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पड़ न मरे लड़ मरे

अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न पीछा छोड़े

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

न साँप मरे न लाठी टूटे

न काम हो पाए और न कोई हानि हो

होते ही क्यों न मरे

जन्म लेते ही मर जाना अच्छा होता, यह बदनामी तो नहीं होती, नालायक़ कहलाते हैं

काटी कटे न मारी मरे

जब कोई मुश्किल या मुसीबत किसी तौर पर दफ़ा नहीं होती तो बोलते हैं

बर मरे पटवासी न टूटे

शौहर के मरने पर भी श्रृँगार में कमी नहीं आई

बुड्ढे की न मरे जोरू, बाले की न मरे माँ

बुड्ढे की बीवी और बच्चे की माँ मर जाए तो दोनों का सहारा ख़त्म हो जाता है अथवा दोनों पर बड़ी विपदा आ जाती है

बुड्ढे की न मरे जोरू, बारे की न मरे माँ

बुड्ढे की बीवी और बच्चे की माँ मर जाए तो दोनों का सहारा ख़त्म हो जाता है अथवा दोनों पर बड़ी विपदा आ जाती है

ज़ख़्मी दुश्मनों में दम ले तो मरे न ले तो मरे

हर हालत में बर्बादी है, बचने का रासता नहीं

काटी कटे न मारे मरे

जब कोई मुश्किल या मुसीबत किसी तौर पर दफ़ा नहीं होती तो बोलते हैं

साँप मरे न लाठी टूटे

न काम हो पाए और न कोई हानि हो

मरे न जिए बकर बकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे उसे भी कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

मरे न जिए हकर हकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

राँड मरे , न खंडर ढए

रांड और खन्डर की उम्र बहुत तवील होती है

न मारी मरे , ना काटी कटे

जो मुसीबत किसी तरह दूर ना हो उस की निसबत और निहायत मज़बूत शैय के हक़ में बोलते हैं

साँप भी मरे लाठी भी न टूटे

काम हो जाए और इल्ज़ाम भी न आए या हानि भी न हो

झूटा मरे न शहर पाक हो

झूठे की निंदा में कहते हैं

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

साँप भी मरे और लाठी न टूटे

काम हो जाए और इल्ज़ाम भी न आए या हानि भी न हो

न मारे मरे न काटे कटे

जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं

न काटे कटे न मारे मरे

जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

धम धम हेच न ग़म, मरे सो हम

सब से ज़्यादा मुसीबत हम पर है (नजम उल-मिसाल)

माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर

ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है

साचे गुरू का बालिका मरे न मारा जाए

जिस का हादी रहनुमा सच्चा हो उस को गज़ंद नहीं पहुंचती

जीते पिता की पूछी न बात मरे पिता को दूध और भात

ज़िंदगी में तो बाप की ख़बर ना ली मरने पर सराध कराते रहे

न काटे कटे, न मारे मरे

बेकार, जो किसी काम का न हो उसके संबंध में कहते हैं

न मारे मरे, न काटे कटे

बेकार, जो किसी काम का न हो उसके संबंध में कहते हैं

मारे मरे न काटे कटे

मुश्किल काम जो ख़त्म होने ही को ना आए, ऐसा शख़्स जिस से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो

काटे कटे न मारे मरे

۔نہایت سخت جان ہے ؎

काटे कटे, न मारे मरे

बेकार, जो किसी काम का न हो उसके संबंध में कहते हैं

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

आन से मारूँ , तान से मारूँ , फिर न मरे तो रान से मारूँ

बाज़ारी औरतें किसी ना किसी प्रकार मर्दों को जाल में फंसा कर के लूट ही लेती हैं, किसी ना किसी ढब से अपना काम निकालने और स्वार्थ पूरा करने के अवसर पर प्रयुक्त

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

ताल सूख पटपर भयो हंसा कहीं न जाय मरे पुरानी पीत को चुन-चुन कंकर खाय

मातृभूमि बहुत प्रिय होती है, चाहे आदमी को खाने को न मिले उसे छोड़कर जाना नहीं चाहता

आन से मारे तान से मारे, उस पर भी न मरे तो रान से मारे

महिलाएँ संकेतों या बातों से फँसा लेती हैं, अगर उस पर भी वश न चले तो अनुचित संबंध उत्पन्न करके फँसा लेती हैं

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

पड़ न मोए लड़ मोए

तंग आमद बजंग आमद

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पड़ न मरे लड़ मरे के अर्थदेखिए

पड़ न मरे लड़ मरे

pa.D na mare la.D mareپَڑ نَہ مَرے لَڑ مَرے

कहावत

पड़ न मरे लड़ मरे के हिंदी अर्थ

  • अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

پَڑ نَہ مَرے لَڑ مَرے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جاہل جھگڑالو کی نسبت کہتے ہیں ، بے شغلی سے بیکاری بہتر ہے.

Urdu meaning of pa.D na mare la.D mare

  • Roman
  • Urdu

  • jaahil jhaga.Daaluu kii nisbat kahte hai.n, be shaGlii se bekaarii behtar hai

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पड़ न मरे लड़ मरे

अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न पीछा छोड़े

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

न साँप मरे न लाठी टूटे

न काम हो पाए और न कोई हानि हो

होते ही क्यों न मरे

जन्म लेते ही मर जाना अच्छा होता, यह बदनामी तो नहीं होती, नालायक़ कहलाते हैं

काटी कटे न मारी मरे

जब कोई मुश्किल या मुसीबत किसी तौर पर दफ़ा नहीं होती तो बोलते हैं

बर मरे पटवासी न टूटे

शौहर के मरने पर भी श्रृँगार में कमी नहीं आई

बुड्ढे की न मरे जोरू, बाले की न मरे माँ

बुड्ढे की बीवी और बच्चे की माँ मर जाए तो दोनों का सहारा ख़त्म हो जाता है अथवा दोनों पर बड़ी विपदा आ जाती है

बुड्ढे की न मरे जोरू, बारे की न मरे माँ

बुड्ढे की बीवी और बच्चे की माँ मर जाए तो दोनों का सहारा ख़त्म हो जाता है अथवा दोनों पर बड़ी विपदा आ जाती है

ज़ख़्मी दुश्मनों में दम ले तो मरे न ले तो मरे

हर हालत में बर्बादी है, बचने का रासता नहीं

काटी कटे न मारे मरे

जब कोई मुश्किल या मुसीबत किसी तौर पर दफ़ा नहीं होती तो बोलते हैं

साँप मरे न लाठी टूटे

न काम हो पाए और न कोई हानि हो

मरे न जिए बकर बकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे उसे भी कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

मरे न जिए हकर हकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

राँड मरे , न खंडर ढए

रांड और खन्डर की उम्र बहुत तवील होती है

न मारी मरे , ना काटी कटे

जो मुसीबत किसी तरह दूर ना हो उस की निसबत और निहायत मज़बूत शैय के हक़ में बोलते हैं

साँप भी मरे लाठी भी न टूटे

काम हो जाए और इल्ज़ाम भी न आए या हानि भी न हो

झूटा मरे न शहर पाक हो

झूठे की निंदा में कहते हैं

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

साँप भी मरे और लाठी न टूटे

काम हो जाए और इल्ज़ाम भी न आए या हानि भी न हो

न मारे मरे न काटे कटे

जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं

न काटे कटे न मारे मरे

जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

धम धम हेच न ग़म, मरे सो हम

सब से ज़्यादा मुसीबत हम पर है (नजम उल-मिसाल)

माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर

ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है

साचे गुरू का बालिका मरे न मारा जाए

जिस का हादी रहनुमा सच्चा हो उस को गज़ंद नहीं पहुंचती

जीते पिता की पूछी न बात मरे पिता को दूध और भात

ज़िंदगी में तो बाप की ख़बर ना ली मरने पर सराध कराते रहे

न काटे कटे, न मारे मरे

बेकार, जो किसी काम का न हो उसके संबंध में कहते हैं

न मारे मरे, न काटे कटे

बेकार, जो किसी काम का न हो उसके संबंध में कहते हैं

मारे मरे न काटे कटे

मुश्किल काम जो ख़त्म होने ही को ना आए, ऐसा शख़्स जिस से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो

काटे कटे न मारे मरे

۔نہایت سخت جان ہے ؎

काटे कटे, न मारे मरे

बेकार, जो किसी काम का न हो उसके संबंध में कहते हैं

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

आन से मारूँ , तान से मारूँ , फिर न मरे तो रान से मारूँ

बाज़ारी औरतें किसी ना किसी प्रकार मर्दों को जाल में फंसा कर के लूट ही लेती हैं, किसी ना किसी ढब से अपना काम निकालने और स्वार्थ पूरा करने के अवसर पर प्रयुक्त

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

ताल सूख पटपर भयो हंसा कहीं न जाय मरे पुरानी पीत को चुन-चुन कंकर खाय

मातृभूमि बहुत प्रिय होती है, चाहे आदमी को खाने को न मिले उसे छोड़कर जाना नहीं चाहता

आन से मारे तान से मारे, उस पर भी न मरे तो रान से मारे

महिलाएँ संकेतों या बातों से फँसा लेती हैं, अगर उस पर भी वश न चले तो अनुचित संबंध उत्पन्न करके फँसा लेती हैं

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

पड़ न मोए लड़ मोए

तंग आमद बजंग आमद

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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