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काैआ-गुहार

۔ مونث۔ (عو) نرغہ میں گھرنا کی جگہ۔ ؎ جب کچھ دینے کو نہیں رہا تو قرض خواہوں کی کوّا گہار میں پڑے۔

कोई-घड़ी

एक पल, पल भर को

घर कों देवा तो मस्जिद कों देवा

آدمی کو اپنا حق مِلے تو وہ خدا کا حق بھی ادا کرتا ہے.

ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़ें घर की सिल

शक्तिशाली से बस नहीं चलता, कमज़ोर को तंग करते हैं

ठोकर लगी पहाड़ की, घर की तोड़ें सील

शक्तिशाली से बस नहीं चलता, कमज़ोर को तंग करते हैं

घर से आए कोई, संदसा दे कोई

रुक : घर से आए हैं अलख

शान मारे ग़ैर को, बे शान मारे आप को

शान-ओ-शौकत से दूसरा मरऊब होजाता है और सादगी और आजिज़ी से अपने आप को नुक़्सान पहुंचता है

घर भाड़े भाट भाड़े पूँजी को लगे बियाज, मुनीम बैठा रोटियाँ झाड़े दिवाला काढ़े काईं लाज

हर चीज़ का किराया लेते हैं एवं पैसे पर सूद फिर भी दिवाला निकालते हैं अर्थात होते हुए भी न होने का बहाना करना

घर भाड़े हाट भाड़े पूँजी को लगे ब्याज, मुनीम बैठा रोटियाँ झाड़े दिवाला झाड़े काईं लाज

हर चीज़ का किराया लेते हैं एवं पैसे पर सूद फिर भी दिवाला निकालते हैं अर्थात होते हुए भी न होने का बहाना करना

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है

घर घर का, साथ नर का

घर अपना उत्तम है और दोस्त बहादुर आदमी होना चाहिए

घर-का-घर

पूरा घर, निजी घर, ज़ाती घर, घर का हर सदस्य, पूरा परीवार, घर की सारी सामग्री

चोर से कह चोरी कर शाह से कहे तेरा घर लुटा मुस्ता है

इस शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस में लगाने बुझाने की आदत हो

घर यार के, पूत भतार के

यह कहावत विलासी आदमी के सम्बन्ध में कहते हैं जिस के बच्चे वेश्या के यहां होते हैं और अपना कोई रहने का स्थान नहीं होता

तिरया तू है सोभा घर की, जो हो लाज रखावा नर की

जो स्त्री अपने पति का सम्मान एवं गौरव स्थापित रखे वो घर की शोभा है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का के अर्थदेखिए

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

zaamin na hove baap kaa, ye zaaminii ghar paap kaaضامِن نَہ ہووے باپ کا، یہ ضامِنی گَھر پاپ کا

कहावत

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का के हिंदी अर्थ

  • उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है
  • चाहे कोई कैसा ही क़रीबी और अपना हो, उस की ज़मानत नहीं देनी चाहिए, ज़मानत उत्पात की जड़ है

ضامِن نَہ ہووے باپ کا، یہ ضامِنی گَھر پاپ کا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ضامن ہونا یا ضمانت دینا بہت برا ہے، اس سے انکار کر دینا بہتر ہے
  • خواہ کوئی کیسا ہی عزیز ہو، اس کی ضمانت نہیں دینی چاہیئے، ضمانت فساد کی جڑ ہے

Urdu meaning of zaamin na hove baap kaa, ye zaaminii ghar paap kaa

  • Roman
  • Urdu

  • zaamin honaa ya zamaanat denaa bahut buraa hai, is se inkaar kar denaa behtar hai
  • Khaah ko.ii kaisaa hii aziiz ho, us kii zamaanat nahii.n denii chaahii.e, zamaanat fasaad kii ja.D hai

खोजे गए शब्द से संबंधित

काैआ-गुहार

۔ مونث۔ (عو) نرغہ میں گھرنا کی جگہ۔ ؎ جب کچھ دینے کو نہیں رہا تو قرض خواہوں کی کوّا گہار میں پڑے۔

कोई-घड़ी

एक पल, पल भर को

घर कों देवा तो मस्जिद कों देवा

آدمی کو اپنا حق مِلے تو وہ خدا کا حق بھی ادا کرتا ہے.

ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़ें घर की सिल

शक्तिशाली से बस नहीं चलता, कमज़ोर को तंग करते हैं

ठोकर लगी पहाड़ की, घर की तोड़ें सील

शक्तिशाली से बस नहीं चलता, कमज़ोर को तंग करते हैं

घर से आए कोई, संदसा दे कोई

रुक : घर से आए हैं अलख

शान मारे ग़ैर को, बे शान मारे आप को

शान-ओ-शौकत से दूसरा मरऊब होजाता है और सादगी और आजिज़ी से अपने आप को नुक़्सान पहुंचता है

घर भाड़े भाट भाड़े पूँजी को लगे बियाज, मुनीम बैठा रोटियाँ झाड़े दिवाला काढ़े काईं लाज

हर चीज़ का किराया लेते हैं एवं पैसे पर सूद फिर भी दिवाला निकालते हैं अर्थात होते हुए भी न होने का बहाना करना

घर भाड़े हाट भाड़े पूँजी को लगे ब्याज, मुनीम बैठा रोटियाँ झाड़े दिवाला झाड़े काईं लाज

हर चीज़ का किराया लेते हैं एवं पैसे पर सूद फिर भी दिवाला निकालते हैं अर्थात होते हुए भी न होने का बहाना करना

ज़ामिन न होवे बाप का, ये ज़ामिनी घर पाप का

उत्तरदायित्व बनना या ज़मानत देना बहुत बुरा है, इस से इंकार कर देना अच्छा है

घर घर का, साथ नर का

घर अपना उत्तम है और दोस्त बहादुर आदमी होना चाहिए

घर-का-घर

पूरा घर, निजी घर, ज़ाती घर, घर का हर सदस्य, पूरा परीवार, घर की सारी सामग्री

चोर से कह चोरी कर शाह से कहे तेरा घर लुटा मुस्ता है

इस शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस में लगाने बुझाने की आदत हो

घर यार के, पूत भतार के

यह कहावत विलासी आदमी के सम्बन्ध में कहते हैं जिस के बच्चे वेश्या के यहां होते हैं और अपना कोई रहने का स्थान नहीं होता

तिरया तू है सोभा घर की, जो हो लाज रखावा नर की

जो स्त्री अपने पति का सम्मान एवं गौरव स्थापित रखे वो घर की शोभा है

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