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रोए

weep, cry

रोए देना

रो कर दुख, पीड़ा या ख़ूशी प्रकट करना

रोए से दान नहीं मिलता

बगै़र मेहनत के कुछ हासिल नहीं होता, महिज़ तलब करने से कुछ नहीं मिलता

रोए बग़ैर माँ भी दूध नहीं देती

बगै़र मशक्कत कोई मक़सद हासिल नहीं होता

रोए लगना

(दाई गिरी) हमल ठीरने के इबतिदाई ज़माना में हामिला को मतली और क़ै होना

रोए रुलाई न आना

बहुत आजिज़ होना, बहुत पछताना, निहायत पशेमान होना

हमीं को रोए

हम ही को रोय, हमें ही पीटे

महंगा रोए एक बार, सस्ता रोए बार बार

क़ीमती चीज़ में कोई ऐब नहीं होता इस लिए वो देर से ख़राब होती है, सस्ती चीज़ नाक़िस होने के सबब बार बार ख़राब होती रहती है , रुक : सस्ता रोय बार-बार, महंगा रोय एक बार

सस्ता रोए बार बार, महंगा रोए एक बार

इंसान को महंगी चीज़ ख़रीदने पर एक ही वक़्त अफ़सोस होता है मगर सस्ती ख़रीदने पर बार बार अफ़सोस करता है क्योंकि सस्ती चीज़ जलद ख़राब हो जाती है और तकलीफ़ देती है

हँसी में रोए देना

۲۔ नज़रअंदाज कर देना, भूल जाना, मज़ाक़ में टाल देना

मुर्दे को रोए बैठ कर रिज़्क़ को रोए खड़े हो कर

रोज़ी रोज़गार का ग़म मर्दे के ग़म से ज़्यादा होता है

मुर्दे को रोए बेठ के, रिज़्क़ को रोए खड़े हो कर

रोज़ी रोज़गार का ग़म मर्दे के ग़म से ज़्यादा होता है

रूप रोए भाग खाए

सुख-सुविधा एवं भोग-विलास प्राप्त होने का संबंध रूप से नहीं भाग्य से है

हाज़िर मारे , ग़ाफ़िल रोए

मौजूद आदमी को कुछ ना कुछ मिल जाता है ग़ैर हाज़िर को कुछ नहीं मिलता

रोज़ी का मारा दर दर रोए, पूत का मारा बैठ कर रोए

बेकारी का दुख प्रियजन की मृत्यु से अधिक होता है

वहाँ तक हँसिये जो न रोए

हद से ज़्यादा नहीं हंसना चाहिए

अकेला हुस्नो रोए कि क़ब्र खोदे

तन्हा शख़्स जिस पर मुसीबत के वक़्त में कई कई ज़िम्मेदारीयां हूँ वो किस किस काम को सँभाले (इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कि मुसीबत और परेशा नन की हालत में काम कसरत से पेश आएं और सँभालने वाला तन्हा हुआ

पराए धन को चोर रोए

दूसरे के माल का लालच करने या इस से हसद करने के मौक़ा पर बोलते हैं

मन मन गाए , टिस टिस रोए

مکار کی نسبت بولتے ہیں ، دل میں خوش ہے ظاہرا ً ہمدردی کرتا ہے

न रोए रिहाई, न राह-ए-गुरेज़

ना रोय माँदन ना राह रफ़तन

बिन रोए माँ भी दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

न पाए रफ़्तन , न रोए माँदन

रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

बिन रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

अपने बावलों को रोए दूसरे के बावलों को हँसे

अपने पागलों को रोना और दूसरे के पागलों को हँसना, अपनी हानि पर पश्चाताप करना और दूसरे की हानि पर ख़ुश होना

घर न दरवा रोए ढाढ़ी जरा

जिस का कोई घर बार नहीं होता वो बदक़िस्मत है

साँप का काटा सोए, बिच्छू का काटा रोए

सांप के काटे हुए पर बेहोशी तारी होती है और बच्चहूओ के काटे को बहुत तकलीफ़ होती है

बिन रोए माँ भी बच्चे को दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

चोर की अम्माँ घुटनों में सर डाल के रोए

अपनों की बुरी बात ज़ाहिर नहीं की जाती और जी ही जी में कुढ़ना पड़ता है इस की बरी हरकतें किसी से कह भी नहीं सकते

धोबी रोए धुलाई को , मियाँ रोएँ कपड़ों को

नादहिंदों की निसबत कहा करते हैं

चोर की अम्माँ घुटनों में सर दे और रोए

अपनों की बुरी बात ज़ाहिर नहीं की जाती और जी ही जी में कुढ़ना पड़ता है इस की बरी हरकतें किसी से कह भी नहीं सकते

जिस के वास्ते रोए उस आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

शाम के मुर्दे को कहाँ तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

भादों में बरखा होए काल पिछो कर जा कर रोए

भादों की बारिश क़हत को रोकती है

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

उम्र भर के झगड़े की कहाँ तक शिकायत की जाये

जो भादों में बरखा होए, काल पंछोकर जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

जिस के वास्ते रोए उस की आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

जो भादों में बरखा होए, काल बछोहड़ जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

छलनी में दूध दूहें कर्ग को रोएँ

हमाक़त का काम ख़ुद करें और तक़दीर को इल्ज़ाम दें, ख़ुद ही ग़लती करे तो क़िस्मत का क्या क़सूर

घर से खोएँ तो आँखें रोएँ

नुक़्सान उठा कर तजुर्बा होता है, कुछ खो के अक़ल आती है

किस किस दुख को रोएँ

which of my numerous grievances can I air?

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में रोए के अर्थदेखिए

रोए

ro.eروئے

वज़्न : 22

English meaning of ro.e

  • weep, cry

روئے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رونا (رک) سے منسوب (تراکیب میں مستعمل).

Urdu meaning of ro.e

  • Roman
  • Urdu

  • rona (ruk) se mansuub (taraakiib me.n mustaamal)

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weep, cry

रोए देना

रो कर दुख, पीड़ा या ख़ूशी प्रकट करना

रोए से दान नहीं मिलता

बगै़र मेहनत के कुछ हासिल नहीं होता, महिज़ तलब करने से कुछ नहीं मिलता

रोए बग़ैर माँ भी दूध नहीं देती

बगै़र मशक्कत कोई मक़सद हासिल नहीं होता

रोए लगना

(दाई गिरी) हमल ठीरने के इबतिदाई ज़माना में हामिला को मतली और क़ै होना

रोए रुलाई न आना

बहुत आजिज़ होना, बहुत पछताना, निहायत पशेमान होना

हमीं को रोए

हम ही को रोय, हमें ही पीटे

महंगा रोए एक बार, सस्ता रोए बार बार

क़ीमती चीज़ में कोई ऐब नहीं होता इस लिए वो देर से ख़राब होती है, सस्ती चीज़ नाक़िस होने के सबब बार बार ख़राब होती रहती है , रुक : सस्ता रोय बार-बार, महंगा रोय एक बार

सस्ता रोए बार बार, महंगा रोए एक बार

इंसान को महंगी चीज़ ख़रीदने पर एक ही वक़्त अफ़सोस होता है मगर सस्ती ख़रीदने पर बार बार अफ़सोस करता है क्योंकि सस्ती चीज़ जलद ख़राब हो जाती है और तकलीफ़ देती है

हँसी में रोए देना

۲۔ नज़रअंदाज कर देना, भूल जाना, मज़ाक़ में टाल देना

मुर्दे को रोए बैठ कर रिज़्क़ को रोए खड़े हो कर

रोज़ी रोज़गार का ग़म मर्दे के ग़म से ज़्यादा होता है

मुर्दे को रोए बेठ के, रिज़्क़ को रोए खड़े हो कर

रोज़ी रोज़गार का ग़म मर्दे के ग़म से ज़्यादा होता है

रूप रोए भाग खाए

सुख-सुविधा एवं भोग-विलास प्राप्त होने का संबंध रूप से नहीं भाग्य से है

हाज़िर मारे , ग़ाफ़िल रोए

मौजूद आदमी को कुछ ना कुछ मिल जाता है ग़ैर हाज़िर को कुछ नहीं मिलता

रोज़ी का मारा दर दर रोए, पूत का मारा बैठ कर रोए

बेकारी का दुख प्रियजन की मृत्यु से अधिक होता है

वहाँ तक हँसिये जो न रोए

हद से ज़्यादा नहीं हंसना चाहिए

अकेला हुस्नो रोए कि क़ब्र खोदे

तन्हा शख़्स जिस पर मुसीबत के वक़्त में कई कई ज़िम्मेदारीयां हूँ वो किस किस काम को सँभाले (इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कि मुसीबत और परेशा नन की हालत में काम कसरत से पेश आएं और सँभालने वाला तन्हा हुआ

पराए धन को चोर रोए

दूसरे के माल का लालच करने या इस से हसद करने के मौक़ा पर बोलते हैं

मन मन गाए , टिस टिस रोए

مکار کی نسبت بولتے ہیں ، دل میں خوش ہے ظاہرا ً ہمدردی کرتا ہے

न रोए रिहाई, न राह-ए-गुरेज़

ना रोय माँदन ना राह रफ़तन

बिन रोए माँ भी दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

न पाए रफ़्तन , न रोए माँदन

रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

बिन रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

अपने बावलों को रोए दूसरे के बावलों को हँसे

अपने पागलों को रोना और दूसरे के पागलों को हँसना, अपनी हानि पर पश्चाताप करना और दूसरे की हानि पर ख़ुश होना

घर न दरवा रोए ढाढ़ी जरा

जिस का कोई घर बार नहीं होता वो बदक़िस्मत है

साँप का काटा सोए, बिच्छू का काटा रोए

सांप के काटे हुए पर बेहोशी तारी होती है और बच्चहूओ के काटे को बहुत तकलीफ़ होती है

बिन रोए माँ भी बच्चे को दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

चोर की अम्माँ घुटनों में सर डाल के रोए

अपनों की बुरी बात ज़ाहिर नहीं की जाती और जी ही जी में कुढ़ना पड़ता है इस की बरी हरकतें किसी से कह भी नहीं सकते

धोबी रोए धुलाई को , मियाँ रोएँ कपड़ों को

नादहिंदों की निसबत कहा करते हैं

चोर की अम्माँ घुटनों में सर दे और रोए

अपनों की बुरी बात ज़ाहिर नहीं की जाती और जी ही जी में कुढ़ना पड़ता है इस की बरी हरकतें किसी से कह भी नहीं सकते

जिस के वास्ते रोए उस आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

शाम के मुर्दे को कहाँ तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

भादों में बरखा होए काल पिछो कर जा कर रोए

भादों की बारिश क़हत को रोकती है

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

उम्र भर के झगड़े की कहाँ तक शिकायत की जाये

जो भादों में बरखा होए, काल पंछोकर जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

जिस के वास्ते रोए उस की आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

जो भादों में बरखा होए, काल बछोहड़ जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

छलनी में दूध दूहें कर्ग को रोएँ

हमाक़त का काम ख़ुद करें और तक़दीर को इल्ज़ाम दें, ख़ुद ही ग़लती करे तो क़िस्मत का क्या क़सूर

घर से खोएँ तो आँखें रोएँ

नुक़्सान उठा कर तजुर्बा होता है, कुछ खो के अक़ल आती है

किस किस दुख को रोएँ

which of my numerous grievances can I air?

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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