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कौन हो

کیا لگتا ہے ، کیا رشتہ ہے ، کیا تعلق ہے (واسطے ، حیثیت اور رشتہ کی حقیقت معلوم کرنے کے لیے).

कौन हूँ

کیا لگتا ہے ، کیا رشتہ ہے ، کیا تعلق ہے (واسطے ، حیثیت اور رشتہ کی حقیقت معلوم کرنے کے لیے).

कौन होता है

क्या ताल्लुक़ है, क्या रिश्ता है, क्या वास्ता है, संबंध क्या है

कौन है

है कोई ऐसा, कोई नहीं

मा'लूम नहीं तुम कौन हो

तजाहुल एआर फ़ाना के मौक़ा पर मुस्तामल, यानी बहुत आदमी हो

कौन से मर्ज़ की दवा हो

किस काम के हो, बड़े निकम्मे हो, बेकार आदमी हो

कौन खेत की मूली हो

रुक : किस खेत की मूली हो, निहायत बेहक़ीक़त हो, बेवक़ार और बेहैसियत हो

कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाने का

मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है

दाई हो मीठी दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाए गा

मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है

दाई हो मीठी, दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

कौन कहे राजा जी नंगे हो

शक्तिशाली व्यक्ति को कोई कुछ नहीं कह सकता, शक्तिशाली व्यक्ति का पल्ला भारी

शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

कस नमी पुरसद कि भय्या कौन हो ढाई हो या तीन या पौन हो

जब कोई व्यक्ति दरिद्र हो तो उसकी कोई नहीं पूछता कि तुम कौन हो या तेरी क्या हैसियत है

शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

एक बखिया मोरे पल्ले, कौन पिनौते हो के चल्ले

मेरे पास एक रज़ाई है, जब चाहूँ चला जाऊँ, किसी बात की परवाह नहीं

कौन कहे राजा जी नंगे होते हो, कौन कहे रानी आगा ढाँको

शक्तिशाली व्यक्ति को कोई कुछ नहीं कह सकता, शक्तिशाली व्यक्ति का पल्ला भारी

बाड़ लगाई खेत को बाड़ खेत को खाए, राजा हो चोरी करे तो नियाव कौन चुकाए

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

साईं जिस को राख ले मारन हारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

साईं जिस को राख ले मारन मारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

बाड़ लगाई खेत को बाड़ खेत को खाए राजा हो चोरी करे नियाव कोन चुकाए

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

कौन कहे राजा जी नंगे होते हो, कौन कहे रानी ढाँको

मालदार महान व्यक्ति में कोई दोष नहीं निकालता

मैं कौन हूँ

इसका मतलब मुझे क्या सरोकार, क्या संबंध, मुझे तुझसे कोई संबंध नहीं

गुड़ खाया है तो कान छिदाने पड़ेंगे

ऐश किया है तो तक्लीफ़ भी उठानी पड़ेगी

पराई सराए में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

शेरों से शिकार और कव्वों से बड़े कौन ले सकता है

ज़बरदस्त से कुछ नहीं मिलता

पराई सार में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

धोबी से जीते नहीं गधे के कान मरोड़त हो

रुक : धोबी से जीत ना पाए अलख

पराई सार कौन धुवाँ करता है

कोई भी दूसरे की मदद नहीं करता

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

क़ना'अत बड़ी दौलत है

जो कुछ मिल जाए उसी पर संतुष्ट रहने वाला आदमी हर समय प्रसन्न रहता है, संतोष बड़ा धन है

कौन चिड़िया है

क्या हक़ीक़त है, कोई हैसियत नहीं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

कौन बड़ी बात है

कोई ज़्यादा अहम बात नहीं, मामूली सी बात है, आसान काम है

बुरे वक़्त का कौन है जुज़ ख़ुदा

दुख के समय कोई साथ नहीं देता, केवल ईश्वर ही सहायता करता है

आप का बायाँ क़दम कौन सा है

आप बड़े चालाक हैं

ख़ाली बोरी और शराबी को कौन खड़ा रख सकता है

बगै़र सहारे या क़ुव्वत के कोई ज़ोर नहीं चलता

कौन से मर्ज़ की दवा है

۔کس کام کا ہے۔ اِس سے کیا فائدہ ہے۔ محض نکمسا ہے۔ ؎ ؎ مخاطب سے کس مرض کی دوا ہو۔ کون سے مرض کی دوا ہو کہتے ہیں۔

कान पड़ी काम आती है

सुनी सुनाई बात कभी न कभी काम आ ही जाती है, सुनी हुई अच्छी बात किसी वक़्त याद आ सकती है

शैतान ने कान में फूँक मार दी है

शैतान ने घमंडी बना दिया है

कान दबाए हुए

۔چُپ چاپ۔ وہ ایک فقرہ چھوڑ کے کان دبائے ہوئے اُن کے ساتھ اُٹھے۔

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

आइंदा को कान हुए

आगे के लिये एहतियात होगी

मुर्ग़े की बाँग को कौन सहीह रखता है

बकवासी की डींग का क्या एतबार या औरत की बात काबिल एव एतिमाद नहीं

कौन से क़ुरआन में लिक्खा है

किस नियम और क़ानून से उचित है अर्थात् यह सही नहीं है

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है

बड़ों के सामने छोटों या अदना आदमीयों की कोई समाअत नहीं, शोर-ओ-शग़ब, हंगामे के मजमे में किसी कमज़ोर या तन्हा आदमी की बात पर कोई कान नहीं धर्ता

रूई कानों में दे रखी है

कुछ सुनता ही नहीं करता, जब कोई व्यक्ति सुनी अन-सुनी करे तो कहते हैं

तुर्की के हाथ पड़ा ताज़ी के कान हुए

रुक : तुर्की पट्टे ताज़ी काँपे

अपने दही को कौन खट्टा कहता है

हर कोई अपने माल की प्रशंसा करता है

दीवार भी कान रखती है

राज़ को रोज़ ही रहना चाहीए हो सकता है पस दीवार कोई हो, एहतियात लाज़िम है

कौन पराई आग में गिरता है

कोई किसी के कारणवश संकट मोल नहीं लेता

नक़्क़ार-ख़ाना में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बड़े आदमीयों में छोटे की आवाज़ बे असर रहती है , बहुत से आदमीयों के आगे एक की नहीं चलती , ताक़त वरों में कमज़ोरों की तरफ़ कोई तवज्जा नहीं देता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार-ख़ाने में कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

नक़्क़ार-ख़ाने में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आह-ओ-फ़ुग़ाँ से करोबियों के कान गुँग हो गए

बहुत रोए पीटे, बहुत शोर-ओ-ग़ुल किया

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है के अर्थदेखिए

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है

tuutii kii aavaaz naqqaar KHaane me.n kaun suntaa haiتُوتی کی آوازنَقّار خانے میں کَون سُنْتا ہے

कहावत

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है के हिंदी अर्थ

  • बड़ों के सामने छोटों या अदना आदमीयों की कोई समाअत नहीं, शोर-ओ-शग़ब, हंगामे के मजमे में किसी कमज़ोर या तन्हा आदमी की बात पर कोई कान नहीं धर्ता

تُوتی کی آوازنَقّار خانے میں کَون سُنْتا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • بڑوں کے سامنے چھوٹوں یا ادنیٰ آدمیوں کی کوئی سماعت نہیں، شور و شغب، ہن٘گامے یا متفق الراے آدمیوں کے مجمعے میں کسی کمزور یا تنہا آدمی کی بات پر کوئی کان نہیں دھرتا.

Urdu meaning of tuutii kii aavaaz naqqaar KHaane me.n kaun suntaa hai

  • Roman
  • Urdu

  • ba.Do.n ke saamne chhoTo.n ya adnaa aadmiiyo.n kii ko.ii samaaat nahiin, shor-o-shaGab, hangaame ke majme me.n kisii kamzor ya tanhaa aadamii kii baat par ko.ii kaan nahii.n dhartaa

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कौन हो

کیا لگتا ہے ، کیا رشتہ ہے ، کیا تعلق ہے (واسطے ، حیثیت اور رشتہ کی حقیقت معلوم کرنے کے لیے).

कौन हूँ

کیا لگتا ہے ، کیا رشتہ ہے ، کیا تعلق ہے (واسطے ، حیثیت اور رشتہ کی حقیقت معلوم کرنے کے لیے).

कौन होता है

क्या ताल्लुक़ है, क्या रिश्ता है, क्या वास्ता है, संबंध क्या है

कौन है

है कोई ऐसा, कोई नहीं

मा'लूम नहीं तुम कौन हो

तजाहुल एआर फ़ाना के मौक़ा पर मुस्तामल, यानी बहुत आदमी हो

कौन से मर्ज़ की दवा हो

किस काम के हो, बड़े निकम्मे हो, बेकार आदमी हो

कौन खेत की मूली हो

रुक : किस खेत की मूली हो, निहायत बेहक़ीक़त हो, बेवक़ार और बेहैसियत हो

कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाने का

मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है

दाई हो मीठी दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाए गा

मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है

दाई हो मीठी, दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

कौन कहे राजा जी नंगे हो

शक्तिशाली व्यक्ति को कोई कुछ नहीं कह सकता, शक्तिशाली व्यक्ति का पल्ला भारी

शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

कस नमी पुरसद कि भय्या कौन हो ढाई हो या तीन या पौन हो

जब कोई व्यक्ति दरिद्र हो तो उसकी कोई नहीं पूछता कि तुम कौन हो या तेरी क्या हैसियत है

शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

एक बखिया मोरे पल्ले, कौन पिनौते हो के चल्ले

मेरे पास एक रज़ाई है, जब चाहूँ चला जाऊँ, किसी बात की परवाह नहीं

कौन कहे राजा जी नंगे होते हो, कौन कहे रानी आगा ढाँको

शक्तिशाली व्यक्ति को कोई कुछ नहीं कह सकता, शक्तिशाली व्यक्ति का पल्ला भारी

बाड़ लगाई खेत को बाड़ खेत को खाए, राजा हो चोरी करे तो नियाव कौन चुकाए

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

साईं जिस को राख ले मारन हारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

साईं जिस को राख ले मारन मारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

बाड़ लगाई खेत को बाड़ खेत को खाए राजा हो चोरी करे नियाव कोन चुकाए

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

कौन कहे राजा जी नंगे होते हो, कौन कहे रानी ढाँको

मालदार महान व्यक्ति में कोई दोष नहीं निकालता

मैं कौन हूँ

इसका मतलब मुझे क्या सरोकार, क्या संबंध, मुझे तुझसे कोई संबंध नहीं

गुड़ खाया है तो कान छिदाने पड़ेंगे

ऐश किया है तो तक्लीफ़ भी उठानी पड़ेगी

पराई सराए में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

शेरों से शिकार और कव्वों से बड़े कौन ले सकता है

ज़बरदस्त से कुछ नहीं मिलता

पराई सार में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

धोबी से जीते नहीं गधे के कान मरोड़त हो

रुक : धोबी से जीत ना पाए अलख

पराई सार कौन धुवाँ करता है

कोई भी दूसरे की मदद नहीं करता

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

क़ना'अत बड़ी दौलत है

जो कुछ मिल जाए उसी पर संतुष्ट रहने वाला आदमी हर समय प्रसन्न रहता है, संतोष बड़ा धन है

कौन चिड़िया है

क्या हक़ीक़त है, कोई हैसियत नहीं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

कौन बड़ी बात है

कोई ज़्यादा अहम बात नहीं, मामूली सी बात है, आसान काम है

बुरे वक़्त का कौन है जुज़ ख़ुदा

दुख के समय कोई साथ नहीं देता, केवल ईश्वर ही सहायता करता है

आप का बायाँ क़दम कौन सा है

आप बड़े चालाक हैं

ख़ाली बोरी और शराबी को कौन खड़ा रख सकता है

बगै़र सहारे या क़ुव्वत के कोई ज़ोर नहीं चलता

कौन से मर्ज़ की दवा है

۔کس کام کا ہے۔ اِس سے کیا فائدہ ہے۔ محض نکمسا ہے۔ ؎ ؎ مخاطب سے کس مرض کی دوا ہو۔ کون سے مرض کی دوا ہو کہتے ہیں۔

कान पड़ी काम आती है

सुनी सुनाई बात कभी न कभी काम आ ही जाती है, सुनी हुई अच्छी बात किसी वक़्त याद आ सकती है

शैतान ने कान में फूँक मार दी है

शैतान ने घमंडी बना दिया है

कान दबाए हुए

۔چُپ چاپ۔ وہ ایک فقرہ چھوڑ کے کان دبائے ہوئے اُن کے ساتھ اُٹھے۔

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

आइंदा को कान हुए

आगे के लिये एहतियात होगी

मुर्ग़े की बाँग को कौन सहीह रखता है

बकवासी की डींग का क्या एतबार या औरत की बात काबिल एव एतिमाद नहीं

कौन से क़ुरआन में लिक्खा है

किस नियम और क़ानून से उचित है अर्थात् यह सही नहीं है

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है

बड़ों के सामने छोटों या अदना आदमीयों की कोई समाअत नहीं, शोर-ओ-शग़ब, हंगामे के मजमे में किसी कमज़ोर या तन्हा आदमी की बात पर कोई कान नहीं धर्ता

रूई कानों में दे रखी है

कुछ सुनता ही नहीं करता, जब कोई व्यक्ति सुनी अन-सुनी करे तो कहते हैं

तुर्की के हाथ पड़ा ताज़ी के कान हुए

रुक : तुर्की पट्टे ताज़ी काँपे

अपने दही को कौन खट्टा कहता है

हर कोई अपने माल की प्रशंसा करता है

दीवार भी कान रखती है

राज़ को रोज़ ही रहना चाहीए हो सकता है पस दीवार कोई हो, एहतियात लाज़िम है

कौन पराई आग में गिरता है

कोई किसी के कारणवश संकट मोल नहीं लेता

नक़्क़ार-ख़ाना में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बड़े आदमीयों में छोटे की आवाज़ बे असर रहती है , बहुत से आदमीयों के आगे एक की नहीं चलती , ताक़त वरों में कमज़ोरों की तरफ़ कोई तवज्जा नहीं देता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार-ख़ाने में कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

नक़्क़ार-ख़ाने में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आह-ओ-फ़ुग़ाँ से करोबियों के कान गुँग हो गए

बहुत रोए पीटे, बहुत शोर-ओ-ग़ुल किया

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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