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जब-लग

जब तक

जब लग साक़ी तब लग आस

जब तक देने वाला मौजूद है तब तक उम्मीद है

जब लगी चाट तो सूझी हल्वाई की हाट

जब हराम के लुक़मा का मज़ा पड़ जाता है तो इस की आदत हो जलती है

तब लग झूट न बोलीए जब लग पार बसाए

जहां तक होसके झूट नहीं बोलना चाहिए

लग गई जब, लाज कहाँ

जब आँख लड़ जाती है तो श्रम लिहाज़ कम रहता है

जी कहीं लगता नहीं जब दिल कहीं लग जाए है

जब इंसान को (किसी से) प्यार हो जाए तो किसी काम में मन नहीं लगता

साईं अपने चित्त की भूल न कहिये कोय, तब लग मन में राखिये जब लग कारज होय

अपने दिल का भेद भूल कर भी किसी को नहीं बताना चाहिये जब तक काम न हो जाए उसे दिल में रखना चाहिये

ठाकुर पत्थर माला लक्कड़ गंगा जमुना पानी, जब लग मन में साँच न आए चारों बेद कहानी

जब तक कि मनुष्य का दिल ईमान न लाए तब तक धार्मिक बातें क़िस्सा कहानी होती हैं एवं दीन धर्म की बाह्य निशानियों से कुछ नहीं होता

जीव किसी का मत सता जब लग पार बसाए,काँटे हैं उस राह में उस बटया मत जाए

लोगों को सताना अच्छी बात नहीं

तिनका हो तो तोड़ लूँ पीत न तोड़ी जाय, पीत लगत छूटत नहीं जब लग मौत न आय

मृत्यु आने तक मुहब्बत नहीं जाती

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जब-लग के अर्थदेखिए

जब-लग

jab-lagجَب لَگ

जब-लग के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • जब तक

English meaning of jab-lag

Adverb

  • till when? how long?

جَب لَگ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • جب تک.

Urdu meaning of jab-lag

  • Roman
  • Urdu

  • jab tak

खोजे गए शब्द से संबंधित

जब-लग

जब तक

जब लग साक़ी तब लग आस

जब तक देने वाला मौजूद है तब तक उम्मीद है

जब लगी चाट तो सूझी हल्वाई की हाट

जब हराम के लुक़मा का मज़ा पड़ जाता है तो इस की आदत हो जलती है

तब लग झूट न बोलीए जब लग पार बसाए

जहां तक होसके झूट नहीं बोलना चाहिए

लग गई जब, लाज कहाँ

जब आँख लड़ जाती है तो श्रम लिहाज़ कम रहता है

जी कहीं लगता नहीं जब दिल कहीं लग जाए है

जब इंसान को (किसी से) प्यार हो जाए तो किसी काम में मन नहीं लगता

साईं अपने चित्त की भूल न कहिये कोय, तब लग मन में राखिये जब लग कारज होय

अपने दिल का भेद भूल कर भी किसी को नहीं बताना चाहिये जब तक काम न हो जाए उसे दिल में रखना चाहिये

ठाकुर पत्थर माला लक्कड़ गंगा जमुना पानी, जब लग मन में साँच न आए चारों बेद कहानी

जब तक कि मनुष्य का दिल ईमान न लाए तब तक धार्मिक बातें क़िस्सा कहानी होती हैं एवं दीन धर्म की बाह्य निशानियों से कुछ नहीं होता

जीव किसी का मत सता जब लग पार बसाए,काँटे हैं उस राह में उस बटया मत जाए

लोगों को सताना अच्छी बात नहीं

तिनका हो तो तोड़ लूँ पीत न तोड़ी जाय, पीत लगत छूटत नहीं जब लग मौत न आय

मृत्यु आने तक मुहब्बत नहीं जाती

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

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