खोजे गए परिणाम

सहेजे गए शब्द

"ये और" शब्द से संबंधित परिणाम

ये और

मज़ीद, इस के इलावा

ये और हुई

۔ये मज़ीद बात हुई। इस पर तरह ये है।

ये और वो

इसी प्रकार की और बातें, ए भी और वो भी (किसी बात को संक्षिप्त करते हुए)

ये और बात है

۔ये बात जुदा है।

ये मुँह और गुलगुले

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है

ये वक़्त और है

वक़्त गुज़र जाने के बाद पिछले वक़्त को याद करते हुए कहते हैं, अच्छे दिनों को याद करते हुए कहते हैं

ये गूए और ये मैदान है

आइये अभी प्रतियोगिता हो जाये, अर्थात जब कोई सामर्थ्य से बढ़कर दावा करता है तो उसे नीचा दिखाने के लिए कहते हैं

ये मुँह और फुलौरियाँ

यह काम तुम्हारी हैसियत से ज़्यादा है, तुम इस लायक़ नहीं

ये मुँह और गाजरें

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, इस काम या बात के क़ाबिल नहीं, ये हैसियत या औक़ात नहीं है

ये मुँह और मलीदा

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, इस काम या बात के क़ाबिल नहीं, ये हैसियत या औक़ात नहीं है

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

ये तुम्हारी और वो हमारी

रास्ते अलग-अलग हैं, आपस में मतभेद अनिवार्य है

ये मुसलमानी और आना कानी

मुसलमान होने के अतिरिक्त हमदर्दी करने से टाल-मटोल, अपने समूह से टाल-मटोल करने वाले के संबंध में भी बोलते हैं

सात रूपिया और ये नमूद

छोटी हैसियत का आदमी अपनी बड़ाई की डींगें मारे तो कहते हैं

ये बात कहीं और रहे

हमसे बेअदबी, गुस्ताख़ी और अनौपचारिकता न करो, हम इस लायक नहीं हैं, ये प्रेम किसी और से रखो हमसे ऐसा प्रेम न करो

ये मुँह और खाए चौलाई

ऐसी ख़ाहिश या आरज़ू जो किसी की हैसियत से ज़्यादा हो, जब कोई किसी चीज़ के काबिल ना हो तो कहते हैं

ये गो और यही मैदान

۔آئے ابھی مقابلہ ہوجائے۔؎

ये मुँह और धनिये की चटनी

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, तुम्हारी ये हैसियत नहीं

ये मुँह और चार चुंगली लासा

किसी को उसकी औक़ात याद दिलाने के लिए कहते हैं

ये मुँह और मसूर की दाल

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

मुट्ठी बराबर हड्डियाँ और दा'वे ये

कमज़ोर आदमी हो कर ऐसा दावा करता है

ये छड़ी होगी और तू होगा

नाराज़ी और ग़ुस्से से कहते हैं, सज़ा की धमकी के तौर पर कहते हैं कि अगर तू ने ऐसा किया तो ये सज़ा होगी

ज़मीन टल जाए और ये न टले

ये बला तो आके रहेगी, ख़ाह कुछ हो, ये मुसीबत तो बहरसूरत नाज़िल होगी, ये शख़्स तो चाहे कुछ भी हो अपनी जगह से हल्लेगा नहीं, ये हुक्म तो हर सूरत में वाजिब उल-तामील है

काग कौआ और ख़रगोश ये तीनों नहीं माने पोस

काग, को्वा और ख़रगोश मानूस नहीं होते

बन बालक भैंस और उखारी, जेठ मास ये चार दुखारी

जेठ अर्थात अति गर्मी का महीना बच्चे, भैंस, जंगल और उखारी अर्थात गन्ना के लिए दुखदायक होता है

बात ये और है

मामला यह बिल्कुल अलग है, मसला ही दूसरा है

वो और ये काम

वह यह काम नहीं कर सकेगा, वह नहीं करेगा

सारी ज़ुलैख़ा सुन ली और ये न मा'लूम हुआ कि ज़ुलैख़ा 'औरत थी कि मर्द

बूओरा क़िस्सा सुनने के बाद जब कोई उसी किसे के मुताल्लिक़ बेतुका सवाल कर बैठे तो इस से कहते हैं

न लड़का पैदा हुआ , न जौ काटे गए , ये मूँडन और 'अक़ीक़े की धूम कैसी

बेबुनियाद बातों पर वावेला मचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

ये बातें मत कीजियो कधे न तू ऐ यार, जिन बातों में रूस जा साईं और संसार

ऐसी बातें नहीं करनी चाहियें जिस में ईश्वर और संसार दोनों अप्रसन्न हों

ये भी सिक्शा नाथ जी कह गए ठीकम-ठीक, खो दें आदर मान को दग़ा लोभ और भीक

धोखा लालच और भीख मनुषेय के सम्मान को खो देते हैं

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

शेर-ए-क़ालीं और है, शेर-ए-नीस्ताँ और है

बहादुरी का अमलन इज़हार और चीज़ है और बहादुरी की बातें करना और चीज़ है

हाए तन्हाई और कुंज-ए-क़फ़स

मजबूरी-ओ-कसमपुर्सी का आलम

औरंग-ए-जहाँबानी

राजसिंहासन, शाही तख्त, संसार का राजसिंहासन

बहर-ए-ख़ुदा और रसूल

ईश्वर और दूत के लिए, बिना किसी निजी स्वार्थ के

गंजी पनहारी और गोखरू का एंडवा

अपनी छमता से बढ़ कर काम करना, बोझ ले जाना मुश्किल हुआ

गंजी कोंजड़ी और गोखरू का एंडवा

कोई अपनी हक़ीक़त और हैसियत से बढ़ कर काम करे तो कहते हैं

मोर-ए-ज़'ईफ़ और सुलैमाँ का सामना

कमज़ोर का ज़बरदस्त से सामना हो तो कहते हैं

समंद-ए-नाज़ पर इक और ताज़ियाना होना

शोख़ी और शरारत के लिए मज़ीद बहाना हाथ आना

समंद-ए-नाज़ पेर इक और ताज़ियाना होना

शोख़ी और शरारत के लिए मज़ीद बहाना हाथ आना

गुल-ए-औरंग

एक प्रकार का गेंदा और उसका फूल

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ये और के अर्थदेखिए

ये और

ye aurیِہ اَور

वाक्य

ये और के हिंदी अर्थ

  • मज़ीद, इस के इलावा

یِہ اَور کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • مزید ، اس کے علاوہ۔

Urdu meaning of ye aur

  • Roman
  • Urdu

  • maziid, is ke ilaava

खोजे गए शब्द से संबंधित

ये और

मज़ीद, इस के इलावा

ये और हुई

۔ये मज़ीद बात हुई। इस पर तरह ये है।

ये और वो

इसी प्रकार की और बातें, ए भी और वो भी (किसी बात को संक्षिप्त करते हुए)

ये और बात है

۔ये बात जुदा है।

ये मुँह और गुलगुले

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है

ये वक़्त और है

वक़्त गुज़र जाने के बाद पिछले वक़्त को याद करते हुए कहते हैं, अच्छे दिनों को याद करते हुए कहते हैं

ये गूए और ये मैदान है

आइये अभी प्रतियोगिता हो जाये, अर्थात जब कोई सामर्थ्य से बढ़कर दावा करता है तो उसे नीचा दिखाने के लिए कहते हैं

ये मुँह और फुलौरियाँ

यह काम तुम्हारी हैसियत से ज़्यादा है, तुम इस लायक़ नहीं

ये मुँह और गाजरें

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, इस काम या बात के क़ाबिल नहीं, ये हैसियत या औक़ात नहीं है

ये मुँह और मलीदा

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, इस काम या बात के क़ाबिल नहीं, ये हैसियत या औक़ात नहीं है

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

ये तुम्हारी और वो हमारी

रास्ते अलग-अलग हैं, आपस में मतभेद अनिवार्य है

ये मुसलमानी और आना कानी

मुसलमान होने के अतिरिक्त हमदर्दी करने से टाल-मटोल, अपने समूह से टाल-मटोल करने वाले के संबंध में भी बोलते हैं

सात रूपिया और ये नमूद

छोटी हैसियत का आदमी अपनी बड़ाई की डींगें मारे तो कहते हैं

ये बात कहीं और रहे

हमसे बेअदबी, गुस्ताख़ी और अनौपचारिकता न करो, हम इस लायक नहीं हैं, ये प्रेम किसी और से रखो हमसे ऐसा प्रेम न करो

ये मुँह और खाए चौलाई

ऐसी ख़ाहिश या आरज़ू जो किसी की हैसियत से ज़्यादा हो, जब कोई किसी चीज़ के काबिल ना हो तो कहते हैं

ये गो और यही मैदान

۔آئے ابھی مقابلہ ہوجائے۔؎

ये मुँह और धनिये की चटनी

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, तुम्हारी ये हैसियत नहीं

ये मुँह और चार चुंगली लासा

किसी को उसकी औक़ात याद दिलाने के लिए कहते हैं

ये मुँह और मसूर की दाल

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

मुट्ठी बराबर हड्डियाँ और दा'वे ये

कमज़ोर आदमी हो कर ऐसा दावा करता है

ये छड़ी होगी और तू होगा

नाराज़ी और ग़ुस्से से कहते हैं, सज़ा की धमकी के तौर पर कहते हैं कि अगर तू ने ऐसा किया तो ये सज़ा होगी

ज़मीन टल जाए और ये न टले

ये बला तो आके रहेगी, ख़ाह कुछ हो, ये मुसीबत तो बहरसूरत नाज़िल होगी, ये शख़्स तो चाहे कुछ भी हो अपनी जगह से हल्लेगा नहीं, ये हुक्म तो हर सूरत में वाजिब उल-तामील है

काग कौआ और ख़रगोश ये तीनों नहीं माने पोस

काग, को्वा और ख़रगोश मानूस नहीं होते

बन बालक भैंस और उखारी, जेठ मास ये चार दुखारी

जेठ अर्थात अति गर्मी का महीना बच्चे, भैंस, जंगल और उखारी अर्थात गन्ना के लिए दुखदायक होता है

बात ये और है

मामला यह बिल्कुल अलग है, मसला ही दूसरा है

वो और ये काम

वह यह काम नहीं कर सकेगा, वह नहीं करेगा

सारी ज़ुलैख़ा सुन ली और ये न मा'लूम हुआ कि ज़ुलैख़ा 'औरत थी कि मर्द

बूओरा क़िस्सा सुनने के बाद जब कोई उसी किसे के मुताल्लिक़ बेतुका सवाल कर बैठे तो इस से कहते हैं

न लड़का पैदा हुआ , न जौ काटे गए , ये मूँडन और 'अक़ीक़े की धूम कैसी

बेबुनियाद बातों पर वावेला मचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

ये बातें मत कीजियो कधे न तू ऐ यार, जिन बातों में रूस जा साईं और संसार

ऐसी बातें नहीं करनी चाहियें जिस में ईश्वर और संसार दोनों अप्रसन्न हों

ये भी सिक्शा नाथ जी कह गए ठीकम-ठीक, खो दें आदर मान को दग़ा लोभ और भीक

धोखा लालच और भीख मनुषेय के सम्मान को खो देते हैं

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

शेर-ए-क़ालीं और है, शेर-ए-नीस्ताँ और है

बहादुरी का अमलन इज़हार और चीज़ है और बहादुरी की बातें करना और चीज़ है

हाए तन्हाई और कुंज-ए-क़फ़स

मजबूरी-ओ-कसमपुर्सी का आलम

औरंग-ए-जहाँबानी

राजसिंहासन, शाही तख्त, संसार का राजसिंहासन

बहर-ए-ख़ुदा और रसूल

ईश्वर और दूत के लिए, बिना किसी निजी स्वार्थ के

गंजी पनहारी और गोखरू का एंडवा

अपनी छमता से बढ़ कर काम करना, बोझ ले जाना मुश्किल हुआ

गंजी कोंजड़ी और गोखरू का एंडवा

कोई अपनी हक़ीक़त और हैसियत से बढ़ कर काम करे तो कहते हैं

मोर-ए-ज़'ईफ़ और सुलैमाँ का सामना

कमज़ोर का ज़बरदस्त से सामना हो तो कहते हैं

समंद-ए-नाज़ पर इक और ताज़ियाना होना

शोख़ी और शरारत के लिए मज़ीद बहाना हाथ आना

समंद-ए-नाज़ पेर इक और ताज़ियाना होना

शोख़ी और शरारत के लिए मज़ीद बहाना हाथ आना

गुल-ए-औरंग

एक प्रकार का गेंदा और उसका फूल

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

सुझाव दीजिए (ये और)

नाम

ई-मेल

प्रतिक्रिया

ये और

चित्र अपलोड कीजिएअधिक जानिए

नाम

ई-मेल

प्रदर्शित नाम

चित्र संलग्न कीजिए

चित्र चुनिए
(format .png, .jpg, .jpeg & max size 4MB and upto 4 images)

सूचनाएँ और जानकारी प्राप्त करने के लिए सदस्यता लें

सदस्य बनिए
बोलिए

Delete 44 saved words?

क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा

Want to show word meaning

Do you really want to Show these meaning? This process cannot be undone