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"अधेला न दे अधेली दे" शब्द से संबंधित परिणाम
हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में अधेला न दे अधेली दे के अर्थदेखिए
अधेला न दे अधेली दे के हिंदी अर्थ
- गुड़ न दे भेली दे, मुर्ख कम व्यय करता है मगर परिणाम में उसका अधिक घाटा होता है, जहाँ देना चाहिए वहाँ न दें
-
कम घाटा से बचने के लिए बड़ा घाटा उठाने वाले के लिए प्रयुक्त है
विशेष • अधेली= अठन्नी। अधेला= एक पैसे का आधा हिस्सा।
ادھیلا نہ دے ادھیلی دے کے اردو معانی
- Roman
- Urdu
- گڑ نہ دے بھیلی دے، بیوقوف تھوڑا خرچ کرتا ہے مگر نتیجہ میں اس کا زیادہ نقصان ہوتا ہے، جہاں دینا چاہیئے وہاں نہ دیں
- تھوڑے نقصان سے بچنے کے لئے بڑا نقصان اٹھانے والے کے لئے مستعمل
Urdu meaning of adhelaa na de adhelii de
- Roman
- Urdu
- ga.D na de bhelii de, bevaquuf tho.Daa Kharch kartaa hai magar natiija me.n is ka zyaadaa nuqsaan hotaa hai, jahaa.n denaa chaahii.e vahaa.n na de.n
- tho.De nuqsaan se bachne ke li.e ba.Daa nuqsaan uThaane vaale ke li.e mustaamal
खोजे गए शब्द से संबंधित
अधेला न दे अधेली दे
गुड़ न दे भेली दे, मुर्ख कम व्यय करता है मगर परिणाम में उसका अधिक घाटा होता है, जहाँ देना चाहिए वहाँ न दें
गँवार गन्ना न दे भेली दे
मूर्ख साधारण से व्यय में कंजूसी कर के हानि उठाता है, मूर्ख थोड़ा नहीं देता, बहुत दे देता है, ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई व्यक्ति किसी साधारण व्यय में कंजूसी करे और बड़े ख़र्च के लिए तैयार रहे
न मैं दूँ न ख़ुदा दे
۔مثل۔ اس کی نسبت بولتے ہیں جو خود فائدہ نہ پہنچائے اور نہ کسی اور سے فائدہ پہنچنے دے۔؎
हाथ चले न हिय्याँ, बैठा दे गुइयाँ
کام چلے نہ چلے خدا ہر ایک کو بیٹھے بٹھائے روزی دیتا ہے، خدا اپاہجوں کو بھی گھر بیٹھے روزی پہچاتا ہے
रुख़ दे कर बात न करना
ध्यान से बात न करना, लापरवाही से बात करना, तवज्जो से बात न करना, ख़ातिर में न लाना
चीज़ न रखे आपनी चोरों गाली दे
जो शख़्स अपनी चीज़ को सेंत सिनहाल कर ना रखे और दूसरों पर इल्ज़ाम लगाए उस की निसबत कहते हैं
नंगा घेरे घाट , न नहाए , न नहाने दे
शरारती आदमी ना ख़ुद फ़ायदा उठाता है ना दूसरों को फ़ायदा उठाने देता है
ऊत गए न जानिये दे गए बाड़
जिस के घर ढनखर लग गए कोई ना रहा और जो शख़्स अपने बुज़ुर्गों के ख़िलाफ़ बदचलन और बदअतवार हुआ वही ओत है
हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ
ख़ुदा ताला अपाहजों को घर बैठे रोज़ी पहुंचाता है, काम काज हो या ना हो मगर रज़्ज़ाक़ भूका नहीं रखता और घर बैठे देता है
हथिया चले न पय्या , बैठे दे गुसिय्याँ
काम करता नहीं और चाहता है कि बैठे को ख़ुदा खाने को दे, निकम्मे, काम चोर आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं
उठ गए न जानिए जो टट्टी दे गए बार
जो द्वार पर ताला लगाकर चले गए हों उन्हें मरा नहीं समझ लेना चाहिए, यदि वापस न आना होता तो खुला छोड़ जाते
बख़्त दे यारी तो कर घोड़े अस्वारी , बख़्त न दे यारी तो कर खा चरवे दारी
अगर ख़ुशकिसमत है तो घोड़े पर चढ़ नहीं तो साईंसी का काम कर
ओनामासी न आवे, मैया पोथी ला दे
अ ब आती नहीं माँ को कहे किताब ला दे , पढ़े लिखे हैं नहीं किताब माँगते हैं
उठ गए न जानिए जो टट्टी दे गए बाड़
जो द्वार पर ताला लगाकर चले गए हों उन्हें मरा नहीं समझ लेना चाहिए, यदि वापस न आना होता तो खुला छोड़ जाते
वहाँ तक गुदगुदाइये जहाँ तक दूसरा रो न दे
इतना मज़ाक़ होना चाहिए जिस से दूसरा तंग ना आ जाये, वहां तक हनसईए जो रो ना दे
मर्द वो है जो दे और न ले, और नीम मर्द वो है जो दे और ले, ना-मर्द वो है जो न दे और न ले
बुज़ुर्गों का क़ौल है कि बहादुर वो है जो देता है यानी सख़ावत करता है मगर किसी से लेता नहीं, नीम बहादुर वो है जो देता भी है और लेता भी, बुज़दिल और नालायक़ वो है जो लेता तो है मगर देता किसी को नहीं
गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो सर खुजाए
ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा
ख़ुदा रिजाले को नाख़ुन न दे जो अपना सर खुजाए
कमीने आदमी को इतनी ताक़त और हुकूमत ने मिले कि जिस के ग़लत इस्तिमाल से वो अपना नुक़्सान कर ले
जिस को न दे मौला उस को दिलाए आसिफ़ुद्दौला
आसिफ़ अलद विला की फ़य्याज़ी बहुत मशहूर थी, (मजाज़न) अगर सरकार से ना मिल सके तो आसिफ़ अलद विला से मिल जाता है (आसिफ़ अलद विला की अपनी फ़य्याज़ियों और सख़ावत ने लखनऊ के बच्चे बच्चे के मुंह में ये कहावत डाल दी)
गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो खुजाते खुजाते मर जाए
ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा
गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे, जो खुजाते खुजाते मर जाए
भगवान एक कम उत्साही और नीच आदमी को कोई अधिकार या सत्ता न दे
जो न भाए आप को , वो दे बहू के बाप को
(ओ) उस जगह बोलते हैं जहान कोई शख़्स दूसरे के लिए वो बात करे जो ख़ुद के लिए नापसंद हो
दाँत टूटे खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे
बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता
करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर
मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता
दाँत टूटे और खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे
बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता
दाँत गिरे और खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे
बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता
सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय
ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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taab
ताब
.تَاب
endurance, tolerance
[ Jab insan mein dukh sahne ki taab nahin rahti to zindagi ka ant samjha jata hai ]

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saabit
साबित
.ثابِت
prove, confirm
[ Jurm jab tak sabit na ho jaye sazaa nahin di jaa sakti ]

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hajj
हज्ज
.حَجّ
the obligatory pilgrimage to be performed by every Muslim once in his lifetime
[ Haj ek Islami ibadat hai jiska adaa karna maal-daron par farz hai ]

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baKHt
बख़्त
.بَخْت
fortune, good fortune, luck
[ Ilm, aamozish, tarbiyat aisi chizain hain jise bakht ki kunji kaha jata hai ]

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ba-jaa
ब-जा
.بَجا
fit, appropriate, suitable
[ Aap ba-jaa kahte hain lekin har haqiqat suboot ke baghair kamzor hoti hai ]

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ahbaab
अहबाब
.اَحْباب
friends, dear ones, lovers
[ Aadmi ki pahchan uske ahbab se bhi hoti hai ]

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taaj
ताज
.تاج
a high-crowned cap
[ Taaj badshah ke sar ki shan hoti hai ]

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hijaab
हिजाब
.حِجاب
modesty, bashfulness, shame
[ Ham dono itne qaribi dost ban gaye ki koi hijab baqi na raha ]

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bahs
बहस
.بَحْث
argument, discussion, debate
[ Bahas se ilm mein izafa hota hai lekin bahas jhagda na ban jaye ]

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haajat
हाजत
.حاجَت
hope, wish
[ Aadmi ki ek hajat puri ho jaye to kai paida ho jati hai ]

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