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किस का

किस व्यक्ति का? कहाँ का

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

किस का सर लाएँ

۔کس سے مدد چاہیں۔ ؎

किस काम की

बेमुसर्रफ़, फ़ुज़ूल, बे कार, बेमानी

किस काम का

बेमुसर्रफ़, फ़ुज़ूल, बे कार, बेमानी

किस कान से सुनूँ

۔سننا ناگوار ہونا کی جگہ ۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार होगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آئے گا۔ ؎

किस काम आएगा

۔فضول ہے بیکار ہے۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آنے کی جگہ۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

किसी को विश्वास नहीं होगा, कोई भरोसा नहीं करेगा

किस काम को निकला था

जब ग़फ़लत या भूल या बीख़ोदी के सबब अपने असल मक़सूद को भूल कर आदमी दूसरा काम कर बैठता है तो अफ़सोस के साथ ये कलिमा ज़बान पर लाता है

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

किस अंदाज़ का

कैसा अच्छा, किस शान का

किस क़यामत का

کِس بلا کے، کس غضب کا

किस तकल्लुफ़ का

۔کس شان کا۔ کس انداز کا۔ ؎

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

आज किस का मुँह देखा है

जब सारा दिन परेशानी में गुज़रे तो यह कहा जाता है

ये किस का मूत है

(हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

किस खेत का बथुआ हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर, तू नौकर किस का जिस का ये घोड़ा

टालने के अवसर पर कहते हैं

किस बाग़ का बथुआ हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

सुब्ह किस का मुँह देखा था

what an inauspicious day!

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

फिर कौन जीए , किस का राज

it should be done immediately because life is short and uncertain

चस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

घस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

किस तरह का

۔کیسا۔ کس وضع کا۔ کس رنگ ڈھنگ کا۔ کس درجے کا۔ کس مرتبہ کا۔

आज किस का मुँह देख कर उठा हूँ

भुखा रहने या परेशान रहने पर कहा जाता है

आज सुब्ह किस का मुँह देखा था

प्रातः काल को किस अशुभ का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भुखा रहना पड़ा

बोल बंदा किस का मेरा कि तेरा

इस अवसर पर प्रयुक्त जब किसी दुर्बल को बलवान के सामने हथियार डालना पड़े

ख़ुदा के घर में किस का इजारा

ईश्वर के घर में किसी के जाने पर आपत्ति नहीं

फिर कौन जिए किस का राज

۔ مثل (عو) دیکھو پھر کون مرے کون جئے۔

फिर कौन जिए किस का राज

ज़िंदगी का कोई एतबार नहीं काम फ़ौरन करना चाहीए ये काम अभी करना चाहिए फिर का क्या भरोसा क्या हो

किस चक्की का पीसा खाया है

۔(عو) زیادہ موٹے آدمی سے کہتی ہیں۔ کس چَکّی کے آٹے کی تاثیر ہے جو ایسے موٹے ہوگئے ہو۔

किस चक्की का पिसा खाते हो

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

किस चक्की का पिसा खाया है

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

राँड का रोना , बाज़ार का सौदा , किस ने सुना

इन दोनों की दादरसी नहीं होती

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

आज सुब्ह किस कंजूस का मुँह देखा था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

आज सुब्ह किस कंजूस का नाम लिया था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

देल दुनिया की दम बदम कीजिए किस की शादी और किस का ग़म कीजिए

दुनिया में मज़े उड़ाने चाहें ख़ुशी और ग़म की पर्वा नहीं करना चाहिए

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

किस शख़्स का मुँह देख के उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

किस शख़्स का मुँह देख कर उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

दरिया का फेर किस ने पाया है

बुद्धिमान आदमी की बात की तह किसी की समझ में नहीं आती

किस बला का है

ग़ज़ब का है, इंतिहा का है, बहुत ज़्यादा है (ख़ूबी या बुराई की ज़्यादती के इज़हार के लिए मुस्तामल)

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

किस के मान का है

किसी की नहीं मानता यानी किस के क़ाबू और इख़्तियार का नहीं

किस जानवर का नाम है

किसी शख़्स या चीज़ को बेवुक़त ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किस का के अर्थदेखिए

किस का

kis kaaکِس کا

स्रोत: हिंदी

टैग्ज़: संकेतात्मक

किस का के हिंदी अर्थ

सर्वनाम

  • किस व्यक्ति का? कहाँ का

शे'र

English meaning of kis kaa

Pronoun

  • whose?

کِس کا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

ضمیر

  • کس شخص کا؟ (کنایۃً) ناچیز مثال کے لئے دیکھو۔ (کہاں کا)

Urdu meaning of kis kaa

  • Roman
  • Urdu

  • kis shaKhs ka? (kanaa.en) naachiiz misaal ke li.e dekho। (kahaa.n ka)

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किस का

किस व्यक्ति का? कहाँ का

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

किस का सर लाएँ

۔کس سے مدد چاہیں۔ ؎

किस काम की

बेमुसर्रफ़, फ़ुज़ूल, बे कार, बेमानी

किस काम का

बेमुसर्रफ़, फ़ुज़ूल, बे कार, बेमानी

किस कान से सुनूँ

۔سننا ناگوار ہونا کی جگہ ۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार होगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آئے گا۔ ؎

किस काम आएगा

۔فضول ہے بیکار ہے۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

۔کسی کو اعتبار نہیں آنے کی جگہ۔ ؎

किस काफ़िर को ए'तिबार आएगा

किसी को विश्वास नहीं होगा, कोई भरोसा नहीं करेगा

किस काम को निकला था

जब ग़फ़लत या भूल या बीख़ोदी के सबब अपने असल मक़सूद को भूल कर आदमी दूसरा काम कर बैठता है तो अफ़सोस के साथ ये कलिमा ज़बान पर लाता है

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

किस अंदाज़ का

कैसा अच्छा, किस शान का

किस क़यामत का

کِس بلا کے، کس غضب کا

किस तकल्लुफ़ का

۔کس شان کا۔ کس انداز کا۔ ؎

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

आज किस का मुँह देखा है

जब सारा दिन परेशानी में गुज़रे तो यह कहा जाता है

ये किस का मूत है

(हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

किस खेत का बथुआ हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर, तू नौकर किस का जिस का ये घोड़ा

टालने के अवसर पर कहते हैं

किस बाग़ का बथुआ हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

सुब्ह किस का मुँह देखा था

what an inauspicious day!

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

फिर कौन जीए , किस का राज

it should be done immediately because life is short and uncertain

चस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

घस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

किस तरह का

۔کیسا۔ کس وضع کا۔ کس رنگ ڈھنگ کا۔ کس درجے کا۔ کس مرتبہ کا۔

आज किस का मुँह देख कर उठा हूँ

भुखा रहने या परेशान रहने पर कहा जाता है

आज सुब्ह किस का मुँह देखा था

प्रातः काल को किस अशुभ का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भुखा रहना पड़ा

बोल बंदा किस का मेरा कि तेरा

इस अवसर पर प्रयुक्त जब किसी दुर्बल को बलवान के सामने हथियार डालना पड़े

ख़ुदा के घर में किस का इजारा

ईश्वर के घर में किसी के जाने पर आपत्ति नहीं

फिर कौन जिए किस का राज

۔ مثل (عو) دیکھو پھر کون مرے کون جئے۔

फिर कौन जिए किस का राज

ज़िंदगी का कोई एतबार नहीं काम फ़ौरन करना चाहीए ये काम अभी करना चाहिए फिर का क्या भरोसा क्या हो

किस चक्की का पीसा खाया है

۔(عو) زیادہ موٹے آدمی سے کہتی ہیں۔ کس چَکّی کے آٹے کی تاثیر ہے جو ایسے موٹے ہوگئے ہو۔

किस चक्की का पिसा खाते हो

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

किस चक्की का पिसा खाया है

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

राँड का रोना , बाज़ार का सौदा , किस ने सुना

इन दोनों की दादरसी नहीं होती

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

आज सुब्ह किस कंजूस का मुँह देखा था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

आज सुब्ह किस कंजूस का नाम लिया था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

देल दुनिया की दम बदम कीजिए किस की शादी और किस का ग़म कीजिए

दुनिया में मज़े उड़ाने चाहें ख़ुशी और ग़म की पर्वा नहीं करना चाहिए

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

किस शख़्स का मुँह देख के उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

किस शख़्स का मुँह देख कर उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

दरिया का फेर किस ने पाया है

बुद्धिमान आदमी की बात की तह किसी की समझ में नहीं आती

किस बला का है

ग़ज़ब का है, इंतिहा का है, बहुत ज़्यादा है (ख़ूबी या बुराई की ज़्यादती के इज़हार के लिए मुस्तामल)

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

किस के मान का है

किसी की नहीं मानता यानी किस के क़ाबू और इख़्तियार का नहीं

किस जानवर का नाम है

किसी शख़्स या चीज़ को बेवुक़त ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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