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"सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर" शब्द से संबंधित परिणाम

say-so

क़ुव्वत-ए-फै़सला

साया-आसा

साया की भांती

साईं से सच्चा और बंदे से सत भाव

इंसान को हर हाल में पाकबाज़ रहना चाहीए

साया-ए-दौलत से दूर रहना

सेवा में उपस्थित न होना, ख़िदमत में हाज़िर न होना, पास न रहना

तड़के उठ कर खाट से छोड़ छाड़ सब काम, माला कर हाथ में जप साईं का नाम

अली उल-सुबह उठ कर पहले इबादत या पूजा करनी चाहिए

सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर

जब कोई घाटा खा कर वापस आए तो कहते हैं कि आधा गंवा कर वापस गए

जो नर साएँ से डरे वासे डरो ज़रूर

अभिमानियों से बिल्कुल मत डरो, परन्तु जो परमेश्वर से डरता है उसी से डरो

शाए'

व्यक्त, प्रकट, ज़ाहिर

साईं के सो खेल हैं

ईश्वर सर्वज्ञ है वह जो चाहे सो करे

साईं के सो खेल

ईश्वर सर्वज्ञ है वह जो चाहे सो करे

मूल न वा सूँ भाए करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

मूल न वा सूँ भय करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

साए-साए

سائے میں ، سائے تلے ، چھان٘و میں.

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

साईं से सांची कहूँ बाज बाज रे ढोल, पंचन मेरी पत रहे सखियों में रहे बोल

स्त्री को चाहिए कि पति की नज़रों में सच्ची रहे क्यूँकि इसी तरह लोगों में उस का सम्मान और सहेलियों में उस का महत्व होता है

साईं से सांची रहूँ बाज बाज रे ढोल, पंचन में मेरी पत रहे सखियाँ में रहे बोल

स्त्री को चाहिए कि पति की नज़रों में सच्ची रहे क्यूँकि इसी तरह लोगों में उस का सम्मान और सहेलियों में उस का महत्व होता है

साईं इस संसार में भाँत भाँत के लोग, सब से मिल के बैठिये नदी नाव संजोग

दुनिया में तरह तरह के लोग हैं मिल कर जीवन व्यतीत करना चाहिए

साईं इस संसार में भाँत भाँत के लोग, सब से मिल कर बैठिये नदी नाव संजोग

दुनिया में तरह तरह के लोग हैं मिल कर जीवन व्यतीत करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर के अर्थदेखिए

सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर

sayyaa.n ga.e ladnii ladaa.e.n jha.Daa-jha.D, sau ke pachaas kiye chale aa.e gharسَیّاں گئے لدنی لَدائیں جَھڑا جَھڑ، سَو کے پَچاس کئے چلے آئے گَھر

कहावत

सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर के हिंदी अर्थ

  • जब कोई घाटा खा कर वापस आए तो कहते हैं कि आधा गंवा कर वापस गए
  • व्यापार में किसी को घाटा हुआ, उसी को स्त्री व्यंग्य में कहती है

    विशेष लदनी= माल लादना।

سَیّاں گئے لدنی لَدائیں جَھڑا جَھڑ، سَو کے پَچاس کئے چلے آئے گَھر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جب کوئی گھاٹا کھا کر واپس آئے تو کہتے ہیں کہ آدھا گں٘وا کر واپس آ گئے
  • تجارت میں کسی کو گھاٹا ہوا اسی کو عورت طنزاََ کہتی ہے

Urdu meaning of sayyaa.n ga.e ladnii ladaa.e.n jha.Daa-jha.D, sau ke pachaas kiye chale aa.e ghar

  • Roman
  • Urdu

  • jab ko.ii ghaaTa kha kar vaapis aa.e to kahte hai.n ki aadhaa gaNakvaa kar aa ge
  • tijaarat me.n kisii ko ghaaTa hu.a usii ko aurat tanazzaa kahtii hai

खोजे गए शब्द से संबंधित

say-so

क़ुव्वत-ए-फै़सला

साया-आसा

साया की भांती

साईं से सच्चा और बंदे से सत भाव

इंसान को हर हाल में पाकबाज़ रहना चाहीए

साया-ए-दौलत से दूर रहना

सेवा में उपस्थित न होना, ख़िदमत में हाज़िर न होना, पास न रहना

तड़के उठ कर खाट से छोड़ छाड़ सब काम, माला कर हाथ में जप साईं का नाम

अली उल-सुबह उठ कर पहले इबादत या पूजा करनी चाहिए

सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर

जब कोई घाटा खा कर वापस आए तो कहते हैं कि आधा गंवा कर वापस गए

जो नर साएँ से डरे वासे डरो ज़रूर

अभिमानियों से बिल्कुल मत डरो, परन्तु जो परमेश्वर से डरता है उसी से डरो

शाए'

व्यक्त, प्रकट, ज़ाहिर

साईं के सो खेल हैं

ईश्वर सर्वज्ञ है वह जो चाहे सो करे

साईं के सो खेल

ईश्वर सर्वज्ञ है वह जो चाहे सो करे

मूल न वा सूँ भाए करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

मूल न वा सूँ भय करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

साए-साए

سائے میں ، سائے تلے ، چھان٘و میں.

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

साईं से सांची कहूँ बाज बाज रे ढोल, पंचन मेरी पत रहे सखियों में रहे बोल

स्त्री को चाहिए कि पति की नज़रों में सच्ची रहे क्यूँकि इसी तरह लोगों में उस का सम्मान और सहेलियों में उस का महत्व होता है

साईं से सांची रहूँ बाज बाज रे ढोल, पंचन में मेरी पत रहे सखियाँ में रहे बोल

स्त्री को चाहिए कि पति की नज़रों में सच्ची रहे क्यूँकि इसी तरह लोगों में उस का सम्मान और सहेलियों में उस का महत्व होता है

साईं इस संसार में भाँत भाँत के लोग, सब से मिल के बैठिये नदी नाव संजोग

दुनिया में तरह तरह के लोग हैं मिल कर जीवन व्यतीत करना चाहिए

साईं इस संसार में भाँत भाँत के लोग, सब से मिल कर बैठिये नदी नाव संजोग

दुनिया में तरह तरह के लोग हैं मिल कर जीवन व्यतीत करना चाहिए

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