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बिपता में कोई साथी नहीं

मुसीबत के वक़्त कोई साथ नहीं देता

हारे का कोई साथी नहीं

रुक : हारे वक़्त का कोई साथी नहीं

बुरे का कोई साथी नहीं

मुसीबत की घड़ी में कोई दोस्त नहीं होता, परेशानी के वक़्त कोई साथी नहीं होता

हारे वक़्त का कोई साथी नहीं

मुसीबत में कोई साथ नहीं देता, बुरे दिनों में कोई दोस्त नहीं रहता

मूर्ख़ जून में दुखी कोई नहीं

स्वंय को कोई मूर्ख नहीं समझता है और न कोई जान से तंग आता है

मन में मूर्ख़ जून में दुखी कोई नहीं

स्वंय को कोई मूर्ख नहीं समझता है और न कोई जान से तंग आता है

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कहे से कोई कुँवें में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

कोई किसी की आग में नहीं जलता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं पड़ता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

कहे से कोई कुएँ में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

सोने की कटारी कोई पेट में नहीं मारता

फ़ायदे के लालच से जान जोखों में नहीं डाला जाता, या अच्छों से बुराई कोई नहीं होती

आज कल जंगल में सोना उछालते चले जाओ कोई नहीं पूछता

ایسا امن ہے کہ کوئی کسی کو نہیں ٹوکتا

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई नहीं पूछता कि तुम्हारे मुँह में कितने दाँत हैं

nobody asks about anything

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में कोई नहीं सुनता

बहुत शोर-ओ-गुल में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता, बड़े आदमीयों की राय के सामने छोटे आदमी की राय पर कोई तवज्जा नहीं देता है , बहुत से आदमीयों के आगे एक आदमी की नहीं चलती

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बिपता में कोई साथी नहीं के अर्थदेखिए

बिपता में कोई साथी नहीं

biptaa me.n ko.ii saathii nahi.nبِپْتا میں کوئی ساتھی نہیں

कहावत

बिपता में कोई साथी नहीं के हिंदी अर्थ

  • मुसीबत के वक़्त कोई साथ नहीं देता

بِپْتا میں کوئی ساتھی نہیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • مصیبت کے وقت کوئی ساتھ نہیں دیتا

Urdu meaning of biptaa me.n ko.ii saathii nahi.n

  • Roman
  • Urdu

  • musiibat ke vaqt ko.ii saath nahii.n detaa

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बिपता में कोई साथी नहीं

मुसीबत के वक़्त कोई साथ नहीं देता

हारे का कोई साथी नहीं

रुक : हारे वक़्त का कोई साथी नहीं

बुरे का कोई साथी नहीं

मुसीबत की घड़ी में कोई दोस्त नहीं होता, परेशानी के वक़्त कोई साथी नहीं होता

हारे वक़्त का कोई साथी नहीं

मुसीबत में कोई साथ नहीं देता, बुरे दिनों में कोई दोस्त नहीं रहता

मूर्ख़ जून में दुखी कोई नहीं

स्वंय को कोई मूर्ख नहीं समझता है और न कोई जान से तंग आता है

मन में मूर्ख़ जून में दुखी कोई नहीं

स्वंय को कोई मूर्ख नहीं समझता है और न कोई जान से तंग आता है

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कहे से कोई कुँवें में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

कोई किसी की आग में नहीं जलता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं पड़ता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

कहे से कोई कुएँ में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

सोने की कटारी कोई पेट में नहीं मारता

फ़ायदे के लालच से जान जोखों में नहीं डाला जाता, या अच्छों से बुराई कोई नहीं होती

आज कल जंगल में सोना उछालते चले जाओ कोई नहीं पूछता

ایسا امن ہے کہ کوئی کسی کو نہیں ٹوکتا

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई नहीं पूछता कि तुम्हारे मुँह में कितने दाँत हैं

nobody asks about anything

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में कोई नहीं सुनता

बहुत शोर-ओ-गुल में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता, बड़े आदमीयों की राय के सामने छोटे आदमी की राय पर कोई तवज्जा नहीं देता है , बहुत से आदमीयों के आगे एक आदमी की नहीं चलती

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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