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"घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो" शब्द से संबंधित परिणाम
हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो के अर्थदेखिए
घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो के हिंदी अर्थ
- शरीफ़ इशारों से मान जाता है, कमीना या ज़लील पट कर भी नहीं समझता
گھوڑی کو اِشارَہ کافی ہے ، گَدھے کو لاٹِھیاں پِیٹا کَرو کے اردو معانی
- Roman
- Urdu
- شریف اشاروں سے مان جاتا ہے ، کمینہ یا ذلیل پٹ کر بھی نہیں سمجھتا .
Urdu meaning of gho.Dii ko ishaara kaafii hai , gadhe ko laaThiyaa.n piiTaa karo
- Roman
- Urdu
- shariif ishaaro.n se maan jaataa hai, kamiina ya zaliil paT kar bhii nahii.n samajhtaa
खोजे गए शब्द से संबंधित
वक़्त पर गधे को बाप बनाना पड़ता है
मुसीबत या ज़रूरत के समय घटिया से घटिया और छोटे से छोटे की ख़ुशामद करना पड़ती है
ज़रूरत के वक़्त गधे को भी बाप बनाना पड़ता है
विवशता में हर किसी की चापलूसी करनी पड़ती है, लाचारी की स्थिति में आदमी को सब कुछ करना पड़ता है, विवशता के समय अपने से निम्न व्यक्ति की भी चापलूसी करना पड़ती है
ग़रज़ के लिए गधे को बाप बनाना पड़ता है
ज़रूरतमंद को मतलबी की भी ख़ुशामद करनी पड़ती है, ज़रूरतमंद को अपमानजनक काम करना पड़ता है
वक़्त पड़े पर गधे को बाप बना लिया जाता है
लाचारी में अदना से अदना की ख़ुशामद करनी पड़ती है (मजबूरी के मौके़ पर बोलते हैं
घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो
शरीफ़ इशारों से मान जाता है, कमीना या ज़लील पट कर भी नहीं समझता
जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरता है
जहां कुछ नुक़्स होता है लोगों की तवज्जा उस की तरफ़ होती है जब तक किसी में ऐब ना हो या किसी का पहलू कमज़ोर ना हो लोग कोई तंज़िया बात नहीं कहते
कहे से धोबी गधे पर नहीं सवार होता है
किसी के कहे से तो काम नहीं करता और फिर वही काम ख़ुद ही कर लेता है
आँवल नाल गड़ी है
जन्म स्थान से चूँकि प्रेम होता है इसलिये ऐसे व्यक्ति को जिसे किसी जगह से प्रेम हो ये कहते हैं कि वहाँ क्या तुम्हारी आँवल नाल गड़ी है
गधा मक्के से फिर आवे वो हाजी नहीं हो जाता
ये कहावत शेख़ सादी के इस शेअर का तर्जुमा है : ख़र ईसा अगर ये मक्का रौद जो बयाबद हनूज़ ख़र बाशद
शिम्र की हड्डी गड़ी है
किसी मकान या किसी जगह पर जहां मजलिसें होती हूँ और गिर ये ना हो या कम हो तो कहते हैं
गधा खरसा में मोटा होता है
मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती
गधा खरसे में मोटा होता है
मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती
यहाँ तो गोया उनकी नाल गड़ी हुई है
किसी जगह से किसी को बहुत लगाव हो और बार-बार आए तो कहते हैं जिस जगह बच्चे की नाल दफ़्नाई जाती है उस जगह से एक लगाव होता है
कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ो टेढ़ी ही रहेगी
तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)
गधा खुरसा में मोटा होता है
मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती
गधा खुरसे में मोटा होता है
बेवक़ूफ़ को रंज के मौक़ा पर ख़ुशी और ख़ुशी में रंज होता है, अहमक़ मुफ़लिसी में भी दुबला नहीं होता
जवानी में गधी पर भी जोबन होता है
युवावस्था की अपनी एक सुन्दरता है, युवावस्था में कुरूप व्यक्ति भी स्वरूप प्रतीत होता है
वो बात कहते हो कि गधे को भी हँसी आए
नादानी की बात, सरासर नादानी की बात कहना, बहुत मूर्खता की बात करते हो
कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ी टेढ़ी ही निकली
तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)
मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे चलता है
शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है
ऐसी क्या क़ाज़ी जी की गधी चुराई है
क्या हम ने कुछ भूल की है, कोई अपराध या पाप नहीं किया तो फिर क्या डर है
मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे को चलता है
शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है
मैं ने तुम्हारी गधी चुराई है
मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो
गाड़ी भर आश्नाई काम की नहीं मगर रत्ती भर नाता काम आता है
ज़रा सी क़राबत बहुत सी दोस्ती पर ग़ालिब होती है, वक़्त पड़ने पर रिश्तेदार ही काम आते हैं, बुरे वक़्त पर अपने ही साथ देते हैं
मैंने क्या तुम्हारी गधी चुराई है
۔(دہلی) یعنی میں نے تمھارا کون سا قصور کیا ہے۔ جو مجھ کو بُرا بھلا کہتے ہو۔
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nisf
निस्फ़
.نِصف
half
[ Kamod raat ke pahle nisf pahar mein gaya jata hai ]

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'alaahida
'अलाहिदा
.عَلاحِدَہ
separate, apart (from)
[ Bete ki khatir bahut se laundi-ghulam aur hathi-ghode, bagh aur pargane alahida kiye hain ]

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'uruuj
'उरूज
.عُرُوج
success, rising
[ Akbar ke ahd mein Mughal khandan ki taraqqi apne uruj par thi ]

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maaliyaat
मालियात
.مالِیات
economics
[ Bhagatram ne MA ki degree hasil ki aur apne hi college mein maliyaat ka professor hua ]

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zavaal
ज़वाल
.زَوال
decline, wane, decay, fall
[ Angrez Hindustan mein Mughlon ke zawal ka zariya bane ]

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baaG
बाग़
.باغ
orchard, garden
[ Zaaer ne phulon ka ek bagh banaya hai jahan wo subah-sham ja kar aaram karta hai ]

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taKHmiina
तख़मीना
.تَخْمِینَہ
appraisement, valuation, estimate, surmise, guess
[ Company ke munafe ka takhmina agle mali saal mein 15 fisad tak badhne ki tavaqqo hai ]

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izaafa
इज़ाफ़ा
.اِضافَہ
increase, augmentation
[ Barsat ke dinon mein nadiyon ki rawani mein izafa ho jata hai ]

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maa'zuur
मा'ज़ूर
.مَعْذُور
(Metaphorically) helpless, powerless
[ Hamein maazoor aur laachaar logon ki madad karni chahiye ]

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charaaG-paa
चराग़-पा
.چَراغ پا
the state of being angry or displease
[ Jab Hamza ne doston ki mahfil mein mazaq udaya, to Aadil Hamza ki bad-tamizi par chiragh-pa ho gaya ]

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