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किस की

किसी का नहीं

किस की ख़ातिर

کسی کے لیے ، کسی کے واسطے.

किस की रही और किस की रहेगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

किस की रही और किस की रह जाएगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

किस की रही और किस की रह जाए

۔دل کی اُمنگ نکالنے کی جگہ بولتے ہیں۔

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

किस की बनी रही है

शक्ति और सत्ता हमेशा क़ायम नहीं रहते

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ को आफ़त आयी है जो अपनी संतान को खोना चाहेगी? किसकी दुर्भाग्यशाली माँ अपने बच्चों की तबाही चाहेगी, इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने लिए ख़ुद मुसीबत नहीं बनाता, अपना नुक़सान या अपनी बर्बादी नहीं चाहता

किस की सुनता है

۔کس کی بات مانتا ہے۔ کسی کی بات نہیں مانتا۔ ضدّی ہے۔ ؎

किस की हालत देख कर मत ललचावे जी, अजी रूखी सूखी खा कर ठंडा पानी पी

किसी की अच्छी चीज़ देख कर लालच नहीं करना चाहिए जो कुछ मिले इस पर क़नाअत करनी चाहिए

किस की बकरी और कौन डाले घास

अपनी चीज़ की रखवाली आप ही करनी पड़ती है, दूसरे की चीज़ की देख भाल कोई नहीं करता

किस की बला

۔کنایہ ہے نفی سے کسی کام میں۔ ؎

किस की मानता है

हठी है, अर्थात किसी की नहीं मानता

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

किस किस दुख को रोएँ

which of my numerous grievances can I air?

किस किताब में लिखा है

ख़िलाफ़ क़ायदा और ख़िलाफ़-ए-दस्तूर होने की जगह

किस किताब में है

۔خلاف قاعدہ اور خلاف دستور ہونے کی جگہ۔ ؎ ؎

किस किस दुख को झेला है

तरह तरह की तक्लीफ़े उठाई हैं

किस किस से

. حیرانی کے اظہار کے لیے.

किस क़यामत की

کِس بلا کے، کس غضب کا

जोगी किस के मीत और पातुर किस की नार

जोगी मित्र नहीं बन सकते एवं चरित्रहीन स्त्री पत्नी नहीं हो सकती

किस काम की

बेमुसर्रफ़, फ़ुज़ूल, बे कार, बेमानी

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

दूध की मक्खी किस ने चक्खी

ख़राब वस्तु का कोई उपयोग नहीं करता

जोगी किस के मित्र और पातुर किस की नार

यानी ये (दोनों) किसी के वफ़ादार नहीं होते, आज़ाद की दोस्ती का क्या भरोसा, जोगी दोस्त नहीं बिन सकते और फ़ाहिशा औरत बीवी नहीं बिन सकती

गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस बाग़ की मूली हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

किस खेत की मूली है

he has no standing

किस खेत की मूली हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

किस मर्ज़ की दवा है

is useless, is good-for-nothing

कौन किस की सुनता है

۔کوئی کسی کی فریاد نہیں سنتا۔ ؎

सुब्ह किस की शक्ल देखी थी

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

किस दर्द की दवा है

किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

हम किस खेत की मूली हैं

हमारी क्या हैसियत है, हमारा क्या ज़ोर है, हमारी कौन सुनता है

ये गंगा किस की ख़ुदाई है

उसको कहते हैं जो अपनी धन दौलत का घमंड करे कि यह तो ईश्वर की दी हुई है या यह हमारे कारण से है

ये किस खेत की मूली है

जिस के बारे कुछ भी मालूम न हो, जो बेहैसियत हो, जो अपनी पहचान न रखे, यह असत्य है

तुम किस खेत की मूली हो

तुम्हारा क्या सामर्थ्य है, तुम्हारी वास्तविक्ता क्या है

देल दुनिया की दम बदम कीजिए किस की शादी और किस का ग़म कीजिए

दुनिया में मज़े उड़ाने चाहें ख़ुशी और ग़म की पर्वा नहीं करना चाहिए

बाज़ार की गाली किस की, जो फिर कर देखे उस की

सार्वजनिक लांछन अथवा गाली की परवाह नहीं करनी चाहिए जो उत्तर दे वही दोषी होता है

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

मुफ़्लिस की जवानी और जाड़ों की चाँदी किस ने देखी

जाड़े की चांदनी से लुतफ़ नहीं उठाया जा सकता, बेफ़ाइदा चीज़ जिस से लुतफ़ ना उठा या जा सके तो ये कहावत कहते हैं

फ़क़ीर की ज़बान किस ने कीली है

फ़क़ीर जो चाहे कह सकता है, उसे कोई भी नहीं रोक सकता

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

ख़ुदा के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर के पास सब कुछ है, ईश्वर सब कुछ दे सकता है

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

सारी रामायण पढ़ गए सुन के पूछा सीता किस की जोरू थी

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

कौड़ी-कौड़ी माया जोड़ी कर बातें छल की, भारी बोझ धरा सर ऊपर किस बिध हो हलकी

धोके-बाज़ी से धन जमा किया और पापों का बोझ सर पर लिया जो किसी तरह हल्का नहीं होता

बोल बंदा किस का मेरा कि तेरा

इस अवसर पर प्रयुक्त जब किसी दुर्बल को बलवान के सामने हथियार डालना पड़े

किस वास्ते कि

इस लिए कि, क्योंकि

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किस की के अर्थदेखिए

किस की

kis kiiکِس کی

किस की के हिंदी अर्थ

  • किसी का नहीं
  • किस शख़्स का
  • बेवुक़ती और बेक़दरी के इज़हार के लिए

کِس کی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کسی کا نہیں.
  • بے وقعتی اور بے قدری کے اظہار کے لیے.
  • . کس شخص کا.

Urdu meaning of kis kii

  • Roman
  • Urdu

  • kisii ka nahii.n
  • bevuqtii aur beqadrii ke izhaar ke li.e
  • . kis shaKhs ka

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किस की

किसी का नहीं

किस की ख़ातिर

کسی کے لیے ، کسی کے واسطے.

किस की रही और किस की रहेगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

किस की रही और किस की रह जाएगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

किस की रही और किस की रह जाए

۔دل کی اُمنگ نکالنے کی جگہ بولتے ہیں۔

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

किस की बनी रही है

शक्ति और सत्ता हमेशा क़ायम नहीं रहते

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ को आफ़त आयी है जो अपनी संतान को खोना चाहेगी? किसकी दुर्भाग्यशाली माँ अपने बच्चों की तबाही चाहेगी, इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने लिए ख़ुद मुसीबत नहीं बनाता, अपना नुक़सान या अपनी बर्बादी नहीं चाहता

किस की सुनता है

۔کس کی بات مانتا ہے۔ کسی کی بات نہیں مانتا۔ ضدّی ہے۔ ؎

किस की हालत देख कर मत ललचावे जी, अजी रूखी सूखी खा कर ठंडा पानी पी

किसी की अच्छी चीज़ देख कर लालच नहीं करना चाहिए जो कुछ मिले इस पर क़नाअत करनी चाहिए

किस की बकरी और कौन डाले घास

अपनी चीज़ की रखवाली आप ही करनी पड़ती है, दूसरे की चीज़ की देख भाल कोई नहीं करता

किस की बला

۔کنایہ ہے نفی سے کسی کام میں۔ ؎

किस की मानता है

हठी है, अर्थात किसी की नहीं मानता

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

किस किस दुख को रोएँ

which of my numerous grievances can I air?

किस किताब में लिखा है

ख़िलाफ़ क़ायदा और ख़िलाफ़-ए-दस्तूर होने की जगह

किस किताब में है

۔خلاف قاعدہ اور خلاف دستور ہونے کی جگہ۔ ؎ ؎

किस किस दुख को झेला है

तरह तरह की तक्लीफ़े उठाई हैं

किस किस से

. حیرانی کے اظہار کے لیے.

किस क़यामत की

کِس بلا کے، کس غضب کا

जोगी किस के मीत और पातुर किस की नार

जोगी मित्र नहीं बन सकते एवं चरित्रहीन स्त्री पत्नी नहीं हो सकती

किस काम की

बेमुसर्रफ़, फ़ुज़ूल, बे कार, बेमानी

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

दूध की मक्खी किस ने चक्खी

ख़राब वस्तु का कोई उपयोग नहीं करता

जोगी किस के मित्र और पातुर किस की नार

यानी ये (दोनों) किसी के वफ़ादार नहीं होते, आज़ाद की दोस्ती का क्या भरोसा, जोगी दोस्त नहीं बिन सकते और फ़ाहिशा औरत बीवी नहीं बिन सकती

गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस बाग़ की मूली हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

किस खेत की मूली है

he has no standing

किस खेत की मूली हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

किस मर्ज़ की दवा है

is useless, is good-for-nothing

कौन किस की सुनता है

۔کوئی کسی کی فریاد نہیں سنتا۔ ؎

सुब्ह किस की शक्ल देखी थी

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

किस दर्द की दवा है

किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

हम किस खेत की मूली हैं

हमारी क्या हैसियत है, हमारा क्या ज़ोर है, हमारी कौन सुनता है

ये गंगा किस की ख़ुदाई है

उसको कहते हैं जो अपनी धन दौलत का घमंड करे कि यह तो ईश्वर की दी हुई है या यह हमारे कारण से है

ये किस खेत की मूली है

जिस के बारे कुछ भी मालूम न हो, जो बेहैसियत हो, जो अपनी पहचान न रखे, यह असत्य है

तुम किस खेत की मूली हो

तुम्हारा क्या सामर्थ्य है, तुम्हारी वास्तविक्ता क्या है

देल दुनिया की दम बदम कीजिए किस की शादी और किस का ग़म कीजिए

दुनिया में मज़े उड़ाने चाहें ख़ुशी और ग़म की पर्वा नहीं करना चाहिए

बाज़ार की गाली किस की, जो फिर कर देखे उस की

सार्वजनिक लांछन अथवा गाली की परवाह नहीं करनी चाहिए जो उत्तर दे वही दोषी होता है

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

मुफ़्लिस की जवानी और जाड़ों की चाँदी किस ने देखी

जाड़े की चांदनी से लुतफ़ नहीं उठाया जा सकता, बेफ़ाइदा चीज़ जिस से लुतफ़ ना उठा या जा सके तो ये कहावत कहते हैं

फ़क़ीर की ज़बान किस ने कीली है

फ़क़ीर जो चाहे कह सकता है, उसे कोई भी नहीं रोक सकता

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

ख़ुदा के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर के पास सब कुछ है, ईश्वर सब कुछ दे सकता है

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

सारी रामायण पढ़ गए सुन के पूछा सीता किस की जोरू थी

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

कौड़ी-कौड़ी माया जोड़ी कर बातें छल की, भारी बोझ धरा सर ऊपर किस बिध हो हलकी

धोके-बाज़ी से धन जमा किया और पापों का बोझ सर पर लिया जो किसी तरह हल्का नहीं होता

बोल बंदा किस का मेरा कि तेरा

इस अवसर पर प्रयुक्त जब किसी दुर्बल को बलवान के सामने हथियार डालना पड़े

किस वास्ते कि

इस लिए कि, क्योंकि

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