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गए दिन

गुज़रे हुए दिन, बीता हुआ समय, अतीत

दिन गए

ये दिन लद गए, बह मौक़ा गुज़र गया, दौलत कामरानी और ख़ुशइक़बाली का वक़्त ना रहा

दिन टल गए

मासिक धर्म के दिन निकल गए

दिन हो गए

काफ़ी मुद्दत होगी, बहुत ज़माना गुज़र गया

वे दिन गए

वो दिन गुज़र गए, वो ज़माना अब नहीं रहा, पहली सी बात या हालत अब नहीं रही

वो दिन गए

वह ज़माना गुज़र गया, वह समय नहीं रहा, वह ज़माना गया गुज़रा हुआ, वह दिन अब बीत गए

वो दिन गुज़र गए

वह ज़माना गुज़र गया, वह समय नहीं रहा, वह ज़माना गया गुज़रा हुआ, वह दिन अब बीत गए

वो दिन लद गए

वह समय बीत गया, वह युग समाप्त हो गया

वो दिन हवा हो गए

वह समय न रहा, अच्छा ज़माना न रहा, अब भाग्यशाली के दिन नहीं रहे

वो दिन गुज़र गए कि पसीना गुलाब था

अर्थात हमारे वैभव का समय अब नहीं रहा, पहले हमारे पसीने को भी गुलाब समझा जाता था,अब वह बात कहाँ

ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े आ गए

कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है

वो दिन गए जो भैंस पकौड़े हगती थी

उस व्यक्ति के लिए कहते हैं जिसने बेकार में ख़र्च करना छोड़ दिया हो, बेकार में ख़र्च करने का ज़माना बीत गया

गए वो दिन जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारते थे

वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे

गए वो दिन जो ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारते थे

خوش اقبالی کا زمانہ جاتا رہا ، اب ادبار کا زمانہ ہے.

वो दिन गए कि ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारा करते थे

भाग्यशाली का ज़माना गुज़र गया, वह दिन नही रहे, वह युग नही रहा

वो दिन गए जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारा करते थे

भाग्यशाली एवं ख़ुशहाली का ज़माना गुज़र गया

ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े हो गए

कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है

वो दिन गए कि ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे

वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे

ग़रीब ने रोज़े रखे दिन बड़े हो गए

असमर्थ व्यक्ति जो काम करता है उसमें हानि ही होती है या मुसीबत में और मुसीबत घेरती है

वो दिन गए जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे

वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत, अब पछताए होत का, चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

दोनों दीन से गए पांडे, हल्वा मिला न माँडे

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

दोनों दीन से गए पांडे, कि खीर हुए कि मांडे

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

पांडे गए दोनों दीन से , हल्वा मिला न माँडे

ज़्यादा फ़ायदे की हवस में इंसान गिरह से खो बैठता है

पांडे दोऊ दीन से गए

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

दोनों दीन से गए पांडे , ना इधर हल्वा न उधर माँडे

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में गए दिन के अर्थदेखिए

गए दिन

ga.e dinگَئے دِن

गए दिन के हिंदी अर्थ

  • गुज़रे हुए दिन, बीता हुआ समय, अतीत

گَئے دِن کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • گزرے ہوئے ایّام ، بیتا ہوا زمانہ ، ایامِ رفْتہ.

Urdu meaning of ga.e din

  • Roman
  • Urdu

  • guzre hu.e eXyaam, biitaa hu.a zamaana, ayaa-e-raf॒taa

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गए दिन

गुज़रे हुए दिन, बीता हुआ समय, अतीत

दिन गए

ये दिन लद गए, बह मौक़ा गुज़र गया, दौलत कामरानी और ख़ुशइक़बाली का वक़्त ना रहा

दिन टल गए

मासिक धर्म के दिन निकल गए

दिन हो गए

काफ़ी मुद्दत होगी, बहुत ज़माना गुज़र गया

वे दिन गए

वो दिन गुज़र गए, वो ज़माना अब नहीं रहा, पहली सी बात या हालत अब नहीं रही

वो दिन गए

वह ज़माना गुज़र गया, वह समय नहीं रहा, वह ज़माना गया गुज़रा हुआ, वह दिन अब बीत गए

वो दिन गुज़र गए

वह ज़माना गुज़र गया, वह समय नहीं रहा, वह ज़माना गया गुज़रा हुआ, वह दिन अब बीत गए

वो दिन लद गए

वह समय बीत गया, वह युग समाप्त हो गया

वो दिन हवा हो गए

वह समय न रहा, अच्छा ज़माना न रहा, अब भाग्यशाली के दिन नहीं रहे

वो दिन गुज़र गए कि पसीना गुलाब था

अर्थात हमारे वैभव का समय अब नहीं रहा, पहले हमारे पसीने को भी गुलाब समझा जाता था,अब वह बात कहाँ

ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े आ गए

कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है

वो दिन गए जो भैंस पकौड़े हगती थी

उस व्यक्ति के लिए कहते हैं जिसने बेकार में ख़र्च करना छोड़ दिया हो, बेकार में ख़र्च करने का ज़माना बीत गया

गए वो दिन जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारते थे

वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे

गए वो दिन जो ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारते थे

خوش اقبالی کا زمانہ جاتا رہا ، اب ادبار کا زمانہ ہے.

वो दिन गए कि ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारा करते थे

भाग्यशाली का ज़माना गुज़र गया, वह दिन नही रहे, वह युग नही रहा

वो दिन गए जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारा करते थे

भाग्यशाली एवं ख़ुशहाली का ज़माना गुज़र गया

ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े हो गए

कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है

वो दिन गए कि ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे

वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे

ग़रीब ने रोज़े रखे दिन बड़े हो गए

असमर्थ व्यक्ति जो काम करता है उसमें हानि ही होती है या मुसीबत में और मुसीबत घेरती है

वो दिन गए जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे

वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत, अब पछताए होत का, चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

दोनों दीन से गए पांडे, हल्वा मिला न माँडे

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

दोनों दीन से गए पांडे, कि खीर हुए कि मांडे

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

पांडे गए दोनों दीन से , हल्वा मिला न माँडे

ज़्यादा फ़ायदे की हवस में इंसान गिरह से खो बैठता है

पांडे दोऊ दीन से गए

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

दोनों दीन से गए पांडे , ना इधर हल्वा न उधर माँडे

बेहतर चीज़ के लालच में जो मिलता था उस को भी खो दिया

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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