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सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का समय अनुकूल नहीं रहा

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई तरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई सरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

इस की नहीं हो रही

this is not fair

पेट किसी की नहीं सुनता

the belly has no ears

किसी मर्ज़ की दवा नहीं

महिज़ बेकार है, किसी काम का नहीं

किसी बात की कमी नहीं

हर चीज़ मौजूद है, अमीर हैं

जोरू ज़ोर की नहीं किसी और की

जोरू उसी शख़्स के अपने वश में रहती है जिसकी कमर में बल होता है

सदा नाव काग़ज़ की चलती नहीं

धोखा-धड़ी का काम बहुत दिनों नहीं चलता

हुस्न की खेती सदा हरी नहीं रहती

सुंदरता और जवानी हमेशा नहीं रहती

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

बादशाहों की दयालुता ज़रूरी नहीं कि बाप बेटे दोनों पर हों

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

दुनिया में किसी की यक्साँ नहीं गुज़री

समय एक स्थिति पर नहीं रहता, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

मुक़द्दर के आगे किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

मुक़द्दर के रू-ब-रू किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

रेत की दीवार , ओछा यार , किसी काम का नहीं

दोनों को उस्तिवार और क़ियाम नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सदा किसी की नहीं रही के अर्थदेखिए

सदा किसी की नहीं रही

sadaa kisii kii nahii.n rahiiسَدا کِسی کی نَہِیں رَہی

कहावत

सदा किसी की नहीं रही के हिंदी अर्थ

  • हमेशा किसी का समय अनुकूल नहीं रहा
  • हमेशा किसी के अच्छे दिन नहीं रहे

سَدا کِسی کی نَہِیں رَہی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ہمیشہ کسی کا زمانہ موافق نہیں رہتا
  • ہمیشہ کسی کے اچھے دن نہیں رہے

Urdu meaning of sadaa kisii kii nahii.n rahii

  • Roman
  • Urdu

  • hamesha kisii ka zamaana muvaafiq nahii.n rahtaa
  • hamesha kisii ke achchhe din nahii.n rahe

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सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का समय अनुकूल नहीं रहा

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई तरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई सरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

इस की नहीं हो रही

this is not fair

पेट किसी की नहीं सुनता

the belly has no ears

किसी मर्ज़ की दवा नहीं

महिज़ बेकार है, किसी काम का नहीं

किसी बात की कमी नहीं

हर चीज़ मौजूद है, अमीर हैं

जोरू ज़ोर की नहीं किसी और की

जोरू उसी शख़्स के अपने वश में रहती है जिसकी कमर में बल होता है

सदा नाव काग़ज़ की चलती नहीं

धोखा-धड़ी का काम बहुत दिनों नहीं चलता

हुस्न की खेती सदा हरी नहीं रहती

सुंदरता और जवानी हमेशा नहीं रहती

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

बादशाहों की दयालुता ज़रूरी नहीं कि बाप बेटे दोनों पर हों

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

दुनिया में किसी की यक्साँ नहीं गुज़री

समय एक स्थिति पर नहीं रहता, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

मुक़द्दर के आगे किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

मुक़द्दर के रू-ब-रू किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

रेत की दीवार , ओछा यार , किसी काम का नहीं

दोनों को उस्तिवार और क़ियाम नहीं

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