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गए थे रोज़े छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी

रुक : गए थे नमाज़ बख़॒श॒वाने रोज़े गले पड़ गए, एक काम से जान छुड़ाते छुड़ाते एक और काम मिल जाये तो कहते हैं

रोज़े छुड़ाने गए नमाज़ गले पड़ी

जब एक आफ़त से बचने की तदबीर या फ़िक्र में एक दूसरी आफ़त सर पड़ जाये तो बोलते हैं

नमाज़ छुड़ाने गए थे रोज़े गले पड़ गए

एक काम से पीछा छुड़ाना चाहा दूसरे का भार सर पर आ गया

रोज़ा छुड़ाने गए थे नमाज़ गले पड़ी

जब एक संकट से बचने के प्रयास में दूसरी संकट खड़ी हो जाती है तो उस समय कहते हैं

रोज़े को गए नमाज़ गले पड़ी

रुक : रोज़े छुराने गए नमाज़ गले पड़ी

रोज़े बख़्शवाने गए नमाज़ गले पड़ी

जब एक आफ़त से बचने की तदबीर या फ़िक्र में एक दूसरी आफ़त सर पड़ जाये तो बोलते हैं

गए थे नमाज़ बख़्शवाने उल्टे रोज़े गले पड़े

एक मुश्किल से बचना चाहा, दूसरी मुश्किल इस से ज़्यादा आ पड़ी, एक काम से उज़्र किया दूसरा काम और सपुर्द हुआ, उलट लेने के देने पड़ गए

गए थे नमाज़ मु'आफ़ कराने उल्टे रोज़े गले पड़े

एक मुश्किल से बचना चाहा, दूसरी मुश्किल इस से ज़्यादा आ पड़ी, एक काम से उज़्र किया दूसरा काम और सपुर्द हुआ, उलट लेने के देने पड़ गए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में गए थे रोज़े छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी के अर्थदेखिए

गए थे रोज़े छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी

ga.e the roze chhu.Daane namaaz gale pa.Diiگَئے تھے روزے چُھڑانے نَماز گَلے پَڑی

कहावत

गए थे रोज़े छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी के हिंदी अर्थ

  • रुक : गए थे नमाज़ बख़॒श॒वाने रोज़े गले पड़ गए, एक काम से जान छुड़ाते छुड़ाते एक और काम मिल जाये तो कहते हैं

گَئے تھے روزے چُھڑانے نَماز گَلے پَڑی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : گئے تھے نماز بَخْشْوانے روزے گلے پڑ گئے ، ایک کام سے جان چھڑاتے چھڑاتے ایک اور کام مل جائے تو کہتے ہیں.

Urdu meaning of ga.e the roze chhu.Daane namaaz gale pa.Dii

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha ge the namaaz baKh॒sha॒vaane roze gale pa.D ge, ek kaam se jaan chhu.Daate chhu.Daate ek aur kaam mil jaaye to kahte hai.n

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गए थे रोज़े छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी

रुक : गए थे नमाज़ बख़॒श॒वाने रोज़े गले पड़ गए, एक काम से जान छुड़ाते छुड़ाते एक और काम मिल जाये तो कहते हैं

रोज़े छुड़ाने गए नमाज़ गले पड़ी

जब एक आफ़त से बचने की तदबीर या फ़िक्र में एक दूसरी आफ़त सर पड़ जाये तो बोलते हैं

नमाज़ छुड़ाने गए थे रोज़े गले पड़ गए

एक काम से पीछा छुड़ाना चाहा दूसरे का भार सर पर आ गया

रोज़ा छुड़ाने गए थे नमाज़ गले पड़ी

जब एक संकट से बचने के प्रयास में दूसरी संकट खड़ी हो जाती है तो उस समय कहते हैं

रोज़े को गए नमाज़ गले पड़ी

रुक : रोज़े छुराने गए नमाज़ गले पड़ी

रोज़े बख़्शवाने गए नमाज़ गले पड़ी

जब एक आफ़त से बचने की तदबीर या फ़िक्र में एक दूसरी आफ़त सर पड़ जाये तो बोलते हैं

गए थे नमाज़ बख़्शवाने उल्टे रोज़े गले पड़े

एक मुश्किल से बचना चाहा, दूसरी मुश्किल इस से ज़्यादा आ पड़ी, एक काम से उज़्र किया दूसरा काम और सपुर्द हुआ, उलट लेने के देने पड़ गए

गए थे नमाज़ मु'आफ़ कराने उल्टे रोज़े गले पड़े

एक मुश्किल से बचना चाहा, दूसरी मुश्किल इस से ज़्यादा आ पड़ी, एक काम से उज़्र किया दूसरा काम और सपुर्द हुआ, उलट लेने के देने पड़ गए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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