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मरे

die

मरेलिया

مریل شخص (بطور تحقیر مستعمل) ۔

मरे दिल से

unwillingly

मरेच

काली मिर्च, मिर्च, मिर्च का पौधा

मरे पर

मरने पर, मरने के बाद

मरेचा

رک : مرچا

मरे पीछे

मरने के बाद

मरे पटे

एक अभिशाप वाक्यांश, एक कोसना, गाली

मरे होते

۔میری موجودگی میں۔؎

मरे के बा'द

मरने के बाद, मौत के बाद

मरेजाना

(نباتیات) بسنتی گلاب کے خاندان سے ایک جڑی بوٹی نیز ارغوانی یا سفید پھول جو خراب موسم کی آمد پر کھلنا بند ہو جاتے ہیں

मरे सो हम

मुसीबत सिर्फ़ हमारे लिए है

मरे मुर्दे उखेड़ना

۔اگلی پچھلی باتوں کی بکھاں کرنا۔

मरे मुर्दे उखाड़ना

अगली पिछली बातों को छेड़ना

मरे पे बेद

वक़्त गुज़र जाने पर कोशिश करने के मौके़ पर कहते हैं

मरे न जिए बकर बकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे उसे भी कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

मरे न जिए हकर हकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

मरे हुए होना

फ़िदा होना, मोहित होना, आशिक़ होना

मरे जाएँ मलहारें गाएँ

पेट से फ़ाक़ा मगर कोई पर्वा नहीं

मरे जाएँ मलहार गाएँ

पेट से फ़ाक़ा मगर कोई पर्वा नहीं

मरे की ख़बर लाना

मृत्यु का संदेश लाना, मौत का पैग़ाम लाना, मरने की ख़बर देना

मरे माँ , जीवे मासी

अगर माँ मर जाये और ख़ाला जीती रहे तो बच्चे पुल जाते हैं क्योंकि उस की मुहब्बत भी माँ के बराबर होती है

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे जाना

۱۔ मुज़्तरिब होना, फ़िक्रमंद होना नीज़ जल्दी करना

मरे का कोई नहीं, जीते के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

मरे पर सौ दुर्रे

मरे को सब मारते हैं

मरे हुओं पर मत रोओ बल्कि बेवक़ूफ़ों पर गिर्या करो

(तुर्की कहावत उर्दू में मुस्तामल) । मुरदे को रोने से बेहतर है बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ी का मातम करें

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

मरे बावा की बड़ी बड़ी आँखें

बाद इवफ़ात बुज़ुर्ग की बज़रगदाशत ज़्यादा करना

मरे को मारें शाह मँदार

ग़रीब के सब बदख़वाह होते हैं या मुसीबतज़दा पर एक और मुसीबत

मरे को मर जाने दे, हल्वा पूरी खाने दे

स्वार्थी अपना ही लाभ चाहता है

मरे को मारें शाह मदार

۔مثل غریب کے سب بدخواہ ہوتے ہیں۔(فقرہ)چکروں نے پہلے ہی جان پر بنارکھی تھی بچے کی ضد اور مرے کو مارے شاہ مدار ہوگئی۔

मरे न पीछा छोड़े

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे को मारे शामत-ज़दा

रुक : मरे को मारें शाह मदार जो ज़्यादा मुस्तामल है

मरे तो शहीद, मारे तो ग़ाज़ी

हर हालत में अच्छाई है

मरेह-उल-फ़ुवाद

(طب) بیمار ، کمزور ، کمزور دل

मरे को मर जाने दे, हल्वा पूड़ी खाने दे

स्वार्थी अपना ही लाभ चाहता है

मरे घोड़े का ना'ल नफ़ा'

जाती चीज़ में से जो हासिल हो जाये वही सही

मरे चोर पराए धन

जो दूसरों की संपत्ति निहारता है वह चोर है

मरे चोर पराए धन पर

पराए माल की ख़ातिर जान देना हमाक़त है, बेगाना माल मारना आसान नहीं, चोर पराए माल पर अपनी जान खो देता है

मरे बैठना

(किसी बात के लिए) तैयार और राज़ी होना

मरे हुए बैल के बड़े बड़े दीदे

रुक : मरे बावा की बड़ी बड़ी आँखें

मरे को मारना

दुखी को और कष्ट देना

मरे को मारे शाह मदार

निर्धन का सब बुरा चाहने वाले होते हैं या दुखी एवं पीड़ित पर एक और मुसीबत

मरे पार या भरे पार

जो चाहे करे

पड़ न मरे लड़ मरे

अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

ढोर-मरे

कोसना, बद्दुआ, श्राप, बदगोई

माँ मरे

सौगंध के रूप में प्रयोग किया जाता है, अर्थात मेरी सलामती नहीं, मेरी बख़्शिश नहीं

डूब मरे

(कलमा-ए-तनफ़्फ़ुर) ग़ारत हो जा, दुनिया से मुंह छिपा ले, मुंह ना दिखा, दफ़ान हो जा, इस ख़जालत से तो बेहतर है कि मिर्जा (किसी बुराई की मज़म्मत में कहते हैं

लीपूँ ओटा मरे मोटा

आचार्य जी ब्रह्मनों के संबंध में कहते हैं

तुम्हारे मरे देस पाक , हमारे मरे देस ख़ाक

शेखी भगारने के मौक़ा पर कहते हैं

तुम्हारे मरे देस ख़ाक , हमारे मरे देस पाक

फ़िरोतनी और आजिज़ी ज़ाहिर करने को कहते हैं

पेटू मरे पेट को, नामी मरे नाम को

पेटू का ध्यान हर समय खाने पर रहता है और प्रतिष्ठित को अपनी प्रतिष्ठिा एवं सम्मान का

जवाना मर्ग मरे

(ओ) ख़ुदा करे जवान ही मर जाये (बतौर कौनसा)

मर्द मरे नाम को, ना-मर्द मरे नान को

जवाँ-मर्द आदमी नेकनामी के लिए जान से गुज़र जाता है लेकिन कमीना आदमी रोटी के टुकड़ों पर मरता है

भूमियाँ तो भूमी पे मरे, तू क्यों मरे बुटेर

भुमिहार तो भुमि के लिए लड़ता है तो ए बटेर क्यों लड़ती है, जहाँ कोई चाहे न चाहे में लड़ाई मोल ले वहाँ कहते हैं

माँ मरे मौसी जिये

माँ और मौसी की मोहब्बत में कोई अंतर नहीं, माँ मर जाए तो मौसी बच्चों की देखभाल करती है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मरे पे बेद के अर्थदेखिए

मरे पे बेद

mare pe bedمَرے پَہ بید

कहावत

मरे पे बेद के हिंदी अर्थ

  • वक़्त गुज़र जाने पर कोशिश करने के मौके़ पर कहते हैं

مَرے پَہ بید کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • وقت گزر جانے پر کوشش کرنے کے موقعے پر کہتے ہیں

Urdu meaning of mare pe bed

  • Roman
  • Urdu

  • vaqt guzar jaane par koshish karne ke mauke par kahte hai.n

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मरे

die

मरेलिया

مریل شخص (بطور تحقیر مستعمل) ۔

मरे दिल से

unwillingly

मरेच

काली मिर्च, मिर्च, मिर्च का पौधा

मरे पर

मरने पर, मरने के बाद

मरेचा

رک : مرچا

मरे पीछे

मरने के बाद

मरे पटे

एक अभिशाप वाक्यांश, एक कोसना, गाली

मरे होते

۔میری موجودگی میں۔؎

मरे के बा'द

मरने के बाद, मौत के बाद

मरेजाना

(نباتیات) بسنتی گلاب کے خاندان سے ایک جڑی بوٹی نیز ارغوانی یا سفید پھول جو خراب موسم کی آمد پر کھلنا بند ہو جاتے ہیں

मरे सो हम

मुसीबत सिर्फ़ हमारे लिए है

मरे मुर्दे उखेड़ना

۔اگلی پچھلی باتوں کی بکھاں کرنا۔

मरे मुर्दे उखाड़ना

अगली पिछली बातों को छेड़ना

मरे पे बेद

वक़्त गुज़र जाने पर कोशिश करने के मौके़ पर कहते हैं

मरे न जिए बकर बकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे उसे भी कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

मरे न जिए हकर हकर करे

रुक : मरे ना पीछा छोड़े, जो आदमी हरवक़त तंग करे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं, जब तक ज़िंदा है तंग करेगा

मरे हुए होना

फ़िदा होना, मोहित होना, आशिक़ होना

मरे जाएँ मलहारें गाएँ

पेट से फ़ाक़ा मगर कोई पर्वा नहीं

मरे जाएँ मलहार गाएँ

पेट से फ़ाक़ा मगर कोई पर्वा नहीं

मरे की ख़बर लाना

मृत्यु का संदेश लाना, मौत का पैग़ाम लाना, मरने की ख़बर देना

मरे माँ , जीवे मासी

अगर माँ मर जाये और ख़ाला जीती रहे तो बच्चे पुल जाते हैं क्योंकि उस की मुहब्बत भी माँ के बराबर होती है

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा ले

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे न माँझा दे

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे जाना

۱۔ मुज़्तरिब होना, फ़िक्रमंद होना नीज़ जल्दी करना

मरे का कोई नहीं, जीते के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

मरे पर सौ दुर्रे

मरे को सब मारते हैं

मरे हुओं पर मत रोओ बल्कि बेवक़ूफ़ों पर गिर्या करो

(तुर्की कहावत उर्दू में मुस्तामल) । मुरदे को रोने से बेहतर है बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ी का मातम करें

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

मरे बावा की बड़ी बड़ी आँखें

बाद इवफ़ात बुज़ुर्ग की बज़रगदाशत ज़्यादा करना

मरे को मारें शाह मँदार

ग़रीब के सब बदख़वाह होते हैं या मुसीबतज़दा पर एक और मुसीबत

मरे को मर जाने दे, हल्वा पूरी खाने दे

स्वार्थी अपना ही लाभ चाहता है

मरे को मारें शाह मदार

۔مثل غریب کے سب بدخواہ ہوتے ہیں۔(فقرہ)چکروں نے پہلے ہی جان پر بنارکھی تھی بچے کی ضد اور مرے کو مارے شاہ مدار ہوگئی۔

मरे न पीछा छोड़े

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मरे को मारे शामत-ज़दा

रुक : मरे को मारें शाह मदार जो ज़्यादा मुस्तामल है

मरे तो शहीद, मारे तो ग़ाज़ी

हर हालत में अच्छाई है

मरेह-उल-फ़ुवाद

(طب) بیمار ، کمزور ، کمزور دل

मरे को मर जाने दे, हल्वा पूड़ी खाने दे

स्वार्थी अपना ही लाभ चाहता है

मरे घोड़े का ना'ल नफ़ा'

जाती चीज़ में से जो हासिल हो जाये वही सही

मरे चोर पराए धन

जो दूसरों की संपत्ति निहारता है वह चोर है

मरे चोर पराए धन पर

पराए माल की ख़ातिर जान देना हमाक़त है, बेगाना माल मारना आसान नहीं, चोर पराए माल पर अपनी जान खो देता है

मरे बैठना

(किसी बात के लिए) तैयार और राज़ी होना

मरे हुए बैल के बड़े बड़े दीदे

रुक : मरे बावा की बड़ी बड़ी आँखें

मरे को मारना

दुखी को और कष्ट देना

मरे को मारे शाह मदार

निर्धन का सब बुरा चाहने वाले होते हैं या दुखी एवं पीड़ित पर एक और मुसीबत

मरे पार या भरे पार

जो चाहे करे

पड़ न मरे लड़ मरे

अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

ढोर-मरे

कोसना, बद्दुआ, श्राप, बदगोई

माँ मरे

सौगंध के रूप में प्रयोग किया जाता है, अर्थात मेरी सलामती नहीं, मेरी बख़्शिश नहीं

डूब मरे

(कलमा-ए-तनफ़्फ़ुर) ग़ारत हो जा, दुनिया से मुंह छिपा ले, मुंह ना दिखा, दफ़ान हो जा, इस ख़जालत से तो बेहतर है कि मिर्जा (किसी बुराई की मज़म्मत में कहते हैं

लीपूँ ओटा मरे मोटा

आचार्य जी ब्रह्मनों के संबंध में कहते हैं

तुम्हारे मरे देस पाक , हमारे मरे देस ख़ाक

शेखी भगारने के मौक़ा पर कहते हैं

तुम्हारे मरे देस ख़ाक , हमारे मरे देस पाक

फ़िरोतनी और आजिज़ी ज़ाहिर करने को कहते हैं

पेटू मरे पेट को, नामी मरे नाम को

पेटू का ध्यान हर समय खाने पर रहता है और प्रतिष्ठित को अपनी प्रतिष्ठिा एवं सम्मान का

जवाना मर्ग मरे

(ओ) ख़ुदा करे जवान ही मर जाये (बतौर कौनसा)

मर्द मरे नाम को, ना-मर्द मरे नान को

जवाँ-मर्द आदमी नेकनामी के लिए जान से गुज़र जाता है लेकिन कमीना आदमी रोटी के टुकड़ों पर मरता है

भूमियाँ तो भूमी पे मरे, तू क्यों मरे बुटेर

भुमिहार तो भुमि के लिए लड़ता है तो ए बटेर क्यों लड़ती है, जहाँ कोई चाहे न चाहे में लड़ाई मोल ले वहाँ कहते हैं

माँ मरे मौसी जिये

माँ और मौसी की मोहब्बत में कोई अंतर नहीं, माँ मर जाए तो मौसी बच्चों की देखभाल करती है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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