशिक़ी और ख़ाला जी का डर

प्यार करने वाले, प्यार में फँसना

जिस का ज़र वही नहीं घर

ख़ावंद जिस का डर है वही घर में नहीं जो चाहो सौ करो

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

while the cat is away the mice will play

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

ख़ाला का घर

रुक : ख़ाला जी का घर मानी १, २

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

दिन का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

better late than never

राम जी ने बेटा दिया वो भी मुसलमान का, हल्वा पूरी खाता नहीं टुकड़ा माँगे नान का

एक चीज़ बड़ी इच्छाओं के बाद प्राप्त हो और वो भी निष्कर्म या बेकार निकले तो कहते हैं

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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