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जैसे-जैसे

जिस क्रम से

जैसे

उदाहरणार्थ। यथा।

जैसे ही

जैसा ही, जूँ ही, इसी तरीक़े से, जितना ही

मोतियों जैसे

موتی کی طرح کے ، چمکدار ، صاف

जैसे-तैसे

किसी भी तरह, मुश्किल से या कठिनाई के साथ, किसी न किसी तरह से

मुझ जैसे को

मेरे जैसा

खाए जैसे बकरी , सूखे जैसे लकड़ी

खाना-पीना अलग नहीं लगता

खावे जैसे बकरी, सूखे जैसे लकड़ी

रुक : खाए बिक्री की तरह सूखे लक्कड़ी की तरह

जैसे उन का मकान जैसे ये

आपसी संबंध को व्यक्त करने को कहते हैं

जैसे सूँ तैसा

हर शख़्स से इस के मरतबे के मुनासिब सुलूक करना चाहिए, आदमी जैसा हो वैसा ही इस के मुताबिक़ इसे मिलता है

जैसे सूँ वैसा

हर शख़्स से इस के मरतबे के मुनासिब सुलूक करना चाहिए, आदमी जैसा हो वैसा ही इस के मुताबिक़ इसे मिलता है

बहुत हू जैसे

यहां से जाओ

जैसे करनी वैसी भरनी

रुक: जैसी करनी वैसी भरनी

जैसे रूह वैसे फ़रिश्ते

रुक: जैसी रूह वैसे फ़रिश्ते

जैसे हसन वैसे हुसैन

रुक: जैसे हुस्न तैसे बिसन

जैसे ये वैसे वो

हमारे नज़दीक दोनों एक जैसे हैं

पानी बीच बतासा जैसे

बहुत नापायदार

उकसाना जैसे जुर्म पर

abet

जैसे बाँधो वैसे पाओ

सावधानी बरतने से वस्तु सुरक्षित रहती है, एहतियात से चीज़ महफ़ूज़ रहती है

खेत बारानी , जैसे नियम राजानी

बारानी खेत इस तरह नाक़ाबिल-ए-एतबार है जैसे राजा की मेहरबानी दोनों का एतबार नहीं

आसा जैसे निरासा मरे

आशावान आशा के आधार पर जीता है और निराश मरता है

बारू जैसी भुरभुरी धौली जैसे धूप मीठी ऐसी कुछ नहीं जैसे मीठी चूप

शुक्र जो रीत की तरह भर भरी और धूप की तरह सफ़ैद होती है, चुप से ज़्यादा मीठी नहीं होती, ख़मोशी की तारीफ़ के मौक़ा पर मुस्तामल

जैसे आक़ा वैसा नौकर

रुक: जैसा राजा वैसी प्रजा

दुनिया में ऐसे रहिये जैसे साबुन में तार

दुनिया के धंधों में नहीं फँसना चाहिए, अलग-थलग रहना चाहिए, दुनिया की गंदगी से बच कर रहना चाहिए

जैसे साजन आए, तैसे बिछौना बिछाए

जिस तरह का अतिथि आए उस का वैसा ही सत्कार भी होता है

जैसे नाग नाथ तैसे साँप नाथ

जैसे ख़ुद वैसे ही साथी

कल्लर का खेत जैसे कपटी का हैत

शोर वाला खेत बेवफ़ा की दोस्ती की तरह है जिससे कोई फ़ायदा नहीं होता

जैसे को तैसा, बाबू को भैंसा

जो जैसा हो, उसका वैसा ही सम्मान करना चाहिए

ऐसा गया जैसे महफ़िल से जूता

तुरंत छुप गया और ग़ायब हो गया

जैसे बने

जिस तरह भी संभव हो, जिस तरह भी मुम्किन हो, जैसे हो सके

नन्हे हो कर रहिए जैसे नन्ही दूब

इन्किसार अच्छा होता है

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

ऐसा जैसे रुपे के टके भुना लिये

just and fair

पतुरिया का डेरा जैसे ठगों का घेरा

पतुरिया के घर जा कर आदमी लुट जाता है

नन्हे हो कर रहे जैसे नन्ही दूब

इन्किसार अच्छा होता है

तेरे जौ तेरी दरांती चाहे जैसे काट

जो इच्छा हो कर तेरी बात में हस्तक्षेप नहीं करता, जब कोई व्यक्ति कहना न माने एवं अपनी इच्छा से सारे काम करे तो कहते हैं

जैसे मियाँ काठ , वैसी सन की दाढ़ी

(तंज़न) अहमक़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

जैसे हर गुन गाए तैसे गाल बजाए

दोनों हालतों में यकसाँ रहे

जैसे कंथा घर रहे वैसे रहे बिदेस

निकम्मा आदमी घर रहे या बाहर बराबर ही है , औरतें अपने शौहर के लिए भी बीवी से बेरुख़ी बरतता है बोला करती हैं , जो शख़्स देस में अपनी कमाई उड़ा लुटा कर घर ख़ाली हाथ आए उस की निसबत भी बोलते हैं

जैसे हर गुन गाए वैसे फल पाए

जैसा किया था वैसा पाया

ऐसा कहना जैसे रूपे के टके भुना लिये

सच्चा और मामले का बिलकुल साफ़

पाप छुपाए ना छुपे जैसे लह्सन की बास

बुरा काम कभी छिपा नहीं रहता

कल्लर का खेत , जैसे कपटी का हेत

शोर वाला खेत बेवफा की दोस्ती की तरह है जिस से कोई फ़ायदा नहीं होता

जैसे एक बार, वैसे हज़ार बार

बुरा काम एक बार करना भी ऐसा ही है, जैसे हज़ार बार करना, कोई अंतर नहीं होता

ऐसे गए जैसे गधे के सर से सींग

जाने के बाद न सूरत दिखाई न ख़ैर-ख़बर भेजी, गायब हो गए, निशान तक न मिला

जैसे ओढ़ी कम्बली , वैसा ओढ़ा खेस

दुनिया की वासरत-ओ-इशरत क्या दोनों नापायदार हैं, मुसीबत और आराम को एक जैसा समझो, जिस शख़्स के मिज़ाज में मुसावात हो वो ये कहा करता है

जैसे कंथा घर रहे वैसे रहे परदेस

निकम्मा आदमी घर रहे या बाहर बराबर ही है , औरतें अपने शौहर के लिए भी बीवी से बेरुख़ी बरतता है बोला करती हैं , जो शख़्स देस में अपनी कमाई उड़ा लुटा कर घर ख़ाली हाथ आए उस की निसबत भी बोलते हैं

जैसे बने तैसे

जैसे भी हो इसी तरह, जिस तरह बिन पड़े

जैसे पीठ दिखाए जाते हो, ख़ुदा तुम्हारा मुँह दिखाए

दुआइया फ़िक़रा, रुख़स्त होते वक़्त जाने वाले से कहते हैं, ख़ुदा तुम्हें फिर यहां लाए

जैसे नीम नाथ वैसे बकाइन नाथ

दोनों एक जैसे नटखट

जब आया देही का अंत, जैसे गधा वैसे संत

जब मृत्यु आए तो सब बराबर हैं

बिन बिद्या के नर और नार, जैसे गधा कुम्हार

अज्ञानी मूर्ख होता है

जैसे दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं

किसी को मुआमले से ना काम या अलग कर देने के मौक़ा पर कहते हैं

मुर्दा पर जैसे सौ मन मिट्टी, वैसे हज़ार मन

जब मुसीबत हद से गुज़र जाये फिर सैंकड़ों मुसीबतें कुछ मालूम नहीं होतीं , मुसीबत ज़िदों को आने वाली मुसीबतों का क्या डर , मुसीबत ख़ाह थोड़ी हो या बहुत मुसीबत ही तो है

मुर्दे पर जैसे सौ मन मिट्टी , वैसे हज़ार मन

जब मुसीबत पड़ी तो जैसी थोड़ी वैसी बहुत

जैसे काग जहाज़ को सूझत और न ठौर

मुझ को और कोई ठिकाना नहीं है जैसे समुंद्र में कव्वे को सिवाए जहाज़ के साथ उड़ने के और जगह नहीं होती है

मन मलीन सुन्दर तन कैसे, बिख रस भरा कनक घट जैसे

स्वरूप अच्छा और दिल में कपट इस प्रकार है जैसे सोने के बर्तन में विष

वक़्त-ए-पीरी शबाब की बातें, ऐसी हैं जैसे ख़्वाब की बातें

बुढ़ापे के ज़माने में जवानी की बातें ख़्वाब की बातें मालूम होती हैं यानी अविश्वसनीय मालूम होती हैं

धुनिये की 'अक़्ल ताँत के भीतर और जगह जैसे जंगल का तीतर

धुनिया बेवक़ूफ़ होता है

जैसे थे घर के वैसे आए डोली चढ़ के

जैसे अपने थे वैसे ही बेगाने निकले

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जैसे-जैसे के अर्थदेखिए

जैसे-जैसे

jaise-jaiseجَیسے جَیسے

वज़्न : 2222

जैसे-जैसे के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • जिस क्रम से
  • ज्यों-ज्यों।

शे'र

جَیسے جَیسے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • جوں جوں، رفتہ رفتہ

Urdu meaning of jaise-jaise

  • Roman
  • Urdu

  • juu.n juun, rafta rafta

खोजे गए शब्द से संबंधित

जैसे-जैसे

जिस क्रम से

जैसे

उदाहरणार्थ। यथा।

जैसे ही

जैसा ही, जूँ ही, इसी तरीक़े से, जितना ही

मोतियों जैसे

موتی کی طرح کے ، چمکدار ، صاف

जैसे-तैसे

किसी भी तरह, मुश्किल से या कठिनाई के साथ, किसी न किसी तरह से

मुझ जैसे को

मेरे जैसा

खाए जैसे बकरी , सूखे जैसे लकड़ी

खाना-पीना अलग नहीं लगता

खावे जैसे बकरी, सूखे जैसे लकड़ी

रुक : खाए बिक्री की तरह सूखे लक्कड़ी की तरह

जैसे उन का मकान जैसे ये

आपसी संबंध को व्यक्त करने को कहते हैं

जैसे सूँ तैसा

हर शख़्स से इस के मरतबे के मुनासिब सुलूक करना चाहिए, आदमी जैसा हो वैसा ही इस के मुताबिक़ इसे मिलता है

जैसे सूँ वैसा

हर शख़्स से इस के मरतबे के मुनासिब सुलूक करना चाहिए, आदमी जैसा हो वैसा ही इस के मुताबिक़ इसे मिलता है

बहुत हू जैसे

यहां से जाओ

जैसे करनी वैसी भरनी

रुक: जैसी करनी वैसी भरनी

जैसे रूह वैसे फ़रिश्ते

रुक: जैसी रूह वैसे फ़रिश्ते

जैसे हसन वैसे हुसैन

रुक: जैसे हुस्न तैसे बिसन

जैसे ये वैसे वो

हमारे नज़दीक दोनों एक जैसे हैं

पानी बीच बतासा जैसे

बहुत नापायदार

उकसाना जैसे जुर्म पर

abet

जैसे बाँधो वैसे पाओ

सावधानी बरतने से वस्तु सुरक्षित रहती है, एहतियात से चीज़ महफ़ूज़ रहती है

खेत बारानी , जैसे नियम राजानी

बारानी खेत इस तरह नाक़ाबिल-ए-एतबार है जैसे राजा की मेहरबानी दोनों का एतबार नहीं

आसा जैसे निरासा मरे

आशावान आशा के आधार पर जीता है और निराश मरता है

बारू जैसी भुरभुरी धौली जैसे धूप मीठी ऐसी कुछ नहीं जैसे मीठी चूप

शुक्र जो रीत की तरह भर भरी और धूप की तरह सफ़ैद होती है, चुप से ज़्यादा मीठी नहीं होती, ख़मोशी की तारीफ़ के मौक़ा पर मुस्तामल

जैसे आक़ा वैसा नौकर

रुक: जैसा राजा वैसी प्रजा

दुनिया में ऐसे रहिये जैसे साबुन में तार

दुनिया के धंधों में नहीं फँसना चाहिए, अलग-थलग रहना चाहिए, दुनिया की गंदगी से बच कर रहना चाहिए

जैसे साजन आए, तैसे बिछौना बिछाए

जिस तरह का अतिथि आए उस का वैसा ही सत्कार भी होता है

जैसे नाग नाथ तैसे साँप नाथ

जैसे ख़ुद वैसे ही साथी

कल्लर का खेत जैसे कपटी का हैत

शोर वाला खेत बेवफ़ा की दोस्ती की तरह है जिससे कोई फ़ायदा नहीं होता

जैसे को तैसा, बाबू को भैंसा

जो जैसा हो, उसका वैसा ही सम्मान करना चाहिए

ऐसा गया जैसे महफ़िल से जूता

तुरंत छुप गया और ग़ायब हो गया

जैसे बने

जिस तरह भी संभव हो, जिस तरह भी मुम्किन हो, जैसे हो सके

नन्हे हो कर रहिए जैसे नन्ही दूब

इन्किसार अच्छा होता है

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

ऐसा जैसे रुपे के टके भुना लिये

just and fair

पतुरिया का डेरा जैसे ठगों का घेरा

पतुरिया के घर जा कर आदमी लुट जाता है

नन्हे हो कर रहे जैसे नन्ही दूब

इन्किसार अच्छा होता है

तेरे जौ तेरी दरांती चाहे जैसे काट

जो इच्छा हो कर तेरी बात में हस्तक्षेप नहीं करता, जब कोई व्यक्ति कहना न माने एवं अपनी इच्छा से सारे काम करे तो कहते हैं

जैसे मियाँ काठ , वैसी सन की दाढ़ी

(तंज़न) अहमक़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

जैसे हर गुन गाए तैसे गाल बजाए

दोनों हालतों में यकसाँ रहे

जैसे कंथा घर रहे वैसे रहे बिदेस

निकम्मा आदमी घर रहे या बाहर बराबर ही है , औरतें अपने शौहर के लिए भी बीवी से बेरुख़ी बरतता है बोला करती हैं , जो शख़्स देस में अपनी कमाई उड़ा लुटा कर घर ख़ाली हाथ आए उस की निसबत भी बोलते हैं

जैसे हर गुन गाए वैसे फल पाए

जैसा किया था वैसा पाया

ऐसा कहना जैसे रूपे के टके भुना लिये

सच्चा और मामले का बिलकुल साफ़

पाप छुपाए ना छुपे जैसे लह्सन की बास

बुरा काम कभी छिपा नहीं रहता

कल्लर का खेत , जैसे कपटी का हेत

शोर वाला खेत बेवफा की दोस्ती की तरह है जिस से कोई फ़ायदा नहीं होता

जैसे एक बार, वैसे हज़ार बार

बुरा काम एक बार करना भी ऐसा ही है, जैसे हज़ार बार करना, कोई अंतर नहीं होता

ऐसे गए जैसे गधे के सर से सींग

जाने के बाद न सूरत दिखाई न ख़ैर-ख़बर भेजी, गायब हो गए, निशान तक न मिला

जैसे ओढ़ी कम्बली , वैसा ओढ़ा खेस

दुनिया की वासरत-ओ-इशरत क्या दोनों नापायदार हैं, मुसीबत और आराम को एक जैसा समझो, जिस शख़्स के मिज़ाज में मुसावात हो वो ये कहा करता है

जैसे कंथा घर रहे वैसे रहे परदेस

निकम्मा आदमी घर रहे या बाहर बराबर ही है , औरतें अपने शौहर के लिए भी बीवी से बेरुख़ी बरतता है बोला करती हैं , जो शख़्स देस में अपनी कमाई उड़ा लुटा कर घर ख़ाली हाथ आए उस की निसबत भी बोलते हैं

जैसे बने तैसे

जैसे भी हो इसी तरह, जिस तरह बिन पड़े

जैसे पीठ दिखाए जाते हो, ख़ुदा तुम्हारा मुँह दिखाए

दुआइया फ़िक़रा, रुख़स्त होते वक़्त जाने वाले से कहते हैं, ख़ुदा तुम्हें फिर यहां लाए

जैसे नीम नाथ वैसे बकाइन नाथ

दोनों एक जैसे नटखट

जब आया देही का अंत, जैसे गधा वैसे संत

जब मृत्यु आए तो सब बराबर हैं

बिन बिद्या के नर और नार, जैसे गधा कुम्हार

अज्ञानी मूर्ख होता है

जैसे दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं

किसी को मुआमले से ना काम या अलग कर देने के मौक़ा पर कहते हैं

मुर्दा पर जैसे सौ मन मिट्टी, वैसे हज़ार मन

जब मुसीबत हद से गुज़र जाये फिर सैंकड़ों मुसीबतें कुछ मालूम नहीं होतीं , मुसीबत ज़िदों को आने वाली मुसीबतों का क्या डर , मुसीबत ख़ाह थोड़ी हो या बहुत मुसीबत ही तो है

मुर्दे पर जैसे सौ मन मिट्टी , वैसे हज़ार मन

जब मुसीबत पड़ी तो जैसी थोड़ी वैसी बहुत

जैसे काग जहाज़ को सूझत और न ठौर

मुझ को और कोई ठिकाना नहीं है जैसे समुंद्र में कव्वे को सिवाए जहाज़ के साथ उड़ने के और जगह नहीं होती है

मन मलीन सुन्दर तन कैसे, बिख रस भरा कनक घट जैसे

स्वरूप अच्छा और दिल में कपट इस प्रकार है जैसे सोने के बर्तन में विष

वक़्त-ए-पीरी शबाब की बातें, ऐसी हैं जैसे ख़्वाब की बातें

बुढ़ापे के ज़माने में जवानी की बातें ख़्वाब की बातें मालूम होती हैं यानी अविश्वसनीय मालूम होती हैं

धुनिये की 'अक़्ल ताँत के भीतर और जगह जैसे जंगल का तीतर

धुनिया बेवक़ूफ़ होता है

जैसे थे घर के वैसे आए डोली चढ़ के

जैसे अपने थे वैसे ही बेगाने निकले

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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