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पढ़े

read, learn

पढ़े-पढ़ाए

غیر محقق ، غیر معتبر ، ایسی چیز جس کی حقیقت معلوم نہ کی گئی ہو.

पढ़े को पढ़ाना

तजरबाकार को कुछ बताना, होशयार को कुछ सिखाना

पढ़े हुए चावल

वे चावल जिन पर कोई तंत्र-मंत्र किया गया हो या जादू-मंतर पढ़ कर फूँका गया हो (सामान्यतः चोरी मालूम करने के लिए या प्रेम एवं शत्रुता के लिए यह कार्य किया जाता है)

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं पठान का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं सिपाही का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े भी मरें , बिन पढ़े भी मरें , दाँता किलकिल क्यों करें

आख़िर सब को मौत है फिर मशक़्क़त क्यों करें या इस काम से रस्तगारी नहीं तो तदबीर ही किया

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं आदमी के पूत ने भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े जिन को शीशे में उतारना

۔ बड़े चालाक को क़ाबू में लाना।

पढ़े तो हैं पर गुणी नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

पढ़े घर की पढ़ी बिल्ली

अच्छों के अच्छे और मक्कारों के मक्कार होते हैं

पढ़े न लिखे नाम मोहम्मद फ़ाज़िल

अनुचित नाम, नाम बड़ा एवं काम ख़राब

पढ़े घर की बिल्ली भी पढ़ी

۔ مثل اچھوں کے اچھے اور مکاروں کے مکار ہوتے ہیں۔ صحبت کا اتنا اثر ہوتا ہے کہ بڑے بھی اچھوں کی صحبت میں اچھے ہوجاتے ہیں۔

पढ़े न लिखे नाम मोहम्मद फ़ाज़िल

allusion to an ignorant person posing as educated or someone known in his profession but with little real talent

लिखे ईसा, पढ़े मूसा

बुरी हस्तलिपि वाला है, स्वयं अपना लिखा नहीं पढ़ सकता

ये पट्टी नहीं पढ़े

۔یعنی یہ کام کرنا نہیں چاہتے۔ایسے فقروں میں نہیں آتے۔

लिखे मूसा पढ़े ख़ुदा

बुरी हस्तलिपि वाला है, स्वयं अपना लिखा नहीं पढ़ सकता

लिखे मूसा पढ़े ख़ुद आप

बुरी हस्तलिपि वाला है, स्वयं अपना लिखा नहीं पढ़ सकता

बामन की बेटी कलिमा पढ़े

दूसरे धर्म की अच्छाई को मान ले

तोता पढ़े मैना पढ़े , कहीं आदमी के बच्चे भी पढ़ते हें

ये व्यंग्य करते हुए उन योग्य बच्चों के बारे में कहा जाना है जो पढ़ने-लिखने से जी चुराते हैं और अपना पूरा मन नहीं लगाते आशय यह है कि जब पक्षी पढ़ सकते हैं तो मनुष्य के लिए पढ़ना क्या कठिन है

लिखे न पढ़े दूध मारे कड़े

गुण कीच नहीं मगर मौज-मस्ती करता है

कहीं बूढ़े तोते भी पढ़े हैं

۔ دیکھو بوڑھے توتے پڑھانا۔

लिखे न पढ़े दूध मारे कढ़े

गुण कीच नहीं मगर मौज-मस्ती करता है

लिखे न पढ़े नाम मोहम्मद फ़ाज़िल

अनुचित नाम, नाम बड़ा एवं काम ख़राब

ढाई अक्षर प्रेम के पढ़े सो पंडित होवे

one who learns a few good words of love becomes a scholar

ढाई अंछर प्रेम के पढ़े सो पंडित होवे

one who learns a few good words of love becomes a scholar

ढाई अंछर प्रेम के पढ़े सो पंडित हो

उलफ़त और मुहब्बत के चंद हुरूफ़ हैं जो उन पर अमल करेगा वो आलिम फ़ाज़िल होजाएगा

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

पंडित पोथी बाँच्ते मुल्ला पढ़े क़ुरआन लोग दिखावो लाख करो ना मिलिए भगवान

पोथियाँ या क़ुरआन पढ़ने या धर्म की बातों के दिखावे से भगवान नहीं मिलता

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पढ़े के अर्थदेखिए

पढ़े

pa.Dheپڑھے

वज़्न : 12

टैग्ज़: लखनऊ

English meaning of pa.Dhe

Adjective

  • read, learn

پڑھے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • پڑھا کی جمع یا مغیرہ حالت، اکثر تراکیب میں مستعمل
  • (لکھنؤ) پڑھا ’’میر انیس کی مرثیہ خوانی مشرق میں سے طلوع ہونے لگی تھی جب کوئی آکر تعریف کرتا کہ آج فلاں مجلس میں کیا خوب پڑھے ہیں تو انہیں خوش نہ آتا تھا (آب حیات)

पढ़े के अंत्यानुप्रास शब्द

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पढ़े

read, learn

पढ़े-पढ़ाए

غیر محقق ، غیر معتبر ، ایسی چیز جس کی حقیقت معلوم نہ کی گئی ہو.

पढ़े को पढ़ाना

तजरबाकार को कुछ बताना, होशयार को कुछ सिखाना

पढ़े हुए चावल

वे चावल जिन पर कोई तंत्र-मंत्र किया गया हो या जादू-मंतर पढ़ कर फूँका गया हो (सामान्यतः चोरी मालूम करने के लिए या प्रेम एवं शत्रुता के लिए यह कार्य किया जाता है)

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं पठान का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं सिपाही का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े भी मरें , बिन पढ़े भी मरें , दाँता किलकिल क्यों करें

आख़िर सब को मौत है फिर मशक़्क़त क्यों करें या इस काम से रस्तगारी नहीं तो तदबीर ही किया

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं आदमी के पूत ने भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े जिन को शीशे में उतारना

۔ बड़े चालाक को क़ाबू में लाना।

पढ़े तो हैं पर गुणी नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

पढ़े घर की पढ़ी बिल्ली

अच्छों के अच्छे और मक्कारों के मक्कार होते हैं

पढ़े न लिखे नाम मोहम्मद फ़ाज़िल

अनुचित नाम, नाम बड़ा एवं काम ख़राब

पढ़े घर की बिल्ली भी पढ़ी

۔ مثل اچھوں کے اچھے اور مکاروں کے مکار ہوتے ہیں۔ صحبت کا اتنا اثر ہوتا ہے کہ بڑے بھی اچھوں کی صحبت میں اچھے ہوجاتے ہیں۔

पढ़े न लिखे नाम मोहम्मद फ़ाज़िल

allusion to an ignorant person posing as educated or someone known in his profession but with little real talent

लिखे ईसा, पढ़े मूसा

बुरी हस्तलिपि वाला है, स्वयं अपना लिखा नहीं पढ़ सकता

ये पट्टी नहीं पढ़े

۔یعنی یہ کام کرنا نہیں چاہتے۔ایسے فقروں میں نہیں آتے۔

लिखे मूसा पढ़े ख़ुदा

बुरी हस्तलिपि वाला है, स्वयं अपना लिखा नहीं पढ़ सकता

लिखे मूसा पढ़े ख़ुद आप

बुरी हस्तलिपि वाला है, स्वयं अपना लिखा नहीं पढ़ सकता

बामन की बेटी कलिमा पढ़े

दूसरे धर्म की अच्छाई को मान ले

तोता पढ़े मैना पढ़े , कहीं आदमी के बच्चे भी पढ़ते हें

ये व्यंग्य करते हुए उन योग्य बच्चों के बारे में कहा जाना है जो पढ़ने-लिखने से जी चुराते हैं और अपना पूरा मन नहीं लगाते आशय यह है कि जब पक्षी पढ़ सकते हैं तो मनुष्य के लिए पढ़ना क्या कठिन है

लिखे न पढ़े दूध मारे कड़े

गुण कीच नहीं मगर मौज-मस्ती करता है

कहीं बूढ़े तोते भी पढ़े हैं

۔ دیکھو بوڑھے توتے پڑھانا۔

लिखे न पढ़े दूध मारे कढ़े

गुण कीच नहीं मगर मौज-मस्ती करता है

लिखे न पढ़े नाम मोहम्मद फ़ाज़िल

अनुचित नाम, नाम बड़ा एवं काम ख़राब

ढाई अक्षर प्रेम के पढ़े सो पंडित होवे

one who learns a few good words of love becomes a scholar

ढाई अंछर प्रेम के पढ़े सो पंडित होवे

one who learns a few good words of love becomes a scholar

ढाई अंछर प्रेम के पढ़े सो पंडित हो

उलफ़त और मुहब्बत के चंद हुरूफ़ हैं जो उन पर अमल करेगा वो आलिम फ़ाज़िल होजाएगा

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

पंडित पोथी बाँच्ते मुल्ला पढ़े क़ुरआन लोग दिखावो लाख करो ना मिलिए भगवान

पोथियाँ या क़ुरआन पढ़ने या धर्म की बातों के दिखावे से भगवान नहीं मिलता

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

सूचनार्थ: औपचारिक आरंभ से पूर्व यह रेख़्ता डिक्शनरी का बीटा वर्ज़न है। इस पर अंतिम रूप से काम जारी है। इसमें किसी भी विसंगति के संदर्भ में हमें dictionary@rekhta.org पर सूचित करें। या सुझाव दीजिए

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