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किसी का क्या

किसी का दोष नहीं, किसी का हस्तक्षेप नहीं, किसी से कोई संबंध नहीं, किसी की ख़ता नहीं, किसी का दख़्ल नहीं, किसी से क्या ताल्लुक़ किसी से क्या वास्ता

किसी का क्या है

किसी का क्या इजारा है

किसी का क्या जाता है

किसी का क्या नुक़्सान होता, किसी की कुछ हानि नहीं होती, किसी का कुछ नहीं बिगड़ता, किसी की कोई क्षति नहीं होती

किसी को क्या

किसी का क्या नुक़्सान है, किसी का क्या ताल्लुक़ है

वो क्या किसी का ख़ुदा है

हम उससे नहीं डरते, हम उसकी परवाह नहीं करते, उससे कोई नहीं डरता

वो क्या किसी का ख़ुदा है

वह साधारण व्यक्ति है, हम उसकी परवाह नहीं करते, कोई उनसे नही डरता

क्या किसी का घर लेगा

क्या कंगाल करके छोड़ेगा, क्या सब कुछ ले लेगा

किसी को क्या पड़ी है

किसी को क्या ग़रज़ या पर्वा है

रानी रूठेगी अपना सुहाग लेगी, क्या किसी का भाग लेगी

जब ये कहना हो कि हमें किसी के रूठने या अप्रसन्न होने की कोई परवाह नहीं तो ऐसे अवसर पर कहते हैं

राजा रूठेगा अपना सुहाग लेगा , क्या कसी का भाग लेगा

राजा ख़फ़ा हो तो जो कुछ इस ने देव है वो वापिस ले लेगा, किस्मत पर तो इस का इख़तियार नहीं

कोई सा

कई में से एक, कोई

कोई सी

कोई, किसी प्रकार की

किसी चीज़ के लिए कोई चीज़ छोड़ना

Abandon something in favour of something

किसी का लड़का कोई मन्नत माने

किसी के घर बच्चा हो कोई ख़ुशी करे, किसी का काम बने कोई ख़ुश हो

कोई किसी की आग में नहीं पड़ता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

जो कोई कलपाय है वो कैसे कल पाय है

जो लोगों को सताता है उसे कभी शांति नहीं मिलती

किसी का धन कोई खाए, पापी का माल अकारत जाए

कमाए कोई उड़ाए कोई, बख़ील कमाता और जोड़ता है खाते दूसरे हैं

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई किसी का नहीं होता

किसी के दुख में कोई साझेदार नहीं होता

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी का दर्द बांट नहीं लेता

अपना दुख और अपनी पीड़ा खुद ही झेलनी पड़ती है, अपना दुख और दर्द अपने ही उठाने से उठता है

घर जले किसी का तापे कोई

किसी की हानि से कोई लाभ उठाए, दूसरों के दुर्भाग्य में आनंद उठाए, किसी की हानि हो और कोई ख़ुशी मनाए

घर जले किसी का तापे कोई

किसी की हानि से कोई लाभ उठाए, दूसरों के दुर्भाग्य में आनंद उठाए, किसी की हानि हो और कोई ख़ुशी मनाए

किसी का घर जले कोई तापे

किसी की हानि से कोई लाभ उठाए, दूसरों के दुर्भाग्य में आनंद उठाए, किसी की हानि हो और कोई ख़ुशी मनाए

कोई तापे किसी का घर जले

एक को तकलीफ़ हो दूसरा ख़ुशी मनाए, किसी का नुक़्सान किसी और के लुतफ़ या ख़ुशी का सब हो, (रुक : कोई मरे कोई मलारें गावी

हाथ लिया काँसा तो पेट का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार कर ली तो पेट पालने की क्या फ़िक्र

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

हाथ में लिया काँसा तो पेट का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता

हाथ लिया काँसा तो भीक का क्या साँसा

۔मिसल।(ओ)जब गदाईआख़तयार करली तो फिर मांगने में क्या श्रम

कोई किसी की आग में नहीं जलता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

हाथ लिया काँसा तो रोटियों का क्या सासाँ

جب گدائی اختیار کی تو مانگنے کی کیا شرم

तेरी क़ुदरत के आगे कोई ज़ोर कसी का चले नाहीं, चींटी पर हाथी चढ़ बैठे तब वो चींटी मरे नाहीं

ईश्वर की लीला की प्रशंसा है

हाथ में लिया काँसा तो भीक का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ में लिया काँसा तो भीक का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ लिया काँसा तो भीक का क्या आसा

जब गदाई इख़तियार करली तो फिर मांगने में क्या श्रम

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

समा करे निर क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

जब हाथ में लिया कासा तो रोटियों का क्या साँसा

जब निर्लज्जता अपनाई तो रोटी की क्या कमी

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किसी का लड़का कोई मन्नत माने के अर्थदेखिए

किसी का लड़का कोई मन्नत माने

kisii kaa la.Dkaa ko.ii mannat maaneکِسی کا لَڑکا کوئی مَنَّت مانے

कहावत

किसी का लड़का कोई मन्नत माने के हिंदी अर्थ

  • किसी के घर बच्चा हो कोई ख़ुशी करे, किसी का काम बने कोई ख़ुश हो

کِسی کا لَڑکا کوئی مَنَّت مانے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کسی کے گھر اولاد ہو کوئی خوشی کرے ، کسی کا کام بنے کوئی خوش ہو

Urdu meaning of kisii kaa la.Dkaa ko.ii mannat maane

  • Roman
  • Urdu

  • kisii ke ghar aulaad ho ko.ii Khushii kare, kisii ka kaam bane ko.ii Khush ho

खोजे गए शब्द से संबंधित

किसी का क्या

किसी का दोष नहीं, किसी का हस्तक्षेप नहीं, किसी से कोई संबंध नहीं, किसी की ख़ता नहीं, किसी का दख़्ल नहीं, किसी से क्या ताल्लुक़ किसी से क्या वास्ता

किसी का क्या है

किसी का क्या इजारा है

किसी का क्या जाता है

किसी का क्या नुक़्सान होता, किसी की कुछ हानि नहीं होती, किसी का कुछ नहीं बिगड़ता, किसी की कोई क्षति नहीं होती

किसी को क्या

किसी का क्या नुक़्सान है, किसी का क्या ताल्लुक़ है

वो क्या किसी का ख़ुदा है

हम उससे नहीं डरते, हम उसकी परवाह नहीं करते, उससे कोई नहीं डरता

वो क्या किसी का ख़ुदा है

वह साधारण व्यक्ति है, हम उसकी परवाह नहीं करते, कोई उनसे नही डरता

क्या किसी का घर लेगा

क्या कंगाल करके छोड़ेगा, क्या सब कुछ ले लेगा

किसी को क्या पड़ी है

किसी को क्या ग़रज़ या पर्वा है

रानी रूठेगी अपना सुहाग लेगी, क्या किसी का भाग लेगी

जब ये कहना हो कि हमें किसी के रूठने या अप्रसन्न होने की कोई परवाह नहीं तो ऐसे अवसर पर कहते हैं

राजा रूठेगा अपना सुहाग लेगा , क्या कसी का भाग लेगा

राजा ख़फ़ा हो तो जो कुछ इस ने देव है वो वापिस ले लेगा, किस्मत पर तो इस का इख़तियार नहीं

कोई सा

कई में से एक, कोई

कोई सी

कोई, किसी प्रकार की

किसी चीज़ के लिए कोई चीज़ छोड़ना

Abandon something in favour of something

किसी का लड़का कोई मन्नत माने

किसी के घर बच्चा हो कोई ख़ुशी करे, किसी का काम बने कोई ख़ुश हो

कोई किसी की आग में नहीं पड़ता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

जो कोई कलपाय है वो कैसे कल पाय है

जो लोगों को सताता है उसे कभी शांति नहीं मिलती

किसी का धन कोई खाए, पापी का माल अकारत जाए

कमाए कोई उड़ाए कोई, बख़ील कमाता और जोड़ता है खाते दूसरे हैं

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई किसी का नहीं होता

किसी के दुख में कोई साझेदार नहीं होता

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी का दर्द बांट नहीं लेता

अपना दुख और अपनी पीड़ा खुद ही झेलनी पड़ती है, अपना दुख और दर्द अपने ही उठाने से उठता है

घर जले किसी का तापे कोई

किसी की हानि से कोई लाभ उठाए, दूसरों के दुर्भाग्य में आनंद उठाए, किसी की हानि हो और कोई ख़ुशी मनाए

घर जले किसी का तापे कोई

किसी की हानि से कोई लाभ उठाए, दूसरों के दुर्भाग्य में आनंद उठाए, किसी की हानि हो और कोई ख़ुशी मनाए

किसी का घर जले कोई तापे

किसी की हानि से कोई लाभ उठाए, दूसरों के दुर्भाग्य में आनंद उठाए, किसी की हानि हो और कोई ख़ुशी मनाए

कोई तापे किसी का घर जले

एक को तकलीफ़ हो दूसरा ख़ुशी मनाए, किसी का नुक़्सान किसी और के लुतफ़ या ख़ुशी का सब हो, (रुक : कोई मरे कोई मलारें गावी

हाथ लिया काँसा तो पेट का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार कर ली तो पेट पालने की क्या फ़िक्र

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

हाथ में लिया काँसा तो पेट का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता

हाथ लिया काँसा तो भीक का क्या साँसा

۔मिसल।(ओ)जब गदाईआख़तयार करली तो फिर मांगने में क्या श्रम

कोई किसी की आग में नहीं जलता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

हाथ लिया काँसा तो रोटियों का क्या सासाँ

جب گدائی اختیار کی تو مانگنے کی کیا شرم

तेरी क़ुदरत के आगे कोई ज़ोर कसी का चले नाहीं, चींटी पर हाथी चढ़ बैठे तब वो चींटी मरे नाहीं

ईश्वर की लीला की प्रशंसा है

हाथ में लिया काँसा तो भीक का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ में लिया काँसा तो भीक का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ लिया काँसा तो भीक का क्या आसा

जब गदाई इख़तियार करली तो फिर मांगने में क्या श्रम

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

समा करे निर क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

जब हाथ में लिया कासा तो रोटियों का क्या साँसा

जब निर्लज्जता अपनाई तो रोटी की क्या कमी

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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