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जब का जब

جب ، جس وقت ؛ عین وقت پر

जब-का

पिछले समय के, भूत काल की, पूर्व की, गुज़श्ता ज़माने का, पहले का

जाट मुवा जब जानिये जब वा का तीजा हो

मेव जाट बहुत सख़्त जान होते हैं, यानी दग़ाबाज़ और फ़रेबी अगर मर भी जाएं तो उन का मर जाना काबिल-ए-एतिबार क़बल अज़ सोइम नहीं , दग़ाबाज़ की किसी बात का एतबार नहीं करना चाहिए

जब का तब

جب ، جس وقت ؛ عین وقت پر

जब आया देही का अंत, जैसे गधा वैसे संत

जब मृत्यु आए तो सब बराबर हैं

मेव मरा तब जानिये जब वा का तीजा हो

मेव अर्थात जाट बहुत हठ-जीव होते हैं ऐसी बातें प्राय: एक जाति दूसरी जातियों के प्रति कहती है

जब देखो तब हाज़िर मियाँ मिट्ठू का अटाला

रोज़ रोज़ आने वाले के हक़ में बोलते हैं

जब हाथ में लिया कासा तो रोटियों का क्या साँसा

जब निर्लज्जता अपनाई तो रोटी की क्या कमी

दर्ज़ी का लड़का जब तक जियेगा तब तक सियेगा

इंसान को मआश के लिए उम्र भर जद्द-ओ-जहद करनी पड़ती है, अगर कमाते नहीं तो गुज़र बसर कैसे हो

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

गीदड़ की जब शामत आती है तो शहर का रुख़ करता है

someone doomed invites trouble

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

जब भूक लगी भड़वे को तन्दूर की सूझी, और पेट भरा उस का तो फिर दूर की सूझी

जब भूख लगी हो तो खाने की तरफ़ ध्यान होता है परंतु जब पेट भर जाए तो शरारतें सूझती हैं

झाँसी गले की फाँसी , दत्या गले का हार , ललत पूर न छोड़िये जब तक मिले उधार

इन शहरों के मुताल्लिक़ लोगों के ख़्यालात ये हैं कि शहर झांसी गले की फांसी की मानिंद है यानी पीछा छुड़ाना मुश्किल है और दतिया बहुत मुहब्बत करने वाला है और ललित पर को इस वक़्त तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक वहां उधार मिलता रहे

चलना भला न कोस का बेटी भली न एक, बेटी जब पैदा हुई मौला रक्खे नेक, देना भला न बाप का जो प्रभु रक्खे टेक

चाहे पुत्री एक ही हो देना अथवा ऋण चाहे पिता ही का हो एवं सफ़र चाहे एक ही मील का हो तीनों बुरे

टंटा मत कर जब तल्क बिन टंटे हो काम, टंटा बिस की बेल है या का मत ले नाम

जब तक हो सके किसी काम में झगड़ा नहीं करना चाहिए झगड़े में हानि होती है

सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

टंटा मत कर जब तल्क बिन टंटे होए काम, टंटा बिस की बेल है या का मत ले नाम

जब तक हो सके किसी काम में झगड़ा नहीं करना चाहिए झगड़े में हानि होती है

जीव किसी का मत सता जब लग पार बसाए,काँटे हैं उस राह में उस बटया मत जाए

लोगों को सताना अच्छी बात नहीं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

जब फेंका तब पाँचे तीन

सख़्त बदक़िस्मत आदमी हैं पांसे मैन तीन पाँच बहुत कम दर्जे के शुमार होते हैं

कांता किनारे रो खड़ा जब सब होए बनास

ख़तरे के क़रीब रहने वाले का एक ना एक दिन तबाह या फ़ना होना यक़ीनी है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जब का जब के अर्थदेखिए

जब का जब

jab kaa jabجَب کا جَب

جَب کا جَب کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جب ، جس وقت ؛ عین وقت پر

Urdu meaning of jab kaa jab

  • Roman
  • Urdu

  • jab, jis vaqt ; a.in vaqt par

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जब का जब

جب ، جس وقت ؛ عین وقت پر

जब-का

पिछले समय के, भूत काल की, पूर्व की, गुज़श्ता ज़माने का, पहले का

जाट मुवा जब जानिये जब वा का तीजा हो

मेव जाट बहुत सख़्त जान होते हैं, यानी दग़ाबाज़ और फ़रेबी अगर मर भी जाएं तो उन का मर जाना काबिल-ए-एतिबार क़बल अज़ सोइम नहीं , दग़ाबाज़ की किसी बात का एतबार नहीं करना चाहिए

जब का तब

جب ، جس وقت ؛ عین وقت پر

जब आया देही का अंत, जैसे गधा वैसे संत

जब मृत्यु आए तो सब बराबर हैं

मेव मरा तब जानिये जब वा का तीजा हो

मेव अर्थात जाट बहुत हठ-जीव होते हैं ऐसी बातें प्राय: एक जाति दूसरी जातियों के प्रति कहती है

जब देखो तब हाज़िर मियाँ मिट्ठू का अटाला

रोज़ रोज़ आने वाले के हक़ में बोलते हैं

जब हाथ में लिया कासा तो रोटियों का क्या साँसा

जब निर्लज्जता अपनाई तो रोटी की क्या कमी

दर्ज़ी का लड़का जब तक जियेगा तब तक सियेगा

इंसान को मआश के लिए उम्र भर जद्द-ओ-जहद करनी पड़ती है, अगर कमाते नहीं तो गुज़र बसर कैसे हो

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

गीदड़ की जब शामत आती है तो शहर का रुख़ करता है

someone doomed invites trouble

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

जब भूक लगी भड़वे को तन्दूर की सूझी, और पेट भरा उस का तो फिर दूर की सूझी

जब भूख लगी हो तो खाने की तरफ़ ध्यान होता है परंतु जब पेट भर जाए तो शरारतें सूझती हैं

झाँसी गले की फाँसी , दत्या गले का हार , ललत पूर न छोड़िये जब तक मिले उधार

इन शहरों के मुताल्लिक़ लोगों के ख़्यालात ये हैं कि शहर झांसी गले की फांसी की मानिंद है यानी पीछा छुड़ाना मुश्किल है और दतिया बहुत मुहब्बत करने वाला है और ललित पर को इस वक़्त तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक वहां उधार मिलता रहे

चलना भला न कोस का बेटी भली न एक, बेटी जब पैदा हुई मौला रक्खे नेक, देना भला न बाप का जो प्रभु रक्खे टेक

चाहे पुत्री एक ही हो देना अथवा ऋण चाहे पिता ही का हो एवं सफ़र चाहे एक ही मील का हो तीनों बुरे

टंटा मत कर जब तल्क बिन टंटे हो काम, टंटा बिस की बेल है या का मत ले नाम

जब तक हो सके किसी काम में झगड़ा नहीं करना चाहिए झगड़े में हानि होती है

सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

टंटा मत कर जब तल्क बिन टंटे होए काम, टंटा बिस की बेल है या का मत ले नाम

जब तक हो सके किसी काम में झगड़ा नहीं करना चाहिए झगड़े में हानि होती है

जीव किसी का मत सता जब लग पार बसाए,काँटे हैं उस राह में उस बटया मत जाए

लोगों को सताना अच्छी बात नहीं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

जब फेंका तब पाँचे तीन

सख़्त बदक़िस्मत आदमी हैं पांसे मैन तीन पाँच बहुत कम दर्जे के शुमार होते हैं

कांता किनारे रो खड़ा जब सब होए बनास

ख़तरे के क़रीब रहने वाले का एक ना एक दिन तबाह या फ़ना होना यक़ीनी है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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