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सुब्ह का नाम नहीं लेते

कंजूस के बारे में कहते हैं कि नाम लेने से खाना नहीं मिलता

सुब्ह को नाम नहीं लेते

सुब्ह को ख़ाली पेट किसी कंजूस का नाम लेना बुरा माना जाता है

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

सुब्ह ही सुब्ह ख़ुदा का नाम लो

सुबह को कोई झूट बोले तो कहते हैं

आज सुब्ह किस कंजूस का नाम लिया था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

रात को नाम नहीं लेते हैं

एक अंधविश्वास कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है (इस लिए रस्सी कह देते हैं)

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम है

अच्छे बर्ताव और अच्छी सेवा की कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

۔مثل۔ نیک کام اور حسن خدمت کی کوئی داد نہیں دیتا۔ لیکن بُری بات فوراً پکڑ لی جاتی ہے۔

चलती का नाम गाड़ी नहीं ईंधन

कोई चीज़ जब तक काम दे तब तक अच्छी है नहीं तो कुछ भी नहीं

तेरे नाम का कुत्ता भी नहीं पालना

अत्यंत तिरस्कार और घृणा की अभिव्यक्ति है

मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

۔ مثل۔ زندہ کی سبھی خوشامد کرتے ہیں۔ مُردہ کا کوئی نام نہیں لیتا۔ روپیہ کے سب یار ہوتے ہےیں۔ کنگال کی مٹّی کو قبر میں اور زندہ کو اپنے گھر میں آرام ہے یعنی ہر شخص اپنے ہی مسکن میں خوش ہے۔

देने के नाम बदन का मैल भी नहीं देते

बड़े बख़ील हैं

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

better late than never

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सुब्ह का नाम नहीं लेते के अर्थदेखिए

सुब्ह का नाम नहीं लेते

sub.h kaa naam nahi.n leteصُبْح کا نام نَہِیں لیتے

वाक्य

सुब्ह का नाम नहीं लेते के हिंदी अर्थ

  • कंजूस के बारे में कहते हैं कि नाम लेने से खाना नहीं मिलता

صُبْح کا نام نَہِیں لیتے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کنجوس کے متعلق کہتے ہیں کہ نام لینے سے کھانا نہیں ملتا

Urdu meaning of sub.h kaa naam nahi.n lete

  • Roman
  • Urdu

  • kanjuus ke mutaalliq kahte hai.n ki naam lene se khaanaa nahii.n miltaa

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सुब्ह का नाम नहीं लेते

कंजूस के बारे में कहते हैं कि नाम लेने से खाना नहीं मिलता

सुब्ह को नाम नहीं लेते

सुब्ह को ख़ाली पेट किसी कंजूस का नाम लेना बुरा माना जाता है

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

सुब्ह ही सुब्ह ख़ुदा का नाम लो

सुबह को कोई झूट बोले तो कहते हैं

आज सुब्ह किस कंजूस का नाम लिया था

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

रात को नाम नहीं लेते हैं

एक अंधविश्वास कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है (इस लिए रस्सी कह देते हैं)

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम है

अच्छे बर्ताव और अच्छी सेवा की कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

۔مثل۔ نیک کام اور حسن خدمت کی کوئی داد نہیں دیتا۔ لیکن بُری بات فوراً پکڑ لی جاتی ہے۔

चलती का नाम गाड़ी नहीं ईंधन

कोई चीज़ जब तक काम दे तब तक अच्छी है नहीं तो कुछ भी नहीं

तेरे नाम का कुत्ता भी नहीं पालना

अत्यंत तिरस्कार और घृणा की अभिव्यक्ति है

मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

۔ مثل۔ زندہ کی سبھی خوشامد کرتے ہیں۔ مُردہ کا کوئی نام نہیں لیتا۔ روپیہ کے سب یار ہوتے ہےیں۔ کنگال کی مٹّی کو قبر میں اور زندہ کو اپنے گھر میں آرام ہے یعنی ہر شخص اپنے ہی مسکن میں خوش ہے۔

देने के नाम बदन का मैल भी नहीं देते

बड़े बख़ील हैं

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

better late than never

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