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कस-ओ-कू

मित्र और स्वजन, अच्छा और बुरा आदमी

किस को

۔کس شخص کو۔

किस का

किस व्यक्ति का? कहाँ का

किस की

किसी का नहीं

काश कि

would that! how i wish!

कस के

जाँच और परिक्षा के पश्चात, परखने के पश्चात

कोसों का

بہت وسیع وعریض ، بہت لمبی مسابقت کا ، بہت دور کا.

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

किस का सर लाएँ

۔کس سے مدد چاہیں۔ ؎

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ को आफ़त आयी है जो अपनी संतान को खोना चाहेगी? किसकी दुर्भाग्यशाली माँ अपने बच्चों की तबाही चाहेगी, इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने लिए ख़ुद मुसीबत नहीं बनाता, अपना नुक़सान या अपनी बर्बादी नहीं चाहता

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

किस की बला

۔کنایہ ہے نفی سے کسی کام میں۔ ؎

किस के मान का है

किसी की नहीं मानता यानी किस के क़ाबू और इख़्तियार का नहीं

किस की मानता है

हठी है, अर्थात किसी की नहीं मानता

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका

मुराद: हर शख़्स को ख़ुशफ़हमी होती है

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

۔دیکھو فرشتے کا کان میں پھونکنا۔

किस की ख़ातिर

کسی کے لیے ، کسی کے واسطے.

किस की रही और किस की रह जाए

۔دل کی اُمنگ نکالنے کی جگہ بولتے ہیں۔

किस की बकरी और कौन डाले घास

अपनी चीज़ की रखवाली आप ही करनी पड़ती है, दूसरे की चीज़ की देख भाल कोई नहीं करता

किस की सुनता है

۔کس کی بات مانتا ہے۔ کسی کی بات نہیں مانتا۔ ضدّی ہے۔ ؎

किस की बनी रही है

शक्ति और सत्ता हमेशा क़ायम नहीं रहते

किस की रही और किस की रह जाएगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

किस किस दुख को रोएँ

which of my numerous grievances can I air?

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آنے کی جگہ۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

किसी को विश्वास नहीं होगा, कोई भरोसा नहीं करेगा

तस्बीह फेरूँ, किस को घेरूँ

'इबादत-ए-रियाई, ऐसी 'इबादत करना जिस में मकर-ओ-फ़रेब हो

किस किस दुख को झेला है

तरह तरह की तक्लीफ़े उठाई हैं

गाना रोना, किस को नहीं आता

ऐसी बातें सब जानते हैं, दुख और सुख से सब प्रभावित होते हैं

किस बला को पीछे लगा दिया

۔(عو) جب کسی ضِدّی یا شریر سے پالا پڑتا ہے۔ یہ فقرہ زبان پر لاتی ہیں یعنی کیسے عذاب میں پھنس گئے۔

गाना और रोना, किस को नहीं आता

ऐसी बातें सब जानते हैं, दुख और सुख से सब प्रभावित होते हैं

मछली के बच्चे को पैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

मछली के बच्चे को तैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

किस काफ़िर को ए'तिबार होगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آئے گا۔ ؎

किस दिन को उठा रखा है

کب کے لئے ملتوی کیا ہے۔ ابھی کیوں نہیں کرتے یا کہتے۔ ؎ ؎ دیکھو اُٹھا رکھنا۔

बंगाली जो आदमी तो प्रेत कहो किस को

बंगाली यदि मनुष्य है तो भूत कौन है

रोना गाना किस को नहीं आता

थोड़ा बहुत सबगा लेते हैं, उस वक़्त मुस्तामल जब कोई किसी से गाने की फ़र्माइश करे

मिस्सी काजल किस को, मियाँ चले भुस को

जब संरक्षक न हो तो हुनर बेकार है, वो स्वयं कंगाल है दूसरों को क्या देगा

साहिब को किस ने बुलाया है

दोस्त अरसा-ए-दराज़ के बाद मुलाक़ात के वक़्त इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शिकायत के तौर पर मुस्तामल

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

किस बला को पीछे लगा लिया है

(ओ) किसी ज़िद्दी या शरीर आदमी से वास्ता पड़ने पर कहते हैं, किस अज़ाब में फंस गए

सौकन जाया किस को भाया

सौतन की बच्चों से प्यार नहीं होती

किस काम को निकला था

जब ग़फ़लत या भूल या बीख़ोदी के सबब अपने असल मक़सूद को भूल कर आदमी दूसरा काम कर बैठता है तो अफ़सोस के साथ ये कलिमा ज़बान पर लाता है

कमाऊ को किस ने न चाहा

जिससे फ़ायदा हो वह प्रिय होता है

आप को किस ने बुलाया है

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

किस की रही और किस की रहेगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

तोड़ डाल तागा, तू किस भड़वे के मुँह लागा

बुरे स्वभाव अथवा बुरे व्यक्ति से बचने का सदुपदेश कि अलग होने में देरी न कर

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

आएगा तो अपने पाँव से जाएगा किस के पाँव से

(दुश्मन वग़ैरा) चला तो आएगा मगर मेरे या हमारे होते बच कर कैसे जाएगा

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

चोर और मोठ कस के बाँधने चाहिएँ

چور بھاگ جائے گا اور موٹھ کھل کر بکھر جائینگے

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

किस दर्द की दवा है

किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस मर्ज़ की दवा है

is useless, is good-for-nothing

क़ज़ा का कशाँ-कशाँ लाना

वहाँ जाना जहाँ किसी की मौत तय हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किस की बकरी और कौन डाले घास के अर्थदेखिए

किस की बकरी और कौन डाले घास

kis kii bakrii aur kaun Daale ghaasکِس کی بَکْری اور کون ڈالے گھاس

कहावत

किस की बकरी और कौन डाले घास के हिंदी अर्थ

  • अपनी चीज़ की रखवाली आप ही करनी पड़ती है, दूसरे की चीज़ की देख भाल कोई नहीं करता

کِس کی بَکْری اور کون ڈالے گھاس کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • اپنی چیز کی رکھوالی آپ ہی کرنی پڑتی ہے، دوسرے کی چیز کی دیکھ بھال کوئی نہیں کرتا.

Urdu meaning of kis kii bakrii aur kaun Daale ghaas

  • Roman
  • Urdu

  • apnii chiiz kii rakhvaalii aap hii karnii pa.Dtii hai, duusre kii chiiz kii dekh bhaal ko.ii nahii.n kartaa

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कस-ओ-कू

मित्र और स्वजन, अच्छा और बुरा आदमी

किस को

۔کس شخص کو۔

किस का

किस व्यक्ति का? कहाँ का

किस की

किसी का नहीं

काश कि

would that! how i wish!

कस के

जाँच और परिक्षा के पश्चात, परखने के पश्चात

कोसों का

بہت وسیع وعریض ، بہت لمبی مسابقت کا ، بہت دور کا.

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

किस का सर लाएँ

۔کس سے مدد چاہیں۔ ؎

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ को आफ़त आयी है जो अपनी संतान को खोना चाहेगी? किसकी दुर्भाग्यशाली माँ अपने बच्चों की तबाही चाहेगी, इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने लिए ख़ुद मुसीबत नहीं बनाता, अपना नुक़सान या अपनी बर्बादी नहीं चाहता

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

किस की बला

۔کنایہ ہے نفی سے کسی کام میں۔ ؎

किस के मान का है

किसी की नहीं मानता यानी किस के क़ाबू और इख़्तियार का नहीं

किस की मानता है

हठी है, अर्थात किसी की नहीं मानता

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका

मुराद: हर शख़्स को ख़ुशफ़हमी होती है

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

۔دیکھو فرشتے کا کان میں پھونکنا۔

किस की ख़ातिर

کسی کے لیے ، کسی کے واسطے.

किस की रही और किस की रह जाए

۔دل کی اُمنگ نکالنے کی جگہ بولتے ہیں۔

किस की बकरी और कौन डाले घास

अपनी चीज़ की रखवाली आप ही करनी पड़ती है, दूसरे की चीज़ की देख भाल कोई नहीं करता

किस की सुनता है

۔کس کی بات مانتا ہے۔ کسی کی بات نہیں مانتا۔ ضدّی ہے۔ ؎

किस की बनी रही है

शक्ति और सत्ता हमेशा क़ायम नहीं रहते

किस की रही और किस की रह जाएगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

किस किस दुख को रोएँ

which of my numerous grievances can I air?

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آنے کی جگہ۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

किसी को विश्वास नहीं होगा, कोई भरोसा नहीं करेगा

तस्बीह फेरूँ, किस को घेरूँ

'इबादत-ए-रियाई, ऐसी 'इबादत करना जिस में मकर-ओ-फ़रेब हो

किस किस दुख को झेला है

तरह तरह की तक्लीफ़े उठाई हैं

गाना रोना, किस को नहीं आता

ऐसी बातें सब जानते हैं, दुख और सुख से सब प्रभावित होते हैं

किस बला को पीछे लगा दिया

۔(عو) جب کسی ضِدّی یا شریر سے پالا پڑتا ہے۔ یہ فقرہ زبان پر لاتی ہیں یعنی کیسے عذاب میں پھنس گئے۔

गाना और रोना, किस को नहीं आता

ऐसी बातें सब जानते हैं, दुख और सुख से सब प्रभावित होते हैं

मछली के बच्चे को पैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

मछली के बच्चे को तैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

किस काफ़िर को ए'तिबार होगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آئے گا۔ ؎

किस दिन को उठा रखा है

کب کے لئے ملتوی کیا ہے۔ ابھی کیوں نہیں کرتے یا کہتے۔ ؎ ؎ دیکھو اُٹھا رکھنا۔

बंगाली जो आदमी तो प्रेत कहो किस को

बंगाली यदि मनुष्य है तो भूत कौन है

रोना गाना किस को नहीं आता

थोड़ा बहुत सबगा लेते हैं, उस वक़्त मुस्तामल जब कोई किसी से गाने की फ़र्माइश करे

मिस्सी काजल किस को, मियाँ चले भुस को

जब संरक्षक न हो तो हुनर बेकार है, वो स्वयं कंगाल है दूसरों को क्या देगा

साहिब को किस ने बुलाया है

दोस्त अरसा-ए-दराज़ के बाद मुलाक़ात के वक़्त इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शिकायत के तौर पर मुस्तामल

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

किस बला को पीछे लगा लिया है

(ओ) किसी ज़िद्दी या शरीर आदमी से वास्ता पड़ने पर कहते हैं, किस अज़ाब में फंस गए

सौकन जाया किस को भाया

सौतन की बच्चों से प्यार नहीं होती

किस काम को निकला था

जब ग़फ़लत या भूल या बीख़ोदी के सबब अपने असल मक़सूद को भूल कर आदमी दूसरा काम कर बैठता है तो अफ़सोस के साथ ये कलिमा ज़बान पर लाता है

कमाऊ को किस ने न चाहा

जिससे फ़ायदा हो वह प्रिय होता है

आप को किस ने बुलाया है

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

किस की रही और किस की रहेगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

तोड़ डाल तागा, तू किस भड़वे के मुँह लागा

बुरे स्वभाव अथवा बुरे व्यक्ति से बचने का सदुपदेश कि अलग होने में देरी न कर

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

आएगा तो अपने पाँव से जाएगा किस के पाँव से

(दुश्मन वग़ैरा) चला तो आएगा मगर मेरे या हमारे होते बच कर कैसे जाएगा

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

चोर और मोठ कस के बाँधने चाहिएँ

چور بھاگ جائے گا اور موٹھ کھل کر بکھر جائینگے

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

किस दर्द की दवा है

किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस मर्ज़ की दवा है

is useless, is good-for-nothing

क़ज़ा का कशाँ-कशाँ लाना

वहाँ जाना जहाँ किसी की मौत तय हो

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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