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चोर को चोर ही पहचाने

जैसे को तैसा ही पहचानता है

चोर को चोर ही सूझे

हर व्यक्ति दूसरे को अपनी तरह का ही समझता है

चोर को चोर ही सूझता है

हर व्यक्ति दूसरे को अपनी तरह का ही समझता है

चोर को अंगारे मीठ

चोर अपने आप को बचाने के लिए हर किस्म की तकलीफ़ बर्दाश्त करता है

चोर को अंगारी मीठ

चोर अपने आप को बचाने के लिए हर किस्म की तकलीफ़ बर्दाश्त करता है

मूली के चोर को सूली

۔مثل۔ چھوٹے جُرم پر بڑی سزا۔ (اجتہاد) جیسی چوری لاکھ کی ویسی چوری راکھ کی۔ تو یہ حکم ویسا ہی ہوا جیسے مولی کے چور کو سولی۔

मूलेम के चोर को सूली

छोटे जुर्म पर बड़ी सज़ा (जुर्म और सज़ा में अदम तवाज़ुन के मौक़ा पर मुस्तामल)

चोर को घर तक पहुँचाना

बिना किसी सुबूत के साबित करना, अपराध की स्वीकृति करवाना, बहस पूरी करना, लाजवाब कर देना

उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे

अपराधी या कर्मचारी द्वारा निर्दोष या उत्पीड़ित को दबाया जाना, अपराध कर के अकड़ना

उल्टे चोर कोतवाल को डाँटे

उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे, अपनी गलती ना मानकर सामने वाले को ही दोषी ठहराना, स्वयं अपराधी होकर दूसरे को दोषी ठहराना

काम चोर निवाले को हाज़िर

उसके संबंध में कहते हैं जो काम के समय टल जाए और खाने के लिए हाज़िर हो जाए

काम चोर, निवाले को हाज़िर

सुस्त या स्वार्थी व्यक्ति जो काम से जी चुराए और खाने के समय आ जाए, अकर्मण्य

चोर को पिंहाई दूर से सूझे

चोर जानता है कि जब पकड़ा गया तो जूते लगेंगे

चोर को जूती दूर से सूझे

चोर जानता है कि जब पकड़ा गया तो जूते लगेंगे

चोर को पन्ही दूर से सूझे

चोर जानता है कि जब पकड़ा गया तो जूते लगेंगे

पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

अपना ही माल जाए आप ही चोर कहलाए

अपनी हानि का इल्ज़ाम अपने ही सर, आया क्या परिहासयुक्त अत्याचार है

ककड़ी के चोर को गर्दन मारना

छोटी सी ग़लती या तुच्छ अपराध पर अधिक दंड मिलना, अंधेर होना

पीर को न शहीद को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

पराए धन को चोर रोए

दूसरे के माल का लालच करने या इस से हसद करने के मौक़ा पर बोलते हैं

ककड़ी के चोर को गर्दन नहीं मारते

किसी साधारण अपराध के लिए कड़ा दण्ड नहीं देना चाहिए

अपना ही माल जाए और आप ही चोर कहलाए

अपनी हानि का इल्ज़ाम अपने ही सर, आया क्या परिहासयुक्त अत्याचार है

रोवे चोर पराए धन को

किसी की सख़ावत को देख कर नाराज़ होना या ग़ैर के माल पर शेखी मारना, हासिद की निस्बत मुस्तामल

ककड़ी के चोर को कटारी से नहीं मारते

किसी साधारण अपराध के लिए कड़ा दण्ड नहीं देना चाहिए

हँसते ठाकुर खाँसते चोर, इन दोनों को आया ओर

हाकिम का हरवक़त हंसते रहना और चोर की खांसी दोनों ख़राबी का बाइस होते हैं

चोर गठड़ी ले गया बेगारियों को छुट्टी हुई

किसी हीले से मेहनत से बचना, मुसीबत टली, ख़लासी हुई

चोर के पेट में गाय, आप ही आप रंभाए

थोड़े से दबाव पर चोर अपना भेद खोल देता है, चोर अपनी घबराहट से अपनी पहचान करा देता है, आदमी का अपराध उसकी बातों से ही प्रकट हो जाता है

चोर को पकड़िए गाँठ से, छिनाल को पकड़िए खाट से

चोर को चोरी करते और वेश्या को बुरा काम कराते पकड़ना चाहिए तो फिर सबूत काफ़ी होता है वर्ना निरा लांक्षन माना जाता है

चोर को पकड़े गाँठ से, छिनाल को पकड़े खाट से

चोर को चोरी करते और वेश्या को बुरा काम कराते पकड़ना चाहिए तो फिर सबूत काफ़ी होता है वर्ना निरा लांक्षन माना जाता है

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

बिद्दिया वो माल है जो ख़र्चत दुगना हो राजा रवा चोर ताछीन न साके को

इलम ऐसा माल है जो (ख़र्च करे) सिखाने से ज़्यादा होता है और उसे राजा राव या चोर कोई नहीं छीन सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में चोर को चोर ही पहचाने के अर्थदेखिए

चोर को चोर ही पहचाने

chor ko chor hii pahchaaneچور کو چور ہی پَہْچانے

कहावत

चोर को चोर ही पहचाने के हिंदी अर्थ

  • जैसे को तैसा ही पहचानता है

چور کو چور ہی پَہْچانے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جیسے کو تیسا ہی پہچانتا ہے

Urdu meaning of chor ko chor hii pahchaane

  • Roman
  • Urdu

  • jaise ko taisaa hii pahchaantaa hai

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चोर को चोर ही पहचाने

जैसे को तैसा ही पहचानता है

चोर को चोर ही सूझे

हर व्यक्ति दूसरे को अपनी तरह का ही समझता है

चोर को चोर ही सूझता है

हर व्यक्ति दूसरे को अपनी तरह का ही समझता है

चोर को अंगारे मीठ

चोर अपने आप को बचाने के लिए हर किस्म की तकलीफ़ बर्दाश्त करता है

चोर को अंगारी मीठ

चोर अपने आप को बचाने के लिए हर किस्म की तकलीफ़ बर्दाश्त करता है

मूली के चोर को सूली

۔مثل۔ چھوٹے جُرم پر بڑی سزا۔ (اجتہاد) جیسی چوری لاکھ کی ویسی چوری راکھ کی۔ تو یہ حکم ویسا ہی ہوا جیسے مولی کے چور کو سولی۔

मूलेम के चोर को सूली

छोटे जुर्म पर बड़ी सज़ा (जुर्म और सज़ा में अदम तवाज़ुन के मौक़ा पर मुस्तामल)

चोर को घर तक पहुँचाना

बिना किसी सुबूत के साबित करना, अपराध की स्वीकृति करवाना, बहस पूरी करना, लाजवाब कर देना

उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे

अपराधी या कर्मचारी द्वारा निर्दोष या उत्पीड़ित को दबाया जाना, अपराध कर के अकड़ना

उल्टे चोर कोतवाल को डाँटे

उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे, अपनी गलती ना मानकर सामने वाले को ही दोषी ठहराना, स्वयं अपराधी होकर दूसरे को दोषी ठहराना

काम चोर निवाले को हाज़िर

उसके संबंध में कहते हैं जो काम के समय टल जाए और खाने के लिए हाज़िर हो जाए

काम चोर, निवाले को हाज़िर

सुस्त या स्वार्थी व्यक्ति जो काम से जी चुराए और खाने के समय आ जाए, अकर्मण्य

चोर को पिंहाई दूर से सूझे

चोर जानता है कि जब पकड़ा गया तो जूते लगेंगे

चोर को जूती दूर से सूझे

चोर जानता है कि जब पकड़ा गया तो जूते लगेंगे

चोर को पन्ही दूर से सूझे

चोर जानता है कि जब पकड़ा गया तो जूते लगेंगे

पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

अपना ही माल जाए आप ही चोर कहलाए

अपनी हानि का इल्ज़ाम अपने ही सर, आया क्या परिहासयुक्त अत्याचार है

ककड़ी के चोर को गर्दन मारना

छोटी सी ग़लती या तुच्छ अपराध पर अधिक दंड मिलना, अंधेर होना

पीर को न शहीद को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

पराए धन को चोर रोए

दूसरे के माल का लालच करने या इस से हसद करने के मौक़ा पर बोलते हैं

ककड़ी के चोर को गर्दन नहीं मारते

किसी साधारण अपराध के लिए कड़ा दण्ड नहीं देना चाहिए

अपना ही माल जाए और आप ही चोर कहलाए

अपनी हानि का इल्ज़ाम अपने ही सर, आया क्या परिहासयुक्त अत्याचार है

रोवे चोर पराए धन को

किसी की सख़ावत को देख कर नाराज़ होना या ग़ैर के माल पर शेखी मारना, हासिद की निस्बत मुस्तामल

ककड़ी के चोर को कटारी से नहीं मारते

किसी साधारण अपराध के लिए कड़ा दण्ड नहीं देना चाहिए

हँसते ठाकुर खाँसते चोर, इन दोनों को आया ओर

हाकिम का हरवक़त हंसते रहना और चोर की खांसी दोनों ख़राबी का बाइस होते हैं

चोर गठड़ी ले गया बेगारियों को छुट्टी हुई

किसी हीले से मेहनत से बचना, मुसीबत टली, ख़लासी हुई

चोर के पेट में गाय, आप ही आप रंभाए

थोड़े से दबाव पर चोर अपना भेद खोल देता है, चोर अपनी घबराहट से अपनी पहचान करा देता है, आदमी का अपराध उसकी बातों से ही प्रकट हो जाता है

चोर को पकड़िए गाँठ से, छिनाल को पकड़िए खाट से

चोर को चोरी करते और वेश्या को बुरा काम कराते पकड़ना चाहिए तो फिर सबूत काफ़ी होता है वर्ना निरा लांक्षन माना जाता है

चोर को पकड़े गाँठ से, छिनाल को पकड़े खाट से

चोर को चोरी करते और वेश्या को बुरा काम कराते पकड़ना चाहिए तो फिर सबूत काफ़ी होता है वर्ना निरा लांक्षन माना जाता है

दोस क्या दीजिए चोर को साहब, बंद जब आप घर का दर न किया

जब ख़ुद हिफ़ाज़त नहीं की तो चोर का क्या क़सूर

बिद्दिया वो माल है जो ख़र्चत दुगना हो राजा रवा चोर ताछीन न साके को

इलम ऐसा माल है जो (ख़र्च करे) सिखाने से ज़्यादा होता है और उसे राजा राव या चोर कोई नहीं छीन सकता

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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