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पुत-बहू

۔ (ھ) مونث۔ پوتے کی جورو۔

पोत-बहू

पोते की बीवी, बेटे के बेटे की जोरू

आती बहू जनम्ता पूत

बहू के आते ही एवं लड़के के जन्म लेते ही समृद्धि और बुरा हाल मा'लूम हो जाता है, घर में बहू का आना और पुत्र का जन्म सब को अच्छा लगता है

पेट भी ख़ाली, गोद भी ख़ाली

निर्धन और निःसंतान, न खाने को है न बाल बच्चा ही है, न बच्चा पेट में है न गोद में है

लेप बहू दिवाली आई पूत बहू दिवाली आई, छेद छदाली माथे मारी क्यूँ सासू यही दिवाली थी

यह उन सासों पर व्यंग्य है जो अपनी बहुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करतीं

पूत भए सियाने , दुख भए पुराने

बेटे जवान हूँ तो सब तकलीफें जाती रहती हैं कीवनका वो कमाने के काबिल होजाते पैं

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं पठान का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं आदमी के पूत ने भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं सिपाही का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

जो पूत दरबारी भए, देव पित्तर सब से गए

जो सरकार की नौकरी करे वो किसी काम का नहीं रहता

आपन पेट तो कुत्ता भी भरता है

मनुष्य को दुनिया में कुछ करके दिखाना चाहिए, वैसे तो कुत्ता भी पेट भर लेता है

पेट पालना कुत्ता भी जानता है

दुनिया में अपना पेट पालना ही लक्ष नहीं क्यूँकि यह काम तो कुत्ता भी कर लेता है, आदमी को कोई बड़ा काम करना चाहिए

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

अपना पेट तो कुत्ता भी पालता है

स्वार्थ कोई गुण नहीं, दूसरों की सेवा करना बड़ी बात है

चित भी पट भी

पक्ष और विपक्ष हर सूरत या हर प्रतियोगिता (जब कोई व्यक्ति किसी मामले या बात के हर पहलू में अपने ही उद्देश्य का ध्यान रखे या हर तरह अपना ही लाभ चाहे तो कहते हैं)

कोई भी माँ के पेट से 'इल्म ले कर नहीं निकलता

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

कोई भी तो माँ के पेट से 'इल्म ले कर नहीं निकलता

सीखा सिखाया कोई नहीं पैदा होता, काम सीखने ही से आता है

आओ पूत सिला चने घर का भी ले जाओ

शाबाश बेटा घर में कुछ न छोड़ना, सब कुछ उजाड़ देना

चित भी मेरी पट भी मेरी

हर तरह से अपना मतलब निकालने और अपने अनुकूल बात तै कराने का प्रबंध, हर तरह अपना ही लाभ चाहना

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

पैसे बिन माता कहे जाया पूत कपूत, भाई भी पैसे बिना मारें लख सर जूत

ग़रीब को माँ और भाई भी अच्छा नहीं समझते

पैसे बिन माता कहे जामा पूत कहूत, भाई भी पैसे बिना मारें लाख सर जूत

ग़रीब को माँ और भाई भी अच्छा नहीं समझते

चित भी मेरी पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का

हर तरह से अपना मतलब निकालने और अपने अनुकूल बात तै कराने का प्रबंध, हर तरह अपना ही लाभ चाहना

बिल्ली भी मारती है चूहा पेट के लिए

ईश्वर के नाम पर कोई बुरा काम नहीं करता

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक माँ लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक में लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

बिल्ली भी मारती है चूहा तो पेट के लिए, बिल्ली ख़ुदा वास्ते चूहा नहीं मारती

ईश्वर के नाम पर कोई बुरा काम नहीं करता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पोत-बहू के अर्थदेखिए

पोत-बहू

pot-bahuuپوت بَہُو

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 2112

पोत-बहू के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • पोते की बीवी, बेटे के बेटे की जोरू

English meaning of pot-bahuu

Noun, Feminine

  • wife of the paternal grandson

پوت بَہُو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مؤنث

  • پوتے کی بیوی، بیٹے کے بیٹے کی جورو

Urdu meaning of pot-bahuu

  • Roman
  • Urdu

  • pote kii biivii, beTe ke beTe kii joruu

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पुत-बहू

۔ (ھ) مونث۔ پوتے کی جورو۔

पोत-बहू

पोते की बीवी, बेटे के बेटे की जोरू

आती बहू जनम्ता पूत

बहू के आते ही एवं लड़के के जन्म लेते ही समृद्धि और बुरा हाल मा'लूम हो जाता है, घर में बहू का आना और पुत्र का जन्म सब को अच्छा लगता है

पेट भी ख़ाली, गोद भी ख़ाली

निर्धन और निःसंतान, न खाने को है न बाल बच्चा ही है, न बच्चा पेट में है न गोद में है

लेप बहू दिवाली आई पूत बहू दिवाली आई, छेद छदाली माथे मारी क्यूँ सासू यही दिवाली थी

यह उन सासों पर व्यंग्य है जो अपनी बहुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करतीं

पूत भए सियाने , दुख भए पुराने

बेटे जवान हूँ तो सब तकलीफें जाती रहती हैं कीवनका वो कमाने के काबिल होजाते पैं

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं पठान का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं आदमी के पूत ने भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

पढ़े तोता पढ़े मैना, कहीं सिपाही का पूत भी पढ़ा है

फ़ौजियों या उच्च कुल की संतानों के न पढ़ने पर व्यंग है

जो पूत दरबारी भए, देव पित्तर सब से गए

जो सरकार की नौकरी करे वो किसी काम का नहीं रहता

आपन पेट तो कुत्ता भी भरता है

मनुष्य को दुनिया में कुछ करके दिखाना चाहिए, वैसे तो कुत्ता भी पेट भर लेता है

पेट पालना कुत्ता भी जानता है

दुनिया में अपना पेट पालना ही लक्ष नहीं क्यूँकि यह काम तो कुत्ता भी कर लेता है, आदमी को कोई बड़ा काम करना चाहिए

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

अपना पेट तो कुत्ता भी पालता है

स्वार्थ कोई गुण नहीं, दूसरों की सेवा करना बड़ी बात है

चित भी पट भी

पक्ष और विपक्ष हर सूरत या हर प्रतियोगिता (जब कोई व्यक्ति किसी मामले या बात के हर पहलू में अपने ही उद्देश्य का ध्यान रखे या हर तरह अपना ही लाभ चाहे तो कहते हैं)

कोई भी माँ के पेट से 'इल्म ले कर नहीं निकलता

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

कोई भी तो माँ के पेट से 'इल्म ले कर नहीं निकलता

सीखा सिखाया कोई नहीं पैदा होता, काम सीखने ही से आता है

आओ पूत सिला चने घर का भी ले जाओ

शाबाश बेटा घर में कुछ न छोड़ना, सब कुछ उजाड़ देना

चित भी मेरी पट भी मेरी

हर तरह से अपना मतलब निकालने और अपने अनुकूल बात तै कराने का प्रबंध, हर तरह अपना ही लाभ चाहना

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

पैसे बिन माता कहे जाया पूत कपूत, भाई भी पैसे बिना मारें लख सर जूत

ग़रीब को माँ और भाई भी अच्छा नहीं समझते

पैसे बिन माता कहे जामा पूत कहूत, भाई भी पैसे बिना मारें लाख सर जूत

ग़रीब को माँ और भाई भी अच्छा नहीं समझते

चित भी मेरी पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का

हर तरह से अपना मतलब निकालने और अपने अनुकूल बात तै कराने का प्रबंध, हर तरह अपना ही लाभ चाहना

बिल्ली भी मारती है चूहा पेट के लिए

ईश्वर के नाम पर कोई बुरा काम नहीं करता

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक माँ लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक में लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

बिल्ली भी मारती है चूहा तो पेट के लिए, बिल्ली ख़ुदा वास्ते चूहा नहीं मारती

ईश्वर के नाम पर कोई बुरा काम नहीं करता

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