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सर नहीं या सरोही नहीं

हो गज़ अपना हक़ ज़ाए नहीं होने देंगे, तख़्त या तख़्ते, जान की बाज़ी लगाना

या हम नहीं या आप नहीं

रुक : या तुम नहीं या हम नहीं

या तुम नहीं या हम नहीं

निर्णायक लड़ाई होगी, या हम मरेंगे या तुम मरोगे, या मारेंगे या मर जाएँगे

मैं नहीं या वो नहीं

कमाल इग़सा का इज़हार यानी या तो आज में उन्हें को मार डालूंगा या ख़ुद ही मारा जाऊंगा

मैं नहीं या तुम नहीं

۔دیکھو۔ ۲ ج میں نہیں۔

आज मैं नहीं या वह नहीं

आज में अपनी जान दे दूँगा या उसकी (तुम्हारी) जान ले लूँगा (अत्यधिक क्रोध एवं शत्रुता के स्थान पर

अब या कभी नहीं

Now or never

सर तो नहीं फिरा

(व्यंग्य) बुरा समय तो नहीं आया, बुद्धि भ्रष्ट तो नहीं हो गया

सर नहीं उठ सकता

बार एहसान से सुबकदोशी नहीं होती

सर तो नहीं कुझाता

(तंज़न) शामत आई है, मार खाने को जी चाहता है

हुआ हुआ या कुछ नहीं

जो होना चाहिए था वो नहीं हुआ

गाओ या बजाओ मियाँ मिनकते ही नहीं

कुछ भी कहो सुनो असर ही नहीं होता

डालते देर नहीं सर पर कोतवाल

कोई बुरा काम करते ही पकड़े जाने के अवसर पर बोलते हैं

आसमान से भी सर नहीं झुकाता

بڑا مغرور ہے

सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

सर उठाने की फ़ुर्सत नहीं

ज़रा भी फ़ुर्सत नहीं, बहुत व्यस्त है

ज़ालिम सर सब्ज़ नहीं होता

अत्यचारी को उसका अत्याचार पनपने नहीं देता, अत्याचारी संतान और इच्छा से अभागा रहता है, अत्याचारी वंचित एवं असफ़ल रहता है

सर पर पगड़ी नहीं गुलाल डालने आया

यह उन लोगों के बारे में कहा जाता है जो अपनी क्षमता से परे काम करते हैं

गाओ या बजाओ मीराँ हल्के ही नहीं होते

जिस शख़्स का ग़ुस्सा किसी तरह फ़िरौ ना हो या जिस पर कोई नसीहत असर ना करे, कितना ही कहो वो मानता ही नहीं, कुछ कहो इस पर असर ही नहीं होता

गाओ या बजाओ मियाँ हल्के ही नहीं होते

जिस शख़्स का ग़ुस्सा किसी तरह फ़िरौ ना हो या जिस पर कोई नसीहत असर ना करे, कितना ही कहो वो मानता ही नहीं, कुछ कहो इस पर असर ही नहीं होता

सर पर ढोल बजाओ कुछ ख़बर नहीं

बहुत ही लापरवाह और आलसी, बड़ा ही ग़ाफ़िल और सुस्त है

पागल के सर पे सींग नहीं होते

पागलों की कोई बाह्य पहचान की निशानी नहीं होती, वह तो अपनी हरकतों और बातों से पहचाने जाते हैं

सर में बाल नहीं भाल से लड़ाई

कमज़ोर हो कर ताक़तवर से मुक़ाबला करता है

रातों काता कातना, सर पर नहीं तातना

बहुत मेहनत मशक़्क़त अथवा परिश्रम करती है फिर भी गुज़ारा नहीं होता या मुश्किल से होता है

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

अजीरन को अजीरन ही ठेले, नहीं तो सर चोहट्टे खेले

शक्तिशाली का शक्तिशाली ही सामना कर सकता है कमज़ोर करे तो जान से जाए

पाँचों उँगलियाँ घी में नहीं तो सर कढ़ाई में

यदि काम दिल की इच्छानुसार किया तो इन'आम मिलेगा नहीं तो दंड मिलेगा

छलनी चम्मा, घोड़ लगम्मा काएथ गुलम्मा या तीनों नहीं कोई कम्मा

छलनी का चमड़ा, घोड़े की लगाम और कायथ नौकर किसी काम के नहीं होते

बात का चूका आदमी या डाल का चूका बंदर फिर सँभलता नहीं

जो व्यक्ति अवसर पर चूक जाता है वह उसकी भरपाई नहीं कर पाता है और उसी प्रकार हानि उठाता है जिस तरह बंदर के हाथ से डाल छूट जाती है तो वह अवश्य गिर पड़ता है

सारी रामायण पढ़ गए लेकिन मा'लूम नहीं कि सीता 'औरत थी या मर्द

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलते

इशारे से कहते हैं ज़बान से नहीं बोलते, साफ़ साफ़ नहीं कहते

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो सलाम के जवाब में सिर्फ़ सर हिला दे , मग़रूर और बेवक़ूफ़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसे भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

۔مثل۔ مغرور آدمی کی نسبت بولتے ہیں۔ جو سلام کا جواب سرہلاکر ہی دیدے مگر زبان سے بات نہ کرے۔

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सर नहीं या सरोही नहीं के अर्थदेखिए

सर नहीं या सरोही नहीं

sar nahii.n yaa sarohii nahii.nسَر نَہیں یا سَروہی نَہِیں

कहावत

सर नहीं या सरोही नहीं के हिंदी अर्थ

  • हो गज़ अपना हक़ ज़ाए नहीं होने देंगे, तख़्त या तख़्ते, जान की बाज़ी लगाना

سَر نَہیں یا سَروہی نَہِیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ہو گز اپنا حق ضائع نہیں ہونے دیں گے ، تخت یا تخته ، جان کی بازی لگانا .

Urdu meaning of sar nahii.n yaa sarohii nahii.n

  • Roman
  • Urdu

  • ho gaz apnaa haq zaa.e nahii.n hone denge, taKht ya taKhte, jaan kii baazii lagaanaa

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सर नहीं या सरोही नहीं

हो गज़ अपना हक़ ज़ाए नहीं होने देंगे, तख़्त या तख़्ते, जान की बाज़ी लगाना

या हम नहीं या आप नहीं

रुक : या तुम नहीं या हम नहीं

या तुम नहीं या हम नहीं

निर्णायक लड़ाई होगी, या हम मरेंगे या तुम मरोगे, या मारेंगे या मर जाएँगे

मैं नहीं या वो नहीं

कमाल इग़सा का इज़हार यानी या तो आज में उन्हें को मार डालूंगा या ख़ुद ही मारा जाऊंगा

मैं नहीं या तुम नहीं

۔دیکھو۔ ۲ ج میں نہیں۔

आज मैं नहीं या वह नहीं

आज में अपनी जान दे दूँगा या उसकी (तुम्हारी) जान ले लूँगा (अत्यधिक क्रोध एवं शत्रुता के स्थान पर

अब या कभी नहीं

Now or never

सर तो नहीं फिरा

(व्यंग्य) बुरा समय तो नहीं आया, बुद्धि भ्रष्ट तो नहीं हो गया

सर नहीं उठ सकता

बार एहसान से सुबकदोशी नहीं होती

सर तो नहीं कुझाता

(तंज़न) शामत आई है, मार खाने को जी चाहता है

हुआ हुआ या कुछ नहीं

जो होना चाहिए था वो नहीं हुआ

गाओ या बजाओ मियाँ मिनकते ही नहीं

कुछ भी कहो सुनो असर ही नहीं होता

डालते देर नहीं सर पर कोतवाल

कोई बुरा काम करते ही पकड़े जाने के अवसर पर बोलते हैं

आसमान से भी सर नहीं झुकाता

بڑا مغرور ہے

सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

सर उठाने की फ़ुर्सत नहीं

ज़रा भी फ़ुर्सत नहीं, बहुत व्यस्त है

ज़ालिम सर सब्ज़ नहीं होता

अत्यचारी को उसका अत्याचार पनपने नहीं देता, अत्याचारी संतान और इच्छा से अभागा रहता है, अत्याचारी वंचित एवं असफ़ल रहता है

सर पर पगड़ी नहीं गुलाल डालने आया

यह उन लोगों के बारे में कहा जाता है जो अपनी क्षमता से परे काम करते हैं

गाओ या बजाओ मीराँ हल्के ही नहीं होते

जिस शख़्स का ग़ुस्सा किसी तरह फ़िरौ ना हो या जिस पर कोई नसीहत असर ना करे, कितना ही कहो वो मानता ही नहीं, कुछ कहो इस पर असर ही नहीं होता

गाओ या बजाओ मियाँ हल्के ही नहीं होते

जिस शख़्स का ग़ुस्सा किसी तरह फ़िरौ ना हो या जिस पर कोई नसीहत असर ना करे, कितना ही कहो वो मानता ही नहीं, कुछ कहो इस पर असर ही नहीं होता

सर पर ढोल बजाओ कुछ ख़बर नहीं

बहुत ही लापरवाह और आलसी, बड़ा ही ग़ाफ़िल और सुस्त है

पागल के सर पे सींग नहीं होते

पागलों की कोई बाह्य पहचान की निशानी नहीं होती, वह तो अपनी हरकतों और बातों से पहचाने जाते हैं

सर में बाल नहीं भाल से लड़ाई

कमज़ोर हो कर ताक़तवर से मुक़ाबला करता है

रातों काता कातना, सर पर नहीं तातना

बहुत मेहनत मशक़्क़त अथवा परिश्रम करती है फिर भी गुज़ारा नहीं होता या मुश्किल से होता है

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

अजीरन को अजीरन ही ठेले, नहीं तो सर चोहट्टे खेले

शक्तिशाली का शक्तिशाली ही सामना कर सकता है कमज़ोर करे तो जान से जाए

पाँचों उँगलियाँ घी में नहीं तो सर कढ़ाई में

यदि काम दिल की इच्छानुसार किया तो इन'आम मिलेगा नहीं तो दंड मिलेगा

छलनी चम्मा, घोड़ लगम्मा काएथ गुलम्मा या तीनों नहीं कोई कम्मा

छलनी का चमड़ा, घोड़े की लगाम और कायथ नौकर किसी काम के नहीं होते

बात का चूका आदमी या डाल का चूका बंदर फिर सँभलता नहीं

जो व्यक्ति अवसर पर चूक जाता है वह उसकी भरपाई नहीं कर पाता है और उसी प्रकार हानि उठाता है जिस तरह बंदर के हाथ से डाल छूट जाती है तो वह अवश्य गिर पड़ता है

सारी रामायण पढ़ गए लेकिन मा'लूम नहीं कि सीता 'औरत थी या मर्द

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलते

इशारे से कहते हैं ज़बान से नहीं बोलते, साफ़ साफ़ नहीं कहते

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो सलाम के जवाब में सिर्फ़ सर हिला दे , मग़रूर और बेवक़ूफ़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसे भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

۔مثل۔ مغرور آدمی کی نسبت بولتے ہیں۔ جو سلام کا جواب سرہلاکر ہی دیدے مگر زبان سے بات نہ کرے۔

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