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"सूरज ने भान उभारी, रेन घर को सिधारी" शब्द से संबंधित परिणाम

घर का नाई

पारिवारिक नाई, पारंपरिक नाई

घर का न हुआ दर का

कहीं का न रहा, निकम्मा हो गया

घर का न घाट का

बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का

घड़ी में घर जले नौ घड़ी का भद्रा

मुसीबत एक दम में आती है जबकि ख़ुशी की घड़ी देर में आती है

घड़ी में घर जले नौ घड़ी का भद्रा

मुसीबत एक दम में आती है, ख़ुशी की घड़ी देर में आती है, नुजूमियों पर तंज़ है एक आफ़त ने तो काम कर दिया अब आइंदा की आफ़तोन को कौन झील सकेगा या किस तरह झेला जाएगा

जिस बहूड़ की बैरन सास, वाका कधी न हो घर वास

जिस बहू की सास दुश्मन हो, उस का बसना मुश्किल हो जाता है

घर में दान न पान, बीबी को बड़ा गुमान

निर्धनता में घमंड करने और डींग मारने वाले के प्रति कहते हैं

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

घर में धान न पान बेटी को बड़ा गुमान

۔मिसल (ओ) मुफ़लिसी में ग़रूर करने और शेखी बघारने वाली की निसबत बलवती हैं

घर में धान न पान बीबी को बड़ा गुमान

औरतें मुफ़लिसी में ग़रूर करने और शेखी बघारने वाली की निसबत बोलती हैं

न कोई आता था घर में न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

बावले को आग बताई उस ने ले घर को लगाई

मूर्ख व्यक्ति थोड़ा सा उकसाने में उग्र होकर अपना नुक़्सान कर बैठता है

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

با حیا اور با غیرت عورت کے لئے کہا جاتا ہے .

घर का हवा न दर का

कहीं का नहीं रहा, किसी लायक़ नहीं, अनुपयोगी

धोबी का गधा घर का न घाट का

हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का

हर जगह से ठुकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद अर्थात कहीं का भी न रहना

तन पर चीज़ न घर माँ नाज , दूसरे का रूपा गाज

इस शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अपनी हैसियत से बढ़ कर काम करना चाहे

ओछे के घर खाना, जनम जनम का ता'ना

नीच थोड़ा एहसान करके हमेशा ता'ने दिया करता है

घर न हुआ कोई वीराना हुआ

گھر کی وقعت ویرانے کے برابر کردی

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

घर का राह न मिलना

۔ایسا بدحواس ہوجانا کہ گھر کا رستہ بھی نہ ملے۔ ؎

कुत्ता घर का रहा न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का

घर की राह न मिलना

ऐसा बदहवास हो जाना कि घर का रास्ता भी ना मिलना

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

न घर का , न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

टूटी टाँग पाँव न हाथ, कहे चलूँ घोड़ों के साथ

ऐसा काम करने की चेष्टा करना जिसे अधिक समर्थ भी न कर सकें

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

सूरज ने भान उभारी, रेन घर को सिधारी

सूओरज निकला और रात ग़ायब हुई, बड़ों के सामने छोटों की कोई हस्ती नहीं, ज़बरदस्त के सामने कमज़ोर की कोई हैसियत नहीं होती

जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

घर के पास न फटकना

۔گھر کی طرف مطلق رُخ نہ کرنا۔

बी बी वारे बाँदी खाए, घर की बला कहीं न जाए

घर की मालिका अगर दान-दक्षिणा घर ही में बाँदी को दे दे तो उसका देना न देना बराबर है

घर के ही न घेरते

किसी लायक़ होते तो अपना ही काम/नाम ना सँभालते

घर जाने का रास्ता न मिलना

घबरा जाना, सिटपिटा जाना, आवारा, चक्कर काटना

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार आप का है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

घर बार तुम्हारा है कोठी कोठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार तुम्हारा है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

घर बार तुम्हारा है कोठी कुठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

घर आए बेरी को भी न मारिए

जो व्यक्ति घर पर आ जाए उस के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते, भले ही वह शत्रु क्यों न हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सूरज ने भान उभारी, रेन घर को सिधारी के अर्थदेखिए

सूरज ने भान उभारी, रेन घर को सिधारी

suuraj ne bhaan ubhaarii, ren ghar ko sidhaariiسُورَج نے بھان اُبھاری، رین گھر کو سِدھاری

कहावत

सूरज ने भान उभारी, रेन घर को सिधारी के हिंदी अर्थ

  • सूओरज निकला और रात ग़ायब हुई, बड़ों के सामने छोटों की कोई हस्ती नहीं, ज़बरदस्त के सामने कमज़ोर की कोई हैसियत नहीं होती

سُورَج نے بھان اُبھاری، رین گھر کو سِدھاری کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • سُورج نِکلا اور رات غائب ہوئی ، بڑوں کے سامنے چھوٹوں کی کوئی ہستی نہیں ، زبردست کے سامنے کمزور کی کوئی حیثیت نہیں ہوتی ۔

Urdu meaning of suuraj ne bhaan ubhaarii, ren ghar ko sidhaarii

  • Roman
  • Urdu

  • suu.oraj nikla aur raat Gaayab hu.ii, ba.Do.n ke saamne chhoTo.n kii ko.ii hastii nahii.n, zabardast ke saamne kamzor kii ko.ii haisiyat nahii.n hotii

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घर का नाई

पारिवारिक नाई, पारंपरिक नाई

घर का न हुआ दर का

कहीं का न रहा, निकम्मा हो गया

घर का न घाट का

बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का

घड़ी में घर जले नौ घड़ी का भद्रा

मुसीबत एक दम में आती है जबकि ख़ुशी की घड़ी देर में आती है

घड़ी में घर जले नौ घड़ी का भद्रा

मुसीबत एक दम में आती है, ख़ुशी की घड़ी देर में आती है, नुजूमियों पर तंज़ है एक आफ़त ने तो काम कर दिया अब आइंदा की आफ़तोन को कौन झील सकेगा या किस तरह झेला जाएगा

जिस बहूड़ की बैरन सास, वाका कधी न हो घर वास

जिस बहू की सास दुश्मन हो, उस का बसना मुश्किल हो जाता है

घर में दान न पान, बीबी को बड़ा गुमान

निर्धनता में घमंड करने और डींग मारने वाले के प्रति कहते हैं

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

घर में धान न पान बेटी को बड़ा गुमान

۔मिसल (ओ) मुफ़लिसी में ग़रूर करने और शेखी बघारने वाली की निसबत बलवती हैं

घर में धान न पान बीबी को बड़ा गुमान

औरतें मुफ़लिसी में ग़रूर करने और शेखी बघारने वाली की निसबत बोलती हैं

न कोई आता था घर में न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

बावले को आग बताई उस ने ले घर को लगाई

मूर्ख व्यक्ति थोड़ा सा उकसाने में उग्र होकर अपना नुक़्सान कर बैठता है

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

با حیا اور با غیرت عورت کے لئے کہا جاتا ہے .

घर का हवा न दर का

कहीं का नहीं रहा, किसी लायक़ नहीं, अनुपयोगी

धोबी का गधा घर का न घाट का

हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का

हर जगह से ठुकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद अर्थात कहीं का भी न रहना

तन पर चीज़ न घर माँ नाज , दूसरे का रूपा गाज

इस शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अपनी हैसियत से बढ़ कर काम करना चाहे

ओछे के घर खाना, जनम जनम का ता'ना

नीच थोड़ा एहसान करके हमेशा ता'ने दिया करता है

घर न हुआ कोई वीराना हुआ

گھر کی وقعت ویرانے کے برابر کردی

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

घर का राह न मिलना

۔ایسا بدحواس ہوجانا کہ گھر کا رستہ بھی نہ ملے۔ ؎

कुत्ता घर का रहा न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का

घर की राह न मिलना

ऐसा बदहवास हो जाना कि घर का रास्ता भी ना मिलना

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

न घर का , न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

टूटी टाँग पाँव न हाथ, कहे चलूँ घोड़ों के साथ

ऐसा काम करने की चेष्टा करना जिसे अधिक समर्थ भी न कर सकें

घर की आधी न बाहर की सारी

۔مثل۔ گھر کی آمدنی باہر کی زیادہ آمدنی سے بہتر ہے۔ وطن کی آدھی روٹی پردیس کی ساری سے اچھّی ہے۔

घर की आधी न बाहर की सारी

अपने देश में रह कर अगर कम आमदनी भी हो तो विदेश की अधिक आमदनी से बेहतर है, घर की कम आमदनी बाहर की ज़्यादा आमदनी से बेहतर है

सूरज ने भान उभारी, रेन घर को सिधारी

सूओरज निकला और रात ग़ायब हुई, बड़ों के सामने छोटों की कोई हस्ती नहीं, ज़बरदस्त के सामने कमज़ोर की कोई हैसियत नहीं होती

जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

घर के पास न फटकना

۔گھر کی طرف مطلق رُخ نہ کرنا۔

बी बी वारे बाँदी खाए, घर की बला कहीं न जाए

घर की मालिका अगर दान-दक्षिणा घर ही में बाँदी को दे दे तो उसका देना न देना बराबर है

घर के ही न घेरते

किसी लायक़ होते तो अपना ही काम/नाम ना सँभालते

घर जाने का रास्ता न मिलना

घबरा जाना, सिटपिटा जाना, आवारा, चक्कर काटना

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार आप का है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

घर बार तुम्हारा है कोठी कोठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार तुम्हारा है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

घर बार तुम्हारा है कोठी कुठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

घर आए बेरी को भी न मारिए

जो व्यक्ति घर पर आ जाए उस के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते, भले ही वह शत्रु क्यों न हो

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