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दिल में तो सोचो

मित्र के न आने की शिकायत, दोस्त के न आने का गिला

दिल में तो समझो

कभी शरमाया तो करो, दिल में राज़ी तो हो

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

जब आँखें हुईं चार तो दिल में आया प्यार, जब आँखें हुईं ओट दिल में आई खोट

जिस वक़्त आमने सामने हों तो प्रेम जताते हैं मगर अनुपस्थित में कोई परवाह नहीं होती बल्कि बुराई सूझती है

दाल-रोटी खाए टूटा पड़े तो भाड़ में जाए

सावधानियों के बावजूद भी नुक़्सान पहुंचे तो बेबसी और लाचारी है

आप डाल डाल में तो मैं पात पात

मैं आप से ज़्यादा चालाक, चालिया, होशियार और अक़्लमंद हूँ

आप डाल-डाल हैं तो में पात-पात

मैं आप से अधिक होशियार हूँ

मैं डाल डाल तो वो पात पात

۔دیکھو ڈال ڈال۔ ؎

वो डाल डाल तो मैं पात पात

साधारणतया पीछा करते समय प्रयुक्त

मैं डाल डाल, तू पात पात

में तुझ से कम चालाक नहीं, मुझ से बच कर नहीं जा सकता

तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात

तुम्हारी चालें ख़ूब समझता हूँ, मैं तुमसे अधिक चालाक हूँ। ('तुम' की विशेषता नहीं दूसरे सर्वनामों एवं संज्ञाओं के साथ भी बोलते हैं, कुछ कवियों एवं शायरों ने शब्दों में कुछ हेर-फेर भी किया है)

तू डाल डाल तो मैं पात पात

रुक: तुम डाल डाल तो में पात पात

आप डाल डाल तो मैं पात पात

मैं आप से अधिक चालाक, चालबाज़, होशियार और बुद्धिमान हूँ

तू डाल डाल मैं पात पात

I am smarter than you, I can outwit or outsmart you any time

तुम्हारे वास्ते तो कुँवों में बाँस डाल दिए

तुम को बहुत ढोन गया

मेले में जो जाए तू नावां कर में टाँक, चोर जुवारी गठ-कटे डाल सकें न आँख

मेले में जाए तो रुपया-पैसा ऐसी जगह रखे जहाँ किसी की नज़र न पड़ सके

मन साँचा तो सब साँचा

नीयत सही हो तो नतीजा अच्छा निकलता है , सच्चाई अजब चीज़ है, सच्च बोल कर ऐसा महसूस होता है जैसे सारी दुनिया ख़ुश है, सिदक़ दिल अजब शैय है

साँची बात सा'दुल्लाह कहे, सब के मन से उतरा रहे

सच्ची बात कहने वाले से सब नाख़ुश होते हैं, जो शख़्स सच्च बोले इस से सब घबराते हैं

सोने में हाथ डालूँ तो मिट्टी हो

दुनियावी मुआमलात-ओ-कारोबार में बार बार नाकामी, ख़सारा और नुक़सान के मौक़ा पर बोलते हैं

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक माँ लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक में लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तू डाल डाल तो मैं पात पात के अर्थदेखिए

तू डाल डाल तो मैं पात पात

tuu Daal Daal to mai.n paat paatتُو ڈال ڈال تو مَیں پات پات

तू डाल डाल तो मैं पात पात के हिंदी अर्थ

  • रुक: तुम डाल डाल तो में पात पात

تُو ڈال ڈال تو مَیں پات پات کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک: تم ڈال ڈال تو میں پات پات

Urdu meaning of tuu Daal Daal to mai.n paat paat

  • Roman
  • Urdu

  • rukah tum Daal Daal to me.n paat paat

खोजे गए शब्द से संबंधित

दिल में तो सोचो

मित्र के न आने की शिकायत, दोस्त के न आने का गिला

दिल में तो समझो

कभी शरमाया तो करो, दिल में राज़ी तो हो

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

जब आँखें हुईं चार तो दिल में आया प्यार, जब आँखें हुईं ओट दिल में आई खोट

जिस वक़्त आमने सामने हों तो प्रेम जताते हैं मगर अनुपस्थित में कोई परवाह नहीं होती बल्कि बुराई सूझती है

दाल-रोटी खाए टूटा पड़े तो भाड़ में जाए

सावधानियों के बावजूद भी नुक़्सान पहुंचे तो बेबसी और लाचारी है

आप डाल डाल में तो मैं पात पात

मैं आप से ज़्यादा चालाक, चालिया, होशियार और अक़्लमंद हूँ

आप डाल-डाल हैं तो में पात-पात

मैं आप से अधिक होशियार हूँ

मैं डाल डाल तो वो पात पात

۔دیکھو ڈال ڈال۔ ؎

वो डाल डाल तो मैं पात पात

साधारणतया पीछा करते समय प्रयुक्त

मैं डाल डाल, तू पात पात

में तुझ से कम चालाक नहीं, मुझ से बच कर नहीं जा सकता

तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात

तुम्हारी चालें ख़ूब समझता हूँ, मैं तुमसे अधिक चालाक हूँ। ('तुम' की विशेषता नहीं दूसरे सर्वनामों एवं संज्ञाओं के साथ भी बोलते हैं, कुछ कवियों एवं शायरों ने शब्दों में कुछ हेर-फेर भी किया है)

तू डाल डाल तो मैं पात पात

रुक: तुम डाल डाल तो में पात पात

आप डाल डाल तो मैं पात पात

मैं आप से अधिक चालाक, चालबाज़, होशियार और बुद्धिमान हूँ

तू डाल डाल मैं पात पात

I am smarter than you, I can outwit or outsmart you any time

तुम्हारे वास्ते तो कुँवों में बाँस डाल दिए

तुम को बहुत ढोन गया

मेले में जो जाए तू नावां कर में टाँक, चोर जुवारी गठ-कटे डाल सकें न आँख

मेले में जाए तो रुपया-पैसा ऐसी जगह रखे जहाँ किसी की नज़र न पड़ सके

मन साँचा तो सब साँचा

नीयत सही हो तो नतीजा अच्छा निकलता है , सच्चाई अजब चीज़ है, सच्च बोल कर ऐसा महसूस होता है जैसे सारी दुनिया ख़ुश है, सिदक़ दिल अजब शैय है

साँची बात सा'दुल्लाह कहे, सब के मन से उतरा रहे

सच्ची बात कहने वाले से सब नाख़ुश होते हैं, जो शख़्स सच्च बोले इस से सब घबराते हैं

सोने में हाथ डालूँ तो मिट्टी हो

दुनियावी मुआमलात-ओ-कारोबार में बार बार नाकामी, ख़सारा और नुक़सान के मौक़ा पर बोलते हैं

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक माँ लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक में लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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