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रात ही रात

रात के अन्धेरे में, रात ही रात में, उजाला होने से पहले

रात ही राता

رات کے وقت رات بھر میں ، راتوں رات .

रात आँखों ही आँखों में काट देना

रुक : रात आँखों में काटना

रात आँखों ही आँखों में काटना

रुक : रात आँखों में काटना

तमाम रात मिम्याई एक ही बच्चा ब्याई

मेहनत बहुत की और फ़ायदा कम उठाया

सारी रात रोई और एक ही मरा

प्रयास बहुत की परंतु प्राप्त बहुत कम हुआ

हाथी के दाँत फ़क़त देखने ही के हैं

रुक : हाथी के दाँत खाने के और अलख

'औरत मर्द का जोड़ा है

स्त्री और पुरुष को एकस्थ रहना पड़ता है, स्त्री और पुरुष मिल कर ही पूरे होते हैं

'औरत ओर ककड़ी की बेल जल्दी बढ़ती है

खीरे की बेल की तरह औरत भी जल्द जवान हो जाती है

'औरत की ज़ात बे-वफ़ा होती है

औरत से वफ़ा नहीं होती, अगर उसे अवसर मिले तो वो बदचलन हो जाती है

'औरत न मर्द, मुवा हीजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीछड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

'औरत न मर्द, मुवा हिजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीछड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

'औरत न मर्द, मुवा हिजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छिछड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

'औरत न मर्द, मुवा हीजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीचड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

रात को झाड़ू देना मन्हूस है

रात को झाड़ू नहीं देना चाहिए लोगों का एक भ्रम

रात पड़ी है

बहुत रात बाक़ी है

रात पहाड़ हो जाना

बीमारी, इंतिज़ार या किसी और तकलीफ़ के बाइस रात लंबी महसूस होना, रात का काटे ना कटना, रात का कलीफ़ दह होजाना

दो दिन की चाँदनी है फिर अँधेरी रात

रुक : दो दिन की चांदनी फिर अंधेरा पाख़

रात-दिन का फ़र्क़ है

बहुत बड़ा अंतर स्पष्ट है

हुक़्क़े का मज़ा जिसने ज़माने में न जाना, वो मर्द मुख़न्नस है न 'औरत न ज़नाना

हुक़्क़े के रसिया हुक़्क़े की प्रशंसा या बड़ाई में कहते हैं

'औरत पर हाथ उठाना बुज़दिली है

स्त्री को नहीं मारना चाहिए

दो दिन की चाँदनी है फिर अँधियारी रात

रुक : दो दिन की चांदनी फिर अंधेरा पाख़

कौड़ी दाँतों से उठाता है

۔دیکھو دانتوں سے کوڑی اُٹھاتا ہے۔

'आदत धोए धाए से जाती है 'इल्लत नहीं जाती

रुक: आदत छूटे धोए-धाए आदि

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

मेरा दिल बे-दिल हुवा देख जगत की रेत

मैं दुनिया की बेवफ़ाई और स्वार्थता को देखकर बहुत परेशान हूँ

रात-दिन शेर का सामना है

हर रोज़ नई विपदा है

मर्द का नहाना , 'औरत का खाना बराबर है

दोनों इन कामों में जल्दी करते हैं यानी मर्द नहाता जलद है और औरत खाती जलद है

अंधे को दिन रात बराबर है

नासमझ जाहिल और अज्ञानी या अक्षम व्यक्ति, बुरे और भले में अंतर नहीं कर सकता

निखंड आधी रात है

ठीक निस्फ़ रात है

'आदत तबी'अत-ए-सानिया है

लत दूसरा स्वभाव बन जाती है

दाँत थे तो चने न थे, चने हुए तो दाँत नहीं

जब जवानी थी तो कुछ सामर्थ्य न था और जब सामर्थ्य हुआ तो जवानी न रही, बेवक़्त इच्छा प्राप्त होने पर बोलते हैं

रात-दिन मोहब्बत गर्म रहती है

इखट्टे मिल कर बैठते हैं

बेस्वा 'औरत और उगलती तलवार ख़स्म को मार खाती है

बदचलन औरत और मियान से उगलती हुई तलवार से जहां तक हो सके परहज़ करना चाहिए नहीं तो मार रखेगी

'औरत का राज है

जब कोई आदमी अपनी पत्नी के हाथ में हो

दाँत कुट्ठल हो जाना

खट्टी चीज़ खाने या और किसी वजह से दाँतों का काम न कर पाना

रात माँ का पेट है

रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं

जब चने थे तब दाँत न थे, जब दाँत हुए तब चने नहीं

जवानी में निर्धनता थी आनंद न उठाया, दीर्घायु में धन मिला अब आनंद उठाने का बल ही नहीं

जब चने न थे तो दाँत थे , जब चने हुए तो दाँत नहीं

रुक : जब चुने थे अलख , बेवक़त किसी चीज़ का हासिल होना

आमों की मिठास से दाँत खट्टे हो गए

آموں سے دل بھر گیا

रात की निय्यत हराम है

The vow of night is unblessed.

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो होय, नेह नगर की रीत है तन मन दोनों खोय

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

ओछे के साथ एहसान करना ऐसा है जैसे रेत में मूतना

जैसे रेत पर पेशाब का कोई असर नहीं होता वैसे ही ओछे पर एहसान करने का कोई असर नहीं होता

'औरत मोम की होती है

औरत को जिस माहौल में चाहो ढाला जा सकता है, जिस तरह चाहो मोड़ लो

रातों रोई एक ही मरा

मेहनत बहुत की लाभ कम हुआ, इतनी मेहनत की तब इतना काम हुआ

रात-दिन उस की तस्बीह है

हर वक़्त उसको याद करता है

क्यों दाँत निकालता है

बेमौक़े पर क्यों हँसते हो

क्या रात है

क्या ही शुभ और अच्छी बात है

चार दाँत है

चार वर्ष की आयु का घोड़ा है, चार साल का है

गू में कौड़ी गिरे तो दाँतों से उठाता है

बहुत हरीस और बख़ील आदमी की निसबत कहते हैं, बहुत कंजूस है, फ़ायदे के लिए ज़लील काम करने पर भी तैय्यार है

रातों रोई एक ही मुआ

मेहनत बहुत की लाभ कम हुआ, इतनी मेहनत की तब इतना काम हुआ

मर्द की बात हाथी का दाँत है

सज्जन लोग अपनी बात से नहीं पीछे हटते हैं

रात हो जाना

دن ختم ہو کر رات کا وقت آجانا ، سورج غروب ہوجانا .

रात अपनी है

फ़ुर्सत काफ़ी है

रात का पेट भारी है

रात सबका दोष छुपाने वाली है

दीवाली की रात को बूँटी पुकारती है

हिन्दुओं की आस्था है कि दीवाली की रात को पौधे भी बोलते हैं

रात तो अपनी अपनी है

फ़ुलां वक़्त या काम तो अपना है, ये वक़्त तो क़ाबू का है

उलटी वाकी रीत है उलटी वाकी चाल, जो नर भोंडी राह में अपना खोवे माल

जो व्यक्ति अपना धन बेकार चीज़ों में बर्बाद करता है वह बहुत बड़ा मूर्ख है

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो के अर्थदेखिए

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

priit Dagar jab pag rakhaa honii hoy so ho, neh nagar kii riit hai tan man diino khoپِرِیت ڈَگَر جَب پَگ رَکّھا ہونی ہوئے سو ہو، نِیْہ نَگََر کی رِیت ہے تَن مَن دینو کھو

अथवा : प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो होय, नेह नगर की रीत है तन मन दोनों खोय

कहावत

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो के हिंदी अर्थ

  • प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है
  • जब प्रेम हो जाए तो फिर कठिनता से घबराना नहीं चाहिये

پِرِیت ڈَگَر جَب پَگ رَکّھا ہونی ہوئے سو ہو، نِیْہ نَگََر کی رِیت ہے تَن مَن دینو کھو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • محبت میں دین و دنیا کا ہوش نہیں رہتا، انسان بے پروا ہو جاتا ہے
  • جب محبت ہوجائے تو پھر مشکلات سے گھبرانا نہیں چاہیے

Urdu meaning of priit Dagar jab pag rakhaa honii hoy so ho, neh nagar kii riit hai tan man diino kho

  • Roman
  • Urdu

  • muhabbat me.n diin-o-duniyaa ka hosh nahii.n rahtaa, insaan beparva ho jaataa hai
  • jab muhabbat hojaa.e to phir mushkilaat se ghabraanaa nahii.n chaahi.e

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रात ही रात

रात के अन्धेरे में, रात ही रात में, उजाला होने से पहले

रात ही राता

رات کے وقت رات بھر میں ، راتوں رات .

रात आँखों ही आँखों में काट देना

रुक : रात आँखों में काटना

रात आँखों ही आँखों में काटना

रुक : रात आँखों में काटना

तमाम रात मिम्याई एक ही बच्चा ब्याई

मेहनत बहुत की और फ़ायदा कम उठाया

सारी रात रोई और एक ही मरा

प्रयास बहुत की परंतु प्राप्त बहुत कम हुआ

हाथी के दाँत फ़क़त देखने ही के हैं

रुक : हाथी के दाँत खाने के और अलख

'औरत मर्द का जोड़ा है

स्त्री और पुरुष को एकस्थ रहना पड़ता है, स्त्री और पुरुष मिल कर ही पूरे होते हैं

'औरत ओर ककड़ी की बेल जल्दी बढ़ती है

खीरे की बेल की तरह औरत भी जल्द जवान हो जाती है

'औरत की ज़ात बे-वफ़ा होती है

औरत से वफ़ा नहीं होती, अगर उसे अवसर मिले तो वो बदचलन हो जाती है

'औरत न मर्द, मुवा हीजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीछड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

'औरत न मर्द, मुवा हिजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीछड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

'औरत न मर्द, मुवा हिजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छिछड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

'औरत न मर्द, मुवा हीजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीचड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

रात को झाड़ू देना मन्हूस है

रात को झाड़ू नहीं देना चाहिए लोगों का एक भ्रम

रात पड़ी है

बहुत रात बाक़ी है

रात पहाड़ हो जाना

बीमारी, इंतिज़ार या किसी और तकलीफ़ के बाइस रात लंबी महसूस होना, रात का काटे ना कटना, रात का कलीफ़ दह होजाना

दो दिन की चाँदनी है फिर अँधेरी रात

रुक : दो दिन की चांदनी फिर अंधेरा पाख़

रात-दिन का फ़र्क़ है

बहुत बड़ा अंतर स्पष्ट है

हुक़्क़े का मज़ा जिसने ज़माने में न जाना, वो मर्द मुख़न्नस है न 'औरत न ज़नाना

हुक़्क़े के रसिया हुक़्क़े की प्रशंसा या बड़ाई में कहते हैं

'औरत पर हाथ उठाना बुज़दिली है

स्त्री को नहीं मारना चाहिए

दो दिन की चाँदनी है फिर अँधियारी रात

रुक : दो दिन की चांदनी फिर अंधेरा पाख़

कौड़ी दाँतों से उठाता है

۔دیکھو دانتوں سے کوڑی اُٹھاتا ہے۔

'आदत धोए धाए से जाती है 'इल्लत नहीं जाती

रुक: आदत छूटे धोए-धाए आदि

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

मेरा दिल बे-दिल हुवा देख जगत की रेत

मैं दुनिया की बेवफ़ाई और स्वार्थता को देखकर बहुत परेशान हूँ

रात-दिन शेर का सामना है

हर रोज़ नई विपदा है

मर्द का नहाना , 'औरत का खाना बराबर है

दोनों इन कामों में जल्दी करते हैं यानी मर्द नहाता जलद है और औरत खाती जलद है

अंधे को दिन रात बराबर है

नासमझ जाहिल और अज्ञानी या अक्षम व्यक्ति, बुरे और भले में अंतर नहीं कर सकता

निखंड आधी रात है

ठीक निस्फ़ रात है

'आदत तबी'अत-ए-सानिया है

लत दूसरा स्वभाव बन जाती है

दाँत थे तो चने न थे, चने हुए तो दाँत नहीं

जब जवानी थी तो कुछ सामर्थ्य न था और जब सामर्थ्य हुआ तो जवानी न रही, बेवक़्त इच्छा प्राप्त होने पर बोलते हैं

रात-दिन मोहब्बत गर्म रहती है

इखट्टे मिल कर बैठते हैं

बेस्वा 'औरत और उगलती तलवार ख़स्म को मार खाती है

बदचलन औरत और मियान से उगलती हुई तलवार से जहां तक हो सके परहज़ करना चाहिए नहीं तो मार रखेगी

'औरत का राज है

जब कोई आदमी अपनी पत्नी के हाथ में हो

दाँत कुट्ठल हो जाना

खट्टी चीज़ खाने या और किसी वजह से दाँतों का काम न कर पाना

रात माँ का पेट है

रात को सब आराम पाते हैं, रात को खोट एवं दुर्गुण छुपे रहते हैं

जब चने थे तब दाँत न थे, जब दाँत हुए तब चने नहीं

जवानी में निर्धनता थी आनंद न उठाया, दीर्घायु में धन मिला अब आनंद उठाने का बल ही नहीं

जब चने न थे तो दाँत थे , जब चने हुए तो दाँत नहीं

रुक : जब चुने थे अलख , बेवक़त किसी चीज़ का हासिल होना

आमों की मिठास से दाँत खट्टे हो गए

آموں سے دل بھر گیا

रात की निय्यत हराम है

The vow of night is unblessed.

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो होय, नेह नगर की रीत है तन मन दोनों खोय

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

ओछे के साथ एहसान करना ऐसा है जैसे रेत में मूतना

जैसे रेत पर पेशाब का कोई असर नहीं होता वैसे ही ओछे पर एहसान करने का कोई असर नहीं होता

'औरत मोम की होती है

औरत को जिस माहौल में चाहो ढाला जा सकता है, जिस तरह चाहो मोड़ लो

रातों रोई एक ही मरा

मेहनत बहुत की लाभ कम हुआ, इतनी मेहनत की तब इतना काम हुआ

रात-दिन उस की तस्बीह है

हर वक़्त उसको याद करता है

क्यों दाँत निकालता है

बेमौक़े पर क्यों हँसते हो

क्या रात है

क्या ही शुभ और अच्छी बात है

चार दाँत है

चार वर्ष की आयु का घोड़ा है, चार साल का है

गू में कौड़ी गिरे तो दाँतों से उठाता है

बहुत हरीस और बख़ील आदमी की निसबत कहते हैं, बहुत कंजूस है, फ़ायदे के लिए ज़लील काम करने पर भी तैय्यार है

रातों रोई एक ही मुआ

मेहनत बहुत की लाभ कम हुआ, इतनी मेहनत की तब इतना काम हुआ

मर्द की बात हाथी का दाँत है

सज्जन लोग अपनी बात से नहीं पीछे हटते हैं

रात हो जाना

دن ختم ہو کر رات کا وقت آجانا ، سورج غروب ہوجانا .

रात अपनी है

फ़ुर्सत काफ़ी है

रात का पेट भारी है

रात सबका दोष छुपाने वाली है

दीवाली की रात को बूँटी पुकारती है

हिन्दुओं की आस्था है कि दीवाली की रात को पौधे भी बोलते हैं

रात तो अपनी अपनी है

फ़ुलां वक़्त या काम तो अपना है, ये वक़्त तो क़ाबू का है

उलटी वाकी रीत है उलटी वाकी चाल, जो नर भोंडी राह में अपना खोवे माल

जो व्यक्ति अपना धन बेकार चीज़ों में बर्बाद करता है वह बहुत बड़ा मूर्ख है

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

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