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और ही

quite different

और ही कुछ हो जाना

परेशान हो जाना, बौखलाया हुआ होना

और ही बात है

अनोखी स्थिति है, अजीब आनंद है

कुछ और ही

बिल्कुल अलग, भिन्न; पूरी तरह से बदला हआ

तुम्हारी जूती और तुम्हारा ही सर

तुम्हारा माल ही तुम पर ख़र्च हो रहा है

मेरी ही बिल्ली और मुझ से ही म्याऊँ

रुक : मेरी बिल्ली और मुझी से मियाऊं

कुछ और ही 'आलम होना

बदल जाना, स्थिति में परिवर्तन आना

अपना ही माल जाए और आप ही चोर कहलाए

अपनी हानि का इल्ज़ाम अपने ही सर, आया क्या परिहासयुक्त अत्याचार है

माँ मारे और माँ ही पुकारे

अपनों की सख़्ती भी बुरी नहीं प्रतीत होती, अपना कितनी ही सख़्ती करे अपना ही कहलाएगा

और रोना ही क्या है

यही सोच तो है

ज़ालिम की चाल ही और है

अत्याचारी के तरीक़े अलग होते हैं, ज़ालिम के तरीक़े मुख़्तलिफ़ होते हैं

किरिया और तरकारी खाने ही के लिए है

झूठी सौगंध खाए तो उसकी औचित्यता में कहते हैं

हाकिम हारे और मुँह ही मुँह मारे

हाकिम की किसी बात की तरदीद नहीं होसकती, अफ़्सर की ग़लती भी हो तो मातहत को ही नुक़्सान उठाना पड़ता है

नौकरी और अरंड की जड़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

नौकरी और अरंड की जढ़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

तेली ख़सम किया और रूखा ही खाया

मतलब के लिए बुरा काम किया फिर भी वो हासिल ना हुआ , ख़िलाफ़-ए-वज़ा या आदात कोई काम किया इस प्रभी मक़सद पूरा ना हुआ, मालदार की नौकरी और फ़ाक़ों मरे

दिल्ली में रहे और भाड़ ही झोंका

नालायक़ ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी लियाक़त नहीं पैदा की, ना अहल इंसान कभी तरक़्क़ी नहीं कर सकता, दाख़िली अहलीयत को बहरहाल ख़ारिजी हालत पर फ़ौक़ियत है जब तक जौहर-ए-काबिल ना हो, बेहतर से बेहतर माहौल से मुनफ़अत हासिल नहीं की जा सकती, बड़े शहर में रहे और घटिया से गठिया काम किया

हमारी बिस्मिल्लाह और हम से ही छू

रुक : हमारी बिल्ली और हमें से मियाऊं, जो मारूफ़-ओ-मुस्तामल है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

मुँह ही मुँह मारे और तौबा-तौबा पुकारे

ख़ुद ही सज़ा दे खुद ही शरण माँगे, अपना आरोप मासूम के सिर थोपे

अपना घुटना खोलिए और आप ही लाजों मरिए

अपनों के दोष खोलने से अपने आप को ही लज्जित होना पड़ता है, अपनी प्यारी वस्तु तिरस्कार अपना ही तिरस्कार है

घर की बिल्ली और घर ही में शिकार

घरेलू एवं आपसी झगड़ों अथवा विवादों के समय प्रयुक्त

अपना घुटना खोलिए और आप ही मरिए लाज

अपनों के दोष खोलने से अपने आप को ही लज्जित होना पड़ता है, अपनी प्यारी वस्तु तिरस्कार अपना ही तिरस्कार है

सारी रात रोई और एक ही मरा

प्रयास बहुत की परंतु प्राप्त बहुत कम हुआ

दस्तार और गुफ़्तार अपनी ही काम आती है

अपने हाथ से अपनी पगड़ी (दोपट्टा) बांधना चाहिए और अपनी बात ख़ुद ही कहना मुनासिब है दोसे के ज़रीये दोनों ठीक नहीं क्यों कि अपनी बात या मतलब को जैसे ख़ुद कह सकता है इस तरह दूसरे से अदा नहीं हो सकता

चूना और चमार कूटे ही ठीक रहता है

चूने को जितना ज़्यादा कूटें उतना ही मज़बूत होता है, चमार को जूते लगते रहें तो दुरुस्त रहता है

मियाँ का जूता हो और मियाँ ही का सर

अपने ही हाथों लाचार होना, किसी की बेइज़्ज़ती इस के अपने ही कारिंदों के हाथों कराना

जहाँ और दरख़्त नहीं वहाँ अरनड ही दरख़्त है

जहां लायक़ नहीं होते, वहां कम लियाक़त ही लियाक़तदार होजाते हैं, जहां कोई शैय बेहतर ना हो वहां कमतर ही सही, रुक: जहां रूख नहीं अलख

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

पर को कुँवाँ खोदे और आप ही डूब मरे

पराए व्यक्ति की बुराई चाहने में अपनी ही हानि होती है

बाप डोम और डोम ही दादा, कहे मियाँ मैं शर्मा-ज़ादा

जो अपनी जाति को छुपाए उसके प्रति कहते हैं

बारह बरस दिल्ली में रहे और भाड़ ही झोंका

उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे

जब भी तीन और अब भी तीन, जब पाए तब तीन ही तीन

बहुत भाग्यहीन हैं, हर समय तीन काने हैं

दो हाजू की जोरू और सौदागर की घोड़ी जितनी कूदे उतनी ही थोड़ी

नई नवेली दुल्हन के मुताल्लिक़ कहते हैं कि वो जितने नख़रे दिखाए कम है

वक़्त का ग़ुलाम और वक़्त ही का बादशाह

जैसा अवसर हो वैसा काम करे, अवसर के अनुसार दास और राजा बन जाए

तुलसी ऐसे मित्र के कोट फाँद के जाए, आवत ही तो हंस मिले और चलत रहे मुरझाए

पहले मित्र को बड़ी रूचि से मिलना चाहिए जो हंसता हुआ मिले और जाता हुआ दुखी हो

पान और ईमान फेरे ही से अच्छा रहता है

यदि देख-रेख न की जाए तो पान गल जाते हैं, ईमान बिना तौबा के सुरक्षित नहीं रहता

बाक़ी का मारा गाँव , चिलमों का मारा चूल्हा और ओलों का मारा खेत पनपता ही नहीं

जिस गान के लोगों पर लगान बाक़ी रह जाये या जिस चूल्हे से बार बार आग निकाली जाये या जिस खेत पर ओले पड़ जाएं वो कभी अच्छी हालत में नहीं रहते

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें कवी, सिंघ, सपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें सागर, सिंघ, कपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

जो तू ही राजा हुआ अपना सुख मत ठान, फिकर और फकीर के दुख सुख पर कर ध्यान

अगर तू राजा बने तो र'ईयत अर्थात सभी प्राणियों की भलाई का ख़्याल रख

सावन सोवे साँथरे और माह खरेरी खाट , आप ही मर जाएंगे तो जेठ चलेंगे बाट

जो साइन में पियाल पर सोए और माघ में ख़ाली चारपाई पर और जेठ में सफ़र करे वो ख़्वाहमख़्वाह मरेगा

आता तो सभी भला थोड़ा बहुत कुछ, जाता बस दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

हवा ही और होना

पर्यावरण पूरी तरह बदल जाना, परिस्थितियों का पूरी तरह अलग हो जाना, तौर-तरीक़ा ही दूसरा होना

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में और ही के अर्थदेखिए

और ही

aur hiiاور ہی

English meaning of aur hii

  • quite different

Urdu meaning of aur hii

  • Roman
  • Urdu

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और ही

quite different

और ही कुछ हो जाना

परेशान हो जाना, बौखलाया हुआ होना

और ही बात है

अनोखी स्थिति है, अजीब आनंद है

कुछ और ही

बिल्कुल अलग, भिन्न; पूरी तरह से बदला हआ

तुम्हारी जूती और तुम्हारा ही सर

तुम्हारा माल ही तुम पर ख़र्च हो रहा है

मेरी ही बिल्ली और मुझ से ही म्याऊँ

रुक : मेरी बिल्ली और मुझी से मियाऊं

कुछ और ही 'आलम होना

बदल जाना, स्थिति में परिवर्तन आना

अपना ही माल जाए और आप ही चोर कहलाए

अपनी हानि का इल्ज़ाम अपने ही सर, आया क्या परिहासयुक्त अत्याचार है

माँ मारे और माँ ही पुकारे

अपनों की सख़्ती भी बुरी नहीं प्रतीत होती, अपना कितनी ही सख़्ती करे अपना ही कहलाएगा

और रोना ही क्या है

यही सोच तो है

ज़ालिम की चाल ही और है

अत्याचारी के तरीक़े अलग होते हैं, ज़ालिम के तरीक़े मुख़्तलिफ़ होते हैं

किरिया और तरकारी खाने ही के लिए है

झूठी सौगंध खाए तो उसकी औचित्यता में कहते हैं

हाकिम हारे और मुँह ही मुँह मारे

हाकिम की किसी बात की तरदीद नहीं होसकती, अफ़्सर की ग़लती भी हो तो मातहत को ही नुक़्सान उठाना पड़ता है

नौकरी और अरंड की जड़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

नौकरी और अरंड की जढ़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

तेली ख़सम किया और रूखा ही खाया

मतलब के लिए बुरा काम किया फिर भी वो हासिल ना हुआ , ख़िलाफ़-ए-वज़ा या आदात कोई काम किया इस प्रभी मक़सद पूरा ना हुआ, मालदार की नौकरी और फ़ाक़ों मरे

दिल्ली में रहे और भाड़ ही झोंका

नालायक़ ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी लियाक़त नहीं पैदा की, ना अहल इंसान कभी तरक़्क़ी नहीं कर सकता, दाख़िली अहलीयत को बहरहाल ख़ारिजी हालत पर फ़ौक़ियत है जब तक जौहर-ए-काबिल ना हो, बेहतर से बेहतर माहौल से मुनफ़अत हासिल नहीं की जा सकती, बड़े शहर में रहे और घटिया से गठिया काम किया

हमारी बिस्मिल्लाह और हम से ही छू

रुक : हमारी बिल्ली और हमें से मियाऊं, जो मारूफ़-ओ-मुस्तामल है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

मुँह ही मुँह मारे और तौबा-तौबा पुकारे

ख़ुद ही सज़ा दे खुद ही शरण माँगे, अपना आरोप मासूम के सिर थोपे

अपना घुटना खोलिए और आप ही लाजों मरिए

अपनों के दोष खोलने से अपने आप को ही लज्जित होना पड़ता है, अपनी प्यारी वस्तु तिरस्कार अपना ही तिरस्कार है

घर की बिल्ली और घर ही में शिकार

घरेलू एवं आपसी झगड़ों अथवा विवादों के समय प्रयुक्त

अपना घुटना खोलिए और आप ही मरिए लाज

अपनों के दोष खोलने से अपने आप को ही लज्जित होना पड़ता है, अपनी प्यारी वस्तु तिरस्कार अपना ही तिरस्कार है

सारी रात रोई और एक ही मरा

प्रयास बहुत की परंतु प्राप्त बहुत कम हुआ

दस्तार और गुफ़्तार अपनी ही काम आती है

अपने हाथ से अपनी पगड़ी (दोपट्टा) बांधना चाहिए और अपनी बात ख़ुद ही कहना मुनासिब है दोसे के ज़रीये दोनों ठीक नहीं क्यों कि अपनी बात या मतलब को जैसे ख़ुद कह सकता है इस तरह दूसरे से अदा नहीं हो सकता

चूना और चमार कूटे ही ठीक रहता है

चूने को जितना ज़्यादा कूटें उतना ही मज़बूत होता है, चमार को जूते लगते रहें तो दुरुस्त रहता है

मियाँ का जूता हो और मियाँ ही का सर

अपने ही हाथों लाचार होना, किसी की बेइज़्ज़ती इस के अपने ही कारिंदों के हाथों कराना

जहाँ और दरख़्त नहीं वहाँ अरनड ही दरख़्त है

जहां लायक़ नहीं होते, वहां कम लियाक़त ही लियाक़तदार होजाते हैं, जहां कोई शैय बेहतर ना हो वहां कमतर ही सही, रुक: जहां रूख नहीं अलख

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

पर को कुँवाँ खोदे और आप ही डूब मरे

पराए व्यक्ति की बुराई चाहने में अपनी ही हानि होती है

बाप डोम और डोम ही दादा, कहे मियाँ मैं शर्मा-ज़ादा

जो अपनी जाति को छुपाए उसके प्रति कहते हैं

बारह बरस दिल्ली में रहे और भाड़ ही झोंका

उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे

जब भी तीन और अब भी तीन, जब पाए तब तीन ही तीन

बहुत भाग्यहीन हैं, हर समय तीन काने हैं

दो हाजू की जोरू और सौदागर की घोड़ी जितनी कूदे उतनी ही थोड़ी

नई नवेली दुल्हन के मुताल्लिक़ कहते हैं कि वो जितने नख़रे दिखाए कम है

वक़्त का ग़ुलाम और वक़्त ही का बादशाह

जैसा अवसर हो वैसा काम करे, अवसर के अनुसार दास और राजा बन जाए

तुलसी ऐसे मित्र के कोट फाँद के जाए, आवत ही तो हंस मिले और चलत रहे मुरझाए

पहले मित्र को बड़ी रूचि से मिलना चाहिए जो हंसता हुआ मिले और जाता हुआ दुखी हो

पान और ईमान फेरे ही से अच्छा रहता है

यदि देख-रेख न की जाए तो पान गल जाते हैं, ईमान बिना तौबा के सुरक्षित नहीं रहता

बाक़ी का मारा गाँव , चिलमों का मारा चूल्हा और ओलों का मारा खेत पनपता ही नहीं

जिस गान के लोगों पर लगान बाक़ी रह जाये या जिस चूल्हे से बार बार आग निकाली जाये या जिस खेत पर ओले पड़ जाएं वो कभी अच्छी हालत में नहीं रहते

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें कवी, सिंघ, सपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें सागर, सिंघ, कपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

जो तू ही राजा हुआ अपना सुख मत ठान, फिकर और फकीर के दुख सुख पर कर ध्यान

अगर तू राजा बने तो र'ईयत अर्थात सभी प्राणियों की भलाई का ख़्याल रख

सावन सोवे साँथरे और माह खरेरी खाट , आप ही मर जाएंगे तो जेठ चलेंगे बाट

जो साइन में पियाल पर सोए और माघ में ख़ाली चारपाई पर और जेठ में सफ़र करे वो ख़्वाहमख़्वाह मरेगा

आता तो सभी भला थोड़ा बहुत कुछ, जाता बस दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

हवा ही और होना

पर्यावरण पूरी तरह बदल जाना, परिस्थितियों का पूरी तरह अलग हो जाना, तौर-तरीक़ा ही दूसरा होना

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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