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पढ़ा हुआ

वह चीज़ जिस पर कोई पवित्र क़ुरआन की आयत, दुआ या मंत्र पढ़ा गया हो या अमल किया गया हो

पड़ी है

धुन है, चाहत है, चिंता है

पढ़ा है

बड़ा चालाक है

पढ़े हुए चावल

वे चावल जिन पर कोई तंत्र-मंत्र किया गया हो या जादू-मंतर पढ़ कर फूँका गया हो (सामान्यतः चोरी मालूम करने के लिए या प्रेम एवं शत्रुता के लिए यह कार्य किया जाता है)

पड़ी हुई आवाज़

۔ وہ آواز جو گلے سے صاف صاف نہ نکلے۔

पड़ी हुई आवाज़

hoarse voice

पड़ी हुई चीज़

something found by chance

पड़े हुआ करे

let it be, so what, I don't care, it is of no consequence

पड़ी है अपनी अपनी

allusion to a situation in which everyone is caring for their own interest

ला वारिस बच्चा जो पड़ा हुआ मिले

foundling

खाया हुआ उगलना पड़ा

जो रक़म मार ली थी वो देना पड़ी

सांभर में पड़ा सो सांभर हुआ

जैसी सोहबत हो वैसा ही इंसान होजाता है, बद सोहबत जलद असर करती है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं पठान का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं आदमी के पूत ने भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं सिपाही का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

वो कोदों दे कर पढ़ा है

उसे पढ़ना लिखना बिलकुल नहीं आता, वह मुफ़्त में पढ़ा है, गुरू की अच्छी तरह सेवा नहीं की इस लिए ठीक से नहीं पढ़ सकता, अयोग्य है, उसकी शिक्षा अधूरी है, नाम को पढ़ा हुआ है

वो कोदों दे के पढ़ा है

उसे पढ़ना लिखना बिलकुल नहीं आता, वह मुफ़्त में पढ़ा है, गुरू की अच्छी तरह सेवा नहीं की इस लिए ठीक से नहीं पढ़ सकता, अयोग्य है, उसकी शिक्षा अधूरी है, नाम को पढ़ा हुआ है

पहाड़ दिन पड़ा है

अभी बहुत दिन शेष है

मुँह सफ़ेद पड़ा हो जाना

चेहरा फीका हो जाना, रंग उड़ जाना

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है

ज़रूरत के वक़्त आदमी दीवानों की तरह काम करता है

मुवा साँप गले में पड़ा है

बड़ा दिक़ होना, कुछ तदबीर नहीं चलना, बरी-उल-ज़मा नहीं हो सकना

मुँह पड़ी और हुई पराई बात

राज़ अर्थात भेद मुँह से निकलते ही प्रसिद्ध हो जाता है, भेद मुँह से निकलने के पश्चात भेद नहीं रहता

मुँह पड़ी और हुई पराई बात

बात मुँह से निकल जाए तो पराई हो जाती है यानी क़ाबू से बाहर होजाती है

दूध से धोया पड़ा है

बहुत साफ़ शफ़अफ़ है

अल्लाह से काम पड़ा है

जान के लाले पड़े हैं (गंभीर आपदा और संकट के अवसर पर)

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

हँसते हो कुछ पड़ा पाया है

جب کوئی بہت ہنس رہا ہو تو کہتے ہیں

गिल्लो पेड़ा माँगती है

(फ़हश, बाज़ारी) जिस की तरफ़ ये जुमला मुज़ाफ़ होता है इस की तरफ़ ख़िताब कर के कहते हैं यानी तुम्हारी गौण मुश्ताक़ है

मा बेटों में लड़ाई हुई लोगों ने जाना बैर पड़ा

अपनों की लड़ाई को लड़ाई नहीं समझना चाहिए, अपनों की लड़ाई या ख़फ़गी देरपा नहीं होती

हाए रे बुढ़ापे जवानी में क्या पत्थर पड़े थे

जवानी की हालत में कुछ नहीं किया तो बुढ़ापे में जवानी का अफ़सोस फ़ुज़ूल है

हँसते हो, कुछ पड़ा पाया है

बला वजह हँसने के मौके़ पर कहा जाता है, जब कोई बिलावजह हंस रहा हो तो बुरा मान कर कहते हैं कि क्या मिल गया है जो हंस रहे हो

पढ़ा जिन है

हर बात समझता है

आग में जो चीज़ पड़ी वो आग है

संगत का प्रभाव बहुत अधिक होता है

दिन पड़ा है

अभी बहुत दिन बाक़ी हैं, ज़माना बाक़ी है

वक़्त पड़े पर गधे को बाप बना लिया जाता है

लाचारी में अदना से अदना की ख़ुशामद करनी पड़ती है (मजबूरी के मौके़ पर बोलते हैं

ढाई अंछर प्रेम के पढ़े सो पंडित हो

उलफ़त और मुहब्बत के चंद हुरूफ़ हैं जो उन पर अमल करेगा वो आलिम फ़ाज़िल होजाएगा

'उम्र पड़ी है

बहुत जीवन बाक़ी है, बहुत समय पड़ा है, बहुत समय बाक़ी है

कुछ पड़ा पाया है

जब किसी आदमी को बगै़र किसी ज़ाहिरी सबब के ख़ुश देखते हैं तो ये फ़िक़रा कहते हैं इस का मतलब ये होता है कि क्या ग़ैब से कोई नेअमत हाथ आगई

पराई क्या पड़ी है

۔ دوسرے کی کیا فکر ہے۔ ؎

आफ़्ताब पर थूको अपने ही मुँह पर पड़े

उच्च स्तर पर किसी भी प्रकार का हमला करने से निम्न स्तर की अपमान होती है, पवित्र को बदनाम करने वाला ख़ुद ही बदनाम होता है

मेरी जूती को ग़रज़ पड़ी है

रुक : मेरी जूती से जो फ़सीह है

ख़ुदा से काम पड़ा है

इस की रहमत पर भरोसा है

सर मुँढाते ही ओले पड़े

.Misfortune greeted his venture

क्या जल्दी पड़ी है

देर होने में कुछ नुक़्सान नहीं, इतनी उजलत की क्या ज़रूरत है

क्या पड़ी है

मुझे क्या पड़ी है, क्या चिंता है, क्या फ़िक्र है, क्या ग़रज़ है, मुझे किया लेना देना है

सर मुंडाते ही ओले पड़े

आग़ाज़ होते ही नुक़्सान पहुंचा, शुरू में ही काम बिगड़ गया

रात पड़ी है

बहुत रात बाक़ी है

ये कौड़ी कभी पट पड़ी ही नहीं

यह योजना कभी असफल नहीं हुई, यह चाल हमेशा कारगर हुई है

कमर पड़ा हो जाना

कमर अकड़ जाना, कमर का कड़ा हो जाना

अपनी पड़ी है

अपनी ही फ़िक्र और चिंता है, स्व चिंतन और स्वार्थी है

किसे पड़ी है

none is concerned with, none is desirous of, nobody cares

पुकार पड़ी है

۔ ۱۔ شہرت ہے ۔ دھوم ہے۔ ؎ ۲۔ تلاش ہے نہ جستجو ہے۔ (فقرہ) محفل میں تمہاری پکار پڑی ہے اور تم یہاں بیٹھے ہو ۔

परजा है जड़ राज की राजा है ज्यूँ रूख, रूख सूख कर गर पड़े जब जड़ जाए सूख

राजा पेड़ है एवं परजा जड़ है यदि जड़ सूख जाए तो पेड़ गिर पड़ता है

जान की पड़ी है

۔جان کے لالے پڑے ہیں۔ ؎

कान पड़ी काम आती है

सुनी सुनाई बात कभी न कभी काम आ ही जाती है, सुनी हुई अच्छी बात किसी वक़्त याद आ सकती है

किस बला से पाला पड़ा है

(ओ) किसी ज़िद्दी या शरीर आदमी से वास्ता पड़ने पर कहते हैं, किस अज़ाब में फंस गए

मियान में से निकले ही पड़े है

बहुत उग्र स्वभाव है, बहुत तेज़ मिज़ाज है, बात बात पर लड़ता है

किसी को क्या पड़ी है

किसी को क्या ग़रज़ या पर्वा है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है के अर्थदेखिए

ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है

Garaz pa.De se aadmii baavlaa ho jaataa haiغَرَض پَڑے سے آدمِی باؤلا ہوجاتا ہے

वाक्य

ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है के हिंदी अर्थ

  • ज़रूरत के वक़्त आदमी दीवानों की तरह काम करता है

غَرَض پَڑے سے آدمِی باؤلا ہوجاتا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ضرورت کے وقت آدمی دیوانوں کی طرح کام کرتا ہے

Urdu meaning of Garaz pa.De se aadmii baavlaa ho jaataa hai

  • Roman
  • Urdu

  • zaruurat ke vaqt aadamii diivaano.n kii tarah kaam kartaa hai

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पढ़ा हुआ

वह चीज़ जिस पर कोई पवित्र क़ुरआन की आयत, दुआ या मंत्र पढ़ा गया हो या अमल किया गया हो

पड़ी है

धुन है, चाहत है, चिंता है

पढ़ा है

बड़ा चालाक है

पढ़े हुए चावल

वे चावल जिन पर कोई तंत्र-मंत्र किया गया हो या जादू-मंतर पढ़ कर फूँका गया हो (सामान्यतः चोरी मालूम करने के लिए या प्रेम एवं शत्रुता के लिए यह कार्य किया जाता है)

पड़ी हुई आवाज़

۔ وہ آواز جو گلے سے صاف صاف نہ نکلے۔

पड़ी हुई आवाज़

hoarse voice

पड़ी हुई चीज़

something found by chance

पड़े हुआ करे

let it be, so what, I don't care, it is of no consequence

पड़ी है अपनी अपनी

allusion to a situation in which everyone is caring for their own interest

ला वारिस बच्चा जो पड़ा हुआ मिले

foundling

खाया हुआ उगलना पड़ा

जो रक़म मार ली थी वो देना पड़ी

सांभर में पड़ा सो सांभर हुआ

जैसी सोहबत हो वैसा ही इंसान होजाता है, बद सोहबत जलद असर करती है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं पठान का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं आदमी के पूत ने भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं सिपाही का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

वो कोदों दे कर पढ़ा है

उसे पढ़ना लिखना बिलकुल नहीं आता, वह मुफ़्त में पढ़ा है, गुरू की अच्छी तरह सेवा नहीं की इस लिए ठीक से नहीं पढ़ सकता, अयोग्य है, उसकी शिक्षा अधूरी है, नाम को पढ़ा हुआ है

वो कोदों दे के पढ़ा है

उसे पढ़ना लिखना बिलकुल नहीं आता, वह मुफ़्त में पढ़ा है, गुरू की अच्छी तरह सेवा नहीं की इस लिए ठीक से नहीं पढ़ सकता, अयोग्य है, उसकी शिक्षा अधूरी है, नाम को पढ़ा हुआ है

पहाड़ दिन पड़ा है

अभी बहुत दिन शेष है

मुँह सफ़ेद पड़ा हो जाना

चेहरा फीका हो जाना, रंग उड़ जाना

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है

ज़रूरत के वक़्त आदमी दीवानों की तरह काम करता है

मुवा साँप गले में पड़ा है

बड़ा दिक़ होना, कुछ तदबीर नहीं चलना, बरी-उल-ज़मा नहीं हो सकना

मुँह पड़ी और हुई पराई बात

राज़ अर्थात भेद मुँह से निकलते ही प्रसिद्ध हो जाता है, भेद मुँह से निकलने के पश्चात भेद नहीं रहता

मुँह पड़ी और हुई पराई बात

बात मुँह से निकल जाए तो पराई हो जाती है यानी क़ाबू से बाहर होजाती है

दूध से धोया पड़ा है

बहुत साफ़ शफ़अफ़ है

अल्लाह से काम पड़ा है

जान के लाले पड़े हैं (गंभीर आपदा और संकट के अवसर पर)

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

हँसते हो कुछ पड़ा पाया है

جب کوئی بہت ہنس رہا ہو تو کہتے ہیں

गिल्लो पेड़ा माँगती है

(फ़हश, बाज़ारी) जिस की तरफ़ ये जुमला मुज़ाफ़ होता है इस की तरफ़ ख़िताब कर के कहते हैं यानी तुम्हारी गौण मुश्ताक़ है

मा बेटों में लड़ाई हुई लोगों ने जाना बैर पड़ा

अपनों की लड़ाई को लड़ाई नहीं समझना चाहिए, अपनों की लड़ाई या ख़फ़गी देरपा नहीं होती

हाए रे बुढ़ापे जवानी में क्या पत्थर पड़े थे

जवानी की हालत में कुछ नहीं किया तो बुढ़ापे में जवानी का अफ़सोस फ़ुज़ूल है

हँसते हो, कुछ पड़ा पाया है

बला वजह हँसने के मौके़ पर कहा जाता है, जब कोई बिलावजह हंस रहा हो तो बुरा मान कर कहते हैं कि क्या मिल गया है जो हंस रहे हो

पढ़ा जिन है

हर बात समझता है

आग में जो चीज़ पड़ी वो आग है

संगत का प्रभाव बहुत अधिक होता है

दिन पड़ा है

अभी बहुत दिन बाक़ी हैं, ज़माना बाक़ी है

वक़्त पड़े पर गधे को बाप बना लिया जाता है

लाचारी में अदना से अदना की ख़ुशामद करनी पड़ती है (मजबूरी के मौके़ पर बोलते हैं

ढाई अंछर प्रेम के पढ़े सो पंडित हो

उलफ़त और मुहब्बत के चंद हुरूफ़ हैं जो उन पर अमल करेगा वो आलिम फ़ाज़िल होजाएगा

'उम्र पड़ी है

बहुत जीवन बाक़ी है, बहुत समय पड़ा है, बहुत समय बाक़ी है

कुछ पड़ा पाया है

जब किसी आदमी को बगै़र किसी ज़ाहिरी सबब के ख़ुश देखते हैं तो ये फ़िक़रा कहते हैं इस का मतलब ये होता है कि क्या ग़ैब से कोई नेअमत हाथ आगई

पराई क्या पड़ी है

۔ دوسرے کی کیا فکر ہے۔ ؎

आफ़्ताब पर थूको अपने ही मुँह पर पड़े

उच्च स्तर पर किसी भी प्रकार का हमला करने से निम्न स्तर की अपमान होती है, पवित्र को बदनाम करने वाला ख़ुद ही बदनाम होता है

मेरी जूती को ग़रज़ पड़ी है

रुक : मेरी जूती से जो फ़सीह है

ख़ुदा से काम पड़ा है

इस की रहमत पर भरोसा है

सर मुँढाते ही ओले पड़े

.Misfortune greeted his venture

क्या जल्दी पड़ी है

देर होने में कुछ नुक़्सान नहीं, इतनी उजलत की क्या ज़रूरत है

क्या पड़ी है

मुझे क्या पड़ी है, क्या चिंता है, क्या फ़िक्र है, क्या ग़रज़ है, मुझे किया लेना देना है

सर मुंडाते ही ओले पड़े

आग़ाज़ होते ही नुक़्सान पहुंचा, शुरू में ही काम बिगड़ गया

रात पड़ी है

बहुत रात बाक़ी है

ये कौड़ी कभी पट पड़ी ही नहीं

यह योजना कभी असफल नहीं हुई, यह चाल हमेशा कारगर हुई है

कमर पड़ा हो जाना

कमर अकड़ जाना, कमर का कड़ा हो जाना

अपनी पड़ी है

अपनी ही फ़िक्र और चिंता है, स्व चिंतन और स्वार्थी है

किसे पड़ी है

none is concerned with, none is desirous of, nobody cares

पुकार पड़ी है

۔ ۱۔ شہرت ہے ۔ دھوم ہے۔ ؎ ۲۔ تلاش ہے نہ جستجو ہے۔ (فقرہ) محفل میں تمہاری پکار پڑی ہے اور تم یہاں بیٹھے ہو ۔

परजा है जड़ राज की राजा है ज्यूँ रूख, रूख सूख कर गर पड़े जब जड़ जाए सूख

राजा पेड़ है एवं परजा जड़ है यदि जड़ सूख जाए तो पेड़ गिर पड़ता है

जान की पड़ी है

۔جان کے لالے پڑے ہیں۔ ؎

कान पड़ी काम आती है

सुनी सुनाई बात कभी न कभी काम आ ही जाती है, सुनी हुई अच्छी बात किसी वक़्त याद आ सकती है

किस बला से पाला पड़ा है

(ओ) किसी ज़िद्दी या शरीर आदमी से वास्ता पड़ने पर कहते हैं, किस अज़ाब में फंस गए

मियान में से निकले ही पड़े है

बहुत उग्र स्वभाव है, बहुत तेज़ मिज़ाज है, बात बात पर लड़ता है

किसी को क्या पड़ी है

किसी को क्या ग़रज़ या पर्वा है

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