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वक़्त पर गधे को बाप बनाना पड़ता है

मुसीबत या ज़रूरत के समय घटिया से घटिया और छोटे से छोटे की ख़ुशामद करना पड़ती है

ज़रूरत के वक़्त गधे को भी बाप बनाना पड़ता है

विवशता में हर किसी की चापलूसी करनी पड़ती है, लाचारी की स्थिति में आदमी को सब कुछ करना पड़ता है, विवशता के समय अपने से निम्न व्यक्ति की भी चापलूसी करना पड़ती है

ग़रज़ के लिए गधे को बाप बनाना पड़ता है

ज़रूरतमंद को मतलबी की भी ख़ुशामद करनी पड़ती है, ज़रूरतमंद को अपमानजनक काम करना पड़ता है

वक़्त पड़े पर गधे को बाप बना लिया जाता है

लाचारी में अदना से अदना की ख़ुशामद करनी पड़ती है (मजबूरी के मौके़ पर बोलते हैं

घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो

शरीफ़ इशारों से मान जाता है, कमीना या ज़लील पट कर भी नहीं समझता

धोबी से जीते नहीं गधे के कान मरोड़त हो

रुक : धोबी से जीत ना पाए अलख

क्यों गड़े मुर्दे उखड़वाता है

क्यों छिपे हुए ऐब ज़ाहिर करवाता है

जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरेगा

जिस में कुछ फ़ी या कोई ऐब होगा वही दिएगा

जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरता है

जहां कुछ नुक़्स होता है लोगों की तवज्जा उस की तरफ़ होती है जब तक किसी में ऐब ना हो या किसी का पहलू कमज़ोर ना हो लोग कोई तंज़िया बात नहीं कहते

ज़मीन में गढ़ा हो जाता, मैं धंस जाती

अकस्मात मौत आ जाए

मक़दूर की माँ गोड़े ही रगड़ती है

तुम्हारा कुछ ज़ोर नहीं चलेगा, तुम कुछ नहीं बना सकते

गधे को गधा ही खुजाता है

मूर्ख को मूर्ख ही सराहता है

गधे को गधा खुजाता है

मूर्ख को मूर्ख ही सराहता है

कहे से धोबी गधे पर नहीं सवार होता है

किसी के कहे से तो काम नहीं करता और फिर वही काम ख़ुद ही कर लेता है

आँवल नाल गड़ी है

जन्म स्थान से चूँकि प्रेम होता है इसलिये ऐसे व्यक्ति को जिसे किसी जगह से प्रेम हो ये कहते हैं कि वहाँ क्या तुम्हारी आँवल नाल गड़ी है

नीचे गधे पर सवार होना सहल है

आसान काम के मुताल्लिक़ कहते हैं

क्या क़ाज़ी की गधी चुराई है

कौन सा ऐसा बड़ा अपराध किया है, निर्दोष को किस का डर है

गधा मक्के से फिर आवे वो हाजी नहीं हो जाता

ये कहावत शेख़ सादी के इस शेअर का तर्जुमा है : ख़र ईसा अगर ये मक्का रौद जो बयाबद हनूज़ ख़र बाशद

गधा गधे की पीठ खुजाता है

रुक : गधे को गधा खुजाता है जो फ़सीह है

कलेजे में बरछी गड़ी है

۔(کنایۃً) روحانی ایذا برقرار ہے۔ ؎

यहाँ कुछ माल तो नहीं गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या विशेषाधिकार जताता है, वहाँ ऐसा कहा जाता है

कटाई गड़ा है

नाल ज़मीन में दबा हुआ है

यहाँ क्या तुम्हारा नाल गढ़ा है

रुक : यहां कुछ नाल तो नहीं गढ़ा

शर्म की माँ गोड़े रगरती है

श्रम करने में नुक़्सान ही नुक़्सान है

ऐसी क्या क़ाज़ी की गधी चुराई है

कौन सा ऐसा बड़ा अपराध किया है, निर्दोष को किस का डर है

शिम्र की हड्डी गड़ी है

किसी मकान या किसी जगह पर जहां मजलिसें होती हूँ और गिर ये ना हो या कम हो तो कहते हैं

गधा खरसा में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

गधा खरसे में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

यहाँ तो गोया उनकी नाल गड़ी हुई है

किसी जगह से किसी को बहुत लगाव हो और बार-बार आए तो कहते हैं जिस जगह बच्चे की नाल दफ़्नाई जाती है उस जगह से एक लगाव होता है

कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ो टेढ़ी ही रहेगी

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)

यहाँ क्या तेरा नाल गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या विशेषाधिकार दिखाए तो कहते हैं

गधा खुरसा में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

गधा खुरसे में मोटा होता है

बेवक़ूफ़ को रंज के मौक़ा पर ख़ुशी और ख़ुशी में रंज होता है, अहमक़ मुफ़लिसी में भी दुबला नहीं होता

जवानी में गधी पर भी जोबन होता है

युवावस्था की अपनी एक सुन्दरता है, युवावस्था में कुरूप व्यक्ति भी स्वरूप प्रतीत होता है

गधा मरे कुम्हार का, धोबन सती हो

नुक़्सान किसी का हो और रंज कोई और उठाए

दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

वो बात कहते हो कि गधे को भी हँसी आए

नादानी की बात, सरासर नादानी की बात कहना, बहुत मूर्खता की बात करते हो

कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ी टेढ़ी ही निकली

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

ऐसी क्या क़ाज़ी जी की गधी चुराई है

क्या हम ने कुछ भूल की है, कोई अपराध या पाप नहीं किया तो फिर क्या डर है

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे को चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

मैं ने तुम्हारी गधी चुराई है

मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो

गाड़ी भर आश्नाई काम की नहीं मगर रत्ती भर नाता काम आता है

ज़रा सी क़राबत बहुत सी दोस्ती पर ग़ालिब होती है, वक़्त पड़ने पर रिश्तेदार ही काम आते हैं, बुरे वक़्त पर अपने ही साथ देते हैं

दिल लगा गधी से तो परी भी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

गधी भी जवानी में भली लगती है

युवावस्था में कुरूप व्यक्ति भी सुंदर लगता है

गधी भी जवानी में भली मा'लूम देती है

जवानी में बदसूरत भी ख़ूबसूरत लगता है

गधे की दोस्ती यही है कि लातें मारे

बेवक़ूफ़ की दोस्ती में नुक़्सान होता है

सर गाड़ी पैर पहिया करे तो रोटी मिलती है

मेहनत करने से रोटी हासिल होती है

मैंने क्या तुम्हारी गधी चुराई है

۔(دہلی) یعنی میں نے تمھارا کون سا قصور کیا ہے۔ جو مجھ کو بُرا بھلا کہتے ہو۔

क्या तुम्हारी गधी चुरीई है

मैंने तुम्हारा कौन सी ग़लती की है, जो बुरा भला कहते हो

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें कवी, सिंघ, सपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें सागर, सिंघ, कपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में गधा गधे की पीठ खुजाता है के अर्थदेखिए

गधा गधे की पीठ खुजाता है

gadhaa gadhe kii piiTh khujaataa haiگَدھا گَدھے کی پِیٹھ کُھجاتا ہے

कहावत

देखिए: गधे को गधा खुजाता है

गधा गधे की पीठ खुजाता है के हिंदी अर्थ

  • रुक : गधे को गधा खुजाता है जो फ़सीह है

گَدھا گَدھے کی پِیٹھ کُھجاتا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : گدھے کو گدھا کھجاتا ہے جو فصیح ہے .

Urdu meaning of gadhaa gadhe kii piiTh khujaataa hai

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha gadhe ko gadhaa khujaataa hai jo fasiih hai

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वक़्त पर गधे को बाप बनाना पड़ता है

मुसीबत या ज़रूरत के समय घटिया से घटिया और छोटे से छोटे की ख़ुशामद करना पड़ती है

ज़रूरत के वक़्त गधे को भी बाप बनाना पड़ता है

विवशता में हर किसी की चापलूसी करनी पड़ती है, लाचारी की स्थिति में आदमी को सब कुछ करना पड़ता है, विवशता के समय अपने से निम्न व्यक्ति की भी चापलूसी करना पड़ती है

ग़रज़ के लिए गधे को बाप बनाना पड़ता है

ज़रूरतमंद को मतलबी की भी ख़ुशामद करनी पड़ती है, ज़रूरतमंद को अपमानजनक काम करना पड़ता है

वक़्त पड़े पर गधे को बाप बना लिया जाता है

लाचारी में अदना से अदना की ख़ुशामद करनी पड़ती है (मजबूरी के मौके़ पर बोलते हैं

घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो

शरीफ़ इशारों से मान जाता है, कमीना या ज़लील पट कर भी नहीं समझता

धोबी से जीते नहीं गधे के कान मरोड़त हो

रुक : धोबी से जीत ना पाए अलख

क्यों गड़े मुर्दे उखड़वाता है

क्यों छिपे हुए ऐब ज़ाहिर करवाता है

जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरेगा

जिस में कुछ फ़ी या कोई ऐब होगा वही दिएगा

जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरता है

जहां कुछ नुक़्स होता है लोगों की तवज्जा उस की तरफ़ होती है जब तक किसी में ऐब ना हो या किसी का पहलू कमज़ोर ना हो लोग कोई तंज़िया बात नहीं कहते

ज़मीन में गढ़ा हो जाता, मैं धंस जाती

अकस्मात मौत आ जाए

मक़दूर की माँ गोड़े ही रगड़ती है

तुम्हारा कुछ ज़ोर नहीं चलेगा, तुम कुछ नहीं बना सकते

गधे को गधा ही खुजाता है

मूर्ख को मूर्ख ही सराहता है

गधे को गधा खुजाता है

मूर्ख को मूर्ख ही सराहता है

कहे से धोबी गधे पर नहीं सवार होता है

किसी के कहे से तो काम नहीं करता और फिर वही काम ख़ुद ही कर लेता है

आँवल नाल गड़ी है

जन्म स्थान से चूँकि प्रेम होता है इसलिये ऐसे व्यक्ति को जिसे किसी जगह से प्रेम हो ये कहते हैं कि वहाँ क्या तुम्हारी आँवल नाल गड़ी है

नीचे गधे पर सवार होना सहल है

आसान काम के मुताल्लिक़ कहते हैं

क्या क़ाज़ी की गधी चुराई है

कौन सा ऐसा बड़ा अपराध किया है, निर्दोष को किस का डर है

गधा मक्के से फिर आवे वो हाजी नहीं हो जाता

ये कहावत शेख़ सादी के इस शेअर का तर्जुमा है : ख़र ईसा अगर ये मक्का रौद जो बयाबद हनूज़ ख़र बाशद

गधा गधे की पीठ खुजाता है

रुक : गधे को गधा खुजाता है जो फ़सीह है

कलेजे में बरछी गड़ी है

۔(کنایۃً) روحانی ایذا برقرار ہے۔ ؎

यहाँ कुछ माल तो नहीं गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या विशेषाधिकार जताता है, वहाँ ऐसा कहा जाता है

कटाई गड़ा है

नाल ज़मीन में दबा हुआ है

यहाँ क्या तुम्हारा नाल गढ़ा है

रुक : यहां कुछ नाल तो नहीं गढ़ा

शर्म की माँ गोड़े रगरती है

श्रम करने में नुक़्सान ही नुक़्सान है

ऐसी क्या क़ाज़ी की गधी चुराई है

कौन सा ऐसा बड़ा अपराध किया है, निर्दोष को किस का डर है

शिम्र की हड्डी गड़ी है

किसी मकान या किसी जगह पर जहां मजलिसें होती हूँ और गिर ये ना हो या कम हो तो कहते हैं

गधा खरसा में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

गधा खरसे में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

यहाँ तो गोया उनकी नाल गड़ी हुई है

किसी जगह से किसी को बहुत लगाव हो और बार-बार आए तो कहते हैं जिस जगह बच्चे की नाल दफ़्नाई जाती है उस जगह से एक लगाव होता है

कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ो टेढ़ी ही रहेगी

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)

यहाँ क्या तेरा नाल गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या विशेषाधिकार दिखाए तो कहते हैं

गधा खुरसा में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

गधा खुरसे में मोटा होता है

बेवक़ूफ़ को रंज के मौक़ा पर ख़ुशी और ख़ुशी में रंज होता है, अहमक़ मुफ़लिसी में भी दुबला नहीं होता

जवानी में गधी पर भी जोबन होता है

युवावस्था की अपनी एक सुन्दरता है, युवावस्था में कुरूप व्यक्ति भी स्वरूप प्रतीत होता है

गधा मरे कुम्हार का, धोबन सती हो

नुक़्सान किसी का हो और रंज कोई और उठाए

दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

वो बात कहते हो कि गधे को भी हँसी आए

नादानी की बात, सरासर नादानी की बात कहना, बहुत मूर्खता की बात करते हो

कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ी टेढ़ी ही निकली

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

ऐसी क्या क़ाज़ी जी की गधी चुराई है

क्या हम ने कुछ भूल की है, कोई अपराध या पाप नहीं किया तो फिर क्या डर है

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे को चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

मैं ने तुम्हारी गधी चुराई है

मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो

गाड़ी भर आश्नाई काम की नहीं मगर रत्ती भर नाता काम आता है

ज़रा सी क़राबत बहुत सी दोस्ती पर ग़ालिब होती है, वक़्त पड़ने पर रिश्तेदार ही काम आते हैं, बुरे वक़्त पर अपने ही साथ देते हैं

दिल लगा गधी से तो परी भी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

गधी भी जवानी में भली लगती है

युवावस्था में कुरूप व्यक्ति भी सुंदर लगता है

गधी भी जवानी में भली मा'लूम देती है

जवानी में बदसूरत भी ख़ूबसूरत लगता है

गधे की दोस्ती यही है कि लातें मारे

बेवक़ूफ़ की दोस्ती में नुक़्सान होता है

सर गाड़ी पैर पहिया करे तो रोटी मिलती है

मेहनत करने से रोटी हासिल होती है

मैंने क्या तुम्हारी गधी चुराई है

۔(دہلی) یعنی میں نے تمھارا کون سا قصور کیا ہے۔ جو مجھ کو بُرا بھلا کہتے ہو۔

क्या तुम्हारी गधी चुरीई है

मैंने तुम्हारा कौन सी ग़लती की है, जो बुरा भला कहते हो

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें कवी, सिंघ, सपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें सागर, सिंघ, कपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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