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दस्त-बरदार

जिसने किसी वस्तु पर से अपना स्वत्व (एकाधिकार) हटा लिया हो; किसी कार्य या बात से स्वयं को अलग कर लेने वाला; जो बेदावा हो, बेतअल्लुक़, विरक्त

दस्त-बरदार होना

हाथ उठाना, अलग होना, त्यागना, छोड़ देना, बाज़ आना

दस्त-बरदार करना

अलग करना, मुक्त करना, जुदा करना, हटाना

दस्त-बरदारी

संबंध विक्षेद, अलगाव, किसी काम से हाथ उठा लेना, अलग कर देना, किसी चीज़ से अपना अधिकार हटाकर सदा के लिए छोड़ या त्याग देने की क्रिया या भाव

दस्त-बरदारी देना

अपने हक़ को छोड़ देना, असंबंधित हो जाना

गद्दी से दस्त-बरदार हो जाना

इक़तिदार यू हुकूमत छोड़ देना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में शहर-आशोब के अर्थदेखिए

शहर-आशोब

shahr-aashobشَہْر آشوب

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 21221

शहर-आशोब के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अ. फा. वि. वह पद्य जिसमें काव्यकला की अनाड़ियों के हाथों दुर्गति का वर्णन हो।
  • कविता की एक किस्म जिसमें राज्य की कुव्यवस्था, शासक की हीनता और प्रजा की दुर्गति का वर्णन होता है
  • (लाक्षणिक) शहर के लिए शांति भंग करने वाला, कविता एक प्रकार जिसमें विभिन्न वर्गों एवं श्रेणियों और विभिन्न पेशों से संबंध रखने वाले लड़कों की सुंदरता और उनकी दिलकश अदाओं का वर्णन होता था

विशेषण

  • वो व्यक्ति जिसकी सुंदरता शहर की शांति भंग करने का कारण बने

शे'र

English meaning of shahr-aashob

Noun, Masculine

  • a poem that bemoans the disturbances or social and economic decline of a city or country, a poem on a ruined city, a disturber of the peace of a city
  • ( Metaphorically) a mistress, beloved, beautiful person, which is causes to ruined city

Adjective

  • the disturber of the tranquility of the city

شَہْر آشوب کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • وہ نظم جس میں کسی شہر یا ملک کی اقتصادی یا سیاسی بے چینی کا تذکرہ ہو یا شہر کے مختلف طبقوں کے مجلسی زندگی کے کسی پہلو کا نقشہ خصوصاً ہزلیہ، طنزیہ یا ہجویہ انداز میں کھینچا گیا ہو
  • (مجازاً) شہر کے لیے فتنہ اور ہنگامہ، نظم کی وہ صنف جس میں مختلف طبقوں اور مختلف پیشوں سے تعلق رکھنے والے لڑکوں کے حسن و جمال اور ان کی دلکش اداؤں کا بیان ہوتا تھا

صفت

  • وہ شخص جو اپنے حسن و جمال کے باعث آشوب زدۂ شہر و فتنۂ دہر ہو

Urdu meaning of shahr-aashob

  • Roman
  • Urdu

  • vo nazam jis me.n kisii shahr ya mulak kii iqatisaadii ya sayaasii bechainii ka tazakiraa ho ya shahr ke muKhtlif tabko.n ke majlisii zindgii ke kisii pahluu ka naqsha Khusuusan haz liyaa, tanziya ya hajviih andaaz me.n khiinchaa gayaa ho
  • (majaazan) shahr ke li.e fitna aur hangaamaa, nazam kii vo sinaf jis me.n muKhtlif tabko.n aur muKhtlif pesho.n se taalluq rakhne vaale la.Dko.n ke husn-o-jamaal aur un kii dilkash adaa.o.n ka byaan hotaa tha
  • vo shaKhs jo apne husn-o-jamaal ke baa.is aashuub zada-e-shahr-o-fitnaa-e-dahar ho

शहर-आशोब से संबंधित रोचक जानकारी

शह्र ए आशोब उर्दू शायरी की एक क्लासिकी विधा है जो एक ज़माने में बहुत लिखी गई थी। यह ऐसी नज़्म होती है जिसमें किसी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कठिनाईयों की वजह से किसी शहर की परेशानी और बर्बादी का हाल बयान किया गया हो। शह्र ए आशोब मसनवी, क़सीदा, रूबाई, क़तात, मुख़म्मस और मुसद्दस के रूप में लिखे गए हैं। मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा और मीर तक़ी मीर के शह्र ए आशोब जिनमें अवाम की बेरोज़गारी, आर्थिक कठिनाई और दिल्ली की तबाही व बर्बादी का उल्लेख है, उर्दू के यादगार शह्र ए आशोब हैं। नज़ीर अकबराबादी ने अपने शह्र ए आशोबों में आगरे की बदहाली, फ़ौज की ख़राब स्थिति और शरीफ़ों के अपमान का हाल बहुत ख़ूबी से प्रस्तुत किया है। 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के बाद दिल्ली पर जो मुसीबत टूटी, उसे भी दिल्ली के अधिकतर शायरों ने अपना विषय बनाया है जिनमें ग़ालिब, दाग़ देहलवी और मौलाना हाली शामिल हैं। 1954 में हबीब तनवीर ने नज़ीर अकबराबादी की शायरी पर आधारित अपने मशहूर नाटक "आगरा बाज़ार" में उनके एक शह्र ए आशोब को बहुत ही प्रभावी ढंग से मंच पर गीत के रूप में प्रस्तुत किया था।

लेखक: अज़रा नक़वी

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दस्त-बरदार

जिसने किसी वस्तु पर से अपना स्वत्व (एकाधिकार) हटा लिया हो; किसी कार्य या बात से स्वयं को अलग कर लेने वाला; जो बेदावा हो, बेतअल्लुक़, विरक्त

दस्त-बरदार होना

हाथ उठाना, अलग होना, त्यागना, छोड़ देना, बाज़ आना

दस्त-बरदार करना

अलग करना, मुक्त करना, जुदा करना, हटाना

दस्त-बरदारी

संबंध विक्षेद, अलगाव, किसी काम से हाथ उठा लेना, अलग कर देना, किसी चीज़ से अपना अधिकार हटाकर सदा के लिए छोड़ या त्याग देने की क्रिया या भाव

दस्त-बरदारी देना

अपने हक़ को छोड़ देना, असंबंधित हो जाना

गद्दी से दस्त-बरदार हो जाना

इक़तिदार यू हुकूमत छोड़ देना

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