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क्या से क्या

इंकिलाब के लिए बोलते हैं, कुछ से कुछ, काया पलट

क्या से क्या होना

कुछ का कुछ हो जाना, इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो जाना, बिलकुल बदल जाना

क्या से क्या हो जाना

कुछ का कुछ हो जाना, इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो जाना, बिलकुल बदल जाना

क्या से क्या करना

क्रांति लाना, बदल कर रख देना

इन आँखों से क्या क्या नहीं देखा

सब कुछ देख लिया है , बड़ी बड़ी मुसीबतें झेली हैं

जूती से क्या ग़रज़

my shoes may care, even my shoes don't care (to show scorn and contempt)

झूटे की क्या दोस्ती , लंगड़े का क्या साथ , बहरे से क्या बोलना , गूँगे की क्या बात

ये सब बातें फ़ुज़ूल हैं

दुनिया से क्या लेना

दुनिया से कोई ग़रज़ नहीं है, उकता गए हैं, कोई मतलब नहीं रहा

दुनिया से क्या काम

दुनिया से कोई ग़रज़ या वास्ता नहीं

छूटे गाँव से नाता क्या

जिस से ताल्लुक़ ना रहा फिर उस की अच्छाई बुराई से किया ग़रज़

राँड से परे कोसना क्या

स्त्री को राँड कहने से बढ़ कर कोई गाली नहीं, राँड कहना स्त्री के लिए सबसे बड़ा श्राप है

कुत्ते को मस्जिद से क्या काम

बुरे आदमी को नेक काम से कोई ताल्लुक़ नहीं होता

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

۔کس قدر خوش بیان ہے۔ ۲۔جب کوئی شخص بد کلامی کرتا ہے اُس سے بھی طنزاً کہتے ہیں۔

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं; (व्यंग्यात्मक) बुरी बातें करते हैं

तक़दीर से क्या ज़ोर है

क़िस्मत के आगे किसी की नहीं चलती, मजबूरी है

क्या हम तुम से बाहर हैं

हम तुम्हारे अधीन हैं, हम तुम्हारे साथ हैं

हकीम को क़ारूरे से क्या लाज

अपने बेटे से श्रम नहीं करनी चाहिए

पाँव की च्यूँटी क्या ऊँचे से गिरेगी

साहिब मंसब तो बेतौक़ीर हो सकता है जो ख़ुद ज़लील हो वो क्या ज़लील होगा

बुरे तुझ से क्या डरिए, तेरी बुराई से डरिए

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

यार की यारी से काम, यार की बातों से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

पाँव की च्यूँटी क्या ऊँचे से गिरेगी

۔ (عو) مثل۔ بے حقیقت کو کیا عروج حاصل ہوا۔ (فقرہ) یہ بھی دنیا کی بات ہے جس کو خدا عروج دیتا ہے اسی کو گراتا ہے موئی پاؤں کی چیونٹی کیا اونچے سے گرے گی۔

यार के फ़े'लों से क्या है, यार की यारी से काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

आप मेरी जान से क्या चाहते हैं

इस मौक़े पर प्रयोग होने वाला जब कोई बकबक करके परेशान करे और किसी तरह पीछा न छोड़ता हो

आँख फूटेगी तो क्या भौं से देखेंगे

ये वहाँ बोलते हैं जहाँ ये कहना होता है कि जो वस्तु जिस काम के लिए बनाई गयी है वह काम उसी से निकलता है

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

गाय जब दूब से दोस्ती करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला नुक़्सान उठाता है

जिस की बीवी से काम उसकी लाैंडी से क्या काम

यदि काम हो तो अधिकोरियों के पास जाना चाहिए सहायकों के पास नहीं

पीर की पीरी से काम पीर के फ़े'लों से क्या काम

۔मक़ूला। (ओ)बुज़ुर्ग की बुजु़र्गी से मतलब है इस के अफ़आल की तहक़ीक़ात फ़ुज़ूल है

अव्वल मरना आख़िर मरना फिर मरने से क्या है डरना

हर हालत में जब मरना ही है, तब मृत्यु का भय क्या

यार की यारी से मतलब उस की 'अय्यारी से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

यार की यारी से काम उस के फे़'लों से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

यार की यारी से काम यार के फ़े'लों से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

ओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

तू गधी कुम्हार की तुझे राम से क्या काम

अपनी हैसियत को देखो, अपने जामे में रहो, जैसी हैसियत है ऐसे ही बात करो

दिल लगा मेंढकी से तो पद्मिनी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई कमी नज़र नहीं आती

ओखल में सर दिया तो धमकों से क्या ख़तरा

जब ख़ुद को ख़तरे में डाल दिया फिर नताइज की क्या फ़िक्र, जब दानिस्ता ख़तरा मूल लिया तो पेश आने वाले मसाइब की क्या पर्वा ('दिया' और 'डर' की जगह इस मफ़हूम के दीगर अलफ़ाज़ भी मुस्तामल हैं)

तेली की जोरू हो कर क्या पानी से नहाए

ऐसे अमीर के रफ़ीक़ हो कर भी हाथ ह रंगीं तो कब रंगींगे

फूटे न टूटे झोझरे करने से क्या फ़ाइदा

ज़्यादा नुक़्सान की शिकायत के वक़्त बोलते हैं

दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

ओखल सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब ख़ुद को ख़तरे में डाल दिया फिर नताइज की क्या फ़िक्र, जब दानिस्ता ख़तरा मूल लिया तो पेश आने वाले मसाइब की क्या पर्वा ('दिया' और 'डर' की जगह इस मफ़हूम के दीगर अलफ़ाज़ भी मुस्तामल हैं)

घोड़ा घास से दोस्ती करे तो खाएगा क्या

a worker who does not demand his wages may starve

क्या पानी मथने से भी घी पैदा होता है

बेकार के काम से कोई लाभ नहीं होता, अकारण ख़ुशफ़हमी में पड़े रहना उचित नहीं है

घोड़ा घास से यारी करे तो खाएगा क्या

a worker who does not demand his wages may starve

जिस गाँव जाना नहीं उस के कोसों से क्या मतलब

रुक : जिस पाट नहीं चलना अलख

जब अओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या

रुक : घोड़ा घास से यारी या आश्नाई करे तो भूका मरे

हम को यार की यारी से काम , यार की बातों से क्या काम

अपने काम से काम रखना, अपना फ़ायदा हासिल करना, दूसरे की नुक़्सान की पर्वा ना करना, अपना उल्लू सीधा करना

क़ाज़ी जी के मरने से क्या शहर सूना हो जाएगा

एक के न होने से कुछ हानि नहीं

तू तेली का बैल तुझे क्या सेर, लगा रह घानी से

जो व्यक्ति हर समय काम में लगा रहे उसे व्यंग के रूप में कहते हैं

अभी क्या है ख़ुदा आप को बहुत से दिन सलामत रखे

बड़े चरित्रहीन हो

भूके से कहा दो और दो क्या, कहा चार रोटियाँ

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

ख़सम क्या सुख सहने को या पटी से लग कर रोने को

हरकाम फ़ायदा की उम््ीद पर किया जाता है अगर फ़ायदा ना हो अबस है

घोड़ा घास से आश्नाई करेगा तो खाएगा क्या

मुआमले की जगह मुरव्वत बरतने से नफ़ा नहीं होता, कोई शख़्स अगर अपने काम के नफ़ा की कुछ पर्वा ना करे तो गुज़ारा नामुमकिन है , मज़दूर मज़दूर ना ले तो भूका मर जाये , अपना मतलब कोई नहीं छोड़ता

घर में जोरू का नाम बहू बेगम रख लेने से क्या होता है

अपना सम्मान अपने मुँह से नहीं हुआ करता

इस से क्या हासिल कि शाह जहाँ की दाढ़ी बड़ी थी या 'आलम-गीर की

अत्यधिक वाद विवाद व्यर्थ होता है, अनावश्यक चर्चा से क्या लाभ

ख़सम क्या सुख सहने को या पेट से लग कर रोने को

हरकाम फ़ायदा की उम््ीद पर किया जाता है अगर फ़ायदा ना हो अबस है

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

मरने से क्या डरना

मौत से किसी तरह छुटकारा नहीं हो सकता इस लिए इससे डरना नहीं चाहिए

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या से क्या के अर्थदेखिए

क्या से क्या

kyaa se kyaaکیا سے کیا

मूल शब्द: क्या

क्या से क्या के हिंदी अर्थ

  • इंकिलाब के लिए बोलते हैं, कुछ से कुछ, काया पलट
  • क्या क्या, कैसे कैसे

शे'र

کیا سے کیا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • انقلاب کے لیے بولتے ہیں، کچھ سے کچھ، کایا پلٹ
  • کیا کیا، کیسے کیسے

Urdu meaning of kyaa se kyaa

  • Roman
  • Urdu

  • inqilaab ke li.e bolte hain, kuchh se kuchh, kaayaa palaT
  • kyaa kyaa, kaise kaise

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क्या से क्या

इंकिलाब के लिए बोलते हैं, कुछ से कुछ, काया पलट

क्या से क्या होना

कुछ का कुछ हो जाना, इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो जाना, बिलकुल बदल जाना

क्या से क्या हो जाना

कुछ का कुछ हो जाना, इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो जाना, बिलकुल बदल जाना

क्या से क्या करना

क्रांति लाना, बदल कर रख देना

इन आँखों से क्या क्या नहीं देखा

सब कुछ देख लिया है , बड़ी बड़ी मुसीबतें झेली हैं

जूती से क्या ग़रज़

my shoes may care, even my shoes don't care (to show scorn and contempt)

झूटे की क्या दोस्ती , लंगड़े का क्या साथ , बहरे से क्या बोलना , गूँगे की क्या बात

ये सब बातें फ़ुज़ूल हैं

दुनिया से क्या लेना

दुनिया से कोई ग़रज़ नहीं है, उकता गए हैं, कोई मतलब नहीं रहा

दुनिया से क्या काम

दुनिया से कोई ग़रज़ या वास्ता नहीं

छूटे गाँव से नाता क्या

जिस से ताल्लुक़ ना रहा फिर उस की अच्छाई बुराई से किया ग़रज़

राँड से परे कोसना क्या

स्त्री को राँड कहने से बढ़ कर कोई गाली नहीं, राँड कहना स्त्री के लिए सबसे बड़ा श्राप है

कुत्ते को मस्जिद से क्या काम

बुरे आदमी को नेक काम से कोई ताल्लुक़ नहीं होता

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

۔کس قدر خوش بیان ہے۔ ۲۔جب کوئی شخص بد کلامی کرتا ہے اُس سے بھی طنزاً کہتے ہیں۔

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं; (व्यंग्यात्मक) बुरी बातें करते हैं

तक़दीर से क्या ज़ोर है

क़िस्मत के आगे किसी की नहीं चलती, मजबूरी है

क्या हम तुम से बाहर हैं

हम तुम्हारे अधीन हैं, हम तुम्हारे साथ हैं

हकीम को क़ारूरे से क्या लाज

अपने बेटे से श्रम नहीं करनी चाहिए

पाँव की च्यूँटी क्या ऊँचे से गिरेगी

साहिब मंसब तो बेतौक़ीर हो सकता है जो ख़ुद ज़लील हो वो क्या ज़लील होगा

बुरे तुझ से क्या डरिए, तेरी बुराई से डरिए

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

यार की यारी से काम, यार की बातों से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

पाँव की च्यूँटी क्या ऊँचे से गिरेगी

۔ (عو) مثل۔ بے حقیقت کو کیا عروج حاصل ہوا۔ (فقرہ) یہ بھی دنیا کی بات ہے جس کو خدا عروج دیتا ہے اسی کو گراتا ہے موئی پاؤں کی چیونٹی کیا اونچے سے گرے گی۔

यार के फ़े'लों से क्या है, यार की यारी से काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

आप मेरी जान से क्या चाहते हैं

इस मौक़े पर प्रयोग होने वाला जब कोई बकबक करके परेशान करे और किसी तरह पीछा न छोड़ता हो

आँख फूटेगी तो क्या भौं से देखेंगे

ये वहाँ बोलते हैं जहाँ ये कहना होता है कि जो वस्तु जिस काम के लिए बनाई गयी है वह काम उसी से निकलता है

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

गाय जब दूब से दोस्ती करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला नुक़्सान उठाता है

जिस की बीवी से काम उसकी लाैंडी से क्या काम

यदि काम हो तो अधिकोरियों के पास जाना चाहिए सहायकों के पास नहीं

पीर की पीरी से काम पीर के फ़े'लों से क्या काम

۔मक़ूला। (ओ)बुज़ुर्ग की बुजु़र्गी से मतलब है इस के अफ़आल की तहक़ीक़ात फ़ुज़ूल है

अव्वल मरना आख़िर मरना फिर मरने से क्या है डरना

हर हालत में जब मरना ही है, तब मृत्यु का भय क्या

यार की यारी से मतलब उस की 'अय्यारी से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

यार की यारी से काम उस के फे़'लों से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

यार की यारी से काम यार के फ़े'लों से क्या काम

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

ओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

तू गधी कुम्हार की तुझे राम से क्या काम

अपनी हैसियत को देखो, अपने जामे में रहो, जैसी हैसियत है ऐसे ही बात करो

दिल लगा मेंढकी से तो पद्मिनी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई कमी नज़र नहीं आती

ओखल में सर दिया तो धमकों से क्या ख़तरा

जब ख़ुद को ख़तरे में डाल दिया फिर नताइज की क्या फ़िक्र, जब दानिस्ता ख़तरा मूल लिया तो पेश आने वाले मसाइब की क्या पर्वा ('दिया' और 'डर' की जगह इस मफ़हूम के दीगर अलफ़ाज़ भी मुस्तामल हैं)

तेली की जोरू हो कर क्या पानी से नहाए

ऐसे अमीर के रफ़ीक़ हो कर भी हाथ ह रंगीं तो कब रंगींगे

फूटे न टूटे झोझरे करने से क्या फ़ाइदा

ज़्यादा नुक़्सान की शिकायत के वक़्त बोलते हैं

दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

ओखल सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब ख़ुद को ख़तरे में डाल दिया फिर नताइज की क्या फ़िक्र, जब दानिस्ता ख़तरा मूल लिया तो पेश आने वाले मसाइब की क्या पर्वा ('दिया' और 'डर' की जगह इस मफ़हूम के दीगर अलफ़ाज़ भी मुस्तामल हैं)

घोड़ा घास से दोस्ती करे तो खाएगा क्या

a worker who does not demand his wages may starve

क्या पानी मथने से भी घी पैदा होता है

बेकार के काम से कोई लाभ नहीं होता, अकारण ख़ुशफ़हमी में पड़े रहना उचित नहीं है

घोड़ा घास से यारी करे तो खाएगा क्या

a worker who does not demand his wages may starve

जिस गाँव जाना नहीं उस के कोसों से क्या मतलब

रुक : जिस पाट नहीं चलना अलख

जब अओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या

रुक : घोड़ा घास से यारी या आश्नाई करे तो भूका मरे

हम को यार की यारी से काम , यार की बातों से क्या काम

अपने काम से काम रखना, अपना फ़ायदा हासिल करना, दूसरे की नुक़्सान की पर्वा ना करना, अपना उल्लू सीधा करना

क़ाज़ी जी के मरने से क्या शहर सूना हो जाएगा

एक के न होने से कुछ हानि नहीं

तू तेली का बैल तुझे क्या सेर, लगा रह घानी से

जो व्यक्ति हर समय काम में लगा रहे उसे व्यंग के रूप में कहते हैं

अभी क्या है ख़ुदा आप को बहुत से दिन सलामत रखे

बड़े चरित्रहीन हो

भूके से कहा दो और दो क्या, कहा चार रोटियाँ

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

ख़सम क्या सुख सहने को या पटी से लग कर रोने को

हरकाम फ़ायदा की उम््ीद पर किया जाता है अगर फ़ायदा ना हो अबस है

घोड़ा घास से आश्नाई करेगा तो खाएगा क्या

मुआमले की जगह मुरव्वत बरतने से नफ़ा नहीं होता, कोई शख़्स अगर अपने काम के नफ़ा की कुछ पर्वा ना करे तो गुज़ारा नामुमकिन है , मज़दूर मज़दूर ना ले तो भूका मर जाये , अपना मतलब कोई नहीं छोड़ता

घर में जोरू का नाम बहू बेगम रख लेने से क्या होता है

अपना सम्मान अपने मुँह से नहीं हुआ करता

इस से क्या हासिल कि शाह जहाँ की दाढ़ी बड़ी थी या 'आलम-गीर की

अत्यधिक वाद विवाद व्यर्थ होता है, अनावश्यक चर्चा से क्या लाभ

ख़सम क्या सुख सहने को या पेट से लग कर रोने को

हरकाम फ़ायदा की उम््ीद पर किया जाता है अगर फ़ायदा ना हो अबस है

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

मरने से क्या डरना

मौत से किसी तरह छुटकारा नहीं हो सकता इस लिए इससे डरना नहीं चाहिए

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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