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क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ख़ुदा जानने (लाइलमी ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल)

क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ईश्वर जाने (अज्ञानता दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है)

क्या जाने गँवार, घूँगटवा का यार

गंवार किया जाने इशक़बाज़ी कैसे होती है

अयाना जाने हिया सियाना जाने क्या

बिज्जू मुहब्बत को जानता है होशयार लेने देने को समझता है

बूढ़ा जाने क्या बाला जाने हिया

बूढ़ा व्यक्ति कार्य को देखता है और बच्चा प्यार पर झुकता है, मुहब्बत अकारण नहीं होती

मिल्की क्या जाने पराए दिल की

ज़मींदार स्वार्थी होते हैं किसी और की परवाह नहीं करते

अंधा क्या जाने बसंत की बहार

जो किसी चीज़ की वास्तिकता के बारे में न जानता हो वह उस की क्या क़द्र कर सकता है, जिसे किसी बात का अनुभव न हो वह उस के बारे में क्या कह सकता है

डोंडू क्या जाने साबुन का भाओ

जिस चीज़ से किसी को ताल्लुक़ ना हो वो इस चीज़ की हक़ीक़त क्या बयान कर सकता है, जब कोई शख़्स ख़्वाहमख़्वाह इस अमर में दख़ल दे जिस का उसे इलम ना हो तो कहते हैं

बाँझ क्या जाने परसोती की पीड़

जो तकलीफ़ किसी ने ख़ुद ना उठाई हो उसे वो नहीं समझ सकता

राजा क्या जाने भूके सार

जिसने भूख सही हो वही जानता है भूख की क़ीमत अमीर आदमी नहीं कर सकता दर्दमंद ही को दूसरे के दर्द का एहसास होता है और कोई नहीं हो सकता

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद

साधारण व्यक्ति उत्तम की वस्तुओं का महत्व नहीं जानता, साधारण पहचान वाले को मुल्यवान वस्तु की क्या पहचान हो सकती है

राजा क्या जाने भूके की सार

भूख की क़द्र अमीर आदमी नहीं जान सकता

सावन का अंधा हरा क्या जाने

जिसने जो चीज़ कभी देखी या बरती ही न हो वो उसका क़द्र नहीं करता

बंदर क्या जाने अदरक का भाव

साधारण व्यक्ति उत्तम की वस्तुओं का महत्व नहीं जानता, साधारण पहचान वाले को मुल्यवान वस्तु की क्या पहचान हो सकती है

बंदर क्या जाने अदरक का मज़ा

साधारण व्यक्ति उत्तम की वस्तुओं का महत्व नहीं जानता, साधारण पहचान वाले को मुल्यवान वस्तु की क्या पहचान हो सकती है

शैख़ क्या जाने साबुन का भाव

जिससे कुछ संबंध न हो उस चीज़ की स्थिति क्या मालूम हो सकती है

सार पराई पीड़ की क्या जाने अंजान

दूओसरे की तकलीफ़ का अंदाज़ा नहीं हो सकता, दर्दमंद ही को दर्द का एहसास होता है

पेट भरा क्या जाने भूके की क़द्र

मालदार आदमी किसी ग़रीब की तकलीफ़ को महसूस नहीं करता

सेठ क्या जाने साबुन का भाव

किसी चीज़ की स्थित या किसी बात की वास्तविकता असंबंधित व्यक्ति नहीं जानता

गधा क्या जाने ज़ा'फ़रान की क़द्र

नालायक़, अक्षम और बेवक़ूफ़ को अच्छी चीज़ या बहुमूल्य सामान की क़द्र नहीं होती, अज्ञानी शख़्स किसी चीज़ का वास्तविक महत्त्व क्या जाने

बे दरद क़साई क्या जाने पीर पराई

सख़्त दिल आदमी दूसरे की तलीफ़ महसूस नहीं करसकता

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जोगी जुगत जाने नहीं गेरू में कपड़े रंगे तो क्या हुआ

सन्यासी या जोगी बनने के उसूल से अनभिज्ञ अथवा अपरिचित हैं और दिखावे के लिए गेरू में कपड़े रंग लिए हैं

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

कोई क्या जाने

۔किसी को नहीं मालूम। मुझ को नहीं मालूम।

जिस के पाँव न बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय अलख

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस को न होवे बुवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय वो किया जाने पैर पराई

जिस के पाँव न जाए बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

۔(عو) جس کو بذات خود تکلیف نہیںہوئی وہ دوسرے کی تکلیف کو کیا سمجھے گا۔

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या जाने के अर्थदेखिए

क्या जाने

kyaa jaaneکیا جانے

वाक्य

क्या जाने के हिंदी अर्थ

  • मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ईश्वर जाने (अज्ञानता दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है)

English meaning of kyaa jaane

  • who knows? I don't know, it may be, how does anyone know?

کیا جانے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • معلوم نہیں، خبر نہیں، میں نہیں جانتا، خدا جانے (لاعلمی ظاہر کرنے کے لیے مستعمل)

Urdu meaning of kyaa jaane

  • Roman
  • Urdu

  • maaluum nahiin, Khabar nahiin, me.n nahii.n jaantaa, Khudaa jaane (laa.ilmii zaahir karne ke li.e mustaamal

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क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ख़ुदा जानने (लाइलमी ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल)

क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ईश्वर जाने (अज्ञानता दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है)

क्या जाने गँवार, घूँगटवा का यार

गंवार किया जाने इशक़बाज़ी कैसे होती है

अयाना जाने हिया सियाना जाने क्या

बिज्जू मुहब्बत को जानता है होशयार लेने देने को समझता है

बूढ़ा जाने क्या बाला जाने हिया

बूढ़ा व्यक्ति कार्य को देखता है और बच्चा प्यार पर झुकता है, मुहब्बत अकारण नहीं होती

मिल्की क्या जाने पराए दिल की

ज़मींदार स्वार्थी होते हैं किसी और की परवाह नहीं करते

अंधा क्या जाने बसंत की बहार

जो किसी चीज़ की वास्तिकता के बारे में न जानता हो वह उस की क्या क़द्र कर सकता है, जिसे किसी बात का अनुभव न हो वह उस के बारे में क्या कह सकता है

डोंडू क्या जाने साबुन का भाओ

जिस चीज़ से किसी को ताल्लुक़ ना हो वो इस चीज़ की हक़ीक़त क्या बयान कर सकता है, जब कोई शख़्स ख़्वाहमख़्वाह इस अमर में दख़ल दे जिस का उसे इलम ना हो तो कहते हैं

बाँझ क्या जाने परसोती की पीड़

जो तकलीफ़ किसी ने ख़ुद ना उठाई हो उसे वो नहीं समझ सकता

राजा क्या जाने भूके सार

जिसने भूख सही हो वही जानता है भूख की क़ीमत अमीर आदमी नहीं कर सकता दर्दमंद ही को दूसरे के दर्द का एहसास होता है और कोई नहीं हो सकता

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद

साधारण व्यक्ति उत्तम की वस्तुओं का महत्व नहीं जानता, साधारण पहचान वाले को मुल्यवान वस्तु की क्या पहचान हो सकती है

राजा क्या जाने भूके की सार

भूख की क़द्र अमीर आदमी नहीं जान सकता

सावन का अंधा हरा क्या जाने

जिसने जो चीज़ कभी देखी या बरती ही न हो वो उसका क़द्र नहीं करता

बंदर क्या जाने अदरक का भाव

साधारण व्यक्ति उत्तम की वस्तुओं का महत्व नहीं जानता, साधारण पहचान वाले को मुल्यवान वस्तु की क्या पहचान हो सकती है

बंदर क्या जाने अदरक का मज़ा

साधारण व्यक्ति उत्तम की वस्तुओं का महत्व नहीं जानता, साधारण पहचान वाले को मुल्यवान वस्तु की क्या पहचान हो सकती है

शैख़ क्या जाने साबुन का भाव

जिससे कुछ संबंध न हो उस चीज़ की स्थिति क्या मालूम हो सकती है

सार पराई पीड़ की क्या जाने अंजान

दूओसरे की तकलीफ़ का अंदाज़ा नहीं हो सकता, दर्दमंद ही को दर्द का एहसास होता है

पेट भरा क्या जाने भूके की क़द्र

मालदार आदमी किसी ग़रीब की तकलीफ़ को महसूस नहीं करता

सेठ क्या जाने साबुन का भाव

किसी चीज़ की स्थित या किसी बात की वास्तविकता असंबंधित व्यक्ति नहीं जानता

गधा क्या जाने ज़ा'फ़रान की क़द्र

नालायक़, अक्षम और बेवक़ूफ़ को अच्छी चीज़ या बहुमूल्य सामान की क़द्र नहीं होती, अज्ञानी शख़्स किसी चीज़ का वास्तविक महत्त्व क्या जाने

बे दरद क़साई क्या जाने पीर पराई

सख़्त दिल आदमी दूसरे की तलीफ़ महसूस नहीं करसकता

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जोगी जुगत जाने नहीं गेरू में कपड़े रंगे तो क्या हुआ

सन्यासी या जोगी बनने के उसूल से अनभिज्ञ अथवा अपरिचित हैं और दिखावे के लिए गेरू में कपड़े रंग लिए हैं

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

कोई क्या जाने

۔किसी को नहीं मालूम। मुझ को नहीं मालूम।

जिस के पाँव न बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय अलख

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस को न होवे बुवाई वो क्या जाने पीर पराई

रुक : जिस की ना फटी हो ब्वॉय वो किया जाने पैर पराई

जिस के पाँव न जाए बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

۔(عو) جس کو بذات خود تکلیف نہیںہوئی وہ دوسرے کی تکلیف کو کیا سمجھے گا۔

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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