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क्या हो

क्या सत्य है, क्या चीज़ हो, क्या सामर्थ्य है

क्या हुआ

यूं हुआ की जगह (उमूमन किसी वाक़िया को धराते वक़्त मुस्तामल)

क्या होता

क्या प्रभाव होता, क्या लाभ होता, कुछ भी न होता, थोड़ा प्रभावित न करता

क्या हो गया

इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो गया की जगह मुस्तामल

क्या होगा

क्या सामने आएगा, क्या स्थिति होगी, क्या बीतेगी

क्या हो जाएगा

क्या बिगड़ जाएगा, कौन सा नुक़सान होगा, कुछ नहीं होगा

क्या होएगा

क्या पेश आएगा, क्या हाल होगा, क्या बीतेगी

क्या होना है

क्या इन्क़िलाब होना है की जगह मुस्तामल

क्या होता है

कुछ नहीं होता, कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता, कुछ नहीं बिगड़ता

क्या हुआ था

किस ख़्याल में था, अक़ल कहाँ थी, हवास कहाँ थे

क्या अच्छा हो

कितना अच्छा हो, कितना लुत्फ़ आए, मज़ा आजाए

देखिए क्या हो

(मार्गदर्शक विचार) का क्या परिणाम हो, क्या नतीजा निकले, पता नहीं क्या घटित हो, क्या देखने को मिले

तुम क्या हो

اکیلے تم پر موقوف نہیں.

क्या मज़ हो

रुक : क्या लुतफ़ हो

क्या मज़ा हो

۔ بڑا لطف ہو۔ ؎

क्या लुत्फ़ हो

बड़ा लुतफ़ हो, बहुत मज़ा आए

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

पत्थर को असर क्या हो

۔ मिसल। बेवक़ूफ़ कमअक़्ल पर किसी फ़हमाइश और तालीम का असर नहीं होता।

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

लकड़ी क्या जले क्या उजाला हो

एक व्यक्ति किसी की कहाँ तक मदद कर सकता है, अकेला व्यक्ति किस-किस का सहानुभूतिशील बने

क्या का क्या हो जाना

हालात का उलट पलट जाना, कुछ ना कुछ हो जाना, सूरत-ए-हाल में इन्क़िलाब रुनुमा हो जाना

ये क्या हो गया

अचानक कोई अफ़सोसनाक वाक़िया पेश आने पर बोलते हैं

तुम भी क्या हो

کہنا کچھ کرنا کچھ ، سامنے کچھ پیچھے کچھ

तुम क्या करते हो

What do you do?

क्या गत हो गई

क्या हालत हो गई है मतलब बुरा हाल है

क्या झक मारते हो

जब कोई अनाप-शनाप और बेकार की बकवास करे तो कहते हैं

क्या गूह खाते हो

बेहूदा और फ़ुज़ूल बकवास करते हो

क्या आदमी हो

अजीब आदमी हो, ख़ूब आदमी हो (तहसीन-ओ-तंज़ दोनों के लिए)

क्या गाते हो

۔ क्या फ़ुज़ूल बिकते हो।

कहो तो सही क्या हो

ख़ूब आदमी हो

क्या कुछ सुना चाहते हो

क्या बुरा-भला सुनने को जी चाहता है, क्या गालियां सुनने को जी चाहता है जो ग़लत काम कर रहे हो

क्या खट राग गाते हो

क्या बकवास करते हो, क्या बेहूदा बकते हो

कल क्या हो

ख़ुदा जाने आइन्दा क्या हो

क्या आँखों में ख़ाक डालते हो

क्या खुल्लम-खुल्ला धोखा दे रहे हो, क्यों बहाने बनाते और छल करते हो

क्या आँखों में ख़ाक डालते हो

۔دیکھو آنکھوں میں خاک ڈالنا۔

हम से क्या चल सकते हो

हम तुम्हारे फ़रेब में नहीं आयेंगे, हमें कब फ़रेब और दांव दे सकते हो

क्या से क्या हो जाना

कुछ का कुछ हो जाना, इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो जाना, बिलकुल बदल जाना

क्या ख़ूब समझते हो

बहुत अहमक़ हो, (आप के साथ) हमाक़त और नादानी के इज़हार के लिए बजाय '' आप नहीं समझते हैं , आप बिलकुल नहीं समझते हैं '' मुस्तामल है

तुम क्या क़ाज़ी हो

तुम को इस मुआमले से किया, तुम इस में दख़ल ना दो

तेली की जोरू हो कर क्या पानी से नहाए

ऐसे अमीर के रफ़ीक़ हो कर भी हाथ ह रंगीं तो कब रंगींगे

आज क्या घोड़े बेच के सोए हो

आज ख़ूब सोए हो जैसे किसी बात की परवाह ही नहीं

माँ डाएन हो गई तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

माँ डाएन हो तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

कया फूँ फाँ करते हो

क्या धमकाते हो

क़ाज़ी जी के मरने से क्या शहर सूना हो जाएगा

एक के न होने से कुछ हानि नहीं

ये दो दिन में क्या माजरा हो गया

थोड़े समय में किसी बहुत बड़े परिवर्तन के अवसर पर कहते हैं, दुनिया ही बदल गई

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

आगे रोक पीछे ठोक, ससुर सड़कै न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

क्या नाक ले कर बोलते या बात करते हो

किस मुंह से बात करते हो, शर्माओ, अपने गरीबां में मुनह डालो

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

तक़दीर के लिखे को तदबीर क्या करे, हाकिम ख़फ़ा हो तो वज़ीर क्या करे

भाग्य नहीं बदल सकता, जो भाग्य में लिखा है वह अवश्य होगा

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

साईं जिस को राख ले मारन हारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

साईं जिस को राख ले मारन मारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

तक़दीर के लिखे को तदबीर क्या करे, गर हाकिम ख़फ़ा हो तो वज़ीर क्या करे

भाग्य नहीं बदल सकता, जो भाग्य में लिखा है वह अवश्य होगा

साईं जिस के साथ हो उस को सांसा क्या, छिन में उस के कार सब दे भगवान बना

ईश्वर जिसका सहायक हो उसके काम पल में बन जाते हैं

टाल बता उस को न तू जिस से किया क़रार, चाहे हो बैरी तेरा चाहे होवे यार

वा'दा करके पूरा करना चाहिए चाहे दोस्त से हो चाहे शत्रु से

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या था और क्या हो गया के अर्थदेखिए

क्या था और क्या हो गया

kyaa thaa aur kyaa ho gayaaکیا تھا اَور کیا ہو گَیا

कहावत

क्या था और क्या हो गया के हिंदी अर्थ

  • समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

کیا تھا اَور کیا ہو گَیا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • زمانہ دگر گوں ہو گیا ؛ بنا ہوا کام یا بات بگڑ گئی.

Urdu meaning of kyaa thaa aur kyaa ho gayaa

  • Roman
  • Urdu

  • zamaana dagargo.n ho gayaa ; banaa hu.a kaam ya baat biga.D ga.ii

खोजे गए शब्द से संबंधित

क्या हो

क्या सत्य है, क्या चीज़ हो, क्या सामर्थ्य है

क्या हुआ

यूं हुआ की जगह (उमूमन किसी वाक़िया को धराते वक़्त मुस्तामल)

क्या होता

क्या प्रभाव होता, क्या लाभ होता, कुछ भी न होता, थोड़ा प्रभावित न करता

क्या हो गया

इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो गया की जगह मुस्तामल

क्या होगा

क्या सामने आएगा, क्या स्थिति होगी, क्या बीतेगी

क्या हो जाएगा

क्या बिगड़ जाएगा, कौन सा नुक़सान होगा, कुछ नहीं होगा

क्या होएगा

क्या पेश आएगा, क्या हाल होगा, क्या बीतेगी

क्या होना है

क्या इन्क़िलाब होना है की जगह मुस्तामल

क्या होता है

कुछ नहीं होता, कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता, कुछ नहीं बिगड़ता

क्या हुआ था

किस ख़्याल में था, अक़ल कहाँ थी, हवास कहाँ थे

क्या अच्छा हो

कितना अच्छा हो, कितना लुत्फ़ आए, मज़ा आजाए

देखिए क्या हो

(मार्गदर्शक विचार) का क्या परिणाम हो, क्या नतीजा निकले, पता नहीं क्या घटित हो, क्या देखने को मिले

तुम क्या हो

اکیلے تم پر موقوف نہیں.

क्या मज़ हो

रुक : क्या लुतफ़ हो

क्या मज़ा हो

۔ بڑا لطف ہو۔ ؎

क्या लुत्फ़ हो

बड़ा लुतफ़ हो, बहुत मज़ा आए

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

पत्थर को असर क्या हो

۔ मिसल। बेवक़ूफ़ कमअक़्ल पर किसी फ़हमाइश और तालीम का असर नहीं होता।

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

लकड़ी क्या जले क्या उजाला हो

एक व्यक्ति किसी की कहाँ तक मदद कर सकता है, अकेला व्यक्ति किस-किस का सहानुभूतिशील बने

क्या का क्या हो जाना

हालात का उलट पलट जाना, कुछ ना कुछ हो जाना, सूरत-ए-हाल में इन्क़िलाब रुनुमा हो जाना

ये क्या हो गया

अचानक कोई अफ़सोसनाक वाक़िया पेश आने पर बोलते हैं

तुम भी क्या हो

کہنا کچھ کرنا کچھ ، سامنے کچھ پیچھے کچھ

तुम क्या करते हो

What do you do?

क्या गत हो गई

क्या हालत हो गई है मतलब बुरा हाल है

क्या झक मारते हो

जब कोई अनाप-शनाप और बेकार की बकवास करे तो कहते हैं

क्या गूह खाते हो

बेहूदा और फ़ुज़ूल बकवास करते हो

क्या आदमी हो

अजीब आदमी हो, ख़ूब आदमी हो (तहसीन-ओ-तंज़ दोनों के लिए)

क्या गाते हो

۔ क्या फ़ुज़ूल बिकते हो।

कहो तो सही क्या हो

ख़ूब आदमी हो

क्या कुछ सुना चाहते हो

क्या बुरा-भला सुनने को जी चाहता है, क्या गालियां सुनने को जी चाहता है जो ग़लत काम कर रहे हो

क्या खट राग गाते हो

क्या बकवास करते हो, क्या बेहूदा बकते हो

कल क्या हो

ख़ुदा जाने आइन्दा क्या हो

क्या आँखों में ख़ाक डालते हो

क्या खुल्लम-खुल्ला धोखा दे रहे हो, क्यों बहाने बनाते और छल करते हो

क्या आँखों में ख़ाक डालते हो

۔دیکھو آنکھوں میں خاک ڈالنا۔

हम से क्या चल सकते हो

हम तुम्हारे फ़रेब में नहीं आयेंगे, हमें कब फ़रेब और दांव दे सकते हो

क्या से क्या हो जाना

कुछ का कुछ हो जाना, इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो जाना, बिलकुल बदल जाना

क्या ख़ूब समझते हो

बहुत अहमक़ हो, (आप के साथ) हमाक़त और नादानी के इज़हार के लिए बजाय '' आप नहीं समझते हैं , आप बिलकुल नहीं समझते हैं '' मुस्तामल है

तुम क्या क़ाज़ी हो

तुम को इस मुआमले से किया, तुम इस में दख़ल ना दो

तेली की जोरू हो कर क्या पानी से नहाए

ऐसे अमीर के रफ़ीक़ हो कर भी हाथ ह रंगीं तो कब रंगींगे

आज क्या घोड़े बेच के सोए हो

आज ख़ूब सोए हो जैसे किसी बात की परवाह ही नहीं

माँ डाएन हो गई तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

माँ डाएन हो तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

कया फूँ फाँ करते हो

क्या धमकाते हो

क़ाज़ी जी के मरने से क्या शहर सूना हो जाएगा

एक के न होने से कुछ हानि नहीं

ये दो दिन में क्या माजरा हो गया

थोड़े समय में किसी बहुत बड़े परिवर्तन के अवसर पर कहते हैं, दुनिया ही बदल गई

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

आगे रोक पीछे ठोक, ससुर सड़कै न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

क्या नाक ले कर बोलते या बात करते हो

किस मुंह से बात करते हो, शर्माओ, अपने गरीबां में मुनह डालो

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिसकी न फटी हो बिवाई वो क्या जाने पीड़ पराई

one who has not suffered cannot understand the sorrows of others or sympathize with them

जिस की न फटी हो बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई

जिस को कभी दुख नहीं पहुंचा उस को दर्द मंदों के दर्द की क्या पर्वा

तक़दीर के लिखे को तदबीर क्या करे, हाकिम ख़फ़ा हो तो वज़ीर क्या करे

भाग्य नहीं बदल सकता, जो भाग्य में लिखा है वह अवश्य होगा

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

साईं जिस को राख ले मारन हारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

साईं जिस को राख ले मारन मारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

तक़दीर के लिखे को तदबीर क्या करे, गर हाकिम ख़फ़ा हो तो वज़ीर क्या करे

भाग्य नहीं बदल सकता, जो भाग्य में लिखा है वह अवश्य होगा

साईं जिस के साथ हो उस को सांसा क्या, छिन में उस के कार सब दे भगवान बना

ईश्वर जिसका सहायक हो उसके काम पल में बन जाते हैं

टाल बता उस को न तू जिस से किया क़रार, चाहे हो बैरी तेरा चाहे होवे यार

वा'दा करके पूरा करना चाहिए चाहे दोस्त से हो चाहे शत्रु से

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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