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कोई है

नौकर को बुलाने की आवाज़, क्या कोई शख़्स मौजूद है

है कोई

किसी के बारे में पूछने के लिए प्रयुक्त, क्या कोई है? कोई मौजूद है? कोई उपस्थित है? तथा ललकारने या मुक़ाबले की दावत के लिए प्रयुक्त

कोई कुछ कहता है कोई कुछ कहता है

जितने मुँह उतनी बातें

कोई चीज़ है

(बतौर इस्तिफ़हाम-ए-इन्कारी) बेकार शैय है, बेमानी बात है की जगह

कोई हाज़िर है

ख़िदमतगार को इस तरह पुकारते हैं

कोई घड़ी जाती है

थोड़ी सी देर में

कोई आने में आना है

थोड़े देर के लिए आकर चले जाने पर बतौर शिकायत कहते हैं

बड़ा कोई है

बहुत शरारती है, निहायत चालाक है

ये कोई मुश्किल बात है

ये मामूली बात है, ये बहुत आसान है

क्या कोई शाख़ निकलती है

कोई अनोखी बात है क्या , क्या सुरख़ाब का पर लगा है

क्या कोई शाख़ निकली है

۔ کیا کوئی انوکھی بات ہے۔ ؎

कोई 'इल्म को दोस्त रखता है, कोई रूपे को

कोई विद्या को पसंद करता है, कोई धन को

ये भी कोई बात है

बेकार की बात है, यह बात अर्थहीन है, बेमौक़ा है

मिलने से कोई मिलता है

आपस में मिलने से एकता हो जाती है, जो कोई किसी से मिलता है तो दूसरा भी उससे मिलता है

ये कोई बात है

ये बात बे मौक़ा है, ये कोई बात ना हुई, ग़लत बात है

कोई दिन जाता है कि

soon enough

कोई दिन जाता है

अनक़रीब, बहुत जल्द, मुस्तक़बिल क़रीब में, कुछ देर नहीं लगेगी

कोई दम में सरसों फूलती है

थोड़ी देर में मदहोश या बेसुध हो जाएगा, थोड़ी देर में होश ठिकाने पर आ जाएँगे, शामत आने वाली है

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

नंगा नाचे जगंल में है कोई कपड़े ले

جو خود ہی لاچار ہو اس سے کوئی کیا لے گا

सारी फ़ौज में कोई सूरमा होता है

सब एक जैसे नहीं होते, बहुत लोगों में कोई एक बहुत अच् होता है

झूटा कोई खाता है तो मीठे के लिए

रुक : झूटा भी खाए अलख

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

नंगा नाचे जंगल में , है कोई कपड़े ले

ننگ دھڑنگ ، بالکل ننگا

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

जनम-पत्र सब देखते है, करम-पत्र कोई नहीं देखता

कुंडली तो सब देखते हैं पर भाग्य का लिखा कोई नहीं जानता

तलवार की आँच के सामने कोई बिरला ही ठेहरता है

तलवार के सामने कोई असाधारण व्यक्ति अर्थात बहादुर ही ठहरता है

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

कोई जलता है तो जलने दो, मैं आप ही जलता हूँ

में आप ही मुसीबत में हूँ, किसी की मुसीबत से मुझे क्या ग़रज़

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

कोई पाँव से आता है वो सर के बल आए

अजुज़-ओ-इन्किसार के इज़हार के लिए कहते हैं, अपने को बतौर आजिज़ कमतर और घटा कर पेश करना

गोरी मत कर गोरे रंग पे गुमान, ये है कोई दम का मेहमान

सुंदरता पर घमंड न कर यह कुछ समय के लिए अर्थात क्षणभंगुर है

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जैसा कोई करता है वैसा भरता है

रुक: जैसा करे वैसा पाए

कोई दम का मेहमान है

मरणासन्न है

कोई मरते पे मरता है

जो ख़ुद किसी पर आशिक़ हो उससे दिल न लगाना चाहिए

मरते पर कोई मरता है

(ओ) जो ख़ुद किसी पर आशिक़ हो इस पर रीझना अपनी जान तहलके में डालना है

जो कोई कलपाय है वो कैसे कल पाय है

जो लोगों को सताता है उसे कभी शांति नहीं मिलती

कम रिज़्क़े बहुत हैं बेरिज़्क़ा कोई नहीं

ईश्वर सबको खाने को देता है

नंगा खड़ा उजाड़ में, है कोई कपड़े ले

निर्धन और धनहीन से किसी को क्या लेना है

कोई नहीं पूछता कि तुम्हारे मुँह में कितने दाँत हैं

nobody asks about anything

माइयाँ तो बहुत मिली हैं पर बापू कोई नहीं मिला

सब कमज़ोर ही मिले हैं, ज़बरदस्त से वास्ता नहीं पड़ा , अब तक तुम्हारा पाला कमज़ोरों से पड़ा है किसी ताक़तवर को नहीं देखा यानी शरीरों के सज़ा देने वाले भी मौजूद हैं

माइयाँ तो बहुत मिली हैं पर बाबू कोई नहीं मिला

सब कमज़ोर ही मिले हैं, ज़बरदस्त से वास्ता नहीं पड़ा , अब तक तुम्हारा पाला कमज़ोरों से पड़ा है किसी ताक़तवर को नहीं देखा यानी शरीरों के सज़ा देने वाले भी मौजूद हैं

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

मुँह देखी सब कहते हैं, ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता

सब चापलूसी और तरफ़दारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

जीवित का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

हम भी कोई हैं

हम से भी कोई रिश्ता और ख़ुसूसीयत है , हमारा भी बड़ा मर्तबा है

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कोई है के अर्थदेखिए

कोई है

ko.ii haiکوئی ہے

वाक्य

कोई है के हिंदी अर्थ

  • नौकर को बुलाने की आवाज़, क्या कोई शख़्स मौजूद है

शे'र

English meaning of ko.ii hai

  • is anyone there?

کوئی ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کیا کوئی شخص موجود ہے، ملازم کو بلانے کی آواز

Urdu meaning of ko.ii hai

  • Roman
  • Urdu

  • kyaa ko.ii shaKhs maujuud hai, mulaazim ko bulaane kii aavaaz

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कोई है

नौकर को बुलाने की आवाज़, क्या कोई शख़्स मौजूद है

है कोई

किसी के बारे में पूछने के लिए प्रयुक्त, क्या कोई है? कोई मौजूद है? कोई उपस्थित है? तथा ललकारने या मुक़ाबले की दावत के लिए प्रयुक्त

कोई कुछ कहता है कोई कुछ कहता है

जितने मुँह उतनी बातें

कोई चीज़ है

(बतौर इस्तिफ़हाम-ए-इन्कारी) बेकार शैय है, बेमानी बात है की जगह

कोई हाज़िर है

ख़िदमतगार को इस तरह पुकारते हैं

कोई घड़ी जाती है

थोड़ी सी देर में

कोई आने में आना है

थोड़े देर के लिए आकर चले जाने पर बतौर शिकायत कहते हैं

बड़ा कोई है

बहुत शरारती है, निहायत चालाक है

ये कोई मुश्किल बात है

ये मामूली बात है, ये बहुत आसान है

क्या कोई शाख़ निकलती है

कोई अनोखी बात है क्या , क्या सुरख़ाब का पर लगा है

क्या कोई शाख़ निकली है

۔ کیا کوئی انوکھی بات ہے۔ ؎

कोई 'इल्म को दोस्त रखता है, कोई रूपे को

कोई विद्या को पसंद करता है, कोई धन को

ये भी कोई बात है

बेकार की बात है, यह बात अर्थहीन है, बेमौक़ा है

मिलने से कोई मिलता है

आपस में मिलने से एकता हो जाती है, जो कोई किसी से मिलता है तो दूसरा भी उससे मिलता है

ये कोई बात है

ये बात बे मौक़ा है, ये कोई बात ना हुई, ग़लत बात है

कोई दिन जाता है कि

soon enough

कोई दिन जाता है

अनक़रीब, बहुत जल्द, मुस्तक़बिल क़रीब में, कुछ देर नहीं लगेगी

कोई दम में सरसों फूलती है

थोड़ी देर में मदहोश या बेसुध हो जाएगा, थोड़ी देर में होश ठिकाने पर आ जाएँगे, शामत आने वाली है

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

नंगा नाचे जगंल में है कोई कपड़े ले

جو خود ہی لاچار ہو اس سے کوئی کیا لے گا

सारी फ़ौज में कोई सूरमा होता है

सब एक जैसे नहीं होते, बहुत लोगों में कोई एक बहुत अच् होता है

झूटा कोई खाता है तो मीठे के लिए

रुक : झूटा भी खाए अलख

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

नंगा नाचे जंगल में , है कोई कपड़े ले

ننگ دھڑنگ ، بالکل ننگا

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

जनम-पत्र सब देखते है, करम-पत्र कोई नहीं देखता

कुंडली तो सब देखते हैं पर भाग्य का लिखा कोई नहीं जानता

तलवार की आँच के सामने कोई बिरला ही ठेहरता है

तलवार के सामने कोई असाधारण व्यक्ति अर्थात बहादुर ही ठहरता है

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

कोई जलता है तो जलने दो, मैं आप ही जलता हूँ

में आप ही मुसीबत में हूँ, किसी की मुसीबत से मुझे क्या ग़रज़

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

कोई पाँव से आता है वो सर के बल आए

अजुज़-ओ-इन्किसार के इज़हार के लिए कहते हैं, अपने को बतौर आजिज़ कमतर और घटा कर पेश करना

गोरी मत कर गोरे रंग पे गुमान, ये है कोई दम का मेहमान

सुंदरता पर घमंड न कर यह कुछ समय के लिए अर्थात क्षणभंगुर है

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जैसा कोई करता है वैसा भरता है

रुक: जैसा करे वैसा पाए

कोई दम का मेहमान है

मरणासन्न है

कोई मरते पे मरता है

जो ख़ुद किसी पर आशिक़ हो उससे दिल न लगाना चाहिए

मरते पर कोई मरता है

(ओ) जो ख़ुद किसी पर आशिक़ हो इस पर रीझना अपनी जान तहलके में डालना है

जो कोई कलपाय है वो कैसे कल पाय है

जो लोगों को सताता है उसे कभी शांति नहीं मिलती

कम रिज़्क़े बहुत हैं बेरिज़्क़ा कोई नहीं

ईश्वर सबको खाने को देता है

नंगा खड़ा उजाड़ में, है कोई कपड़े ले

निर्धन और धनहीन से किसी को क्या लेना है

कोई नहीं पूछता कि तुम्हारे मुँह में कितने दाँत हैं

nobody asks about anything

माइयाँ तो बहुत मिली हैं पर बापू कोई नहीं मिला

सब कमज़ोर ही मिले हैं, ज़बरदस्त से वास्ता नहीं पड़ा , अब तक तुम्हारा पाला कमज़ोरों से पड़ा है किसी ताक़तवर को नहीं देखा यानी शरीरों के सज़ा देने वाले भी मौजूद हैं

माइयाँ तो बहुत मिली हैं पर बाबू कोई नहीं मिला

सब कमज़ोर ही मिले हैं, ज़बरदस्त से वास्ता नहीं पड़ा , अब तक तुम्हारा पाला कमज़ोरों से पड़ा है किसी ताक़तवर को नहीं देखा यानी शरीरों के सज़ा देने वाले भी मौजूद हैं

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

मुँह देखी सब कहते हैं, ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता

सब चापलूसी और तरफ़दारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

जीवित का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

हम भी कोई हैं

हम से भी कोई रिश्ता और ख़ुसूसीयत है , हमारा भी बड़ा मर्तबा है

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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