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अन्य, दूसरे लोग

औरों को नसीहत ख़ुद मियाँ फ़ज़ीहत

दूसरों को तो नसीहत (उपदेश) करते हैं और स्वयं उसका पालन नहीं करते, स्वयं बुरे काम करके दूसरों को उपदेश देना

हँसे तो औरों को , रोवे तो अपनों को

औरों पर मुसीबत पड़े तो हंसी आती है और जो अपने आप पर आन पड़े तो रोना आता है

हकीम औरों की दवा करे अपनी न करे

औरों को नसीहत करे और ख़ुद ना समझे

नंगी घेरे घाट , न आप नहाए , न औरों को नहाने दे

रुक : नंगा घेरे घाट, ना आप नहाए, ना औरों को नहाने दे

जो औरों का बुरा चेते गा उस का पहले बुरा होगा

जो दूसरों का नुक़्सान चाहेगा इस का अपना नुक़्सान होगा

सियार औरों को शगून दे , आप कुत्तों से डरे

गीदड़ का रास्ते में मिलना अच्छ्াा शगून समझा जाता है मगर ख़ुद कुत्तों से डरता है यानी दूओसरों को फ़ायदा पहुंचाए मगर ख़ुद को कोई फ़ायदा ना हो

नित की बीवी पदनी औरों को दोश

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

नित की बीवी पदनी औरों को दोस

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

बाँदी औरों के पाँव धोवे , अपने लिये सोवे

दूसरों के काम में चुसती और अपने काम में सुस्ती

रानी दीवानी हुई , औरों को पत्थर, अपनों को लड्डू मारे

दीवाना बह कार-ए-ख़ुद होशयार, उनकी दीवानगी में भी अपना ही फ़ायदा है

गीदड़ औरों को शुगून बताए आप अपनी गर्दन कुत्तों से तुड़वाए

अपनी मुसीबत की फ़िक्र नहीं औरों को तदबीर बताते फिरते हैं, औरों को नसीहत अपने फ़ज़ीहत

गीदड़ औरों को शुगून बताएँ आप अपनी गर्दन कुत्तों से कटवाएँ

अपनी मुसीबत की फ़िक्र नहीं औरों को तदबीर बताते फिरते हैं, औरों को नसीहत अपने फ़ज़ीहत

सीख देत औरों को पाँडा आप भरे पापों का भाँड

पण्डित औरों को तो नसीहत करे और ख़ुद गुनाह करे, उस शख़्स की निसबत बोलते हैं जो ख़ुद गुनाह का मुर्तक़िब होता है लेकिन दूसरों को मुत्तक़ी बनने की तलक़ीन करता है

यही भरोसा ठीक है कि दाता दे तो लूँ, औरों का कर आसरा जी तरसावे क्यूँ

किसी से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए, ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए, ईश्वर पर आसरा करना चाहिए

कुछ तुम ने समझा, कुछ हम ने समझा, औरों को ख़बर न हुई

किसी बात का तुम्हें ख़याल हुआ किसी बात का हमें, इस प्रकार बात बन गई

कांड़ी अपना टेंट न निहारे, औरों की फुल्ली निहारे

अपने अवगुण की उपेक्षा कर के दूसरों के अवगुणों का बखान करना

ये तो सिक्षा साध की निहचे चित में ला, भेद न अपने जियो का औरों को बतला

अपना भेद किसी से नहीं कहना चाहिये

हारूँ तो होरूँ, जीतूँ तो थोरूँ

जिस आदमी को इस की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी काम पर मजबूर किया जाये वो चाहे फ़ायदा उठाए चाहे नुक़्सान राज़ी नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नित की बीवी पदनी औरों को दोस के अर्थदेखिए

नित की बीवी पदनी औरों को दोस

nit kii bivii padnii auro.n ko dosنِت کی بِیوی پَدنی اَوروں کو دوس

नित की बीवी पदनी औरों को दोस के हिंदी अर्थ

  • अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

نِت کی بِیوی پَدنی اَوروں کو دوس کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • اپنا الزام دوسروں کے سر ؛ چڑانے والے کی نسبت بولتے ہیں

Urdu meaning of nit kii bivii padnii auro.n ko dos

  • Roman
  • Urdu

  • apnaa ilzaam duusro.n ke sar ; cha.Dhaane vaale kii nisbat bolte hai.n

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अन्य, दूसरे लोग

औरों को नसीहत ख़ुद मियाँ फ़ज़ीहत

दूसरों को तो नसीहत (उपदेश) करते हैं और स्वयं उसका पालन नहीं करते, स्वयं बुरे काम करके दूसरों को उपदेश देना

हँसे तो औरों को , रोवे तो अपनों को

औरों पर मुसीबत पड़े तो हंसी आती है और जो अपने आप पर आन पड़े तो रोना आता है

हकीम औरों की दवा करे अपनी न करे

औरों को नसीहत करे और ख़ुद ना समझे

नंगी घेरे घाट , न आप नहाए , न औरों को नहाने दे

रुक : नंगा घेरे घाट, ना आप नहाए, ना औरों को नहाने दे

जो औरों का बुरा चेते गा उस का पहले बुरा होगा

जो दूसरों का नुक़्सान चाहेगा इस का अपना नुक़्सान होगा

सियार औरों को शगून दे , आप कुत्तों से डरे

गीदड़ का रास्ते में मिलना अच्छ्াा शगून समझा जाता है मगर ख़ुद कुत्तों से डरता है यानी दूओसरों को फ़ायदा पहुंचाए मगर ख़ुद को कोई फ़ायदा ना हो

नित की बीवी पदनी औरों को दोश

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

नित की बीवी पदनी औरों को दोस

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

बाँदी औरों के पाँव धोवे , अपने लिये सोवे

दूसरों के काम में चुसती और अपने काम में सुस्ती

रानी दीवानी हुई , औरों को पत्थर, अपनों को लड्डू मारे

दीवाना बह कार-ए-ख़ुद होशयार, उनकी दीवानगी में भी अपना ही फ़ायदा है

गीदड़ औरों को शुगून बताए आप अपनी गर्दन कुत्तों से तुड़वाए

अपनी मुसीबत की फ़िक्र नहीं औरों को तदबीर बताते फिरते हैं, औरों को नसीहत अपने फ़ज़ीहत

गीदड़ औरों को शुगून बताएँ आप अपनी गर्दन कुत्तों से कटवाएँ

अपनी मुसीबत की फ़िक्र नहीं औरों को तदबीर बताते फिरते हैं, औरों को नसीहत अपने फ़ज़ीहत

सीख देत औरों को पाँडा आप भरे पापों का भाँड

पण्डित औरों को तो नसीहत करे और ख़ुद गुनाह करे, उस शख़्स की निसबत बोलते हैं जो ख़ुद गुनाह का मुर्तक़िब होता है लेकिन दूसरों को मुत्तक़ी बनने की तलक़ीन करता है

यही भरोसा ठीक है कि दाता दे तो लूँ, औरों का कर आसरा जी तरसावे क्यूँ

किसी से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए, ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए, ईश्वर पर आसरा करना चाहिए

कुछ तुम ने समझा, कुछ हम ने समझा, औरों को ख़बर न हुई

किसी बात का तुम्हें ख़याल हुआ किसी बात का हमें, इस प्रकार बात बन गई

कांड़ी अपना टेंट न निहारे, औरों की फुल्ली निहारे

अपने अवगुण की उपेक्षा कर के दूसरों के अवगुणों का बखान करना

ये तो सिक्षा साध की निहचे चित में ला, भेद न अपने जियो का औरों को बतला

अपना भेद किसी से नहीं कहना चाहिये

हारूँ तो होरूँ, जीतूँ तो थोरूँ

जिस आदमी को इस की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी काम पर मजबूर किया जाये वो चाहे फ़ायदा उठाए चाहे नुक़्सान राज़ी नहीं होता

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