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बलाय

बरुना नामक वृक्ष

बलाए

विपत्ति; संकट; आफ़त।

बला-ए-'इश्क़

calamity of love, mighty love

बला-ए-'अज़ीम

बहुत बड़ी आपत्ति ।

बला-ए-शा'इरी

affliction of poetry, mighty poetry

बला-ए-ना-गहानी

आकस्मिक विपत्ति, अचानक आनेवाली मुसीबत

बला-ए-बद

बुरी विपत्ति, भूत

बला-ए-जान

जान के लिए जंजाल, प्राणों के लिये आपत्ति का कारण

बला-ए-शाम-ए-'इश्क़

calamity of the evening of love

बला-ए-मुजस्सम

साकार विपत्ति, वह व्यक्ति जो सर से पाँव तक मुसीबत ही मुसीबत हो

बला-ए-आसमानी

दैवी आपत्ति, ग़ैबी मुसीबत, ईश्वर का प्रकोप, आकाशीय आपदा

बला-ए-रोज़गार

ज़माने के लिए विपत्ति का कारण ।।

बला-ए-'इश्क़-ए-बुताँ

calamity of the love of idols

बला-ए-बे-दरमाँ

ऐसी आपत्ति जिसका कोई तोड़ न हो, जो टल न सके

बला-ए-'आलम

calamity, catastrophe of the world

बला-ए-जाँ

प्राणों के लिए आपत्ति का कारण, जान को जंजाल, जीवन का संकट

अलाए-बलाए अलाए-बलाए

کم بخت ، بے نصیب ، آفت رسیدہ ، غمزدہ ، سیاہ بخت

अलाए-बलाए

(ب) صف. کم بخت ، بے نصیب ، آفت رسیدہ ، سیاہ بخت

मतर्स अज़ बलाए कि शब दर्मियानस्त

उस मुसीबत की चिंता में परेशान नहीं होना चाहिए जो अभी आई नहीं है

रसीदा बूद बलाए वले ब-ख़ैर गुज़श्त

مصبیت آئی تھی مگر خیرگزری ، مصبیت ناگہانی سے بچنے کے موقع پر مستعمل .

ख़ुदा झूट न बुलाए

अपनी बात की सदाक़त साबित करने के लिए बतौर तकिया-ए-कलाम मुस्तामल

अल्लाह झूट न बुलाए

जब कोई ऐसी बात कहनी हो जिसके सत्य होने का विश्वास न हो

बिन-बुलाए

बिना किसी सम्मन या प्रस्ताव के, अपने से,स्वयं से, ख़ुद से, आपने आप, अनचाहा

मेरी बला बुलाए

(स्त्रीवाची) मैं नहीं बुलाती, अरुचि और उपेक्षा के व्यक्त करने के अवसर पर प्रयुक्त

बे बुलाए ख़दा के घर भी नहीं जाते

ایسے موقع پر مستعمل جب یہ کہنا مقصود ہو کہ بے طلب کوئی کسی کے پاس نہیں جاتا.

ज़ात के बुलाए बराबर बैठे कम ज़ात बुलाए नीचे बैठे

एक पदवी वालों से समान व्यवहार किया जाता है और निम्न पद वाले से घृणा का, अपने समान आदमियों का सम्मान करनी चाहिए, नीच कमीनों को नीचे बैठना चाहिए

तीन बुलाए तेरह आए दे दाल में पानी

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

मक्खी बैठी शहद पर पंख गए लिपटाए, हाथ मले सर धुने लालच बुरी बलाए

लालच से आदमी मुसीबत में फंसता है, लालच करने वाला सदैव मुसीबत में गिरफ़्तार होता है

एक दिन का मेहमान, दो दिन का मेहमान, तीसरे दिन बला-ए-जान

अगर अतिथि अधिक दिन रहे तो दूभर हो जाता है

तीन बुलाए तेरह आए सुनो ज्ञान की बानी, राघौ चेतन यूँ कहे तुम दो दाल में पानी

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

तीन बुलाए तेरह आए देखो यहाँ की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

चार बुलाए चौदह आए सुनो घर की रीत, भार के आ कर खा गए घर के गाएँ गीत

इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कम लोगों को दावत दी जाये और बहुत ज़्यादा आ जाएं , (कब : तीन बुलाए तेराह आए देखो यहां की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत)

क़र्ज़ काढ़ करे ब्योपार, मेहरी से जो रूठे भटार , बे बुलाए बोले दरबार ये तीनों पश्म के यार

जो क़र्ज़ अर्थात ऋण के रुपये से व्यापार करे, जो अपनी पत्नी से रूठे, जो दरबार में बुलाए बगै़र बोले सब मूर्ख हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बला-ए-शाम-ए-'इश्क़ के अर्थदेखिए

बला-ए-शाम-ए-'इश्क़

balaa-e-shaam-e-'ishqبَلائے شامِ عِشْق

वज़्न : 1222221

English meaning of balaa-e-shaam-e-'ishq

  • calamity of the evening of love

Urdu meaning of balaa-e-shaam-e-'ishq

  • Roman
  • Urdu

खोजे गए शब्द से संबंधित

बलाय

बरुना नामक वृक्ष

बलाए

विपत्ति; संकट; आफ़त।

बला-ए-'इश्क़

calamity of love, mighty love

बला-ए-'अज़ीम

बहुत बड़ी आपत्ति ।

बला-ए-शा'इरी

affliction of poetry, mighty poetry

बला-ए-ना-गहानी

आकस्मिक विपत्ति, अचानक आनेवाली मुसीबत

बला-ए-बद

बुरी विपत्ति, भूत

बला-ए-जान

जान के लिए जंजाल, प्राणों के लिये आपत्ति का कारण

बला-ए-शाम-ए-'इश्क़

calamity of the evening of love

बला-ए-मुजस्सम

साकार विपत्ति, वह व्यक्ति जो सर से पाँव तक मुसीबत ही मुसीबत हो

बला-ए-आसमानी

दैवी आपत्ति, ग़ैबी मुसीबत, ईश्वर का प्रकोप, आकाशीय आपदा

बला-ए-रोज़गार

ज़माने के लिए विपत्ति का कारण ।।

बला-ए-'इश्क़-ए-बुताँ

calamity of the love of idols

बला-ए-बे-दरमाँ

ऐसी आपत्ति जिसका कोई तोड़ न हो, जो टल न सके

बला-ए-'आलम

calamity, catastrophe of the world

बला-ए-जाँ

प्राणों के लिए आपत्ति का कारण, जान को जंजाल, जीवन का संकट

अलाए-बलाए अलाए-बलाए

کم بخت ، بے نصیب ، آفت رسیدہ ، غمزدہ ، سیاہ بخت

अलाए-बलाए

(ب) صف. کم بخت ، بے نصیب ، آفت رسیدہ ، سیاہ بخت

मतर्स अज़ बलाए कि शब दर्मियानस्त

उस मुसीबत की चिंता में परेशान नहीं होना चाहिए जो अभी आई नहीं है

रसीदा बूद बलाए वले ब-ख़ैर गुज़श्त

مصبیت آئی تھی مگر خیرگزری ، مصبیت ناگہانی سے بچنے کے موقع پر مستعمل .

ख़ुदा झूट न बुलाए

अपनी बात की सदाक़त साबित करने के लिए बतौर तकिया-ए-कलाम मुस्तामल

अल्लाह झूट न बुलाए

जब कोई ऐसी बात कहनी हो जिसके सत्य होने का विश्वास न हो

बिन-बुलाए

बिना किसी सम्मन या प्रस्ताव के, अपने से,स्वयं से, ख़ुद से, आपने आप, अनचाहा

मेरी बला बुलाए

(स्त्रीवाची) मैं नहीं बुलाती, अरुचि और उपेक्षा के व्यक्त करने के अवसर पर प्रयुक्त

बे बुलाए ख़दा के घर भी नहीं जाते

ایسے موقع پر مستعمل جب یہ کہنا مقصود ہو کہ بے طلب کوئی کسی کے پاس نہیں جاتا.

ज़ात के बुलाए बराबर बैठे कम ज़ात बुलाए नीचे बैठे

एक पदवी वालों से समान व्यवहार किया जाता है और निम्न पद वाले से घृणा का, अपने समान आदमियों का सम्मान करनी चाहिए, नीच कमीनों को नीचे बैठना चाहिए

तीन बुलाए तेरह आए दे दाल में पानी

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

मक्खी बैठी शहद पर पंख गए लिपटाए, हाथ मले सर धुने लालच बुरी बलाए

लालच से आदमी मुसीबत में फंसता है, लालच करने वाला सदैव मुसीबत में गिरफ़्तार होता है

एक दिन का मेहमान, दो दिन का मेहमान, तीसरे दिन बला-ए-जान

अगर अतिथि अधिक दिन रहे तो दूभर हो जाता है

तीन बुलाए तेरह आए सुनो ज्ञान की बानी, राघौ चेतन यूँ कहे तुम दो दाल में पानी

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

तीन बुलाए तेरह आए देखो यहाँ की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

चार बुलाए चौदह आए सुनो घर की रीत, भार के आ कर खा गए घर के गाएँ गीत

इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कम लोगों को दावत दी जाये और बहुत ज़्यादा आ जाएं , (कब : तीन बुलाए तेराह आए देखो यहां की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत)

क़र्ज़ काढ़ करे ब्योपार, मेहरी से जो रूठे भटार , बे बुलाए बोले दरबार ये तीनों पश्म के यार

जो क़र्ज़ अर्थात ऋण के रुपये से व्यापार करे, जो अपनी पत्नी से रूठे, जो दरबार में बुलाए बगै़र बोले सब मूर्ख हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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