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भरा हुआ

क्रोधित, नाख़ुश

भिड़ा हुआ

बंद

भोंदू है

भोला है, बुद्धू है, बेवक़ूफ़ है

नख़वत से भरा हुआ

۔ پُر از غروروتکبر ہونا۔؎

हवा में भरा हुआ होना

अभिमानी होना, अहंकार करना, घमंड में रहना, इतराना

लड़ा-भिड़ा हुआ

लड़ने में कुशल, लड़ने का माहिर, लड़ाई का अनुभवी

जोड़-जोड़ शरारत भरी है

बड़ा शरीर है

लड़ाई का पीछा भारी होता है

लड़ाई की तीव्रता अंत में अधिक होती है, युद्ध का परिणाम बाद में दिखता है

गुड़ भरा हँसिया, न निगलते बन पड़ता है न उगलते

हर तरह मुश्किल है न करते बनती है न छोड़ते

घोड़ा आप ही पादे , आप ही भराए

किसी काम को ख़ुद करके परेशान होना या ताज्जुब-ओ-वहम करना

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

कौड़ी-कौड़ी माया जोड़ी कर बातें छल की, भारी बोझ धरा सर ऊपर किस बिध हो हलकी

धोके-बाज़ी से धन जमा किया और पापों का बोझ सर पर लिया जो किसी तरह हल्का नहीं होता

गूड़ भरा हँसियाँ है , न निगलने बने , न उगलते बने

جہاں کسی کام کے کرنے یا نہ کرنے میں پس و پیش یا تذبذب ہو وہاں یہ مثل بولتے ہیں یعنی نہ کیے ہی بنتی ہے نہ چھوڑے ہر طرح نقصان ہے

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

सामने पानी भरा कलसा आजाए तो अच्छा शुगून होता है

किसी काम को जाते हुए कोई पानी लाता मिले तो अच्छा शगुन समझा जाता है

गालों में चावल भरे हैं , चबा चबा के बातें करता है

साहब-ए-मक़दूर है इस लिए ऐसी बातें करता है

बासन से वही टपकता है जो उस में भरा है

घ‌ड़े में जो होगा वही टपकेगा, जिस्की बुद्धी जैसी होगी वैसी ही वाणी उसकी ज़बान पर आएगी

ब्याह पीछे पत्तल भारी होता है

अधिक ख़र्च करने के पश्चात थोड़ा ख़र्च भी बड़ा प्रतीत होता है

फ़ौज का आगा बरात का पीछा भारी होता है

सेना के आक्रमण का रोकना और शादी के बाद व्यय का प्रबंध करना और इन दोनों कार्यों को समापन पर पहुँचाना बहुत कठिन है

पत्थर अपनी ही जगह भारी होता है

इंसान की वक़ात अपनी जगह या मुक़ाम पर ही होती है

दिल भरा आता है

आँखों में आँसू चले आते हैं

ख़ुदा भरे को भरता है

जिसके पास हो ईश्वर उसे और देता है

भूरा भैंसा चाँदली जोए पूस महावट बुरे होए

भूरा भैंसा गण औरत और पोस में बारिश बुरी होती या शाज़-ओ-नादिर होती हैं

ख़ुदा भी भरे को भरता है

जिसके पास दौलत होती है, अल्लाह उसे और दौलत देता है

कया मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यों नहीं, क्यों चुप हो

भेड़ी का जनम है

छोटे बच्चों की नाक हर समय बहती रहती है या अधिक सर्दी-जुकाम रहता है और अक्सर छींक आती है तो महिलाएं कहती हैं

जिस का पल्ला भारी हो वही झुके

बड़ा आदमी विनम्र होता है, जिसके पास हो उसे देना चाहिए

रोटी और औलाद से किसी का पेट भरा है

हर शख़्स रोज़ी और औलाद की कसरत चाहता है

भरा कहार, ख़ाली कुम्हार, तेज़ जाता है

तथ्य को कहावत के रूप में बोला जाता है क्यूँकि कहार डोली उठा कर तेज़ चलते थे

भरे को ही भरता है

जिसके पास हो ईश्वर उसे और देता है

भरे को ही भरता है

जिसके पास दौलत होती है, अल्लाह उसे और दौलत देता है

भरा कहार और ख़ाली कुम्हार तेज़ जाता है

तथ्य को कहावत के रूप में बोला जाता है क्यूँकि कहार डोली उठा कर तेज़ चलते थे

कान बहरे हो जाना

सुनने की शक्ति जाती रहना

भरे को भरता है

जिसके पास हो ईश्वर उसे और देता है

रात का पेट भारी है

रात सबका दोष छुपाने वाली है

राम भरोसा भारी है

जो विश्वास ईश्वर के ऊपर किया जाए वह हर विश्वास से बेहतर और श्रेष्ठ है

तले का पाट भारी है

(मजाज़न) बीवी ज़बरदस्त है

अब भी मेरा मुर्दा तेरे ज़िंदा पर भारी है

मैं मजबूरी में भी तुझ पर भारी हूँ, मैं इस गई गुज़री हालत में भी तुझ पर भारी हूँ, तुझ से बेहतर हूँ

मेरा मुर्दा अब भी तेरे ज़िंदे पर भारी है

मैं मजबूरी में भी तुझ पर भारी हूँ, मैं इस गई गुज़री हालत में भी तुझ पर भारी हूँ, तुझ से बेहतर हूँ

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

नीचे का पाट भारी है

(चक्की का निचला पाट भारी होता है) जोरू ज़बरदस्त-ओ-ग़ालिब है, इताअत-ओ-फ़र्मांबरदारी नहीं करती

अब भी मेरा मुर्दा उस के ज़िंदे पर भारी है

मैं मजबूरी में भी तुझ पर भारी हूँ, मैं इस गई गुज़री हालत में भी तुझ पर भारी हूँ, तुझ से बेहतर हूँ

मूली अपने ही पत्तों भारी

जब अपना ही गुज़ारा मुश्किल से है तो दूसरों को क्या देंगे

क्या मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यूँ नहीं, चुप क्यूँ हो

मुँह मोतियों से भरा जा सकता है , सो मुँह ख़ाक से भी नहीं भरे जाते

थोड़ा सा ख़र्च मज़ा यक्का नहीं बहुत सा कहाँ से आए

जूँ-जूँ मेंह बरसे तूँ-तूँ कमली भारी हो

जितना क़र्ज़ बढ़ता है, उतनी ही बोझ अधिक होता है

सुगंद लगाऊँ तो उभ मरूँ, उभ मरूँ पहने तन साड़ी हार चंबेली का भारी लगत, तुम जानत हो तन की सखवारी

इस औरत पर तंज़ है जो अपने को नाज़ुक ज़ाहिर करे और लिबास और ज़ेवर को भी भारी बताए

सुगंध लगाऊँ तो उभ मरूँ, उभ मरूँ पहने तन साड़ी हार चंबेली का भारी लगत, तुम जानत हो तन की सखवारी

इस औरत पर तंज़ है जो अपने को नाज़ुक ज़ाहिर करे और लिबास और ज़ेवर को भी भारी बताए

थाली गिरी झंकार हुई , क्या ख़बर भरी थी या ख़ाली

ख़ाह हक़ीक़त कुछ भी हो मगर बदनामी हो जाये तो उसे कौन रोक सकता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पत्थर अपनी ही जगह भारी होता है के अर्थदेखिए

पत्थर अपनी ही जगह भारी होता है

patthar apnii hii jagah bhaarii hotaa haiپَتَّھر اَپنی ہی جَگَہ بھاری ہوتا ہے

कहावत

पत्थर अपनी ही जगह भारी होता है के हिंदी अर्थ

  • इंसान की वक़ात अपनी जगह या मुक़ाम पर ही होती है

پَتَّھر اَپنی ہی جَگَہ بھاری ہوتا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • انسان کی وقعت اپنی جگہ یا مقام پر ہی ہوتی ہے .

Urdu meaning of patthar apnii hii jagah bhaarii hotaa hai

  • Roman
  • Urdu

  • insaan kii vaqaat apnii jagah ya muqaam par hii hotii hai

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भरा हुआ

क्रोधित, नाख़ुश

भिड़ा हुआ

बंद

भोंदू है

भोला है, बुद्धू है, बेवक़ूफ़ है

नख़वत से भरा हुआ

۔ پُر از غروروتکبر ہونا۔؎

हवा में भरा हुआ होना

अभिमानी होना, अहंकार करना, घमंड में रहना, इतराना

लड़ा-भिड़ा हुआ

लड़ने में कुशल, लड़ने का माहिर, लड़ाई का अनुभवी

जोड़-जोड़ शरारत भरी है

बड़ा शरीर है

लड़ाई का पीछा भारी होता है

लड़ाई की तीव्रता अंत में अधिक होती है, युद्ध का परिणाम बाद में दिखता है

गुड़ भरा हँसिया, न निगलते बन पड़ता है न उगलते

हर तरह मुश्किल है न करते बनती है न छोड़ते

घोड़ा आप ही पादे , आप ही भराए

किसी काम को ख़ुद करके परेशान होना या ताज्जुब-ओ-वहम करना

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

कौड़ी-कौड़ी माया जोड़ी कर बातें छल की, भारी बोझ धरा सर ऊपर किस बिध हो हलकी

धोके-बाज़ी से धन जमा किया और पापों का बोझ सर पर लिया जो किसी तरह हल्का नहीं होता

गूड़ भरा हँसियाँ है , न निगलने बने , न उगलते बने

جہاں کسی کام کے کرنے یا نہ کرنے میں پس و پیش یا تذبذب ہو وہاں یہ مثل بولتے ہیں یعنی نہ کیے ہی بنتی ہے نہ چھوڑے ہر طرح نقصان ہے

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

सामने पानी भरा कलसा आजाए तो अच्छा शुगून होता है

किसी काम को जाते हुए कोई पानी लाता मिले तो अच्छा शगुन समझा जाता है

गालों में चावल भरे हैं , चबा चबा के बातें करता है

साहब-ए-मक़दूर है इस लिए ऐसी बातें करता है

बासन से वही टपकता है जो उस में भरा है

घ‌ड़े में जो होगा वही टपकेगा, जिस्की बुद्धी जैसी होगी वैसी ही वाणी उसकी ज़बान पर आएगी

ब्याह पीछे पत्तल भारी होता है

अधिक ख़र्च करने के पश्चात थोड़ा ख़र्च भी बड़ा प्रतीत होता है

फ़ौज का आगा बरात का पीछा भारी होता है

सेना के आक्रमण का रोकना और शादी के बाद व्यय का प्रबंध करना और इन दोनों कार्यों को समापन पर पहुँचाना बहुत कठिन है

पत्थर अपनी ही जगह भारी होता है

इंसान की वक़ात अपनी जगह या मुक़ाम पर ही होती है

दिल भरा आता है

आँखों में आँसू चले आते हैं

ख़ुदा भरे को भरता है

जिसके पास हो ईश्वर उसे और देता है

भूरा भैंसा चाँदली जोए पूस महावट बुरे होए

भूरा भैंसा गण औरत और पोस में बारिश बुरी होती या शाज़-ओ-नादिर होती हैं

ख़ुदा भी भरे को भरता है

जिसके पास दौलत होती है, अल्लाह उसे और दौलत देता है

कया मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यों नहीं, क्यों चुप हो

भेड़ी का जनम है

छोटे बच्चों की नाक हर समय बहती रहती है या अधिक सर्दी-जुकाम रहता है और अक्सर छींक आती है तो महिलाएं कहती हैं

जिस का पल्ला भारी हो वही झुके

बड़ा आदमी विनम्र होता है, जिसके पास हो उसे देना चाहिए

रोटी और औलाद से किसी का पेट भरा है

हर शख़्स रोज़ी और औलाद की कसरत चाहता है

भरा कहार, ख़ाली कुम्हार, तेज़ जाता है

तथ्य को कहावत के रूप में बोला जाता है क्यूँकि कहार डोली उठा कर तेज़ चलते थे

भरे को ही भरता है

जिसके पास हो ईश्वर उसे और देता है

भरे को ही भरता है

जिसके पास दौलत होती है, अल्लाह उसे और दौलत देता है

भरा कहार और ख़ाली कुम्हार तेज़ जाता है

तथ्य को कहावत के रूप में बोला जाता है क्यूँकि कहार डोली उठा कर तेज़ चलते थे

कान बहरे हो जाना

सुनने की शक्ति जाती रहना

भरे को भरता है

जिसके पास हो ईश्वर उसे और देता है

रात का पेट भारी है

रात सबका दोष छुपाने वाली है

राम भरोसा भारी है

जो विश्वास ईश्वर के ऊपर किया जाए वह हर विश्वास से बेहतर और श्रेष्ठ है

तले का पाट भारी है

(मजाज़न) बीवी ज़बरदस्त है

अब भी मेरा मुर्दा तेरे ज़िंदा पर भारी है

मैं मजबूरी में भी तुझ पर भारी हूँ, मैं इस गई गुज़री हालत में भी तुझ पर भारी हूँ, तुझ से बेहतर हूँ

मेरा मुर्दा अब भी तेरे ज़िंदे पर भारी है

मैं मजबूरी में भी तुझ पर भारी हूँ, मैं इस गई गुज़री हालत में भी तुझ पर भारी हूँ, तुझ से बेहतर हूँ

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

नीचे का पाट भारी है

(चक्की का निचला पाट भारी होता है) जोरू ज़बरदस्त-ओ-ग़ालिब है, इताअत-ओ-फ़र्मांबरदारी नहीं करती

अब भी मेरा मुर्दा उस के ज़िंदे पर भारी है

मैं मजबूरी में भी तुझ पर भारी हूँ, मैं इस गई गुज़री हालत में भी तुझ पर भारी हूँ, तुझ से बेहतर हूँ

मूली अपने ही पत्तों भारी

जब अपना ही गुज़ारा मुश्किल से है तो दूसरों को क्या देंगे

क्या मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यूँ नहीं, चुप क्यूँ हो

मुँह मोतियों से भरा जा सकता है , सो मुँह ख़ाक से भी नहीं भरे जाते

थोड़ा सा ख़र्च मज़ा यक्का नहीं बहुत सा कहाँ से आए

जूँ-जूँ मेंह बरसे तूँ-तूँ कमली भारी हो

जितना क़र्ज़ बढ़ता है, उतनी ही बोझ अधिक होता है

सुगंद लगाऊँ तो उभ मरूँ, उभ मरूँ पहने तन साड़ी हार चंबेली का भारी लगत, तुम जानत हो तन की सखवारी

इस औरत पर तंज़ है जो अपने को नाज़ुक ज़ाहिर करे और लिबास और ज़ेवर को भी भारी बताए

सुगंध लगाऊँ तो उभ मरूँ, उभ मरूँ पहने तन साड़ी हार चंबेली का भारी लगत, तुम जानत हो तन की सखवारी

इस औरत पर तंज़ है जो अपने को नाज़ुक ज़ाहिर करे और लिबास और ज़ेवर को भी भारी बताए

थाली गिरी झंकार हुई , क्या ख़बर भरी थी या ख़ाली

ख़ाह हक़ीक़त कुछ भी हो मगर बदनामी हो जाये तो उसे कौन रोक सकता है

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