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साल-हा-साल

बरसहा-बरस, बरसों, मुद्दतों, बहुत अधिक समय तक

शो'ला-हा-ए-फ़साद भड़कना

भयंकर दंगे और अराजकता फैलना

शो'लाहा-ए-फ़साद भड़कना

झगड़ या फ़साद की आग लगना

शो'ला-हा-ए-फ़साद भड़काना

سخت فساد و انتشار پیدا کرنا

शो'ला-हा-ए-फ़साद

फ़साद का शालों से इस्तिआरा करते हैं

शो'ला-ए-आह

आह की गर्मी

हथिया बरसे तीन होत हैं शकर, शाली, माश

तेरहवीं नकशतरे के दौरान में बारिश हो तो क़िमाद, धान और माश बहुत होते हैं लेकिन तली, कूदों और कपास मर जाते हैं

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

उदार शीघ्र, कृपण देर से ख़र्च करता है, अंत में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

शो'ला-हा-ए-आतिश

आग के शोले

सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

भंग खाना सहल है लेकिन उस की मौजें रंग लाती हैं

हर एक काम का आरंभ आसान है लेकिन परिणाम कठिन है

तिरया तुझ में तीन गुन अवगुन हैं लख चार, मंगल गावे सल रचे और कोकन उपचें लाल

स्त्रियों में तीन खूबियां और लाखों अवगुन हैं, खूबियां ये हैं कि गाती हैं, पति के साथ सती होती हैं और बेटे जनती हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में शो'ला-हा-ए-आतिश के अर्थदेखिए

शो'ला-हा-ए-आतिश

sho'la-haa-e-aatishشُعْلَہائے آتِش

शो'ला-हा-ए-आतिश के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आग के शोले

شُعْلَہائے آتِش کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • آگ کے شعلے

Urdu meaning of sho'la-haa-e-aatish

  • Roman
  • Urdu

  • aag ke shole

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साल-हा-साल

बरसहा-बरस, बरसों, मुद्दतों, बहुत अधिक समय तक

शो'ला-हा-ए-फ़साद भड़कना

भयंकर दंगे और अराजकता फैलना

शो'लाहा-ए-फ़साद भड़कना

झगड़ या फ़साद की आग लगना

शो'ला-हा-ए-फ़साद भड़काना

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शो'ला-हा-ए-फ़साद

फ़साद का शालों से इस्तिआरा करते हैं

शो'ला-ए-आह

आह की गर्मी

हथिया बरसे तीन होत हैं शकर, शाली, माश

तेरहवीं नकशतरे के दौरान में बारिश हो तो क़िमाद, धान और माश बहुत होते हैं लेकिन तली, कूदों और कपास मर जाते हैं

साल भर में सख़ी शूम बराबर होते हैं

उदार शीघ्र, कृपण देर से ख़र्च करता है, अंत में दोनों का ख़र्च बराबर हो जाता है या निकलता है

शो'ला-हा-ए-आतिश

आग के शोले

सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं

फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह

भंग खाना सहल है लेकिन उस की मौजें रंग लाती हैं

हर एक काम का आरंभ आसान है लेकिन परिणाम कठिन है

तिरया तुझ में तीन गुन अवगुन हैं लख चार, मंगल गावे सल रचे और कोकन उपचें लाल

स्त्रियों में तीन खूबियां और लाखों अवगुन हैं, खूबियां ये हैं कि गाती हैं, पति के साथ सती होती हैं और बेटे जनती हैं

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