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ये किस का मूत है

(हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

ये गंगा किस की ख़ुदाई है

उसको कहते हैं जो अपनी धन दौलत का घमंड करे कि यह तो ईश्वर की दी हुई है या यह हमारे कारण से है

ये किस खेत की मूली है

जिस के बारे कुछ भी मालूम न हो, जो बेहैसियत हो, जो अपनी पहचान न रखे, यह असत्य है

आज किस का मुँह देखा है

جب سارا دن پریشانی میں گزرے تو یہ کہا جاتا ہے

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर, तू नौकर किस का जिस का ये घोड़ा

टालने के अवसर पर कहते हैं

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

किस चक्की का पीसा खाया है

۔(عو) زیادہ موٹے آدمی سے کہتی ہیں۔ کس چَکّی کے آٹے کی تاثیر ہے جو ایسے موٹے ہوگئے ہو۔

किस चक्की का पिसा खाया है

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

दरिया का फेर किस ने पाया है

बुद्धिमान आदमी की बात की तह किसी की समझ में नहीं आती

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

ये ज़माना का हाल है

इस ज़माने के लोगों का क्या हाल है

ये ज़माने का हाल है

इस युग के लोगों की बुरी स्थिति हैं, किसी पछतावे के अवसर पर प्रयुक्त

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो

सब जीते जी का झगड़ा है, ये तेरा है ये मेरा है, चल बसे इस दुनिया से, न तेरा है न मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब ज़िंदगी के साथ हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

कमबख़्ती की है ये निशानी, सूख गया कुँवें का पानी

बहुत अधिक हानि होना

चातुर का काम नहीं पातुर से अटके, पातुर का काम ये है लिया दिया सटके

बुद्धिमान आदमी वेश्या स्त्री के धोखे में नहीं फँसता, वेश्या का यही काम है कि लिया दिया अलग हुई

किस बला का है

ग़ज़ब का है, इंतिहा का है, बहुत ज़्यादा है (ख़ूबी या बुराई की ज़्यादती के इज़हार के लिए मुस्तामल)

गोरी मत कर गोरे रंग पे गुमान, ये है कोई दम का मेहमान

सुंदरता पर घमंड न कर यह कुछ समय के लिए अर्थात क्षणभंगुर है

किस के मान का है

किसी की नहीं मानता यानी किस के क़ाबू और इख़्तियार का नहीं

किस जानवर का नाम है

किसी शख़्स या चीज़ को बेवुक़त ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

मुफ़्त का दर्द-ए-सर अपने सर लिया है

यानी दूसरे की ज़हमत ख़ुद ओढ़ ली है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ये किस का मूत है के अर्थदेखिए

ये किस का मूत है

ye kis kaa muut haiیہ کِس کا مُوت ہے

कहावत

टैग्ज़: अवामी

ये किस का मूत है के हिंदी अर्थ

  • (हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

English meaning of ye kis kaa muut hai

  • he is a no one!

یہ کِس کا مُوت ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (حقارتاً) یہ کس کا نطفہ ہے، یہ کس کا نطفۂ بد ہے، یہ کس کا جایا ہے

Urdu meaning of ye kis kaa muut hai

  • Roman
  • Urdu

  • (haqqaa ratan) ye kis ka nutfa hai, ye kis ka nutfa-e-bad hai, ye kis ka jaaya hai

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ये किस का मूत है

(हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

ये गंगा किस की ख़ुदाई है

उसको कहते हैं जो अपनी धन दौलत का घमंड करे कि यह तो ईश्वर की दी हुई है या यह हमारे कारण से है

ये किस खेत की मूली है

जिस के बारे कुछ भी मालूम न हो, जो बेहैसियत हो, जो अपनी पहचान न रखे, यह असत्य है

आज किस का मुँह देखा है

جب سارا دن پریشانی میں گزرے تو یہ کہا جاتا ہے

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर, तू नौकर किस का जिस का ये घोड़ा

टालने के अवसर पर कहते हैं

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

किस चक्की का पीसा खाया है

۔(عو) زیادہ موٹے آدمی سے کہتی ہیں۔ کس چَکّی کے آٹے کی تاثیر ہے جو ایسے موٹے ہوگئے ہو۔

किस चक्की का पिसा खाया है

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

दरिया का फेर किस ने पाया है

बुद्धिमान आदमी की बात की तह किसी की समझ में नहीं आती

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

ये ज़माना का हाल है

इस ज़माने के लोगों का क्या हाल है

ये ज़माने का हाल है

इस युग के लोगों की बुरी स्थिति हैं, किसी पछतावे के अवसर पर प्रयुक्त

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो

सब जीते जी का झगड़ा है, ये तेरा है ये मेरा है, चल बसे इस दुनिया से, न तेरा है न मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब ज़िंदगी के साथ हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

कमबख़्ती की है ये निशानी, सूख गया कुँवें का पानी

बहुत अधिक हानि होना

चातुर का काम नहीं पातुर से अटके, पातुर का काम ये है लिया दिया सटके

बुद्धिमान आदमी वेश्या स्त्री के धोखे में नहीं फँसता, वेश्या का यही काम है कि लिया दिया अलग हुई

किस बला का है

ग़ज़ब का है, इंतिहा का है, बहुत ज़्यादा है (ख़ूबी या बुराई की ज़्यादती के इज़हार के लिए मुस्तामल)

गोरी मत कर गोरे रंग पे गुमान, ये है कोई दम का मेहमान

सुंदरता पर घमंड न कर यह कुछ समय के लिए अर्थात क्षणभंगुर है

किस के मान का है

किसी की नहीं मानता यानी किस के क़ाबू और इख़्तियार का नहीं

किस जानवर का नाम है

किसी शख़्स या चीज़ को बेवुक़त ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

मुफ़्त का दर्द-ए-सर अपने सर लिया है

यानी दूसरे की ज़हमत ख़ुद ओढ़ ली है

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