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किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी की ख़बर को आना

इयादत को आना, बीमार पुरसी को आना

किसी की ख़बर को जाना

इयादत को आना, बीमार पुरसी को आना

किसी की आई मुझ को आ जाए

(कोसना) दूसरे की मौत मुझको आ जाए, क्रोध या पीड़ा की स्थिति में अपने आप को बददुआ देना

किसी की आई मुझ को आ जाए

۔(عو) دوسرے کی موت مجھ کو آجائے۔ نہایت غُصّہ یا تکلیف کی حالت میں اپنے آپ کو بد دعا دیتی ہیں۔ ؎

ख़सम जोरू की लड़ाई किसी को न भाई

पति-पत्नी को मिलजुल कर रहना चाहिए, पति-पत्नी की लड़ाई सबको नापसंद है

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का समय अनुकूल नहीं रहा

पेट किसी की नहीं सुनता

the belly has no ears

किसी मर्ज़ की दवा नहीं

महिज़ बेकार है, किसी काम का नहीं

किसी बात की कमी नहीं

हर चीज़ मौजूद है, अमीर हैं

मुँह माँगी मुराद किसी को नहीं मिलती

अपना चाहा नहीं होता ईश्वर का चाहा होता है

कज़ा से किसी को चारा नहीं

मौत से बचना असंभव है, मौत पर किसी का वश नहीं

जोरू ज़ोर की नहीं किसी और की

जोरू उसी शख़्स के अपने वश में रहती है जिसकी कमर में बल होता है

किसी की ख़बर लेना

किसी के साथ हुस्न-ए-सुलूक करना, किसी शख़्स की ख़बरगीरी करना, ख़बर गीर होना , किसी को सज़ा देना, तादीब करना, मारना पीटना , किसी की मिज़ाजपुर्सी करना, इयादत को जाना, किसी के दुख-दर्द को पूछना , मिज़ाज की ख़ैरीयत दरयाफ़त करना, ख़ैरसल्ला लेने जाना

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

बादशाहों की दयालुता ज़रूरी नहीं कि बाप बेटे दोनों पर हों

ख़ुदा किसी को लाठी से नहीं मारता

अल्लाह त'आला को अगर किसी को सज़ा देनी हो तो मुसीबत भेज देता है

वो बात किसी को भी नसीब नहीं

यह गरिमा एवं प्रतिष्ठा किसी को प्राप्त नहीं है

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

दुनिया में किसी की यक्साँ नहीं गुज़री

समय एक स्थिति पर नहीं रहता, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

मुक़द्दर के आगे किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

मरते सब को देखा , जनाज़ा किसी का नहीं देखा

आशिक़ी जताने और सिर्फ़ दावा करने वाले की निसबत कहते हैं

मुक़द्दर के रू-ब-रू किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

रेत की दीवार , ओछा यार , किसी काम का नहीं

दोनों को उस्तिवार और क़ियाम नहीं

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किसी को किसी की ख़बर नहीं के अर्थदेखिए

किसी को किसी की ख़बर नहीं

kisii ko kisii kii KHabar nahii.nکسی کو کسی کی خبر نہیں

वाक्य

मूल शब्द: किसी

किसी को किसी की ख़बर नहीं के हिंदी अर्थ

  • ۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।
  • एक को दूसरे की ख़बर नहीं, एक दूसरे का इलम नहीं

کسی کو کسی کی خبر نہیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ایک کو دوسرے کی خبر نہیں، ایک دوسرے کا علم نہیں، بے ہوشی اور غفلت کا عالم، کسی جماعت میں ہونے کی جگہ

Urdu meaning of kisii ko kisii kii KHabar nahii.n

  • Roman
  • Urdu

  • ek ko duusre kii Khabar nahiin, ek duusre ka ilam nahiin, behoshii aur Gaflat ka aalam, kisii jamaat me.n hone kii jagah

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किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी की ख़बर को आना

इयादत को आना, बीमार पुरसी को आना

किसी की ख़बर को जाना

इयादत को आना, बीमार पुरसी को आना

किसी की आई मुझ को आ जाए

(कोसना) दूसरे की मौत मुझको आ जाए, क्रोध या पीड़ा की स्थिति में अपने आप को बददुआ देना

किसी की आई मुझ को आ जाए

۔(عو) دوسرے کی موت مجھ کو آجائے۔ نہایت غُصّہ یا تکلیف کی حالت میں اپنے آپ کو بد دعا دیتی ہیں۔ ؎

ख़सम जोरू की लड़ाई किसी को न भाई

पति-पत्नी को मिलजुल कर रहना चाहिए, पति-पत्नी की लड़ाई सबको नापसंद है

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का समय अनुकूल नहीं रहा

पेट किसी की नहीं सुनता

the belly has no ears

किसी मर्ज़ की दवा नहीं

महिज़ बेकार है, किसी काम का नहीं

किसी बात की कमी नहीं

हर चीज़ मौजूद है, अमीर हैं

मुँह माँगी मुराद किसी को नहीं मिलती

अपना चाहा नहीं होता ईश्वर का चाहा होता है

कज़ा से किसी को चारा नहीं

मौत से बचना असंभव है, मौत पर किसी का वश नहीं

जोरू ज़ोर की नहीं किसी और की

जोरू उसी शख़्स के अपने वश में रहती है जिसकी कमर में बल होता है

किसी की ख़बर लेना

किसी के साथ हुस्न-ए-सुलूक करना, किसी शख़्स की ख़बरगीरी करना, ख़बर गीर होना , किसी को सज़ा देना, तादीब करना, मारना पीटना , किसी की मिज़ाजपुर्सी करना, इयादत को जाना, किसी के दुख-दर्द को पूछना , मिज़ाज की ख़ैरीयत दरयाफ़त करना, ख़ैरसल्ला लेने जाना

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

बादशाहों की दयालुता ज़रूरी नहीं कि बाप बेटे दोनों पर हों

ख़ुदा किसी को लाठी से नहीं मारता

अल्लाह त'आला को अगर किसी को सज़ा देनी हो तो मुसीबत भेज देता है

वो बात किसी को भी नसीब नहीं

यह गरिमा एवं प्रतिष्ठा किसी को प्राप्त नहीं है

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

दुनिया में किसी की यक्साँ नहीं गुज़री

समय एक स्थिति पर नहीं रहता, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

मुक़द्दर के आगे किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

मरते सब को देखा , जनाज़ा किसी का नहीं देखा

आशिक़ी जताने और सिर्फ़ दावा करने वाले की निसबत कहते हैं

मुक़द्दर के रू-ब-रू किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

रेत की दीवार , ओछा यार , किसी काम का नहीं

दोनों को उस्तिवार और क़ियाम नहीं

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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