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जब-से

उस वक़्त से, जिस वक़्त से, उस समय से, तब से

जब से जमे बाल तब से यही हाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से उगे बाल, तब से यही हाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से जामे बाल तब से यही अहवाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से जामे बाल तब से यही हवाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से उगे बाल, तब से यही हवाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब दीखो जब तीर से खड़े

हर समय उपस्थित

अहीर से तब गुन निकले बालू से जब घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

अहीर से तब गुन निकले जब बालू से घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

अहीर से जब गुन निकले बालू से तब घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

गाय जब दूब से दोस्ती करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला नुक़्सान उठाता है

जब अओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

अब तो हूँ मैं ऊनी ऊनी जब होंगी सब से दूनी

अभी क्या है, अभी तो थोड़ी ख़राबियाँ हैं, आगे चल कर खुल खेलेगी

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

गाय जब दूब से सुलूक करे तो खाए क्या

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे नहीं जाता, तब तक ही जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

सब जीते जी के झगड़े हैं ये तेरा ये मेरा है जब चल बसे इस दुनिया से ना तेरा है ना मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती, यह सब ज़िंदगी के ही झगड़े हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जब-से के अर्थदेखिए

जब-से

jab-seجَب سے

वज़्न : 22

मूल शब्द: जब

जब-से के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • उस वक़्त से, जिस वक़्त से, उस समय से, तब से

English meaning of jab-se

Adverb

  • since then, since that time

جَب سے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • اس وقت سے، جس وقت سے

Urdu meaning of jab-se

  • Roman
  • Urdu

  • is vaqt se, jis vaqt se

जब-से के अंत्यानुप्रास शब्द

खोजे गए शब्द से संबंधित

जब-से

उस वक़्त से, जिस वक़्त से, उस समय से, तब से

जब से जमे बाल तब से यही हाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से उगे बाल, तब से यही हाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से जामे बाल तब से यही अहवाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से जामे बाल तब से यही हवाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब से उगे बाल, तब से यही हवाल

शुरू से ही यही हालत है, बहुत पुरानी आदत है, बचपन से यही करतूत हैं

जब दीखो जब तीर से खड़े

हर समय उपस्थित

अहीर से तब गुन निकले बालू से जब घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

अहीर से तब गुन निकले जब बालू से घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

अहीर से जब गुन निकले बालू से तब घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

गाय जब दूब से दोस्ती करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला नुक़्सान उठाता है

जब अओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

अब तो हूँ मैं ऊनी ऊनी जब होंगी सब से दूनी

अभी क्या है, अभी तो थोड़ी ख़राबियाँ हैं, आगे चल कर खुल खेलेगी

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

गाय जब दूब से सुलूक करे तो खाए क्या

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे नहीं जाता, तब तक ही जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

सब जीते जी के झगड़े हैं ये तेरा ये मेरा है जब चल बसे इस दुनिया से ना तेरा है ना मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती, यह सब ज़िंदगी के ही झगड़े हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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