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"घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार" शब्द से संबंधित परिणाम

गौहर-दार

آب دار ، چمک دار ، موتی والا ، موتیوں سے مزّین .

घर-दर

शौहर, शौहर का घर

घर-दार

घर बार, घरदारी

घेर-दार

जिसका घेरा या फैलाव अधिक हो, बड़े घेर वाला, चौड़े, कुशादा, फैले हुए दामन का, ढीला ढाला

घोड़-दौड़

'घुड़-दौड़'

घोड़ी-दार

वह बंदूक़ जो घोड़े से चलाई जाए

घुड़-दौड़

एक प्रतियोगिता जिसमें घोड़ों को खूब तेज दौड़ाया जाता है और सबसे तेज दौड़ने वाले घोड़े (अथवा उसके स्वामी को) पुरस्कृत किया जाता हैं, घोड़ों की दौड़, रेस, वो मैदान जहां घड़ों की दौड़ हो, रेस कोर्स, अर्थात प्रतियोगिता

सुराही-दार-गौहर

सुराही की शक्ल का मोती, थोड़ा लंबा मोती

घर-दार करना

घर की व्यवस्था करना, गृहस्थी चलाना

घर दूर भरोटा भारी

घर दूर है और बोझ बहुत है, अधिक मुश्किल या बड़ी मुसीबत के वक़्त बोलते हैं

घुड़-दौड़ का घोड़ा

وہ گھوڑا جو اسپ بازی کے واسطے سدھایا ہوا ہو.

घर-दारी

घर में रहकर किये जानेवाले गृहस्थी के काम-काज

घुड़ दौड़ का मैदान

वो मैदान जो घुड़दौड़ के लिए विशिष्ट हो

घोड़ दौड़ मचना

भाग दौड़ होना, भकडड़ मचना

घोड़ दौड़ मचाना

भाग दौड़ ओर उछल कूद से हंगामा करना

ग़ैर-दर्सी

non-curricular, extra-curricular

घर में घर, लड़ाई का डर

यदि एक घर में दूसरा घर बना दिया जाए तो सदैव लड़ाई झगड़ा बना रहता है, यदि एक ही घर में दो परिवार रहते हों तो उन में लड़ाई का भय रहता है

जहाँ डर, वहाँ मर्दों का घर

बहादुरों या मर्दों को अपनी जान का डर नहीं होता, डर और ख़तरे की चिंता नहीं करते

घोड़ों को घर कितनी दूर

घोड़ों के लिए दूरी का कोई महत्व नहीं, काम करने वाले के लिए सब कुछ आसान है, बहाना करना व्यर्थ है

आप मियाँ सूबेदार घर में बीवी झोंके भाड़

निर्धलता की स्थिति में अमीराना ठाठ बनाने या डींग हाँकने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त

घोड़े को घर कितनी दूर

घोड़ों के लिए दूरी का कोई महत्व नहीं, काम करने वाले के लिए सब कुछ आसान है, बहाना करना व्यर्थ है

ख़स अगर बर आसमाँ रवद हमा ख़स अस्त व गौहर अगर दर ख़लाब उफ़्तद हमाँ नफ़ीस

तिनका अगर आसमान पर चला जाए तो भी तिनका है और मोती अगर कीचड़ में गिर पड़े तो भी नफ़ीस है, बुरी चीज़ बुरी है अच्छी चीज़ अच्छी, कमीना आदमी कितना ही बढ़ जाए कमीना ही है और शरीफ़ आदमी कितना ही तबाह हो जाए तब भी उसकी शराफ़त में फ़र्क़ न आएगा

जहाँ डर, वहाँ हमारा घर

बहादुरों या मर्दों को अपनी जान का डर नहीं होता, डर और ख़तरे की चिंता नहीं करते

घर न द्वार मियाँ महल्ले-दार

बेजा शेखी मारने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

ग़ैर-ज़िम्मा-दार

जो अपनी ज़िम्मःदारी को महसूस न करे, दायित्वहीन, जिस को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास न हो, बेपर्वा, लाउबाली

घोड़ी को घर क्या दूर है

घोड़े के आगे फ़ासिला और दूरी कुछ चीज़ नहीं, काम जानने वाले के लिए कोई काम मुश्किल नहीं, चतुर व्यक्ति अपना मतलब जल्दी निकाल लेता है, चालाक शख़्स अपना मतलब जल्द निकाल लेता है

आप मियाँ सूबे-दार, बीवी घर में झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

बाहर मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

आप मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोंके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

ईंट का घर मिट्टी का दर

बे-जोड़ बात या काम, बेढंगा या भोंडा काम

ग़ैर-तनख़्वाह-दार

जो वेतन के बिना काम करे, अवैतनिक ।।

घर न बार मियाँ महल्ले-दार

डींगें हाँकने या शेख़ी बघारने वाले के लिए प्रयुक्त

घर से दूर कर देना

घर से लाताल्लुक़ कर देना, घर की ज़िम्मेदारीयों से सबकदोश कर देना

घर का हवा न दर का

कहीं का नहीं रहा, किसी लायक़ नहीं, अनुपयोगी

पट्टी-दारी-ग़ैर-मुकम्मल

ایسی پٹّی داری جس میں پٹی کا کچھ حصّہ علیحدہ علیحدہ ہو اور کچھ مشترک ، ایسی حالت میں سرکاری لگان مشترک حصّے سے ادا کیا جاتا ہے.

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

ग़ैर का घर थूक का डर

अपनी चीज़ को चाहे जिस तरह बरतें, दूसरे की चीज़ की इख़तियार करनी पड़ती है

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

अपना घर हग भर, दूसरे का घर थूकने का डर

अपनी चीज़ को आदमी जिस प्रकार चाहे प्रयोग करे कोई कुछ कहने वाला नहीं होता लेकिन दूसरे की चीज़ को छूने में भी सावधानी करनी पड़ती है, अपने घर में चाहे जो करो, पर दूसरे के घर में संभल कर रहना चाहिए

अपना घर हग भर, पराए घर थूक का डर

अपनी वस्तु को चाहे जिस तरह से व्यवहार करें, दूसरे की वस्तु के लिए सावधानी करनी पड़ती है

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

पेट में चूहों की घुड़ दौड़ होना

रुक : पेट में चूहे दौड़ना

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

घर का न हुआ दर का

कहीं का न रहा, निकम्मा हो गया

समझ का घर दूर है

समझना बड़ी मुश्किल बात है बुद्धि और समझ मुश्किल से आती है

न घर रखाना न दर रखा

बे सर-ओ-सामान होना, कोई मुफ़लिस-ओ-क़ल्लाश हो तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

न घर रखा न दर रखा

बे सर-ओ-सामान होना, कोई मुफ़लिस-ओ-क़ल्लाश हो तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

न घर रखाना न दर रखना

बे सर-ओ-सामान होना, कोई मुफ़लिस-ओ-क़ल्लाश हो तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

पराया घर थूक का डर अपना घर हग भर

अपनी चीज़ को आदमी जिस प्रकार चाहे प्रयोग करे कोई कुछ कहने वाला नहीं होता लेकिन दूसरे की चीज़ को छूने में भी सावधानी करनी पड़ती है, अपने घर में चाहे जो करो, पर दूसरे के घर में संभल कर रहना चाहिए

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

अपना घर हग हग भर पराया घर थूक का डर

अपनी चीज़ को आदमी जिस प्रकार चाहे प्रयोग करे कोई कुछ कहने वाला नहीं होता लेकिन दूसरे की चीज़ को छूने में भी सावधानी करनी पड़ती है, अपने घर में चाहे जो करो, पर दूसरे के घर में संभल कर रहना चाहिए

अपना घर दूर से सूझता है

घर के सुख-चैन का महत्त्व घर में नहीं होता, घर की सुख-सुविधा यात्रा में निरंत्र याद आती है

मियाँ घर नहीं, बीवी को डर नहीं

ख़ावंद घर मौजूद ना हो और बीवी खुल खेले तो कहा जाता है

साईं का घर दूर है जैसे लम्बी खजूर, चढ़े तो चाखे प्रेम रस गिरे तो चकना-चूर

ईश्वर को पाना बहुत कठिन है यदि पा ले तो इससे बढ़ कर कुछ नहीं न पाए तो तबाह हो जाए

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

while the cat is away the mice will play

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार के अर्थदेखिए

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

ghar me.n biibii lakkho autaar baahar miyaa.n thaana-daarگَھر میں بی بی لکّھو اَوتار باہَر مِیاں تھانَہ دار

कहावत

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार के हिंदी अर्थ

  • घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

گَھر میں بی بی لکّھو اَوتار باہَر مِیاں تھانَہ دار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • گھر میں بیوی اوتار (ولی) بن کے موسیں باہر میاں حکومت جتا کر لوٹیں ؛ بیوی فقیرنی بنی بیٹھی ہے ، میاں شیخی میں تھانہ دار بنےپھرتے ہیں.

Urdu meaning of ghar me.n biibii lakkho autaar baahar miyaa.n thaana-daar

  • Roman
  • Urdu

  • ghar me.n biivii avtaar (valii) bin ke muuse.n baahar miyaa.n hukuumat jataa kar lauTe.n ; biivii faqiirnii banii baiThii hai, miyaa.n shekhii me.n thaanaadaar bane phirte hai.n

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गौहर-दार

آب دار ، چمک دار ، موتی والا ، موتیوں سے مزّین .

घर-दर

शौहर, शौहर का घर

घर-दार

घर बार, घरदारी

घेर-दार

जिसका घेरा या फैलाव अधिक हो, बड़े घेर वाला, चौड़े, कुशादा, फैले हुए दामन का, ढीला ढाला

घोड़-दौड़

'घुड़-दौड़'

घोड़ी-दार

वह बंदूक़ जो घोड़े से चलाई जाए

घुड़-दौड़

एक प्रतियोगिता जिसमें घोड़ों को खूब तेज दौड़ाया जाता है और सबसे तेज दौड़ने वाले घोड़े (अथवा उसके स्वामी को) पुरस्कृत किया जाता हैं, घोड़ों की दौड़, रेस, वो मैदान जहां घड़ों की दौड़ हो, रेस कोर्स, अर्थात प्रतियोगिता

सुराही-दार-गौहर

सुराही की शक्ल का मोती, थोड़ा लंबा मोती

घर-दार करना

घर की व्यवस्था करना, गृहस्थी चलाना

घर दूर भरोटा भारी

घर दूर है और बोझ बहुत है, अधिक मुश्किल या बड़ी मुसीबत के वक़्त बोलते हैं

घुड़-दौड़ का घोड़ा

وہ گھوڑا جو اسپ بازی کے واسطے سدھایا ہوا ہو.

घर-दारी

घर में रहकर किये जानेवाले गृहस्थी के काम-काज

घुड़ दौड़ का मैदान

वो मैदान जो घुड़दौड़ के लिए विशिष्ट हो

घोड़ दौड़ मचना

भाग दौड़ होना, भकडड़ मचना

घोड़ दौड़ मचाना

भाग दौड़ ओर उछल कूद से हंगामा करना

ग़ैर-दर्सी

non-curricular, extra-curricular

घर में घर, लड़ाई का डर

यदि एक घर में दूसरा घर बना दिया जाए तो सदैव लड़ाई झगड़ा बना रहता है, यदि एक ही घर में दो परिवार रहते हों तो उन में लड़ाई का भय रहता है

जहाँ डर, वहाँ मर्दों का घर

बहादुरों या मर्दों को अपनी जान का डर नहीं होता, डर और ख़तरे की चिंता नहीं करते

घोड़ों को घर कितनी दूर

घोड़ों के लिए दूरी का कोई महत्व नहीं, काम करने वाले के लिए सब कुछ आसान है, बहाना करना व्यर्थ है

आप मियाँ सूबेदार घर में बीवी झोंके भाड़

निर्धलता की स्थिति में अमीराना ठाठ बनाने या डींग हाँकने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त

घोड़े को घर कितनी दूर

घोड़ों के लिए दूरी का कोई महत्व नहीं, काम करने वाले के लिए सब कुछ आसान है, बहाना करना व्यर्थ है

ख़स अगर बर आसमाँ रवद हमा ख़स अस्त व गौहर अगर दर ख़लाब उफ़्तद हमाँ नफ़ीस

तिनका अगर आसमान पर चला जाए तो भी तिनका है और मोती अगर कीचड़ में गिर पड़े तो भी नफ़ीस है, बुरी चीज़ बुरी है अच्छी चीज़ अच्छी, कमीना आदमी कितना ही बढ़ जाए कमीना ही है और शरीफ़ आदमी कितना ही तबाह हो जाए तब भी उसकी शराफ़त में फ़र्क़ न आएगा

जहाँ डर, वहाँ हमारा घर

बहादुरों या मर्दों को अपनी जान का डर नहीं होता, डर और ख़तरे की चिंता नहीं करते

घर न द्वार मियाँ महल्ले-दार

बेजा शेखी मारने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

ग़ैर-ज़िम्मा-दार

जो अपनी ज़िम्मःदारी को महसूस न करे, दायित्वहीन, जिस को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास न हो, बेपर्वा, लाउबाली

घोड़ी को घर क्या दूर है

घोड़े के आगे फ़ासिला और दूरी कुछ चीज़ नहीं, काम जानने वाले के लिए कोई काम मुश्किल नहीं, चतुर व्यक्ति अपना मतलब जल्दी निकाल लेता है, चालाक शख़्स अपना मतलब जल्द निकाल लेता है

आप मियाँ सूबे-दार, बीवी घर में झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

बाहर मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

आप मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोंके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

ईंट का घर मिट्टी का दर

बे-जोड़ बात या काम, बेढंगा या भोंडा काम

ग़ैर-तनख़्वाह-दार

जो वेतन के बिना काम करे, अवैतनिक ।।

घर न बार मियाँ महल्ले-दार

डींगें हाँकने या शेख़ी बघारने वाले के लिए प्रयुक्त

घर से दूर कर देना

घर से लाताल्लुक़ कर देना, घर की ज़िम्मेदारीयों से सबकदोश कर देना

घर का हवा न दर का

कहीं का नहीं रहा, किसी लायक़ नहीं, अनुपयोगी

पट्टी-दारी-ग़ैर-मुकम्मल

ایسی پٹّی داری جس میں پٹی کا کچھ حصّہ علیحدہ علیحدہ ہو اور کچھ مشترک ، ایسی حالت میں سرکاری لگان مشترک حصّے سے ادا کیا جاتا ہے.

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

ग़ैर का घर थूक का डर

अपनी चीज़ को चाहे जिस तरह बरतें, दूसरे की चीज़ की इख़तियार करनी पड़ती है

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

अपना घर हग भर, दूसरे का घर थूकने का डर

अपनी चीज़ को आदमी जिस प्रकार चाहे प्रयोग करे कोई कुछ कहने वाला नहीं होता लेकिन दूसरे की चीज़ को छूने में भी सावधानी करनी पड़ती है, अपने घर में चाहे जो करो, पर दूसरे के घर में संभल कर रहना चाहिए

अपना घर हग भर, पराए घर थूक का डर

अपनी वस्तु को चाहे जिस तरह से व्यवहार करें, दूसरे की वस्तु के लिए सावधानी करनी पड़ती है

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

पेट में चूहों की घुड़ दौड़ होना

रुक : पेट में चूहे दौड़ना

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

घर का न हुआ दर का

कहीं का न रहा, निकम्मा हो गया

समझ का घर दूर है

समझना बड़ी मुश्किल बात है बुद्धि और समझ मुश्किल से आती है

न घर रखाना न दर रखा

बे सर-ओ-सामान होना, कोई मुफ़लिस-ओ-क़ल्लाश हो तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

न घर रखा न दर रखा

बे सर-ओ-सामान होना, कोई मुफ़लिस-ओ-क़ल्लाश हो तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

न घर रखाना न दर रखना

बे सर-ओ-सामान होना, कोई मुफ़लिस-ओ-क़ल्लाश हो तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

पराया घर थूक का डर अपना घर हग भर

अपनी चीज़ को आदमी जिस प्रकार चाहे प्रयोग करे कोई कुछ कहने वाला नहीं होता लेकिन दूसरे की चीज़ को छूने में भी सावधानी करनी पड़ती है, अपने घर में चाहे जो करो, पर दूसरे के घर में संभल कर रहना चाहिए

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

अपना घर हग हग भर पराया घर थूक का डर

अपनी चीज़ को आदमी जिस प्रकार चाहे प्रयोग करे कोई कुछ कहने वाला नहीं होता लेकिन दूसरे की चीज़ को छूने में भी सावधानी करनी पड़ती है, अपने घर में चाहे जो करो, पर दूसरे के घर में संभल कर रहना चाहिए

अपना घर दूर से सूझता है

घर के सुख-चैन का महत्त्व घर में नहीं होता, घर की सुख-सुविधा यात्रा में निरंत्र याद आती है

मियाँ घर नहीं, बीवी को डर नहीं

ख़ावंद घर मौजूद ना हो और बीवी खुल खेले तो कहा जाता है

साईं का घर दूर है जैसे लम्बी खजूर, चढ़े तो चाखे प्रेम रस गिरे तो चकना-चूर

ईश्वर को पाना बहुत कठिन है यदि पा ले तो इससे बढ़ कर कुछ नहीं न पाए तो तबाह हो जाए

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

while the cat is away the mice will play

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