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किधर-किधर

कहाँ कहाँ

किधर-किधर का

कब कब का, किस किस युग का, किस किस ज़माने का

किधर

कहीं, किसी तरफ़

किधर ते किधर

کہاں سے کہاں.

किधर का किधर

کچھ کا کچھ.

किधर का किधर सुटना

अच्छी स्थिति से बुरी स्थिति में डालना

किधर आया किधर गया

आने जाने की कुछ ख़बर नहीं

हर-किधर

رک : ہر کجا ۔

किधर ती

کس طرف سے ، کہاں سے .

किधर बी

کہیں بھی ، ہر جگہ .

चाँद किधर निकला

जब कोई प्रियजन या मित्र बहुत दिनों के बाद अचानक आ जाए या कोई अपेक्षा के विपरीत बात सामने आए तो आश्चर्य व्यक्त करने के लिए कहते हैं

'अक़्ल किधर गई

बेवक़ूफ़ी भरे काम पर आश्चर्य प्रकट करने के लिए बोलते हैं, इस व्यक्ति से या इसके संबंध में कहते हैं जो कोई भी बेवक़ूफ़ी भरी बात करे

किधर भूल पड़े

किधर आ निकले, किधर निकल आए

किधर जाऊँ क्या करूँ

कोई तदबीर समझ में नहीं आती (मजबूरी के मौक़ा पर बोलते हैं)

आज किधर से ख़ुर्शीद निकला

جب کوئی مدت کے بعد ملے تو کہا جاتا ہے

किधर आ निकले

जब कोई दोस्त मुद्दत के बाद मेले तो ताज्जुब और हैरत से कहते हैं

बायाँ क़दम किधर है

बड़े शरीर हो, अब कौनसी शरारत करने का इरादा है

किधर का चाँद निकला

(किसी दोस्त या प्रियजन के अचानक आ जाने पर कहते हैं) अर्थात तुम कहाँ से आ गए; यह बात क्यों हो गई

आज किधर चाँद निकला

आज किधर आ निकले, क़रीब होने या रहने की बावजूद बहुत दिनों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए शिकायत के तौर पर प्रयुक्त

किधर से चाँद निकला

जब कोई दोस्त या अज़ीज़ मुद्दत के बाद मिले तो हैरत और मुसर्रत से कहते हैं कि कहाँ से आगए

किधर मुँह डालता है

कहाँ चला आता है

किधर के धावे हैं

कहाँ का इरादा है

आज किधर भूल पड़ा

निकट होने या रहने के अतिरिक्त वर्षों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए निंदा के तौर पर प्रयुक्त

आज किधर भूल पड़े

निकट होने या रहने के अतिरिक्त वर्षों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए निंदा के तौर पर प्रयुक्त

ये चाँद किधर से निकला

जब कोई दोस्त या अज़ीज़ मुद्दत के बाद आजाता है तो बरवक़्त-ए-मुलाक़ात बतौर शिकवा-ओ-इज़हार-ए-इश्तियाक़ ये फ़िक़रा ज़बान पर लाते हैं

किधर को

किस तरफ़, किस जानिब, किस तरफ़

आज किधर आ निकले

निकट होने या रहने के अतिरिक्त वर्षों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए निंदा के तौर पर प्रयुक्त

आज किधर से चाँद निकला

आज किधर आ निकले, क़रीब होने या रहने के बावजूद बहुत दिनों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए शिकायत के तौर पर प्रयुक्त, आज किधर का चाँद निकला

आज किधर का चाँद निकला

आज किधर आ निकले, क़रीब होने या रहने की बावजूद बहुत दिनों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए शिकायत के तौर पर प्रयुक्त

किधर है

कहाँ है

किधर से आना हुआ

जब कोई बावजूद क़रीब रहने के मुद्दत के बाद मिले तो बतौर शिकायत कहते हैं

बैल की दुम किधर है

ऐसे व्यक्ति के लिए उपहासपूर्ण बोलते हैं जो सहज और स्पष्ट बात को न समझ पाए या जानबूझकर भोला और अनजान बन जाए

किधर से आफ़ताब निकल आया

जब कोई दोस्त मुद्दत के बाद मिले तो ताज्जुब और हैरत से कहते हैं

किधर से

क्योंकर, कैसे, कहाँ से, किस जानिब से, किस मुक़ाम से, किधर से आना हो

किधर ते

کس طرف سے ، کہاں سے .

किधर से 'ईद का चाँद निकला

۔دیکھو آج۔

आज सूरज किधर से निकला था

an expression of mild surprise on someone's unexpected arrival after a long time

सुब्ह किधर हुई, शाम कहाँ गई

किसी बात का होश नहीं

किधर का

کس جگہ کا ، کہاں کا .

आप का बायाँ क़दम किधर है

किसी की चालाकी, षड्यंत्र अथवा चतुराई के अवसर पर प्रयुक्त, पर्यायवाची: आप बड़े चालाक हैं

इधर की न उधर की, ये बला किधर की

एक अप्रत्याशित विपत्ति, आकस्मिक विपत्ति है, कोई नहीं पूछता, किसी लायक़ नहीं है

इधर न उधर ये बला किधर

किसी क़ाबिल नहीं, उस को कोई नहीं पूछता, बेसर-ओ-पा आदमी है

इधर क़िब्ला उधर क़ब्र बी ख़तीजा सोवे किधर

यूं भी मुश्किल वों भी मुश्किल, कोई बात करते नहीं बनती, मुआमले के दोनों पहलू अहम हैं वर किसी एक को इख़तियार या तर्क करना ख़िलाफ़ मुसालहत है

कीधर

where

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किधर-किधर के अर्थदेखिए

किधर-किधर

kidhar-kidharکِدَھر کِدَھر

देखिए: कहाँ-कहाँ

किधर-किधर के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • कहाँ कहाँ

کِدَھر کِدَھر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • کہاں کہاں.

Urdu meaning of kidhar-kidhar

  • Roman
  • Urdu

  • kahaa.n kahaa.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

किधर-किधर

कहाँ कहाँ

किधर-किधर का

कब कब का, किस किस युग का, किस किस ज़माने का

किधर

कहीं, किसी तरफ़

किधर ते किधर

کہاں سے کہاں.

किधर का किधर

کچھ کا کچھ.

किधर का किधर सुटना

अच्छी स्थिति से बुरी स्थिति में डालना

किधर आया किधर गया

आने जाने की कुछ ख़बर नहीं

हर-किधर

رک : ہر کجا ۔

किधर ती

کس طرف سے ، کہاں سے .

किधर बी

کہیں بھی ، ہر جگہ .

चाँद किधर निकला

जब कोई प्रियजन या मित्र बहुत दिनों के बाद अचानक आ जाए या कोई अपेक्षा के विपरीत बात सामने आए तो आश्चर्य व्यक्त करने के लिए कहते हैं

'अक़्ल किधर गई

बेवक़ूफ़ी भरे काम पर आश्चर्य प्रकट करने के लिए बोलते हैं, इस व्यक्ति से या इसके संबंध में कहते हैं जो कोई भी बेवक़ूफ़ी भरी बात करे

किधर भूल पड़े

किधर आ निकले, किधर निकल आए

किधर जाऊँ क्या करूँ

कोई तदबीर समझ में नहीं आती (मजबूरी के मौक़ा पर बोलते हैं)

आज किधर से ख़ुर्शीद निकला

جب کوئی مدت کے بعد ملے تو کہا جاتا ہے

किधर आ निकले

जब कोई दोस्त मुद्दत के बाद मेले तो ताज्जुब और हैरत से कहते हैं

बायाँ क़दम किधर है

बड़े शरीर हो, अब कौनसी शरारत करने का इरादा है

किधर का चाँद निकला

(किसी दोस्त या प्रियजन के अचानक आ जाने पर कहते हैं) अर्थात तुम कहाँ से आ गए; यह बात क्यों हो गई

आज किधर चाँद निकला

आज किधर आ निकले, क़रीब होने या रहने की बावजूद बहुत दिनों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए शिकायत के तौर पर प्रयुक्त

किधर से चाँद निकला

जब कोई दोस्त या अज़ीज़ मुद्दत के बाद मिले तो हैरत और मुसर्रत से कहते हैं कि कहाँ से आगए

किधर मुँह डालता है

कहाँ चला आता है

किधर के धावे हैं

कहाँ का इरादा है

आज किधर भूल पड़ा

निकट होने या रहने के अतिरिक्त वर्षों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए निंदा के तौर पर प्रयुक्त

आज किधर भूल पड़े

निकट होने या रहने के अतिरिक्त वर्षों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए निंदा के तौर पर प्रयुक्त

ये चाँद किधर से निकला

जब कोई दोस्त या अज़ीज़ मुद्दत के बाद आजाता है तो बरवक़्त-ए-मुलाक़ात बतौर शिकवा-ओ-इज़हार-ए-इश्तियाक़ ये फ़िक़रा ज़बान पर लाते हैं

किधर को

किस तरफ़, किस जानिब, किस तरफ़

आज किधर आ निकले

निकट होने या रहने के अतिरिक्त वर्षों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए निंदा के तौर पर प्रयुक्त

आज किधर से चाँद निकला

आज किधर आ निकले, क़रीब होने या रहने के बावजूद बहुत दिनों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए शिकायत के तौर पर प्रयुक्त, आज किधर का चाँद निकला

आज किधर का चाँद निकला

आज किधर आ निकले, क़रीब होने या रहने की बावजूद बहुत दिनों में मिलने और चेहरा दिखाने वाले व्यक्ति के लिए शिकायत के तौर पर प्रयुक्त

किधर है

कहाँ है

किधर से आना हुआ

जब कोई बावजूद क़रीब रहने के मुद्दत के बाद मिले तो बतौर शिकायत कहते हैं

बैल की दुम किधर है

ऐसे व्यक्ति के लिए उपहासपूर्ण बोलते हैं जो सहज और स्पष्ट बात को न समझ पाए या जानबूझकर भोला और अनजान बन जाए

किधर से आफ़ताब निकल आया

जब कोई दोस्त मुद्दत के बाद मिले तो ताज्जुब और हैरत से कहते हैं

किधर से

क्योंकर, कैसे, कहाँ से, किस जानिब से, किस मुक़ाम से, किधर से आना हो

किधर ते

کس طرف سے ، کہاں سے .

किधर से 'ईद का चाँद निकला

۔دیکھو آج۔

आज सूरज किधर से निकला था

an expression of mild surprise on someone's unexpected arrival after a long time

सुब्ह किधर हुई, शाम कहाँ गई

किसी बात का होश नहीं

किधर का

کس جگہ کا ، کہاں کا .

आप का बायाँ क़दम किधर है

किसी की चालाकी, षड्यंत्र अथवा चतुराई के अवसर पर प्रयुक्त, पर्यायवाची: आप बड़े चालाक हैं

इधर की न उधर की, ये बला किधर की

एक अप्रत्याशित विपत्ति, आकस्मिक विपत्ति है, कोई नहीं पूछता, किसी लायक़ नहीं है

इधर न उधर ये बला किधर

किसी क़ाबिल नहीं, उस को कोई नहीं पूछता, बेसर-ओ-पा आदमी है

इधर क़िब्ला उधर क़ब्र बी ख़तीजा सोवे किधर

यूं भी मुश्किल वों भी मुश्किल, कोई बात करते नहीं बनती, मुआमले के दोनों पहलू अहम हैं वर किसी एक को इख़तियार या तर्क करना ख़िलाफ़ मुसालहत है

कीधर

where

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